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पाठ का सार: साखियाँ एवं सबद | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij) PDF Download

साखियाँ

'साखियाँ' संत कबीर की रचनाएँ हैं जो उनके गहरे आध्यात्मिक और समाजिक विचारों का प्रतिबिंब हैं। इन साखियों में कबीर ने मानव जीवन, समाज, धर्म और अध्यात्म के विविध पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।

पाठ का सार: साखियाँ एवं सबद | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

सारांश:

  • कबीरदास जी कहते हैं कि जिस प्रकार हंस मानसरोवर के स्वच्छ एवं पावन जल को छोड़कर कहीं दूसरी जगह नहीं जाते, उसी प्रकार संत लोग भगवान की भक्ति के आनंद रूपी सरोवर को छोड़कर कहीं नहीं जाते।
  • ईश्वर का एक भक्त दूसरे भक्त से मिलकर बहुत प्रसन्न होता है तथा दो भक्तों के मिलन से कलुषित वातावरण भी आनंदमय तथा पवित्रा हो जाता है।
  • ईश्वर की भक्ति तथा ज्ञान से ओत-प्रोत प्रभु-भक्त का यह संसार कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।
  • सत्य का ज्ञान रखने वाला श्रेष्ठ संत कभी भी तर्क-वितर्क तथा ईष्र्या-द्वेष के विवाद में नहीं पड़ता, वह हमेशा ईश्वर की भक्ति एवं भजन में ही लीन रहता है।
  • मनुष्य को राम तथा खुदा में भेद-भाव नहीं करना चाहिए। ईश्वर एक है। ईश्वर को ईश्वर ही मानना चाहिए।
  • काबा तथा काशी में, राम तथा रहीम में भेदभाव को त्यागकर तथा अपनी-अपनी धर्मिक कट्टरता को छोड़कर हिंदू और मुसलमानों को एक साथ राम तथा रहीम दोनों की उपासना करनी चाहिए।
  • मनुष्य अपने फल से नहीं बल्कि अपने श्रेष्ठ कर्मों से महान बनता है।
  • ईश्वर मंदिर, मस्जिद, पूजा-पाठ आदि कार्यों या योग- साध्ना में नहीं रहता, वह तो हर प्राणी की साँस में बसा हुआ है, उसे सच्ची तलाश से अतिशीघ्र पाया जा सकता है।
  •  ज्ञान की आँधी आने पर मन का सारा भ्रम नष्ट हो गया। माया-मोह के बंध्न छूट गए। तृष्णा, कुबुद्धि तथा संदेह भी नष्ट हो गया। ईश्वर का ज्ञान होने से आत्मा खुश हो गई तथा सारा अज्ञान नष्ट हो गया।

संदेश: 
कबीर की साखियों का मुख्य संदेश है कि सच्चा ज्ञान और प्रेम किसी विशेष धर्म या समुदाय तक सीमित नहीं है। सच्ची भक्ति, प्रेम, और अच्छे कर्म ही इंसान को सच्चे मायने में महान बनाते हैं। बाहरी आडंबर और धार्मिक पाखंड का कोई मूल्य नहीं है।

कठिन शब्द:

  1. मानसरोवर - पवित्र झील
  2. हंसा - हंस (एक प्रकार का पक्षी)
  3. केलि - क्रीड़ा
  4. मुकताफल - मोती
  5. प्रेमी - प्रेम करने वाला व्यक्ति
  6. दुलीचा - एक प्रकार का वस्त्र
  7. स्वान - कुत्ता
  8. झख मारि - बेवजह
  9. पखापखी - पक्षपात
  10. निरपख - निरपेक्ष, निष्पक्ष
  11. संत सुजान - सच्चा संत
  12. खुदाइ - खुदा (ईश्वर)
  13. काबा - मक्का (मुस्लिम तीर्थ स्थल)
  14. कासी - वाराणसी (हिंदू तीर्थ स्थल)
  15. रहीम - मुस्लिम नाम, यहाँ ईश्वर का नाम
  16. सुबरन - सोना
  17. कलस - घड़ा
  18. सुरा - शराब

सबद

'सबद (पद)' संत कबीर की रचना है जिसमें उन्होंने आध्यात्मिकता, सत्य और ईश्वर की खोज के गहरे विचार व्यक्त किए हैं। इन पदों में कबीर ने भौतिक संसार की व्यर्थता और आत्मिक शांति की प्राप्ति पर प्रकाश डाला है।

पाठ का सार: साखियाँ एवं सबद | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

सारांश:

  • कबीर कहते हैं कि हे बंदे, तू मुझे कहाँ खोजता है, मैं तो तेरे पास ही हूँ। मैं मंदिर, मस्जिद, काबा, या कैलाश में नहीं हूँ। मैं किसी विशेष कर्मकांड, योग या वैराग्य में भी नहीं हूँ। अगर तू सच्चा खोजी है तो मुझे तुरंत ही पल भर की तलाश में पा सकता है। कबीर कहते हैं, सुनो भई साधो, मैं तो तुम्हारी हर सांस में हूँ।
  • कबीर कहते हैं कि भ्रम की आँधी में सबकुछ उड़ जाता है, और माया की बंधन भी नहीं रहती। इच्छाओं और मोह के कारण इंसान अपने भीतर के सत्य को नहीं देख पाता। जब संत लोग योग की विधि से इस भ्रम को दूर करते हैं, तो उन्हें हरि की वास्तविक गति का ज्ञान होता है। जब प्रेम में डूबे हरि के भक्त जल के बूँदों की तरह मिलते हैं, तब अंधकार का नाश हो जाता है और प्रकाश फैलता है।

संदेश: कबीर की इन रचनाओं का मुख्य संदेश है कि ईश्वर किसी बाहरी स्थल, मंदिर, मस्जिद, या विशेष धार्मिक क्रियाओं में नहीं है। ईश्वर को अपनी आत्मा में, अपनी हर सांस में ढूंढा जा सकता है। सच्ची भक्ति और प्रेम से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। मोह, माया, और भ्रम से मुक्त होकर ही आत्मिक शांति और सत्य का अनुभव किया जा सकता है।

कठिन शब्द:

  1. देवल - मंदिर
  2. काबा - मक्का (मुस्लिम तीर्थ स्थल)
  3. कैलास - कैलाश पर्वत (हिंदू तीर्थ स्थल)
  4. क्रिया-कर्म - धार्मिक अनुष्ठान
  5. बैराग - वैराग्य, संसार से विरक्ति
  6. साधो - साधु
  7. भ्रम - माया, मोह
  8. टाटी - बाधा
  9. हिति चित्त - मन और आत्मा
  10. द्वै यूँनी - दो आँखें
  11. बलिंडा - छड़
  12. त्रिस्नाँ - तृष्णा, इच्छाएँ
  13. कुबधि - गलत विचार
  14. जोग जुगति - योग की विधि
  15. निरचू - बूंद
  16. चुवै न पाँणी - पानी नहीं टपकता
  17. कूड़ कपट - झूठ और छल
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FAQs on पाठ का सार: साखियाँ एवं सबद - Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

1. 'साखियाँ' किस विषय पर आधारित हैं ?
Ans. 'साखियाँ' भक्ति साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसमें भक्त कवियों द्वारा भगवान के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण को दर्शाया गया है। ये कविताएँ साधकों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
2. 'साखियाँ' में कौन से मुख्य भाव व्यक्त किए गए हैं ?
Ans. 'साखियाँ' में मुख्य रूप से प्रेम, भक्ति, समर्पण, और भगवान के प्रति विश्वास के भाव व्यक्त किए गए हैं। ये भाव साधक को साधना और ध्यान में गहराई से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
3. 'साखियाँ' के कौन-कौन से प्रमुख कवि हैं ?
Ans. 'साखियाँ' के प्रमुख कवियों में संत कबीर, संत तुलसीदास, और संत सूरदास शामिल हैं। इन कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भक्ति और प्रेम के गूढ़ अर्थों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है।
4. 'साखियाँ' का पाठ कैसे किया जाता है ?
Ans. 'साखियाँ' का पाठ सुनने और समझने के लिए ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए। इसे उच्चारण के साथ पढ़ने से भाव और अर्थ को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। साधक को पाठ के समय मन को एकाग्र करना चाहिए।
5. 'साखियाँ' से हमें क्या सीखने को मिलता है ?
Ans. 'साखियाँ' से हमें भक्ति, प्रेम, और समर्पण का महत्व समझने को मिलता है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में आंतरिक शांति और संतोष पाने के लिए भगवान के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा आवश्यक है।
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