प्रश्न 1: भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तर: भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में पिटाई का डर था।
प्रश्न 2: मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?
उत्तर: लेखक के गाँव से मक्खनपुर जाने वाली राह में लगभग 36 फीट गहरा एक कच्चा कुआँ था। उसमें एक साँप न जाने कैसे गिर गया था। मक्खनपुर पढ़ने जाने वाले बच्चे उस कुएँ में इसलिए ढेले फेंकते थे ताकि साँप क्रोधित होकर फुफकारे और वे उसकी फुफकार सुन सकें।
प्रश्न 3: 'साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं' - यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
उत्तर: यह कथन लेखक की घबराई हुई और परेशान मनोदशा को दर्शाता है। जैसे ही लेखक ने टोपी उतारकर कुएँ में ढेला फेंका, उसकी ज़रूरी चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गईं। उन्हें गिरता देखकर वह स्तब्ध रह गया और उसका ध्यान पूरी तरह चिट्ठियों पर चला गया। इसलिए उसे यह याद ही नहीं रहा कि साँप को ढेला लगा या नहीं और उसने फुफकारा या नहीं।
प्रश्न 4: किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?
उत्तर: लेखक द्वारा चिट्ठियों को कुएँ से निकालने के निम्नलिखित कारण हैं:
प्रश्न 5: साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?
उत्तर: साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाईं:
प्रश्न 6: कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: जब चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गईं, तो लेखक डरने की बजाय साहसी फैसला करता है। वह अपनी और अपने भाई की पाँच धोती लेकर उन्हें जोड़ता है और एक डंडा बाँधकर कुएँ में लटकाता है। धोती का एक सिरा भाई को पकड़ा देता है और खुद उस सहारे कुएँ में उतर जाता है। नीचे साँप फन फैलाकर बैठा होता है। लेखक दीवार की मिट्टी गिराकर साँप का ध्यान भटकाता है। जब वह चिट्ठियाँ डंडे से सरकाता है, तो साँप हमला करता है और डंडे पर ज़हर छोड़ देता है। फिर भी लेखक डरता नहीं। चिट्ठियाँ उठाता है और भाई को ऊपर भेज देता है। फिर वह फिर से साँप का ध्यान भटकाकर डंडा खींच लेता है और हिम्मत दिखाते हुए धीरे-धीरे सरककर कुएँ से बाहर निकल आता है।
प्रश्न 7: इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?
उत्तर: इस पाठ को पढ़ने के बाद बच्चों की कई बाल-सुलभ शरारतों का पता चलता है, जैसे:
प्रश्न 8: 'मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं' −का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कभी-कभी इंसान सोचता है कि वह किसी मुश्किल काम को आसानी से कर लेगा। वह पहले से योजना बनाता है, लेकिन असली स्थिति सामने आने पर उसकी योजना गलत साबित हो जाती है। इस कहानी में लेखक ने सोचा था कि वह कुएँ में उतरकर डंडे से साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ निकाल लेगा। लेकिन जब वह कुएँ में गया, तो उसे समझ आया कि वहाँ तो डंडा चलाना ही मुश्किल है और साँप पहले से फन फैलाकर तैयार बैठा है। तब लेखक को अपनी योजना बेकार और उलटी लगी। अत: कल्पना और वास्तविकता में हमेशा अंतर होता है।
प्रश्न 9: 'फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है' − पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लेखक जब कुएँ में उतरा तो वह यह सोचकर उतरा था कि या तो वह चिट्ठियाँ उठाने में सफल होगा या साँप द्वारा काट लिया जाएगा। फल की चिंता किए बिना वह कुएँ में उतर गया और अपने दृढ़ विश्वास से सफल रहा। अत: मनुष्य को कर्म करना चाहिए। फल देने वाला ईश्वर होता है। मनचाहा फल मिले या नहीं यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यह भी कहा जाता है, जो दृढ़ विश्वास व निश्चय रखते हैं, ईश्वर उनका साथ देता है।
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