प्रश्न 1: निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गई है? बिंदुओं के रूप में उन्हें लिखो।
उत्तर: इस निबंध में लोकगीतों के निम्नलिखित पक्षों की चर्चा हुई है-
प्रश्न 2. हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत कौन-कौन से हैं?
उत्तर: हमारे यहाँ लोकगीत ऐसे हैं जिन्हें स्त्रियों के खास गीत कहा जा सकता है। ऐसे गीतों में त्योहारों पर नदियों में नहाते समय के, नहाने जाते रास्ते के गीत, विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले गीत, मटकोड, ज्यौनार के, संबंधियों के लिए प्रेमयुक्त गाली, जन्म आदि के गीत स्त्रियों के गीत हैं। इसके अतिरिक्त कजरी, गुजरात का गरबा और ब्रज का रसिया भी स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत है।
प्रश्न 3: निबंध के आधार पर और अपने अनुभव के आधार पर (यदि तुम्हें लोकगीत सुनने के मौके मिले हैं तो) तुम लोकगीतों की कौन-सी विशेषताएँ बता सकते हो?
उत्तर: लोकगीतों में लचीलापन और ताजगी होती है। ये आम जनता के गीत हैं। इन्हें गाने के लिए किसी साधना की जरूरत नहीं होती है। ये त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर गाए जाते हैं। इनकी रचना गाँव देहात के लोग ही करते हैं। लोकगीत बाजों की मदद के बिना ही गाए जाते हैं; वैसे, साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी बजाकर भी गाए जाते हैं। लोकगीत विशेषतः समूह में गाए जाते हैं। इनसे जन-जीवन का विशेष उत्साह प्रकट होता है।
प्रश्न 4: ‘पर सारे देश के … अपने-अपने विद्यापति हैं’-इस वाक्य का क्या अर्थ है? पाठ पढ़कर मालूम करो और लिखो।
उत्तर: इस वाक्य का यह अर्थ है कि विद्यापति जैसे लोकगीतों की रचना करने वाले अन्य क्षेत्रों में भी होते हैं। यानी जिस तरह मिथिला क्षेत्र में मैथिल कोकिल विद्यापति के गीत लोकप्रिय हैं, उसी प्रकार हर क्षेत्र में कोई-न-कोई प्रसिद्ध लोकगीत रचनाकार पैदा हुआ है, जिसके गीतों की उस क्षेत्र में विशेष धूम रहती है। बुंदेलखंड के लोकगीत रचनाकार जगनिक का ‘आल्हा’ इसका उदाहरण है।
प्रश्न 1: क्या लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही गाए जाते हैं? शहरों के कौन से लोकगीत हो सकते हैं? इस पर विचार करके लिखो।
उत्तर: लोकगीत और नृत्य गाँवों और कबीलों में बहुत लोकप्रिय होते हैं। शहरों में इन्हें बहुत कम देखा जा सकता है। शहरों में जो लोकगीत गाए जाते हैं वे भी किसी-न-किसी रूप में गाँवों से ही जुड़े हुए हैं। शहरों के लोग देश के अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बसे हुए होते हैं। अब शहरों के लोग भी इनमें रुचि ले रहे हैं। वे सामान्य संगीत से हटकर होते हैं। अतः आकर्षण का कारण बन जाते हैं।। शहरों के लोकगीत हो सकते हैं-शहरिया बाबू, नगरी आदि।
प्रश्न 2: जीवन जहाँ इठला-इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्त्रोतों की कमी हो सकती है। उद्दाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने प्रतीक हैं। क्या तुम इस बात से सहमत हो ? ‘बिदेसिया’ नामक लोकगीत से कोई कैसे आनंद प्राप्त कर सकता है और वे कौन लोग हो सकते हैं जो इसे गाते-सुनते हैं? इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर अपने कक्षा में सबको बताओ।
उत्तर: हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ। लोकगीत गाँवों की उन्मुक्त चर्चा के प्रतीक हैं। किसी भी लोकगीत से आनंद प्राप्त किया जा सकता है यदि आप वहाँ की बोली से थोड़ा भी परिचित हों। जो लोग भोजपुरी के जानकार हैं, वे ‘बिदेसिया’ लोकगीत को सुनकर आनंद उठा सकते हैं। इन गीतों में रसिक प्रियों और प्रियाओं की बात रहती है। इससे परदेशी प्रेमी और करुणा का रस बरसता है।
प्रश्न 1: ‘लोक’ शब्द में कुछ जोड़कर जितने शब्द तुम्हें सूझे, उनकी सूची बनाओ। इन शब्दों को ध्यान से देखो और समझो कि उनमें अर्थ की दृष्टि से क्या समानता है। इन शब्दों से वाक्य भी बनाओ, जैसे-लोककला।
उत्तर:
इनमें अर्थ की दृष्टि से यह समानता है कि शब्द लोक अर्थात जनता से संबंधित है।
प्रश्न 2: ‘बारहमासा’ गीत में साल के बारह महीनों का वर्णन होता है। नीचे विभिन्न अंकों से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें पढ़ो और अनुमान लगाओ कि इनका क्या अर्थ है और वह अर्थ क्यों है? इसी सूची में तुम अपने मन से सोचकर भी कुछ शब्द जोड़ सकते हो-उत्तर: अनुमान वाले अर्थ:
प्रश्न 3: को, में, से आदि वाक्य में संज्ञा का दूसरे शब्दों के साथ संबंध दर्शाते हैं। ‘झाँसी की रानी’ पाठ में तुमने का के बारे में जाना। नीचे ‘मंजरी जोशी’ की पुस्तक ‘भारतीय संगीत की परंपरा’ से भारत के एक लोकवाद्य का वर्णन दिया गया है। इसे पढ़ो और रिक्त स्थानों में उचित शब्द लिखो।
…….विभिन्न प्रान्तों में पीतल या काँसे….. बना यह वाद्य अलग-अलग नामों ….. जाना जाता है। धातु की नली…..घुमाकर एस…… आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने…. एक छोटी नली अलग……जोड़ी जाती है। राजस्थान…….. इसे बर्गे कहते हैं। उत्तर प्रदेश…..यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात…..रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश…… नरसिंघा….. नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।
उत्तर: तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने में अंग्रेजी के एस या सी अक्षर की तरह होती है। भारत के विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे का बना यह वाद्य अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धातु की नली को घुमाकर एस का आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने के लिए एक छोटी नली अलग से जोड़ी जाती है।। राजस्थान में इसे बर्गे कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश में नरसिंघा के नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंधी भी कहते हैं।
प्रश्न: भारत के नक्शे में पाठ में चर्चित राज्यों के लोकगीत और नृत्य दिखाओ।
उत्तर:
प्रश्न 1: अपने इलाके के कुछ लोकगीत इकट्ठा करो। गाए जाने वाले मौकों के अनुसार उनका वर्गीकरण करो।
उत्तर:
प्रश्न 2: जैसे-जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों पर उनका क्या असर पड़ रहा है? अपने आसपास के लोगों से बातचीत करके और अपने अनुभवों के आधार पर एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर: गाँव के लोगों का शहर की तरफ़ पलायन हो रहा है। अपने साथ वे अपने लोकगीतों को भी ला रहे हैं। ये लोकगीत शहरी लोगों को काफ़ी आकर्षित कर रहे हैं। शहरी लोगों को ये लोकगीत सामान्य फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गीतों से अलग हटकर आनंद दे रहे हैं। अब सभा और समारोहों में लोकगीतों की धूम मची रहती है।
प्रश्न 3: रेडियो और टेलीविज़न के स्थानीय प्रसारणों में एक नियत समय पर लोकगीत प्रसारित होते हैं। इन्हें सुनो और सीखो।
उत्तर: रेडियो और टेलीविजन के स्थानीय प्रसारण नियत चैनल पर होते हैं। जैसे टेलीविजन में विविध चैनल हैं, इसके लिए उदहारण डीडी मराठी आदि। उसी प्रकार रेडियों में 105.5 पर प्रसारित होते हैं।
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1. निबंध में अनुमान और कल्पना क्या है? | ![]() |
2. भाषा की बात क्या है? | ![]() |
3. भारत के मानचित्र में कौन-कौन से राज्य हैं? | ![]() |
4. लोकगीत क्या होता है? | ![]() |
5. क्या निबंध में भाषा की बात का महत्व होता है? | ![]() |