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Worksheet Solutions: बाज और साँप | Hindi Class 8 PDF Download

प्रश्न 1. साँप ने बाज को अभागा क्यों कहा?

वह साँप की उस अन्धेरी गुफा में अपने प्राणों को त्यागकर अपना अन्तिम समय व्यर्थ नहीं जाने देना चाहता था। वह अपने अंतिम समय में भी सुख को अनुभव करना चाहता था जो उसे सदैव स्वछंद उड़ते हुए प्राप्त होता था। वह अंतिम क्षण तक संघर्ष करना चाहता और कायर की मौत नहीं मरना चाहता था। इसीलिए घायल होने के बाद भी वह उड़ना चाहता था।


प्रश्न 2. मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है।

आज मनुष्य अपने उड़ने की इच्छा की पूर्ति हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, गैस-बैलून आदि से करता है।


प्रश्न 3. साँप ने पक्षियों को मूर्ख क्यों कहा है?

साँप के अनुसार पक्षी धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाईयों को नापना चाहते हैं जब कि आकाश में कुछ रखा ही नहीं है। इसलिए उसने पक्षियों को मूर्ख कहा है।


प्रश्न 4. एक दिन साँप की गुफा में कौन आ गिरा और उसकी हालत कैसी थी?

एक दिन एकाएक आकाश में उड़ता हुआ खून से लतपथ एक बाज साँप की गुफा में आ गिरा। उसकी छाती पर कितने ही ज़ख्मों के निशान थे, पंख खून से सने थे और वह अधमरा सा ज़ोर - शोर से हाँफ रहा था।


प्रश्न 5. घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?

साँप का शत्रु बाज है चूँकि वो उसका आहार होता है। यदि बाज घायल नहीं होता तो वह साँप को जिंदा नहीं छोड़ता। घायल बाज उसे किसी प्रकार का आघात नहीं पहुँचा सकता था इसलिए घायल बाज को देखकर साँप के लिए खुश होना स्वाभाविक था।


प्रश्न 6. घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, “मुझे कोई शिकायत नहीं है।” विचार प्रकट कीजिए।

घायल होने के बाद भी बाज ने यह कहा कि – “मुझे कोई शिकायत नहीं है।” उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि बाज की ज़िंदगी खूब रही है और उसने उसे जी भरकर भोगा। जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे उसने न भोगा हो। उसने दूर - दूर तक उड़ाने भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाईयों को अपने पंखों से नापा है।


प्रश्न 7. साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?

साँप के लिए आकाश में उड़ना कोई महत्वपूर्ण बात नहीं थी परन्तु जब उसने बाज के मन में आकाश में उड़ने के लिए तड़प देखी तब साँप के मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई। वह सोचने लगा कि "आकाश की असीम शून्यता में क्या ऐसा आकर्षण छिपा है जिसके लिए बाज ने अपने प्राण गवाँ दिए? न जाने आकाश में क्या खजाना रखा है? इस रहस्य का पता लगाने के लिए उसने उड़ने की कोशिश की।

प्रश्न 8. 'बाज और साँप' कहानी के लेखक कौन हैं?

'बाज और साँप' कहानी के लेखक निर्मल वर्मा जी हैं।


प्रश्न 9. क्या बाज का अपने अंतिम समय में उड़ने का निर्णय सही था?

हमारे अनुसार, बाज द्वारा लिया गया निर्णय सही था। बाज अपने अंतिम समय में भी स्वतंत्रता का अनुभव करना चाहता था।


प्रश्न 10. साँप अपनी गुफा से क्या - क्या देखा करता था?

अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप सब कुछ देखा करता - लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी मेढ़ी बल खाती हुई नदी।


प्रश्न 11. बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?

बाज साहसी था। उसने अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर ज़िंदगी के हर खतरे का बहादुरी से सामना किया था। ऐसे बहादुर लोग मरकर भी अमर रहते हैं। इनके प्रति गर्व और श्रद्धा का भाव प्रकट करते हुए लहरों ने गीत गाया था।


प्रश्न 12. लेखक साँप और बाज के माध्यम से क्या शिक्षा देना चाहता है?

लेखक इन पात्रों के माध्यम से मनुष्य को कायर न बनकर, स्वच्छंद व निडर बनने की प्रेरणा देना चाहता है। मनुष्य को अपने जीवन के अंतिम समय तक परिस्थितियों से हार न मान कर चुनौतियों का डट कर सामना करना चाहिए।


प्रश्न 13. बाज को आकाश में उड़ने के लिए छटपटाता देख साँप ने बाज से क्या कहा?

साँप ने बाज से कहा -"यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी ही प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सको। कोशिश करने में क्या हर्ज़ है?"


प्रश्न 14.  बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था?

वह साँप की उस अन्धेरी गुफा में अपने प्राणों को त्यागकर अपना अन्तिम समय व्यर्थ नहीं जाने देना चाहता था। वह अपने अंतिम समय में भी सुख को अनुभव करना चाहता था जो उसे सदैव स्वछंद उड़ते हुए प्राप्त होता था। वह अंतिम क्षण तक संघर्ष करना चाहता और कायर की मौत नहीं मरना चाहता था। इसीलिए घायल होने के बाद भी वह उड़ना चाहता था।


प्रश्न 15. कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।

कहानी की स्वतंत्रता से संबंधित पंक्तियाँ:

(i) जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भोगा हो। दूर-दूर तक उडानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ।

(ii) “आह! काश, मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड पाता।”

(iii) पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूँद जिंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।

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