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Important Questions and Answers: Kabir Ke Pad | Hindi Class 11 - Humanities/Arts PDF Download

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. खाक तथा धावै शब्दो का अर्थ बताइए।

खाक – मिट्टी
धावै – दौड़ना


प्रश्न 2. बौराना और आतम शब्दो का अर्थ बताइए।

बौरना – पागल होना
आतम – स्वंम


प्रश्न 3. स्वरूप और शिष्य का विलोम बताइए।

स्वरूप – विरूप
शिष्य – गुरु


प्रश्न 4. पाथर और गुमाना शब्दो का अर्थ बताइए।

पाथर – पत्थर
गुमाना – अहंकार


प्रश्न 5. कबीरदास जी किसकी भक्ति में दीवाने हो गए हैं?

ईश्वर जी की भक्ति में कबीरदास जी दीवाने हो गए हैं।


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 6. अग्नि, वायु और पानी तत्वों के आलावा उन दो तत्वों के नाम बताइए जिन के योग से मनुष्य का शरीर बनता है?

अग्नि, वायु और पानी इन तत्वों के अलावा पृथ्वी और आकाश तत्वो के योग से मनुष्य के शरीर का निर्माण होता है।


प्रश्न 7. कबीरदास जी के अनुसार शिष्यों का जीवन कौन बर्बाद कर देता है?

कबीरदास जी के अनुसार अज्ञानी गुरु शिष्यों का जीवन बर्बाद कर देते हैं।


प्रश्न 8. अज्ञानी गुरु में अहंकार क्यों आ जाता है?

अज्ञानी गुरु घर – घर जाकर ज्ञान बांटते हैं इसलिए उनके अंदर अहंकार आ जाता है।


प्रश्न 9. कबीरदास जी के अनुसार संसार के लोग क्यों बौरा गए हैं?

कबीरदास जी के अनुसार संसार के लोग इसलिए बौरा गए हैं क्योंकि लोग भारी आडंबरों में फस गए है। संसार के लोग बाहरी आडंबरों के कारण बौरा गए हैं।


प्रश्न 10. उन पंक्तियों को लिखिए जिनमें कबीर जी ईश्वरीय रूप की बात करते हैं।

जिन पंक्तियों में कबीर जी ईश्वरीय रूप की बात करते हैं वह इस प्रकार हैं –
जैसे बाढी काष्ट ही काटै अगिनी न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तूंहि व्यापक धै् सरूपै सोई।।‘


लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 11. कबीर के अनुसार कैसे लोग ईश्वरीय तत्वों से दूर रहते हैं?

कबीर जी के अनुसार वह लोग ईश्वरीय तत्वों से दूर रहते हैं जो आडंबर, पीर – ओलिया, और पाखंड में अंधविश्वास रखते हैं।परंतु इन लोग में से कोई भी धर्म के वास्तविक स्वरूप को नहीं पहचानता और आत्मज्ञान से वंचित रह जाता है।इस बात से सभी लोग अनजान है कि ईश्वर उनके हृदय में विद्यमान हैं।


प्रश्न 12. कबीर जी स्वंम की पहचान के लिए किसे बाधक कहते हैं?

कबीर जी के अनुसार स्वंम की पहचान के लिए बाहरी आडंबर को बाधक माना गया है।कबीर जी कहते हैं कि हिन्दू मुस्लिम सभी धर्मो के लोग इस बाहरी आडंबरों में फसे हुए है।कोई माला पहनता है तो कोई टोपी पहनता हैं।कोई माथे पर तिलक लगाकर तथा कोई शरीर पर छापा मारकर अपने अह्मकार को दिखाते हैं।तथा अपने – अपने धर्म का गुणगान करते हैं। ऐसे लोग साखी – सबद गाना भूल जाते हैं।उन्हें आत्मज्ञान नहीं होता और स्वंम की पहचान नहीं कर पाते।


प्रश्न 13. कबीरदास जी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

1398 में वाराणसी के पास लहरतारा नमक स्थान पर कबीरदास जी का जन्म हुआ था।साखी सबद और रमैनी इनकी प्रमुख रचना थी। 1518 में बस्ती जिले के निकट माघार में इनकी मृत्यु हुई थी।


प्रश्न 14. निम्न पंक्तियों का अर्थ बताइए-
बहुतक देखा पीर औलिया , पढ़े कितेब कुराना।
कै मुरीद तदबीर बतावै , उनमें उहै जो ज्ञाना।

कबीरदास जी द्वारा रचित इं पंक्तियों का अर्थ है लोग पीर औलिया की पूजा करते हैं कुरान पढ़ते हैं परन्तु उनमें ज्ञान नहीं आता। ज्ञानी केवल वह हैं जो प्रेम और इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं। कबीर कहते हैं लोग बुजरगो की कब्र पर दिए जलाते है। किन्तु जो जीवित हैं उनका सम्मान नहीं करते हैं।


प्रश्न 15. निम्न पंक्तियों का अर्थ बताइए –
साखी सब्दहि गावत भूले , आतम खबरी न जाना।
हिन्दू कहै मोहि राम प्यारा , तुकृ कहै रहिमाना।

इन पंक्तियों की सहायता से कबीर जी बताते हैं कि हिन्दू हो या मुस्लिम कोई भी साखी सबद नहीं पढ़ते हैं।कोई भी प्रेम के गीत नहीं गाता। दोनो राम रहीम के नाम पर लड़ते रहते हैं। मुस्लिम अनुसार रहीम श्रेष्ठ हैं तो हिन्दू अनुसार राम।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16. कबीर के अनुसार ईश्वर क्या हैं?

कबीर जी के अनुसार संसार में एक ही जल और एक पवन और सभी के अंदर एक ही ज्योति स्माई हुई हैं। उनके अनुसार ईश्वर एक ही हैं।कबीर अपनी बात की पुष्टि में कहते हैं कि सभी बर्तन एक ही मिट्टी से बने हैं एक ही कुम्हार इस सानता हैं। सभी मनुष्यों के अंदर एक ही ईश्वर विद्यमान हैं चाहे रूप कोई भी हो।सभी को एक ही ईश्वर बनाता है और अंत में सब उसके पास ही चले जाते है। इस लिए जब तक जीवित हो तब तक सभी से एक ही व्यवहार और मित्रवत तरीके से रहे।


प्रश्न 17. कबीर ने ईश्वर के शरीर की व्याख्या कैसे की है?

कबीरदास जी कहते हैं कि ईश्वर अविनाशी हैं। उन्होंने अपने निम्न पड़ में ईश्वर की व्याख्या कि हैं –
जैसे बाढी काष्ट ही काटै अगिनी न काटै न कोई।
सब घटि अंतरि तू ही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
कबीरदास जी बताते हैं कि सभी के अंदर ईश्वर का वास आत्मा के स्वरूप में होता है। जैसे लकड़ी के अंदर अग्नि होती है।ईश्वर सर्वव्यापक, अजर अमर हैं और अविनाशी हैं।बढई लकड़ी को अनेक रूपों में चीर सकता हैं परन्तु उसमें ब्सी अग्नि को नष्ट नहीं कर सकता। ठीक इसी प्रकार ईश्वर अनश्वर हैं और आत्मा अमर।


प्रश्न 18. कबीर ईश्वर की भक्ति में कैसे खोए है?

दीवानों की तरह कबीर ईश्वर की भक्ति में खोए हैं। कबीर जी का खुद को दीवाना कहना का अर्थ पागल कहना हैं। कबीर जी डियूनो की तरह ईश्वर की भक्ति में खोए हुए हैं क्योंकि उन्हें वास्तविक स्वरूप प्राप्त कर लिया है। बाहरी दुनिया आडंबरों में ईश्वर को खोज रही हैं। अपनी भक्ति कि आम विचारधारा से अलग होने के कारण वह खुद को पागल कहते हैं। वह ईश्वरीय भक्ति में कुछ इस प्रकार खो गए हैं कि उन्हें सामाजिक सुख दुख का ज्ञान ही नहीं रहता।


प्रश्न 19. कबीरदास जी संसार को पागल क्यों कहते हैं?

संसार के लोग राम रहीम के नाम पर लड़ने लगते हैं इसलिए कबीर जी उन्हें पागल कहते हैं। कबीर जी कहते हैं संसार में सच कहने वाले को लोग मारने दौड़ते हैं सभी लोग पागल हो गए हैं। संसार के लोग सत्य नहीं सुनना चाहते कबीर जी खेत हैं जो सत्य की रोप्र में भक्ति को स्वीकार करते हैं वहीं सच्चे भगवान हैं। भगवान को पाने के लिए किसी आडंबर की जरूरत नहीं। संसार में फैले आडंबरों के कारण ही कबीर जी को लगता है कि लोग पागल हो गए हैं


प्रश्न 20. कबीर जी के अनुसार शिष्यों को कैसे गुरु चुनना चाहिए।

कबीरदास जी के अनुसार जिसके पास ज्ञान हो उन्हें ऐसा गुरु चुनना चाहिए। अज्ञानी गुरु से शिष्यों को ज्ञान नहीं बढ़ता अपितु उनका नुकसान होता है। अज्ञानी गुरु शिष्यों को गलत राह ही दिखाते हैं केवल ज्ञानी गुरु ही उन्हें सही राह दिखा सकता है। अज्ञानी गुरु घर घर जाकर ज्ञान बांटते हैं इसलिए उनमें अहंकार आजाता हैं जबकि ज्ञानी गुरु में अहंकार नहीं होता। इसके परिणामस्वरूप अज्ञानी गुरु ईश्वर को प्राप्त नहीं कर पाते इससे गुरु और शिष्यों का अंत बुरा ही होता है।

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FAQs on Important Questions and Answers: Kabir Ke Pad - Hindi Class 11 - Humanities/Arts

1. What are Kabir Ke Pad?
Ans. Kabir Ke Pad are a collection of spiritual and philosophical poems composed by the 15th-century Indian poet Kabir. These poems are written in the form of pad, which are short lyrical verses in Hindi literature.
2. How many Kabir Ke Pad are there?
Ans. The exact number of Kabir Ke Pad is not known, as Kabir's compositions were orally transmitted and later written down by his followers. However, it is estimated that there are around 300 to 400 pad attributed to Kabir.
3. What is the significance of Kabir Ke Pad in humanities/arts?
Ans. Kabir Ke Pad hold great significance in humanities and arts as they reflect the socio-religious context of medieval India and highlight Kabir's unique spiritual philosophy, which encompassed elements of both Hinduism and Islam. These poems are also revered for their poetic beauty and lyrical expression.
4. What are some common themes in Kabir Ke Pad?
Ans. Kabir Ke Pad touch upon various themes such as the pursuit of spiritual enlightenment, the futility of material desires, the importance of self-realization, the oneness of God, and the need for love and compassion. These themes resonate with the human experience and offer insights into the complexities of life.
5. Where can I find translations of Kabir Ke Pad in English?
Ans. There are several translations of Kabir Ke Pad available in English. Some popular translations include "Songs of Kabir" by Rabindranath Tagore, "The Bijak of Kabir" by Linda Hess and Shukdev Singh, and "Kabir: Ecstatic Poems" by Robert Bly. These translations can be found in bookstores, libraries, or online platforms.
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