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कविता का सार- मेघ आए | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij) PDF Download

लेखक के बारे में 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म 1927 में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। प्रारंभ में उन्हें जीवनयापन के लिए संघर्ष करना पड़ा, लेकिन बाद में वे प्रमुख पत्रिकाओं के संपादक बने। उनकी रचनाएँ साहित्य जगत में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। इनकी कविताओं में समाजिक जागरूकता, मानवता, और प्रकृति के प्रति गहरी संवेदनाएँ व्यक्त की गई हैं। 1983 में उनका आकस्मिक निधन हुआ।
कविता का सार- मेघ आए | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

कविता के संक्षिप्त विवरण 

यह कविता मेघों के आगमन की तुलना एक दामाद के गाँव आने से करती है। कवि ने मेघों के आगमन को एक उल्लासपूर्ण घटना के रूप में चित्रित किया है, जैसा कि दामाद के आने पर होता है। मेघों के आकाश में फैलने, उनकी आवाज और वर्षा के द्वारा वातावरण में उत्पन्न होने वाली ताजगी और शांति का वर्णन किया गया है। यह कविता मेघों के माध्यम से गाँव की संस्कृति और मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण करती है।

मुख्य विषय

कविता का मुख्य विषय मेघों के आगमन और दामाद के स्वागत के बीच की तुलना है। इस कविता में प्राकृतिक घटनाओं और मानव संस्कृति के बीच गहरे रिश्ते का वर्णन किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रकृति और समाज के बीच एक अदृश्य संबंध होता है, जो सभी को आनंद और तृप्ति प्रदान करता है।
कविता का सार- मेघ आए | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

पात्र चित्रण 

1. मेघ/आतिथी (दामाद):

  • मेघों की सुंदरता और उनका प्रभाव आकाश में विस्तृत हो जाता है, जैसे दामाद गाँव में आकर सभी का ध्यान आकर्षित करता है।
  • मेघों के आगमन से गाँव में खुशी और उल्लास का वातावरण बनता है।

2. गाँववाले:

  • गाँव के लड़के-लड़कियाँ मेघों के आने की सूचना देते हैं और खिड़कियों-दरवाजों से उत्सुकता से बाहर आकर आकाश की ओर देखते हैं।
  • बुज़ुर्ग लोग मेघों के आगमन का स्वागत करते हैं, ठीक वैसे जैसे वे अतिथि का आदर करते हैं।

3. पत्नी:

  • पत्नी का चेहरा खुशी से चमक उठता है जब दामाद आता है, जैसे आकाश में बादल और बिजली चमकने के बाद वातावरण में शांति का अनुभव होता है।

सार 

कविता में कवि ने मेघों के आगमन की तुलना एक दामाद के गाँव आने से की है। मेघों का आकाश में छा जाना, बिजली का चमकना, और वर्षा का आरंभ करना, इन सभी घटनाओं को दामाद के स्वागत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह कविता बताती है कि कैसे प्राकृतिक घटनाएँ भी मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक रिश्तों के समान होती हैं। मेघों का आगमन न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन में शांति और तृप्ति लाने का भी संकेत है।

भावार्थ /व्याख्या

पहला पद

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

भावार्थ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने वर्षा-ऋतू के आने पर गाँव में दिखाई देने वाले उत्साह का चित्रण किया है। कवि ने यहाँ बादल का मानवीकरण करके उसे एक दामाद (शहर से आये अतिथि) के रूप में दिखाया है। जिस प्रकार, कोई दामाद बड़ा ही सज-धज कर एवं बन-ठन कर अपने ससुराल जाता है, ठीक उसी प्रकार, मेघ भी बड़े बन-ठन कर और सुंदर वेशभूषा धारण कर के आये हैं। जैसे, किसी मेहमान (दामाद) के आने का संदेश, गाँव के बच्चे एवं उनकी सालियाँ आगे-आगे दौड़ कर पूरे गाँव में फैला देते हैं, ठीक उसी तरह, हवा उनके आगे-आगे नाचती हुई पूरे गाँव को यह सूचना देने लगी है कि गाँव में मेघ यानि बादल रूपी मेहमान आये हैं। यह सूचना पाकर गाँव के सभी लोग अपने खिड़की-दरवाजे खोलकर उसे देखने एवं उसे निहारने के लिए घरों से बड़ी बेताबी से झाँकने लगते हैं।

दुसरा पद

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

भावार्थ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने वर्षा ऋतू के आने पर प्रकृति में आने वाले बदलावों का वर्णन किया है और उसका बहुत ही सुंदर ढंग से मानवीय-करण किया है। कवि कहते हैं कि आसमान में बादल छाने के साथ आंधी आने पर धूल ऐसे उड़ने लगती है, मानो गांव की औरतें घाघरा उठाए दौड़ रही हों। साथ ही, हवा के चलने के कारण पेड़ ऐसे झुके हुए प्रतीत होते हैं, मानो वे अपनी गर्दन उचकाकर मेहमान को देखने की कोशिश कर रहे हैं। वहीँ दूसरी तरफ, नदी रूपी औरतें ठिठक कर, अपने घूँघट सरकाए हुए तिरछी नज़रों से मेहमान को देख रही हैं।
इसका अर्थ यह है कि जब वर्षा होने वाली होती है, तो पहले थोड़ी तेज़ हवा या आंधी चलने लगती है। जिसके कारण रास्ते में पड़ी धूल उड़ने लगती है एवं हवा के वेग से वृक्ष झुक जाते हैं। इस अवस्था में नदी का पानी मानो ठहर-सा जाता है, जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है।

तीसरा पद

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ –
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

भावार्थ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने वर्षा ऋतू के आगमन एवं घर में दामाद के आगमन का बढ़ा ही मनोरम चित्रण किया है। जब कोई दामाद बहुत दिनों के बाद घर आते हैं, तो घर के बड़े-बुजुर्ग उन्हें झुककर सम्मानपूर्वक प्रणाम करते हैं। इस दौरान उनकी जीवनसंगिनी हठपूर्वक गुस्सा होकर दरवाजे के पीछे छुपकर कहती हैं – “आपने इतने दिनों से मेरे बारे में कोई सुध (खोज-खबर) क्यों नहीं ली? क्या इतने दिनों के बाद आपको मेरी याद आई?” साथ ही, जब हमारे घर में कोई अतिथि आता है, तो हम उसके पांव धुलाते हैं, इसीलिए कवि ने यहाँ पानी “परात भर के” का उपयोग किया है।
इसका अर्थ यह है कि वर्षों बाद घर आने पर बड़े-बुजुर्ग जिस तरह अपने दामाद का स्वागत करते हैं, ठीक उसी प्रकार पीपल का वृक्ष भी झुककर वर्षा ऋतू का स्वागत करता है। जल की बूंदों के लिए व्याकुल लताएं गुस्से से दरवाज़े के पीछे छिपकर मेघ से शिकायत कर रही हैं कि वो कब से प्यासी मेघ का इंतज़ार कर रहीं हैं और उन्हें अब आने का समय मिला है। बादलों के आने के ख़ुशी में तालाब उमड़ आया है और उसके पास जितना भी पानी है, वो उससे थके हुए मेघ के चरणों को धोना चाहता है।

चौथा पद

क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

भावार्थ: उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ है कि अभी तक प्रेमिका को अपने प्रियतम के आने की ख़बर भ्रम लग रही थी, लेकिन जब वो आकर घर की छत पर चले जाते हैं, तो मानो प्रेमिका के अंदर बिजली-सी दौड़ उठती है। उन्हें देखकर प्रेमिका का भ्रम टूट जाता है और वह मन ही मन प्रेमी से क्षमा-याचना करने लगती है। फिर आपसी मिलन की अपार खुशी के चलते दोनों प्रेमियों की आँखों से प्रेम के अश्रु बहने लगते हैं।

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FAQs on कविता का सार- मेघ आए - Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

1. "मेघ आए" कविता के लेखक कौन हैं?
Ans. "मेघ आए" कविता के लेखक सुमित्रानंदन पंत हैं, जो हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि हैं।
2. "मेघ आए" कविता का मुख्य विषय क्या है?
Ans. "मेघ आए" कविता का मुख्य विषय वर्षा, प्रकृति के सौंदर्य और जीवन में उत्साह का संचार करना है। यह कविता बारिश के मौसम की खुशनुमा स्थिति को दर्शाती है।
3. इस कविता में पात्रों का चित्रण कैसे किया गया है?
Ans. "मेघ आए" कविता में मुख्यतः प्राकृतिक तत्वों जैसे बादल, वर्षा और वातावरण का चित्रण किया गया है। कवि ने इन पात्रों के माध्यम से मानवीय भावनाओं को भी व्यक्त किया है।
4. "मेघ आए" कविता का सार क्या है?
Ans. "मेघ आए" कविता का सार यह है कि वर्षा का मौसम जीवन में नई उमंग और खुशी लाता है। यह कविता प्रकृति के प्रति प्रेम और उसकी शक्ति को दर्शाती है।
5. "मेघ आए" कविता का भावार्थ क्या है?
Ans. "मेघ आए" कविता का भावार्थ है कि प्राकृतिक घटनाएँ, जैसे वर्षा, मानव जीवन में आनंद और उत्साह भर देती हैं। यह कविता हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने और उसके सौंदर्य का अनुभव करने के लिए प्रेरित करती है।
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