Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)  >  अनुवाद - समवायो हि दुर्जयः | Chapter Explanation

अनुवाद - समवायो हि दुर्जयः | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7) PDF Download

(क) पुरा एकस्मिन्‌ वृक्षे एका चटका प्रतिवसति स्म। कालेन तस्या: सन्तति: जाता।
एकदा कश्चित्‌ प्रमत्त: गज: तस्य वृक्षस्य अध: आगत्य तस्य शाखां शुण्डेन अत्रोटयत्‌।

सरलार्थ -

पहले समय में एक वृक्ष पर एक चिड़िया रहती थी । समय के साथ उसके सन्तान उत्पन्न हुए एकबगर कोइ मस्त हाथी ने उस वृक्ष के नीचे आकर उसकी टहनी को सुंड से तोड़ दुया ।

(ख) चटकाया: नीडं भुवि अपततू। तेन अण्डानि विशीर्णाना। अथ सा चटका व्यलपत्‌। तस्या: विलापं श्रुत्वा काष्ठकूट: नाम खगः दुःखेन ताम्‌ अपृच्छत्‌-'' भद्रे, किमर्थ विलपसि?" इति। चटकावदत्‌-दुष्टेनैकेन गजेन मम सन्तति: नाशिता। तस्य गजस्य वधेनैव मम दुःखम्‌ अपसरेत्।"

सरलार्थ -

चिड़िया का घोसला जमीन पर गिर गया । इससे अण्डे फूट गए । तब वह चिड़िया रोने लगी । उसके विलाप को सुनकर काषठकूट नामक पक्षी दुःख पूर्वक उससे पूछा - "देवी , तू किसलिए रो रही है ? " चिड़िया बोली "एक दुष्ट हाथी ने मेरे सन्तान नष्ट कर डाली । उस हाथी की हत्या से ही मेरा दुःख दुर होगा ।''

(ग) ततः काष्ठकूट: तां वीणारवा-नाम्न्या: मक्षिकाया: समीपम्‌ अनयत। तयो: वार्ता श्रुत्वा मक्षिकावदत्‌-''ममापि मित्र मण्डूक: मेघनादः अस्ति। शीघ्रं तमुपेत्य यथोचितं करिष्याम:।” तदानीं तौ मक्षिकया सह गत्वा मेघनादस्य पुर: सर्व वृत्तान्तं न्यवेदयताम्‌। मेघनाद: अवदत्‌- “यथाहं कथयामि तथा वुउरुतम्‌। मक्षिके। प्रथम त्वं मध्याह्ने तस्य गजस्य कर्ण शब्दं कुरु, येन सः नयने निमील्य स्थास्यति।

सरलार्थ -

तब काष्ठकूट उसे वीणारवा नामक एक मक्खी के पास ले गया । उनकी बगत सुनकर मक्खी बोली "मेरी भी एक मित्र मेघनाद नगमक मेंढक है । शीघ्र उसके पास चलकर उचित कार्य करते हैं " । तब उन दोनों ने मक्खी के साथ जाकर मेघनाद के सामने सारा किस्सा (वृत्तांत) निवेदन कर दिया । मेघनाद बोला "जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो । हे मक्खी पहले तुम दोपहर के समय उस हाथी के कान में शब्द करो जिससे वह आँखे बंद करके पड़ा रहेगा"

(घ) तदा काष्ठकूट: चञ्चवा तस्य नयने स्फोटयिष्यति। एवं सः गज: अन्ध: भविष्यति। तृषार्त: सः जलाशयं गमिष्यति। मार्गे महान्‌ गर्त्त: अस्ति। तस्य अन्तिके अहं स्थास्यामि शब्दं च करिष्यामि। मम शब्देन तं गर्त जलाशयं मत्वा स तस्मिन्नेव गर्ते पतिष्यति मरिष्यति च।" अथ तथा कृते सः गज: मध्याह्ने मण्डूकस्य शब्दम्‌ अनुसृत्य महतः गर्तस्य अन्त: पतित: मृत: च। तथा चोक्तम्‌- “बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जय:"

सरलार्थ - 
तब काष्ठकूट चोंच से उसकी आँखें फोड़ डालेगा । इस प्रकार वह हाथी अन्धा हो जाएगा । प्यास से व्याकुंल वह तालाब की ओर जाएगा । रास्ते में विशाल गड्ढा है । उसके पाश मैं खड़ा हो जाऊँगा और शब्द (टर्र - टर्र) करुँगा । मेरे शब्द के द्वारा उस गड्ढे को तालाब मानकर वह उस गड्ढे में ही गिर पड़ेगा और मर जाएगा । तब वैसा करने पर वह हाथी दोपहर के समय में मेंढक के शब्द का अनुसरण करके बड़े गड्ढे के अन्दर गिरा और मरा । और वैसे कहा गया है - अनेक निर्बल (छोटे प्राणियों का संगठन (मेल) भी मश्किल से जीतने योग्य होता है ।) (अर्थात् दर्जय होता है ।)

The document अनुवाद - समवायो हि दुर्जयः | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7) is a part of the Class 7 Course संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7).
All you need of Class 7 at this link: Class 7
15 videos|72 docs|21 tests

Top Courses for Class 7

FAQs on अनुवाद - समवायो हि दुर्जयः - Chapter Explanation - संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

1. समवायो हि दुर्जयः का अर्थ क्या है?
उत्तर: "समवायो हि दुर्जयः" का अर्थ होता है कि समवाय (संयोग) ही अत्यन्त दुर्जय (जितना मुश्किल जीतने योग्य हो) होता है। यह वाक्य विद्यार्थियों को यह समझाता है कि सामरिक या जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए संयोग का महत्व होता है।
2. समवाय के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: समवाय के दो प्रकार होते हैं - संख्यात्मक समवाय और गुणात्मक समवाय। संख्यात्मक समवाय में संयोग किसी वस्तु के प्रत्येक भाग के संख्यात्मक गुणधर्म से संबंधित होता है, जबकि गुणात्मक समवाय में संयोग वस्तु के गुणधर्मों से संबंधित होता है।
3. समवाय के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: कुछ उदाहरण समवाय के हैं: - विद्यार्थी और अध्यापक का संयोग शिक्षा क्षेत्र में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। - पानी और जल तापमान का संयोग जलवायु बनाने में एक महत्वपूर्ण कारक है। - आवाज और सुनने वाले के संयोग के बिना कोई भी संवाद नहीं हो सकता है।
4. समवाय का महत्व क्या है?
उत्तर: समवाय का महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि यह हमारे जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में संयोग का ज्ञान प्रदान करता है। यह विद्यार्थियों को यह समझने में मदद करता है कि सफलता प्राप्त करने के लिए योग्य संयोग की आवश्यकता क्या होती है।
5. समवाय की उपयोगिता क्या है?
उत्तर: समवाय की उपयोगिता यह है कि इसका ज्ञान हमें अधिक विचारशील बनाता है और हमें लोगों के साथ मेलजोल बनाने और अच्छी संबंध बनाने में मदद करता है। यह हमें अपने शिक्षा और सामाजिक जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
15 videos|72 docs|21 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 7 exam

Top Courses for Class 7

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

practice quizzes

,

past year papers

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Semester Notes

,

pdf

,

अनुवाद - समवायो हि दुर्जयः | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

,

अनुवाद - समवायो हि दुर्जयः | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

,

Summary

,

Exam

,

Extra Questions

,

ppt

,

video lectures

,

MCQs

,

Sample Paper

,

Viva Questions

,

अनुवाद - समवायो हि दुर्जयः | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

,

Important questions

,

Objective type Questions

,

study material

,

mock tests for examination

,

shortcuts and tricks

,

Free

;