Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)  >  पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये

पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) PDF Download

कवि परिचय
रसखान - इनका जन्म सन 1548 में हुआ माना जाता है। इनका मूल नाम सैय्यद इब्राहिम था और दिल्ली के आस-पास के रहने वाले थे। कृष्णभक्ति ने उन्हें ऐसा मुग्ध कर दिया की गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली और ब्रजभूमि में रहने लगे। सन 1628 के लगभग उनकी मृत्यु हो गयी।

पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

(1)

मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर कारन।
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥

अर्थ - इन पंक्तियों द्वारा रसखान ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के प्रति लगाव को प्रदर्शित किया है। वे कहते हैं की अगर अगले जन्म में उन्हें मनुष्य योनि मिले तो वे गोकुल के ग्वालों के बीच रहने का सुयोग मिले। अगर पशु योनि प्राप्त हो तो वे ब्रज में ही रहना चाहते हैं ताकि वे नन्द की गायों के साथ विचरण कर सकें। अगर पत्थर भी बन जाएँ तो भी उस पर्वत का जिसे हरि ने अपनी तर्जनी पर उठा ब्रज को इन्द्र के प्रकोप से बचाया था। अगर पक्षी बने तो यमुना किनारे कदम्ब की डालों में बसेरा डालें। वे हर हाल में श्रीकृष्ण का सान्निध्य चाहते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी परेशानी का सामना करना पड़े।

(2)

या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं॥
रसखान कबौं इन आँखिन सों, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥

अर्थ - यहाँ रसखान कह रहे हैं हैं की ग्वालों की लाठी और कम्बल के लिए अगर उन्हें तीनों लोको का राज त्यागना पड़ा तो भी वे त्याग देंगे। वे इसके लिए आठों सिध्दि और नौ निधियों का भी सुख छोड़ने के लिए तैयार हैं। वे अपनी आँखों से ब्रज के वन, बागों और तालाब को जीवन भर निहारना चाहते हैं। वे ब्रज की कांटेंदार झाड़ियों के लिए भी सोने के सौ महल निछावर करने को तैयार हैं।

पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)(3)

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गूंज की माल गरें पहिरौंगी।
ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन गवरनि संग फिरौंगी।।
भावतो वोही मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।

अर्थ - इन पंक्तियों में गोपियों की कृष्ण का प्रेम पाने की इच्छा और कोशिश का वर्णन किया गया है। कृष्ण गोपियों को इतने रास आते हैं की उनके लिए वे सारे स्वांग करने को तैयार हैं। गोपियाँ कहती हैं की वे सिर के ऊपर मोरपंख रखूँगी, गुंजों की माला पहनेंगी। पीले वस्त्र धारण कर वन में गायों और ग्वालों के संग वन में भ्रमण करेंगी। किन्तु वे मुरलीधर के होठों से लगी बांसुरी को अपने होठों से नही लगाएंगी

(4)

काननि दै अँगुरी रहिहौं, जबही मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहिनि तानन सों , अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै॥
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि, काल्हि कोई कितनो समझैहै।
माई री वा मुख की मुसकान, सम्हारि न जैहै, न जैहै, न जैहै॥

अर्थ - इन पंक्तियों में गोपियाँ कृष्ण को रिझाने की कोशिश कर रही हैं। वे कहतीं हैं की जब कृष्ण की मुरली की मधुर धुन बजेगी तो हो सकता है की धुन में मग्न होकर गायें भी अटारी पर चढ़कर गाने लगे परन्तु गोपियाँ अपने अपने कानों में अंगुली डाल लेंगी ताकि उन्हें वो मधुर संगीत न सुनाई पड़े। लेकिन गोपियों को यह भी डर है जिसे ब्रजवासी भी कह रहे हैं की जब कृष्ण की मुरली बजेगी तो उसकी धुन सुनकर, गोपियों की मुस्कान संभाले नही सम्भलेगी और उस मुस्कान से पता चल जाएगा की वे कृष्ण के प्रेम में कितनी डूबीं हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ

  • बंसौ - रहना
  • कहा बस - वश में न रहना
  • मँझारन - बीच में
  • गिरि -पहाड़
  • पुरंदर - इन्द्र
  • कालिंदी - यमुना
  • कामरिया - कम्बल
  • तड़ाग- तालाब
  • कलधौत के धाम - सोने के महल
  • करील - कांटेदार झाडी
  • वारौं - न्योछावर करना
  • भावतो - अच्छा लगना
  • अटा - कोठा
  • टेरी - बुलाना
The document पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) is a part of the Class 9 Course Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij).
All you need of Class 9 at this link: Class 9
17 videos|159 docs|33 tests

Top Courses for Class 9

FAQs on पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये - Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

1. इस पाठ में किस विषय पर चर्चा की गई है?
उत्तर: इस पाठ में सवैये पर चर्चा की गई है जो हिंदी साहित्य का महत्वपूर्ण भाग है।
2. सवैये क्या होते हैं?
उत्तर: सवैये हिंदी कविता का एक प्रकार है जिसमें 14 अष्टषष्ठी गाथाएं होती हैं।
3. सवैये में कौन-कौन सी विशेषताएं होती हैं?
उत्तर: सवैये में समय, स्थान, प्राकृतिक वातावरण और व्यक्तित्व की विशेषताएं व्यक्त की जाती हैं।
4. सवैये की उत्पत्ति कब हुई और किसने शुरू की थी?
उत्तर: सवैये की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में हुई थी और संत सूरदास ने इसे शुरू किया था।
5. सवैये के कुछ प्रमुख कवि कौन-कौन हैं?
उत्तर: सवैये के कुछ प्रमुख कवि नाम रहे हैं - संत सूरदास, रहीम, तुलसीदास, बीहारी लाल आदि।
17 videos|159 docs|33 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 9 exam

Top Courses for Class 9

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Objective type Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Free

,

past year papers

,

mock tests for examination

,

Semester Notes

,

Important questions

,

MCQs

,

Sample Paper

,

पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

video lectures

,

Extra Questions

,

पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

shortcuts and tricks

,

study material

,

पठन सामग्री और भावार्थ - सवैये | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

Viva Questions

,

Exam

,

pdf

,

Summary

,

practice quizzes

,

ppt

;