UPPSC (UP) Exam  >  UPPSC (UP) Notes  >  Course for UPPSC Preparation  >  जीवन में खेलों का महत्त्व

जीवन में खेलों का महत्त्व | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) PDF Download

“मैंने वाटरलू के युद्ध में जो सफलता प्राप्त की उसका प्रशिक्षण ईटन के मैदान में मिला।”
नेपोलियन को पराजित करने वाले एडवर्ड नेल्सन की यह पंक्ति खेल के महत्त्व को बयां करने के लिये पर्याप्त है। खेल न केवल हमें स्वस्थ रहने में योगदान देकर सक्षम बनाते हैं वरन‍् वर्तमान युग की संकीर्णतावादी सोच के विरुद्ध हमें निष्पक्ष, सहिष्णु तथा विनम्र बनाकर एक बेहतर मानव संसाधन के रूप में बदलते हैं। खेलों की महत्ता को दुनिया के प्रत्येक समाज व सभ्यता में स्वीकृति मिली है। रामायण, महाभारत से लेकर ग्रीको-रोमन दंत-कथाओं में होने वाले खेलों का जिक्र इस बात का प्रमाण है। पुनः ओलंपिक की प्रारंभिक शुरुआत यह स्पष्ट करती है कि खेलों को संस्थानिक महत्त्व मिलता रहा है।
वर्तमान परिवेश व जीवनशैली में आज मनुष्य जब अनेक रोगों से ग्रस्त हो रहा है। ऐसे समय में खेलों का महत्त्व स्वयमेव स्पष्ट हो जाता है। खेलों द्वारा न केवल हमारी दिनचर्या नियमित रहती है बल्कि ये उच्च रक्तचाप, ब्लड शुगर, मोटापा, हृदय रोग जैसी बीमारियों की संभावनाओं को भी न्यून करते हैं। इसके अलावा खेल द्वारा हमें स्वयं को चुस्त-दुरुस्त रखने में भी मदद मिलती है, जिससे हम अपने दायित्वों का निर्वहन सक्रियतापूर्वक कर पाते हैं।
एक अच्छा जीवन जीने हेतु अच्छे स्वास्थ्य का होना बहुत जरूरी है। जिस प्रकार शरीर को अच्छा और स्वस्थ रखने के लिये व्यायाम की आवश्यकता होती है उसी प्रकार खेलकूद का भी स्वस्थ जीवन हेतु अत्यधिक महत्त्व है। खेल बच्चों और युवाओं के मानसिक तथा शारीरिक विकास दोनों ही के लिये अति आवश्यक है। नई पीढ़ी को किताबी ज्ञान के साथ-साथ खेलों में भी रुचि बढ़ाने की जरूरत है।

जीवन में खेलों का महत्त्व | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

परंपरगत रूप से भारत के मध्यम वर्ग की धारणा रोजगारपरकता के लिहाज से खेलों के प्रति नकारात्मक रही है। खेलकूद को मनुष्य के बौद्धिक विकास व रोजगार प्राप्ति में बाधक मानते हुए कहा जाता था कि “पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब।” परंतु बदलते समय के साथ यह साबित हो गया कि खेल मनुष्य के विकास में बाधक नहीं वरन् सहायक हैं। बगैर शैक्षणिक उपलब्धि के भी सचिन तेंदुलकर द्वारा अर्जित यश, सम्मान, धन लोकप्रियता आदि इस बात के सुंदर उदाहरण हैं। सचिन तेंदुलकर द्वारा देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ प्राप्त करना, वर्तमान परिदृश्य में खेलों की महत्ता को दर्शाता है। आज सचिन ही नहीं वरन् सुशील कुमार, सानिया मिर्जा, अभिनव बिन्द्रा, साइना नेहवाल, मैरी कॉम व महेंद्र सिंह धोनी जैसे नामों ने सफलता व समृद्धि एवं श के जो आयाम गढ़े हैं, उसके समक्ष संस्थागत शिक्षा का प्रश्न गौण हो जाता है।
सरकार खेल में ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित करती है, अर्जुन एवं द्रोणाचार्य जैसे पुरस्कार इसी श्रेणी के खेल रत्न पुरस्कार है जो भारत में खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु सरकार द्वारा खिलाड़ियों और गुरुओं को प्रदान किये जाते हैं। हमारे देश की कई महिलाओं यथा- पी.टी. उषा, मेरी कॉम, सायना नेहवाल एवं सानिया मिर्जा ने दुनिया भर में खेल में काफी नाम कमाया है और देश को गौरवान्वित किया है। खेलों को भारतीय संस्कृति एवं एकता का प्रतीक भी माना जाता है। खेल हमारी प्रगति को सुनिश्चित कर जीवन में सफलता प्रदान करते हैं।
आज सरकारी व निजी दोनों क्षेत्रों में खिलाड़ियों के लिये नौकरियाँ पाने के कई अवसर है। रेलवे, एअर इंडिया, भारत पेट्रोलियम, ओ.एन.जी.सी., आई-ओ-सी- जैसी सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ टाटा अकादमी, जिंदल ग्रुप जैसे निजी समूह भी खेलों व खिलाड़ियों के विकास व प्रोत्साहन हेतु प्रतिबद्ध है। इसके अलावा आई.पी.एल., आई.बी.एल., एच.सी.एल., जैसी लीगों तथा स्थानीय क्लबों के स्तर पर भारी निवेश ने खिलाड़ियों के विकल्प को बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें बेहतर मंच व अवसर उपलब्ध कराया है। इसे देखते हुए अब कहा जा सकता है कि खेलोगे-“कूदोगे तो होगे नवाब।”
इससे यह स्पष्ट होता है कि खेल से न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि रोजगार एवं यश तथा सम्मान भी प्राप्त होता है। खेल द्वारा राजनैतिक लक्ष्य भी प्राप्त किया जा सकता है। कई देशों में यह देखने में आया है कि खेलों का अप्रत्यक्ष रूप से संबंध देश के विकास से भी होता है। वर्तमान समय में लोगों के खेलों के प्रति नजरिये में काफी बदलाव आया है। खेल हमें विभिन्न प्रकार से शिक्षित भी करते हैं। इससे मानवीय मूल्यों का विकास होता है साथ ही खेलों द्वारा सामूहिक चेतना का भी विकास होता है क्योंकि खेल की मूल भावना यही होती है कि अकेले नहीं बल्कि समूह में खेलना, खेल द्वारा नेतृत्व करने की कला का भी विकास होता है। खेल से रचनात्मकता को भी बढ़ावा मिलता है। आजकल खेलों में कई नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है जिससे खेलों में सटीकता और उसके अनुसार नीति-निर्माण में भी सहायता मिल रही है।
खेलों के संदर्भ में अगर नकारात्मक पहलू की बात की जाए तो वह यह है कि मनोरंजन के नए साधनों और कॅरियर की भाग-दौड़ ने खेल के मैदानों में होने वाली भाग-दौड़ को कम कर दिया है। बच्चे हों या युवा, लगातार मोबाइल पर गेम या वीडियो गेम खेलना आज लोगों की आदत बनती जा रही है। इसके परिणामस्वरूप युवा और छात्र आबादी का एक बड़ा हिस्सा खेल के मैदानों से गायब रहता है।
इस प्रकार तमाम वजहों से खेल अपनी उच्च भावना और उद्देश्यों के साथ लोगों के बीच पहुँच ही नहीं पा रहे हैं। वहीं वर्तमान युग के नए खेल व मनोरंजन के तरीके अपनी प्रकृति के अनुरूप लोगों में एकाकीपन तथा मानसिक विकृतियों को जन्म दे रहे हैं।
उपरोक्त वर्णन से यह स्पष्ट होता है कि जीवन में खेलों का महत्त्व निर्विवाद है। ये न केवल जीवन में गति व लय का संचार करते हैं, वरन् हमें जीवन का महत्त्वपूर्ण पाठ भी पढ़ाते हैं।

The document जीवन में खेलों का महत्त्व | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) is a part of the UPPSC (UP) Course Course for UPPSC Preparation.
All you need of UPPSC (UP) at this link: UPPSC (UP)
114 videos|362 docs|105 tests
Related Searches

study material

,

Important questions

,

Extra Questions

,

Summary

,

Viva Questions

,

Objective type Questions

,

Sample Paper

,

Semester Notes

,

ppt

,

MCQs

,

past year papers

,

shortcuts and tricks

,

pdf

,

जीवन में खेलों का महत्त्व | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

video lectures

,

Free

,

mock tests for examination

,

practice quizzes

,

Exam

,

जीवन में खेलों का महत्त्व | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

जीवन में खेलों का महत्त्व | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

Previous Year Questions with Solutions

;