क्रिया के जिस रूप से कार्य के करने अथवा होने के समय का पता चले, उसे काल कहते हैंI
जैसे:
क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य अभी हो रहा है, उसे वर्तमान काल कहते हैं|
जैसे:
(क) सामान्य वर्तमान काल: जिस क्रिया से उसके वर्तमान समय में सामान्य रूप से होने का बोध होता है, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है|
जैसे:
(ख) अपूर्ण वर्तमान काल: क्रिया के जिस रूप से उसका वर्तमान काल में कार्य निरंतर प्रकट होता है, उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं|
जैसे:
(ग) संदिग्ध वर्तमान काल: क्रिया के जिस रूप से उसके वर्तमान काल में पूर्ण होने में संदेह हो उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं|
जैसे:
क्रिया के जिस रूप से कार्य के पूरा हो चुकने का पता चले, उसे भूतकाल कहते हैं|
जैसे:
(क) सामान्य भूतकाल: क्रिया के जिस रूप से उसके भूतकाल में सामान्य रूप से होने का बोध हो उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं|
जैसे:
(ख) आसन्न भूतकाल: क्रिया के जिस रूप से क्रिया का अभी कुछ ही देर में समाप्त होने का बोध हो, उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं|
जैसे:
(ग) पूर्ण भूतकाल: क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि क्रिया बहुत पहले ही पूरी हो चुकी है, वहाँ पूर्ण भूतकाल होता है|
जैसे:
(घ) अपूर्ण भूतकाल: क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया भूतकाल में हो रही थी और अभी समाप्त नहीं हुई है, वहाँ अपूर्ण भूतकाल होता है|
जैसे:
(ङ) संदिग्ध भूतकाल: जहाँ भूतकाल में क्रिया के समाप्त होने में संदेह हो, वहाँ संदिग्ध भूतकाल होता है|
जैसे:
(च) हेतु-हेतुमद भूतकाल: जहाँ भूतकाल की एक क्रिया दूसरे पर आश्रित हो, वहाँ हेतुहेतुमद् भूतकाल होता है।
जैसे:
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य का होना अभी बाकी है, उसे भविष्यत काल कहते हैं|
जैसे:
(क) सामान्य भविष्यत काल: क्रिया के जिस रूप से उसके आनेवाले समय में सामान्य रूप से होने का बोध हो उसे सामान्य भविष्यत काल कहते हैं|
जैसे:
(ख) संभाव्य भविष्यत काल: क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में होने की संभावना का बोध हो, उसे संभाव्य भविष्यत् काल कहते हैं|
जैसे:
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