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पाठ का सार: दुःख का अधिकार | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

लेखक परिचय

इस पाठ के लेखक यशपाल जी है। इनका जन्म फ़िरोज़पुर छावनी में सन 1903 में हुआ। इन्होंने आरंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल में और उच्च शिक्षा लाहौर में पाई। वे विद्यार्थी काल से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में जुट गए थे। अमर शहीद भगत सिंह आदि के साथ मिलकर इन्होंने भारतीय आंदोलन में भाग लिया। सन 1976 में इनका देहांत हो गया। इस पाठ में लेखक समाज में होने वाले उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के भेदभाव को दर्शा रहा है। यहाँ लेखक अपने एक अनुभव को साँझा करते हुए कहता है कि दुःख मनाने का अधिकार सभी को होता है फिर चाहे वह समाज के किसी भी वर्ग का हो।

पाठ का सार: दुःख का अधिकार | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

पाठ का सार

लेखक ने कहा है कि मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज़ा निश्चित करती है। हम जब झुककर निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं तो यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है।

पाठ का सार: दुःख का अधिकार | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)बाज़ार में खरबूजे बेचने आई एक औरत कपड़े में मुँह छिपाए सिर को घुटनों पर रखे फफक-फफककर रो रही थी। पड़ोस के लोग उसे घृणा की नज़रों से देखते हैं और उसे बुरा-भला कहते हैं। पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर पता चलता है कि उसका तेईस बरस का लड़का परसों सुबह साँप के डसने से मर गया था। जो कुछ घर में था , सब उसे विदा करने में चला गया था। घर में उसकी बहू और पोते भूख से बिल-बिला रहे थे। इसलिए वह बेबस होकर खरबूज़े बेचने आई थी ताकि उन्हें कुछ खिला सके ; परंतु सब उसकी निंदा कर रहे थे , इसलिए वह रो रही थी।

लेखक उसके दुख की तुलना अपने पड़ोस की एक संभ्रांत महिला के दुख से करने लगता है, जिसके दुख से शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे। लेखक सोचता चला जा रहा था कि शोक करने, ग़म मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है।

संदेश 

गद्य लेखन का मुख्य उद्देश्य भाषा को प्रभावपूर्ण और संप्रेषणीय बनाना है। लेखक अपनी रचनाओं में विविध भाषा प्रयोगों का उपयोग करके इसे सजीव और रोचक बनाता है। गद्य पाठों का पठन-पाठन विद्यार्थियों की लिखित और मौखिक अभिव्यक्ति को बेहतर बनाता है और उन्हें हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न करता है।

कठिन शब्दों के अर्थ

  • अनुभूति – एहसास
  • अधेड़ – ढलती उम्र का 
  • व्यथा – पीड़ा
  • व्यवधान – रुकावत
  • बेहया – बेशर्म
  • नीयत – इरादा
  • बरकत – वृद्धि
  • ख़सम – पति 
  • लुगाई – पत्नी
  • सूतक – छूत
  • कछियारी – खेतों में तरकारियाँ बोना
  • निर्वाह – गुज़ारा
  • मेड़ – खेत के चारों ओर मिट्टी का घेरा
  • तरावत – गीलापन
  • ओझा – झाड़-फूँक करने वाला 
  • छन्नी-ककना – मामूली गहना
  • सहूलियत - सुविधा
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FAQs on पाठ का सार: दुःख का अधिकार - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. What is the central theme of the text "दुःख का अधिकार"?
Ans. The central theme of the text "दुःख का अधिकार" is about the rights of suffering.
2. What does the term "स्पर्श" refer to in the text?
Ans. In the text, "स्पर्श" refers to touch or contact.
3. How is the concept of "हिन्दी" discussed in the text?
Ans. The text discusses the importance and significance of the Hindi language.
4. How is Class 9 related to the text "दुःख का अधिकार"?
Ans. Class 9 students may study and analyze the text "दुःख का अधिकार" as part of their curriculum.
5. What is the significance of the title "कठिन शब्दों के अर्थ" in the context of the text?
Ans. The title "कठिन शब्दों के अर्थ" implies the interpretation of difficult words in the text.
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