पत्र लेखन के द्वारा हम दूर स्थित सगे-संबंधियों, कार्यालय के अधिकारियों, व्यापारियों, तथा मित्रों के साथ मन के विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
पत्र को छ: भागों में विभाजित किया जा सकता है:
1. गर्मियों की छुट्टियाँ साथ बिताने के लिए मित्र को निमंत्रण-पत्र।
राजधानी पार्क, नई दिल्ली।
दिनांक : 07 जुलाई 20xx
मित्र शुभम
मधुर-स्मृति
मुझे आशा है कि तुम्हारे विद्यालय में गर्मी की छुट्टियों पर चर्चा होने लग गई होगी। कई विद्यार्थियों ने छुट्टियों में घूमने की योजना भी बना ली होगी। आप भी इस समय कहीं पर जाने का कार्यक्रम बनाने की तैयारी कर रहे होंगे। मैं इस पत्र द्वारा गर्मियों की छुट्टियाँ साथ बिताने के लिए निमंत्रण भेज रहा हूँ।
यह तो तुम्हे मालूम ही है कि मेरे मामा जी शिमला में मुख्याध्यापक हैं। उन्होंने पत्र भेजकर मुझे शिमला आने के लिए कहा है। शिमला का मौमस भी सुहावना रहता है। मामाजी कार द्वारा हमें घुमा भी देंगे और स्कूल का काम करने में भी हमारी मदद करेंगे। वहाँ पर मेरे पहले से ही कई मित्र हैं। हम साथ-साथ घूमेंगे तथा खेलेंगे। मुझे आशा है कि आप यह स्वर्णिम अवसर को अपने हाथ से नहीं जाने दोगे। व्यय के बारे में कोई चिंता न करना, वह सब प्रबंध मैं पहले से ही कर चुका हूँ।
तुम मेरे पास कब तक पहुंच जाओगे, शीघ्र लिखना। माताजी तथा पिताजी को मेरी तरफ से प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र मयंक
2. पत्र/पत्रिका का ग्राहक बनने के लिए संपादक को पत्र।
सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स, दिल्ली,
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपकी पत्रिका चंदा मामा का नियमित पाठक हूँ। मुझे यह प्रिय पत्रिका हर बार कठिनाई से प्राप्त होती है। अतः मैं इस पत्रिका का स्थायी ग्राहक बनना चाहता हूँ। कृपया अपनी ग्राहक सूची में मेरा नाम तथा पता भी लिख लें, ताकि आगामी मास से यह पत्रिका नियमित रूप से मुझ तक पहुँच सके। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।,
पत्रिका का चंदा मैं मनीआर्डर द्वारा भेज रहा हूँ।
शुभाकांक्षी
अमन कुमार
1207/34, राज नगर, गाजियाबाद
दिनांक : 7 मार्च 20xx
3. गाड़ी के प्रबंध के लिए प्रधानाचार्य/मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र।
सेवा में,
मान्यवर प्रधानाचार्य जी,
आदर्श बाल निकेतन,
जालंधर।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में तीन (बी) कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरा घर विद्यालय से लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर है। पैदल चलकर विद्यालय आने में असुविधा रहती है तथा कभी-कभी विद्यालय पहुंचने में देर भी हो जाती है। वर्षा होने पर विद्यालय पहुँचना असंभव हो जाता है।
श्रीमान् जी मेरे मोहल्ले में विद्यालय द्वारा भेजी हुई दो गाड़ियाँ आती हैं। गाड़ी में बैठने का स्थान भी है। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे गाड़ी द्वारा विद्यालय आने की आज्ञा प्रदान करें। आपकी अति कृपा होगी।
धन्यवाद
दिनांक: 14 अप्रैल 20xx
आपका आज्ञाकारी शिष्य
अंशुल शर्मा, कक्षा तीन (बी)
4. त्रैमासिक परीक्षा में आए अंकों की जानकारी देते हुए बड़े भाई को पत्र।
छात्रावास,
मॉडल पब्लिक स्कूल,
देहरादून
दिनांक : 4 जून, 20xx
आदरणीय भाई साहब,
सादर प्रणाम।
आपका पत्र मिला। पत्र पढ़कर मालूम हुआ कि आपने मेरे त्रैमासिक परीक्षा के अंक जानने चाहे हैं। प्रिय भाई मुझे अंक कार्ड कल ही मिला है। आपको यह जानकर अति प्रसन्नता होगी कि मै 700 अंकों में से 650 अंक प्राप्त करके अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहा हूँ। गणित में मेरे 100 में से 98 तथा अंग्रेजी में 92 अंक आए हैं। संस्कृत में 88 अंक हैं जो मुझे कम लग रहे हैं। इस कमी को अगली परीक्षा में सुधारने का प्रयत्न करूँगा। फोन द्वारा पिताजी को भी मेरे परीक्षा के परिणाम से अवगत करा देना।
माताजी को प्रणाम।
पाने वाले का पता
आपका छोटा भाई
रोहित
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1. पत्र लेखन क्या है? |
2. पत्र लेखन के कितने प्रकार होते हैं? |
3. पत्र लेखन के क्या महत्व हैं? |
4. पत्र लेखन में कौन-कौन से अंग शामिल होते हैं? |
5. पत्र लेखन के लिए हमें कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए? |
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