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Long Question Answers - एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु को भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए। आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः शेरपा कुलियों में से एक की मृत्यु व चार के घायल होने की खबर सुन यह कथन कर्नल खुल्लर ने कहा। एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊँची चोटी है और इस पर चढ़ना कोई आसान काम नहीं है। इसलिए कर्नल खुल्लर ने अभियान दल के सभी सदस्यों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि महान् उद्देश्य की पूर्ति के लिए खतरों का सामना करना पड़ता है और मृत्यु को भी गले लगाना पड़ सकता है। इस तरह की परिस्थितियों का सहज भाव से सामना करना चाहिए। मृत्यु इस उद्देश्य के सामने छोटी है।

प्रश्न 2. ‘एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा’ पाठ में उपनेता प्रेमचंद ने किन परिस्थितियों से अवगत कराया
उत्तरः अभियान दल के उपनेता प्रेमचन्द अग्रिम दल का नेतृत्व कर रहे थे। वे 26 मार्च को पैरिच लौट आए और आकर उन्होंने पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कैम्प-एक 6000 मीटर ऊपर है, जो हिमपात के ठीक ऊपर ही है। वहाँ तक जाने का रास्ता साफ कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झाँड़ियों से रास्ता चिह्नित कर सभी बड़ी बाधाओं का जायजा ले लिया गया है। और यह भी बताया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है और अभी बर्फ का गिरना जारी है। हिमपात के कारण सारा काम व्यर्थ भी हो सकता है तथा हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा भी करना पड़ सकता है।

प्रश्न 3. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तरः हिमपात में बर्फ गिरती है। कभी-कभी बर्फ के भारी टुकड़े भी गिरते हैं। हिमपात अनिश्चित और अनियमित होता है। इससे अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ में हलचल हो जाती है जिससे बर्फ की चट्टानें तत्काल गिर जाती हैं। इससे धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं और यह दरारें-चैड़े हिम-विदर में बदल जाती हैं। कभी-कभी स्थिति खतरनाक रूप धारण कर लेती है।

प्रश्न 4. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बछेन्द्री को किस कार्य से मिलता है?
अथवा
बिना सहयोग एवं सहायता की भावना से सम्मिलित अभियान संभव नहीं है। लेखिका बछेन्द्री पाल ने ऐसा क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तरः (i) एक सम्मिलित अभियान की सफलता सभी के सहयोग पर आधारित होती है।
(ii) सहयोग के आधार पर सामान्य-सा व्यक्ति भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकता है।
(iii) बछेन्द्रीपाल ने स्वयं यह करके दिखाया हैμअपने व्यवहार से सहयोग की भावना का परिचय दिया है।
(iv) उसने जब देखा कि उसके साथ जय और मीनू कैंप तक नह° पहुँचे हैं तो उनके लिये चाय जूस बनाया तथा मार्ग में ही जा पहुँची, जबकि उस रास्ते पर जाना कठिन और खतरनाक था।
(v) सहयोग के आधार पर ही उपनेता प्रेमचन्द, डाॅ. मीनू मेहता, लोपसांग तथा अंगदोरजी बड़ी-बड़ी भूमिकाओं का निर्वाह कर रहे थे। अतः बछेन्द्री पाल का यह कथन सर्वथा उपयुक्त है।

प्रश्न 5. मई की रात को कैंप तीन में क्या घटना घटी और एक अन्य साथी ने लेखिका की जान कैसे बचाई?
उत्तरः 15-16 मई, 1984 को बुद्धपूर्णिमा के दिन जब लेखिका ल्होत्से की बर्फीली सीधी ढलान पर सुन्दर नाइलाॅन के बने तंबू के कैंप तीन में गहरी नींद में सोई हुई थी तभी रात में लगभग 12:30 बजे उसके सिर के पिछले हिस्से में एक जोरदार धमाके के साथ कोई सख्त चीज टकराई। वह बर्फ का बड़ा विशालकाय पुंज था। जिसने कैंप को तहस-नहस करने के साथ सभी व्यक्तियों को चोटिल किया। लेखिका तो बर्फ के नीचे फंस गयी थी।
तभी लोपसांग अपनी स्विस छुरी की मदद से उनके तंबू का रास्ता साफ करने में सफल हो गया तथा उसने ही लेखिका के चारों तरफ के कड़े जमे बर्फ की खुदाई कर लेखिका को बर्फ की कब्र से बाहर खींच कर निकाला। इस तरह लेखिका की जान बची।

प्रश्न 6. लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ-ञपड का वर्णन किस तरह किया गया है? 

उत्तरः लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन इस प्रकार किया है-
15-16 मई, 1984 को बुद्धपूर्णिमा की रात लगभग 12ः30 बजे लेखिका के कैम्प-तीन के नायलाॅन के तम्बू के ऊपर एक भारी बर्फ ञपड आ गिरा। यह लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराया। उसकी नींद खुल गई। यह बर्फ पिण्ड कैम्प के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा। उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखण्डों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ के इस विशालकाय पुंज ने एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेजगति और भीषण गर्जना के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए कैम्प को तहस-नहस कर दिया था। इससे प्रत्येक व्यक्ति को चोट तो लगी, पर मरा कोई नहीं।

प्रश्न 7. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
अथवा
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए बनाए गए कैपों का वर्णन कीजिए। 
उत्तरः एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए निम्नलिखित छह कैम्प बनाए गए थे-
(i) बेस कैम्प-यहाँ से असली चढ़ाई शुरू होनी थी। यहाँ सारी सुविधाएँ एकत्रित की गई थी। यहाँ तेनजिंग भी मिलने आए थे।
(ii) कैम्प-एक- इस कैम्प में लेखिका और एक अन्य महिला पहले पहुँची।
(iii) कैम्प-दो -16 मई को प्रातः सभी लोग इस कैम्प पर पहुंचे। जिसमें एक शेरपा की टाँग टूट गई थी, उसे स्ट्रेचर पर लिटाया गया।
(iv) कैम्प-तीन-इसमें 10 व्यक्ति थे। यह नायलाॅन से बना तम्बू था। वहीं रात 12ः30 बजे बर्फ का खण्ड टूटकर आ गिरा था।
(v) कैम्प-चार-यह कैम्प 29 अप्रैल, 1948 को अंगदोरजी, लोपसाँग और गगन बिस्सा ने 7900 मीटर की ऊँचाई पर लगाया।
(vi) शिखर कैम्प-इस मैदान में लेखिका और अंगदोरजी केवल दो घण्टों में पहुँच गये यहाँ से सागरमाथा नजदीक था।

प्रश्न 8. एवरेस्ट की शिखर यात्रा में किन-किन लोगों ने लेखिका बछेन्द्री पाल को सहयोग दिया?
उत्तरः एवरेस्ट की शिखर यात्रा में अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर, उपनेता प्रेमचंद, साथी अंगदोरजी तथा डाॅक्टर मीनू मेहता ने लेखिका को सफलता प्राप्त करने में उल्लेखनीय सहयोग दिया। कर्नल खुल्लर ने लेखिका को शिखर यात्रा के प्रारंभ से लेकर अंत तक हिम्मत बँधायी, उसका साहस बढ़ाया। उन्होंने अभियान दल के सभी सदस्यों की मृत्यु को सहजता से स्वीकार करने का पाठ पढ़ाकर उन्हें मृत्यु के भय से मुक्त किया। उपनेता प्रेमचंद ने पहली बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से उन्हें अवगत कराया और सचेत किया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है तथा बर्फ का गिरना जारी है। अतः सभी लोगों को सावधान रहना चाहिए। डाॅक्टर मीनू मेहता ने एल्युमीनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुल बनाने, लट्ठों एवं रस्सियों का उपयोग, बर्फ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना आदि सिखाया। अंगदोरजी ने लेखिका को लक्ष्य तक पहुँचने में सहयोग दिया तथा प्रोत्साहित भी किया।

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FAQs on Long Question Answers - एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. एवरेस्ट क्या है और वह कहाँ स्थित है?
उत्तर: एवरेस्ट विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत है जो हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यह नेपाल और चीन के सीमांत बिंदुओं में स्थित है। यह स्थानीय भाषा में "सगरमाथा" के नाम से भी प्रसिद्ध है।
2. एवरेस्ट पर्वत चढ़ने के लिए कौन-कौन से चरण होते हैं?
उत्तर: एवरेस्ट पर्वत चढ़ने के लिए कठिनाईयों से भरी प्रक्रिया होती है। पहले, कठिन ढांचे को पार करने के लिए तैयारी की जाती है, जिसमें शरीरिक और मानसिक प्रशिक्षण शामिल होता है। फिर, कैंप वन से कैंप दो तक कठिन रास्ता को चढ़ाई जाती है। इसके बाद, शेरपा गाइड और शेरपा बहादुर द्वारा रस्ता बनाने के लिए कठिन पहाड़ी चढ़ाई होती है। अंत में, ऊँचाई बढ़ाने के लिए कैंप तीन से विजयी चोटी तक चढ़ाई की जाती है।
3. एवरेस्ट पर्वत चढ़ने के लिए कितने दिन लगते हैं?
उत्तर: एवरेस्ट पर्वत चढ़ने की यात्रा अक्सर 60-70 दिन तक चलती है। इसमें दरअसल चढ़ाई को प्रशिक्षण, आदान-प्रदान के लिए रुकना, वृद्धि के लिए विश्राम दिनों का उपयोग और बर्फीले इलाकों में रुकना शामिल होता है।
4. एवरेस्ट पर्वत चढ़ने के लिए क्या क्षमताएं और प्रशिक्षण आवश्यक है?
उत्तर: एवरेस्ट पर्वत चढ़ने के लिए शारीरिक और मानसिक तैयारी की आवश्यकता होती है। शारीरिक रूप से, आपको अच्छी स्वास्थ्य और उच्च स्थायित्व की आवश्यकता होती है। आपको शरीर की शक्ति, स्थायित्व और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए व्यायाम, सब्जीयों और फलों का सेवन और योग आदि करना चाहिए। मानसिक रूप से, आपको सामरिकता, स्थिरता, धैर्य, और जीवन की तक़लीफ़ों के साथ सामर्थ्य की आवश्यकता होती है। आपको मानसिक स्थिति को नियंत्रण में रखना और ट्रेकिंग के लिए भी विशेष तकनीकों की जानकारी होनी चाहिए।
5. एवरेस्ट पर्वत चढ़ने के दौरान साइट सीन की समस्या क्या है और इससे बचाव के लिए क्या कार्रवाई ली जाती है?
उत्तर: साइट सीन एक गंभीर बीमारी है जो ऊँचाई के कारण होती है और जिसमें शरीर के अंगों को आवश्यक ऑक्सीजन और ऊर्जा का आपूर्ति नहीं होती है। इसके कारण, यात्रियों को उच्चिष्ठ और थकावट का अनुभव हो सकता है, जिससे उन्हें खतरा हो सकता है। साइट सीन से बचने के लिए, यात्रियों को धीरे-धीरे ऊँचाई पर चढ़ना चाहिए, अधिक शैली यात्रा करनी चाहिए, अधिक आराम करना चाहिए, पर्याप्त आहार और पानी का सेवन करना चाहिए, और आवश्यकता पड़ने पर ऑ
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