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कविता का सार और भावार्थ - नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ... | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

कवि परिचय

कवि अरुण कमल का जन्म 1936 में हुआ था। वे हिंदी कविता के प्रमुख कवियों में से एक माने जाते हैं। उनकी कविताओं में जीवन, संघर्ष और समाज की सच्चाइयों को उजागर किया गया है। निराला की कविताओं में खासकर संवेदनशीलता और गहरी सोच का अनुभव होता है। वे भारतीय समाज की वास्तविकताओं को चित्रित करने के लिए प्रसिद्ध हैं। अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने आम जनमानस को प्रभावित किया और समाज में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया।
कविता का सार और भावार्थ - नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ... | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

कविता का सार

‘नए इलाके में’

प्रस्तुत पाठ की पहली कविता ‘नए इलाके में’ में कवि ने एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करने का वर्णन किया है, जो एक ही दिन में पुरानी हो जाती है। इस कविता के माध्यम से कवि यह समझाना चाहते हैं कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है, अर्थात कोई भी वस्तु या जीव हमेशा के लिए नहीं रहते। कवि का अक्सर यह अनुभव होता है कि वह अपना रास्ता ढूंढने के लिए पीपल के पेड़ को खोजता है, लेकिन हर जगह मकानों के बनने के कारण वह पीपल का पेड़ अब नहीं मिलता। कवि पुराने गिरे हुए मकान को खोजता है, लेकिन वह भी अब कहीं नहीं दिखता। कवि कहता है कि जहाँ रोज कुछ नया बन रहा हो और कुछ मिटाया जा रहा हो, वहाँ व्यक्ति अपनी याददाश्त पर भरोसा नहीं कर सकता। कवि के अनुसार, एक ही दिन में सबकुछ इतना बदल जाता है कि एक दिन पहले की दुनिया पुरानी लगने लगती है। अब सही घर खोजने का उपाय यही है कि हर दरवाजे को खटखटा कर पूछा जाए कि क्या वह सही घर है।

‘खुशबू रचते हैं हाथ’

इस पाठ की दूसरी कविता ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में कवि ने सामाजिक विषमताओं को उजागर किया है। इस कविता में कवि ने गरीबों के जीवन पर प्रकाश डाला है। कवि कहता है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों का वर्णन किया है जो खुशबू से दूर हैं। अगरबत्ती का कारखाना अक्सर किसी तंग गली में, गंदे पानी के बहाव के लिए बनाए गए रास्ते के पार और बदबूदार कूड़े के ढेर के करीब होता है। कवि ने यह भी बताया कि अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ अलग-अलग होते हैं; कुछ के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं, तो कुछ के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और चोट के कारण फटे हुए भी होते हैं। कवि कहता है कि दूसरों के लिए खुशबू बनाने वाले खुद कितनी कठिनाइयों का सामना करते हैं। यह विडंबना है कि खुशबू उन स्थानों पर बनाई जाती है जहाँ गंदगी होती है।

नए इलाके में कविता का भावार्थ

कविता का सार और भावार्थ - नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ... | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

(1)
इन नए बसते इलाकों में
जहाँ रोज बन रहे हैं नए-नए मकान
मैं अकसर रास्ता भूल जाता हूँ

भावार्थ: कवि कहता है कि शहर में नए मुहल्ले रोज़ ही बसते हैं। ऐसी जगहों पर रोज नये-नये मकान बनते हैं। रोज-रोज नये बनते मकानों के कारण कोई भी व्यक्ति ऐसे इलाके में रास्ता भूल सकता है। कवि को भी यही परेशानी होती है। वह भी इन मकानों के बीच अपना रास्ता हमेशा भूल जाता है।

(2)
धोखा दे जाते हैं पुराने निशान
खोजता हूँ ताकता पीपल का पेड़
खोजता हूँ ढ़हा हुआ घर
और जमीन का खाली टुकड़ा जहाँ से बाएँ
मुड़ना था मुझे
फिर दो मकान बाद बिना रंगवाले लोहे के फाटक का
घर था इकमंजिला

भावार्थ: कवि कहता है कि जो पुराने निशान हैं वे धोखा दे जाते हैं क्योंकि कुछ पुराने निशान तो सदा के लिए मिट जाते हैं। कवि के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वह अपना रास्ता ढूँढ़ने के लिए पीपल के पेड़ को खोजता है परन्तु हर जगह मकानों के बनने के कारण उस पीपल के पेड़ को काट दिया गया है।फिर कवि पुराने गिरे हुए मकान को ढूँढ़ता है परन्तु वह भी उसे अब कही नहीं दिखता। कवि कहता है कि पहले तो उसे घर का रास्ता ढूँढ़ने के लिए जमीन के खाली टुकड़े के पास से बाएँ मुड़ना पड़ता था और उसके बाद दो मकानों के बाद बिना रंगवाले लोहे के दरवाजे वाले इकमंजिले मकान में जाना होता था। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि को अब बहुत से मकानों के बन जाने से घर का रास्ता ढूँढ़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

(3)
और मैं हर बार एक घर पीछे
चल देता हूँ
या दो घर आगे ठकमकाता
यहाँ रोज कुछ बन रहा है
रोज कुछ घट रहा है
यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं

भावार्थ: कवि कहता है कि अपने घर जाते हुए वह हर बार या तो अपने घर से एक घर पीछे ठहर जाता है या डगमगाते हुए अपने घर से दो घर आगे ही बढ़ जाता है। कवि कहता है जहाँ पर रोज ही कुछ नया बन रहा हो और कुछ मिटाया जा रहा हो, वहाँ पर अपने घर का रास्ता ढ़ूँढ़ने के लिए आप अपनी याददाश्त पर भरोसा नहीं कर सकते।

(4)
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
अब यही है उपाय कि हर दरवाजा खटखटाओ
और पूछो – क्या यही है वो घर?
समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढ़हा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।

भावार्थ: कवि कहता है कि एक ही दिन में सबकुछ इतना बदल जाता है कि एक दिन पहले की दुनिया पुरानी लगने लगती है। ऐसा लगता है जैसे महीनों बाद लौटा हूँ। ऐसा लगता है जैसे घर से बसंत ऋतु में बाहर गया था और पतझड़ ऋतु में लौट कर आया हूँ।
जैसे बैसाख ऋतु में गया और भादों में लौटा हो। कवि कहता है कि अब सही घर ढ़ूँढ़ने का एक ही उपाय है कि हर दरवाजे को खटखटा कर पूछो कि क्या वह सही घर है। कवि कहता है कि उसके पास अपना घर ढूँढ़ने लिए बहुत कम समय है क्योंकि अब तो आसमान से बारिश भी आने वाली है और कवि को उम्मीद है कि कोई परिचित उसे देख लेगा और आवाज लगाकर उसे उसके घर ले जाएगा।

खुशबू रचते हैं हाथ कविता का भावार्थ

कविता का सार और भावार्थ - नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ... | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

(1)
नई गलियों के बीच
कई नालों के पार
कूड़े करकट
के ढ़ेरों के बाद
बदबू से फटते जाते इस
टोले के अंदर
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ!

भावार्थ: कवि कहता है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। अगरबत्ती हालाँकि पूजा पाठ में इस्तेमाल होती है लेकिन इसकी खुशबू ही शायद वह वजह होती है कि लोग इसे प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं।
इस कविता में कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों के बारे में बताया है जो खुशबू से कोसों दूर है। ऐसा कवि ने इसलिए कहा है क्योंकि अगरबत्ती का कारखाना अकसर किसी तंग गली में, घरों और सड़कों के किनारे गंदे पानी के बहाव के लिए बनाए गए रास्ते के पार और बदबूदार कूड़े के ढेर के समीप होता है। ऐसे स्थानों पर कई कारीगर अपने हाथों से अगरबत्ती को बनाते हैं।

(2)
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनोंवाले हाथ
पीपल के पत्ते से नए नए हाथ
जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे पिटे हाथ
जख्म से फटे हुए हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ!

भावार्थ: कवि कहता है कि अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ विभिन्न प्रकार के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं। किसी के हाथों के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ बच्चे भी काम करते हैं जिनके हाथ पीपल के नये पत्तों की तरह कोमल होते हैं। कुछ कम उम्र की लड़कियाँ भी होती हैं जिनके हाथ जूही के फूल की डाल की तरह खुशबूदार होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और चोट के कारण फटे हुए भी होते हैं। कवि कहता है कि दूसरों के लिए खुशबू बनाने वाले खुद न जाने कितनी और कैसी तकलीफों का सामना करते हैं।

शब्दावली

  • इलाका: क्षेत्र
  • अकसर: प्रायः 
  • ताकतादेखता
  • ढहागिरा हुआ 
  • ठकमकाताडगमगाते हुए
  • स्मॄतियाद 
  • वसंतएक ऋतु
  • पतझडएक ऋतु जिसमें पेड़ों के पत्ते झड़ते हैं
  • वैसाखचैत के बाद आने वाला महीना
  • भादोंसावन के बाद आने वाला महीना
  • अकासगगन
  • कूड़ा-करकटरद्दी या कचरा
  • टोलेछोटी बस्ती
  • जख्मघाव
  • मुल्कदेश 
  • खसपोस्ता
  • रातरानीएक सुगंधित फूल
  • मशहूरप्रसिद्ध

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FAQs on कविता का सार और भावार्थ - नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ... - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. What is the central theme of the poem "नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ..."?
Ans. The central theme of the poem "नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ..." is the experience of a person who is moving to a new place and how the person tries to create a sense of belonging by adding their own touch to the new surroundings.
2. What does the phrase "खुशबू रचते हैं हाथ" mean in the context of the poem?
Ans. The phrase "खुशबू रचते हैं हाथ" means adding a personal touch or imprint to the new surroundings. In the context of the poem, it refers to the protagonist's attempt to create a sense of belonging by adding their own scent or aura to the new place.
3. Who is the intended audience for this poem?
Ans. The intended audience for this poem is anyone who has experienced the feeling of moving to a new place or environment and trying to create a sense of belonging.
4. What literary devices are used in the poem "नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ..."?
Ans. The poem "नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ..." uses various literary devices such as imagery, metaphor, and personification to convey the protagonist's experience of moving to a new place.
5. What is the significance of the title "नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ..."?
Ans. The title "नए इलाके में...खुशबू रचते हैं हाथ..." is significant as it captures the essence of the poem. It refers to the protagonist's attempt to create a sense of belonging by adding their own scent or aura to the new place. The phrase "हाथ रचना" refers to the act of creating or adding something personal to the new surroundings.
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