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पाठ का सार: स्मृति | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

पाठ का सार: स्मृति | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

स्मृति पाठ का सारांश

  • प्रस्तुत पाठ या संस्मरण स्मृति लेखक श्रीराम शर्मा जी के द्वारा लिखित है | इस पाठ के माध्यम से लेखक ने अपने बाल्यावस्था के अविस्मरणीय घटना का वर्णन किया है | प्रस्तुत संस्मरण में लेखक ने उस घटना का चित्रण किया है, जिसमें उन्होंने साँप से लड़कर चिट्ठीयों को सुरक्षा प्रदान किया था |
  • आगे प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के अनुसार, ठंड का मौसम गतिमान था | एक रोज शाम में जब लेखक अपने दोस्तों के साथ क्रीड़ा अथवा खेल-कूद कर रहे थे, तभी एक आदमी ने उन्हें आवाज़ दी कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं | लेखक अपने छोटे भाई के साथ डरे-सहमे घर की तरफ़ चल पड़ते हैं | 
  • लेखक के मन में किसी गलती के कारण पिटने का ख़ौफ़ सता रहा था | जब लेखक अपने घर पहुँचते हैं तो वे देखते हैं कि उनके बड़े भाई चिट्ठी लिख रहे हैं | तत्पश्चात्, लेखक को उनके बड़े भाई ने चिट्टियाँ सौंपी तथा उन्हें मक्खनपुर पोस्ट ऑफिस में पोस्ट करने को कहा | 
  • लेखक और उनके छोटे भाई ने चिट्ठीयों को टोपी में रखा और अपने-अपने डंडे पकड़कर चल दिए | आगे पाठ के अनुसार, वे लोग गाँव से चार फर्लांग दूर उस कुएँ के पास आ पहुँचे, जहाँ पर एक भयंकर काला साँप मौजूद था | देखा जाए तो कुआँ कच्चा था तथा लगभग चौबीस हाथ गहरा था | पानी के नाम पर उस कुएँ में कुछ भी नहीं था | वास्तव में, जब लेखक और उसके सहपाठी स्कूल के लिए जाते थे, तब उस वक़्त वे लोग कुएँ में ढेला मारते और साँप की आवाज़ सुनकर मजे लेते थे | 
  • आज भी कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला | लेखक ने ढेला उठाया और एक हाथ से टोपी उतारते हुए साँप पर ढेला मार दिया | टोपी के हाथ में लेते ही तीनों चिट्ठीयाँ कुएँ में गिर पड़ी | लेखक को ऐसा लगा मानों उसकी जान ही निकल गई हो | तत्पश्चात्, लेखक और उनके छोटे भाई दोनों कुएँ के समीप बैठकर दहाड़ें मार-मार कर रोने लगते हैं | कुछ समय गुजर जाने के पश्चात् दोनों के मध्य यह भयमुक्त फैसला लिया गया कि लेखक कुएँ के अंदर जाकर चिट्ठीयाँ निकाल कर लाएँगे |
  • आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, उन लोगों ने धोतियों और रस्सियों में गाठें लगाकर एक बड़ी रस्सी तैयार की | तत्पश्चात्, रस्सी के एक छोर पर डंडा बाँधा गया और उसे कुएँ में डाल दिया गया | लेखक ने रस्सी के दूसरे छोर को लकड़ी से बाँधकर अपने छोटे भाई के हाथ में थमा दिया | कुएँ के अंदर साँप फ़न फैलाकर बैठा था | लेखक भी अपने साहस का परिचय देते हुए धीरे-धीरे कुएँ के अंदर उतरने लगे | लेखक अपनी आँखें साँप के फ़न की तरफ़ ही टिकाकर रखे थे | लेकिन जहाँ साँप था, वहाँ पर डंडा चलाने का स्थान भी नहीं था | इन्हीं सब वजहों से लेखक को अपनी योजना कहीं न कहीं असफल होते लगने लगी थीं | अभी तक साँप ने लेखक पर किसी प्रकार का हमला नहीं किया था | इसलिए लेखक ने भी अपने डंडे से फ़न को दबाने की कोई कोशिश नहीं की थी | तत्पश्चात्, ज्यों ही लेखक ने डंडे को साँप के दायीं ओर पड़ी चिट्ठी की तरफ बढ़ाया, साँप ने अपना विष डंडे पर छोड़ दिया | 
  • लेकिन इसके बाद लेखक के हाथ से डंडा छूट गया | तत्पश्चात्, साँप ने डंडे के ऊपर लगातार तीन प्रहार किए | इस दृश्य को देखकर लेखक के छोटे भाई को अंदेशा हुआ कि कहीं लेखक को साँप ने डस तो नहीं लिया है | यह सोचकर लेखक का भाई चीखता है | आगे पाठ के अनुसार, लेखक ने डंडे को पुन: उठाकर चिट्ठीयाँ उठाने का प्रयत्न किया, परन्तु साँप ने फिर से वार किया | लेकिन इस बार लेखक ने अपने हाथों से डंडा नहीं गिरने दिया | पर तत्पश्चात् जैसे ही साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों में स्पर्श हुआ, लेखक ने फ़ौरन डंडा पटक दिया | इसी उठा-पटक में साँप का जगह बदल गया | तभी लेखक ने तुरंत चिट्ठीयों को उठाया और रस्सी में बाँध दिया | तत्पश्चात्, लेखक के भाई ने रस्सी से बंधे चिट्ठीयों को ऊपर की ओर खींच लिया |
  • आगे पाठ के अनुसार, नीचे गिरे अपने डंडे को साँप के पास से लेने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा | आगे लेखक के साथ और भी मुश्किल सामने आई, उसे अब अपने हाथों के बल पर ऊपर चढ़ना था | लेखक ने ग्यारह वर्ष की उम्र में 36 फुट चढ़ने का कारनामा किया था | वो भी जान हथेली पर रखकर उन्होंने ऐसे साहस भरे काम को अंजाम दिया था | तत्पश्चात्, लेखक और उनके छोटे भाई ने वहीं पर विश्राम किया | जब लेखक 10वीं की परीक्षा पास किए तो उन्होंने यह साहसिक घटना अपनी माँ को सुनाई | उस वक़्त लेखक की माँ ने उन्हें अपनी गोद में बैठाकर लेखक के प्रति प्रशंसा के पुल बाँधे...||

श्रीराम शर्मा का जीवन परिचय

  • प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के लेखक श्रीराम शर्मा जी हैं | इनका जीवनकाल 1896 से 1967 तक रहा | शुरुआती दौर में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् स्वतंत्र रूप से लम्बे समय तक राष्ट्र और साहित्य सेवा में जुटे रहे | श्रीराम शर्मा जी हिन्दी में 'शिकार साहित्य' के अग्रणी लेखक माने गए |
  • इन्होंने 'विशाल भारत' के सम्पादक के रूप में विशेष ख्याति हासिल की | श्रीराम शर्मा जी प्रमुख रचनाएँ हैं --- शिकार, बोलती प्रतिमा तथा जंगल के जीव (शिकार संबंधी पुस्तकें) , सेवाग्राम की डायरी एवं सन् बयालीस के संस्मरण इत्यादि...||

स्मृति पाठ के कठिन शब्द शब्दार्थ

  • परिधि - घेरा
  • एकाग्रचित्तता - स्थिरचित्त 
  • सूझ - उपाय
  • समकोण - 90° कोण
  • चक्षु:श्रवा - आँखों से सुनने वाला
  • आकाश-सुमन - कोरी कल्पना
  • पैंतरों - स्थिति
  • अचूक - खाली ना जाने वाला 
  • अवलंबन - सहारा
  • कायल - मानने वाला
  • गुंजल्क - गुत्थी
  • ताकीद - बार-बार चेताने की क्रिया
  • डैने - पंख
  • चिल्ला जाड़ा - बहुत अधिक ठण्ड 
  • आशंका - डर
  • मज्जा - हड्डी के भीतर भरा मुलायम पदार्थ
  • ठिठुर - काँपना 
  • झूरे - तोड़ना 
  • मूक - मौन 
  • प्रसन्नवदन - प्रसन्न चेहरा
  • उझकना - उचकना 
  • किलोले - क्रीड़ा 
  • मृगसमूह - हिरनों का झुण्ड
  • प्रवृत्ति - मन का किसी विषय की ओर झुकाव 
  • मृगशावक - हिरन का बच्चा
  • दाढ़ें - ज़ोर-ज़ोर से रोना
  • उद्वेग - बैचैनी 
  • कपोलों पर - गालों पर
  • दुधारी - दो तरफ़ से धार वाली
  • दृढ़ - पक्का
  • आलिंगन - गले लगना
  • आश्वासन - भरोसा
  • अग्र भाग - अगला हिस्सा
  • प्रतिद्वंदी - विपक्षी
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FAQs on पाठ का सार: स्मृति - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. What is the importance of Smriti in Indian culture?
Ans. Smriti is an important aspect of Indian culture as it refers to the collective memory of a society that is passed on from generation to generation. Smriti includes ancient texts, scriptures, and traditions that provide guidance on various aspects of life such as morality, ethics, and spirituality. It helps in preserving the cultural heritage and traditions of a society.
2. What is the significance of Sanchayan in Hindi literature?
Ans. Sanchayan is a collection of Hindi poems by well-known poets such as Suryakant Tripathi 'Nirala', Mahadevi Verma, and Sumitranandan Pant. It is an important part of Hindi literature as it showcases the different styles and themes of these poets. It is widely studied in schools and colleges as it helps in understanding the evolution of Hindi literature.
3. Why is it important to promote the use of Hindi language?
Ans. Hindi is the fourth most spoken language in the world and is the official language of India. It is important to promote the use of Hindi language as it is a symbol of India's cultural identity. It also helps in promoting national integration and unity among people of different states and regions. Moreover, it is essential for the dissemination of information and knowledge in India.
4. What are the benefits of learning Hindi as a second language?
Ans. Learning Hindi as a second language has several benefits such as improving communication skills, enhancing career prospects, and gaining a better understanding of Indian culture and traditions. It also helps in building relationships with people from different parts of India and promotes cross-cultural understanding. Moreover, it can be useful for those planning to travel or work in India.
5. How can one improve their Hindi language skills?
Ans. To improve Hindi language skills, one can engage in activities such as reading Hindi books, newspapers, and magazines, watching Hindi movies and TV shows, listening to Hindi songs and podcasts, and practicing speaking and writing in Hindi with native speakers. It is also important to learn grammar rules and practice vocabulary regularly. Joining Hindi language classes or hiring a tutor can also be helpful.
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