प्रश्न 1. सीता ने राम से क्या पूछा?
(i) हम पर्णकुटी कहाँ बनाएँगे?
(ii) कितना और चलना है?
(iii) हम पर्णकुटी कहाँ बनाएंगे? अभी कितना और चलना है?
(iv) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर: (iii) हम पर्णकुटी कहाँ बनाएंगे? अभी कितना और चलना है?
प्रश्न 2. राम की आँखों से आँसू क्यों बहने लगे?
(i) क्योंकि वे थक चुके थे
(ii) पत्नी सीता की व्याकुलता देखकर
(iii) उन्हें माता-पिता की याद आने लगी
(iv) सीता जी ने वापस जाने का निर्णय ले लिया।
उत्तर: (ii) पत्नी सीता की व्याकुलता देखकर
प्रश्न 3. यह पद्यांश किस भाषा में लिखा गया है?
(i) ब्रज भाषा
(ii) राजस्थानी
(iii) हिन्दी
(iv) भोजपुरी।
उत्तर: (i) ब्रज भाषा
प्रश्न 4. पुर से निकलते ही सीता की क्या दशा हो गई?
(i) उसे परिवार की याद आने लगी
(ii) वह राम से वापस लौटने का आग्रह करने लगी
(iii) वह थक गई उनके माथे पर पसीने की बूंदें झलकने लगों
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (iii) वह थक गई उनके माथे पर पसीने की बूंदें झलकने लगों
प्रश्न 5. सीता जी की आँखों में आँसू क्यों भर आए?
(i) क्योंकि वे बहुत थक गई थों
(ii) अपने प्रति राम के प्रेम को देखकर
(iii) क्योंकि उन्हें राजसी ठाठ-बाट याद आ रहे थे।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (ii) अपने प्रति राम के प्रेम को देखकर
प्रश्न 6. राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे?
राम बैठकर कॉट इसलिए निकालने लगे ताकि इसी बहाने सीता को कुछ देर आराम करने का मौका मिल जाए और सीता की थकान कम हो जाए।
प्रश्न 7. प्रथम सवैये में कवि ने राम-सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है?
प्रथम सवैये में कवि ने राम-सीता के वन जाते समय होने वाली कठिनाइयों का तथा उनके पारस्परिक प्रेम का वर्णन किया है।
प्रश्न 8. गोस्वामी तुलसीदास की प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए।
रामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, दोहावली, गीतावली आदि गोस्वामी तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ हैं।
प्रश्न 9. प्रस्तुत सवैयों के रचयिता कौन हैं ? ये सवैये कहाँ से लिए गए हैं?
प्रस्तुत सवैयों के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं। ये सवैये उनके द्वारा रचित कवितावली नामक रचना से लिए गए हैं।
प्रश्न 10. राम की आँखों में आँसू क्यों आ गए?
सीता सकमारी थीं। अत: वनमार्ग में जरा सी दूर चलने पर ही वे थक कर बेहाल हो गयी। माथे पर पसीना आ गया और होठ सूख गये। वे अपने पति श्रीराम से पूछने लगी कि अभी और कितना चलना है। सीता की ऐसी स्थिति देख राम की आँखों में आँसू आ गए।
प्रश्न 11. 'धरि धीर दए' का आशय क्या है?
आशय यह है कि सीताजी राजमहलों की रहने वाली सुकुमारी थों। इससे पहले उन्हें तपती धूप में, धूल भरे जंगल के रास्ते पर जाने का अनुभव नहीं था। उन्हें यह पता था कि वनवास जाते समय जंगल का रास्ता सुगम नहीं है। परन्तु पतिव्रता होने के कारण वे राम के साथ जाना चाहती थों, राम ने उन्हें कठिनाइयों से अवगत करा दिया था। इसलिए सीताजी ने अत्यन्त धीरज के साथ वनमार्ग पर कदम बढ़ा दिया था। वे अत्यंत सुकुमारी थों चलने में उन्हें कठिनाई हो रही थी फिर भी धैर्य धारण कर दृढ़तापूर्वक वे वनमार्ग में चल पड़ों।
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1. वन के मार्ग क्या होते हैं? |
2. वन के मार्ग क्यों महत्वपूर्ण होते हैं? |
3. वन के मार्ग कैसे बनाए जाते हैं? |
4. वन के मार्ग का उपयोग किसलिए किया जाता है? |
5. वन के मार्ग के लिए कौन-कौन से संकेत और संकेत बोर्ड लगाए जाते हैं? |
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