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पाठ का सारांश: दीवानों की हस्ती | Hindi Class 8 PDF Download

कवि परिचय

‘दीवानों की हस्ती’ कविता को लिखा है भगवतीचरण शर्मा ने। यह कविता आजादी से पहले की है। कवि ने उन दीवानों अर्थात उन वीरों का वर्णन किया है जो देश की आजादी के लिए अपना सबकुछ लुटाने को तैयार रहते हैं।

कविता का सारांश

इस कविता में कवि ने अपने प्रेम से भरे हृदय को दर्शाया है क्योंकि कवि का स्वभाव बहुत ही प्रेमपूर्ण है। सभी संसार के व्यक्तियों से वह प्रेम करता है और खुशियाँ बाँटता है यही सब इस कविता में दर्शाया है। वो अपने जीवन को अपने ढंग से जीते हैं, मस्त-मौला है चारों ओर प्रेम बाँटने का सन्देश देते हैं। इस कविता के द्वारा एक सीख देते है की हमें सबके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। वे खुशियों का संचार करते हैं, जहाँ भी जाते हैं खुशियाँ  बिखेरते हैं और जीवन में असफल हो जाने पर हार जाने पर भी किसी को दोष नहीं देते । इस कविता में सन्देश देते हैं कि हमें अपनी सफलता और असफलता का श्रेय स्वयं को ही देना चाहिए क्योंकि अगर हम असफल होते है तो उसमें भी कहीं न कहीं दोष हमारा ही होता है किसी और का नहीं और सफल होते है तो भी श्रेय हमारा ही होता है क्योंकि महेनत हमने की होती है। और स्वंय असफल होने पर किसी अन्य को दोषी नहीं मानते है। वे जब जीवन में कभी हार जाते हैं, असफल हो जाते है इस सब का दोष किसी और को नहीं देते । यह इंसानियत की बहुत ही बड़ी बात है जोकि कवि में देखी जाती है।

पाठ का सारांश: दीवानों की हस्ती | Hindi Class 8

कविता की व्याख्या

पहला प्रसंग

हम दीवानों की क्या हस्ती,
हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले।
आए बन कर उल्लास अभी,
आँसू बन कर बह चले अभी,
सब कहते ही रह गए, अरे,
तुम कैसे आए, कहाँ चले?

व्याख्या: कवि कहते हैं दीवाने अर्थात वीर देश की आजादी के लिए कुछ भी करने को तत्पर हैं| ये बेफिक्र लोग हैं| जहाँ भी ये जाते हैं, खुशियाँ खुद चली आती हैं| ये लोग एक जगह नहीं टिकते| जब ये आते हैं तो कुछ के चेहरों पर ख़ुशी यानी अंग्रेज़ सरकार द्वारा प्रताड़ित लोगों के चेहरों पर ख़ुशी तो वहीं जाते हैं यानी शहीद होते हैं तो उन लोगों के आँखों में आँसू छोड़ जाते हैं| उन्हें जल्दी वापस जाता देख लोगों उनसे पूछना चाहते हैं कि तुम अभी तो आए हो और अभी किधर जा रहे हो।

दूसरा प्रसंग

किस ओर चले? यह मत पूछो,
चलना है, बस इसलिए चले,
जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले,
दो बात कही, दो बात सुनी।
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए।
छककर सुख-दुख के घूँटों को
हम एक भाव से पिए चले।

व्याख्या: दीवाने लोगों से कहते हैं कि वे कहाँ जा रहे हैं यह उनसे ना पूछे चूँकि मंजिल किधर है यह उन्हें भी नहीं पता| वे मंजिल कि ओर चलते जाने को ही जीवन समझते हैं| वे जग से दुःख लेते जा रहे हैं और अपने गुण और खुशियाँ देते जा रहे हैं| मंजिल के रास्ते में दीवानों ने लोगों पर हो रहे अत्याचारों, उनके विचारों को सुना और कुछ अपने विचारों को भी रखा| ऐसा कर उन्हें हंसी और दुःख दोनों का अनुभव हुआ| लेकिन इस सुख-दुख के चक्र को उन्होंने एक समान माना| न तो सुख से अधिक खुश हुए और न ही दुख से अधिक दुखी। इसी तरह इन्होनें अपना जीवन जिया।

तीसरा प्रसंग

हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले,
हम एक निसानी – सी उर पर,
ले असफलता का भार चले।
अब अपना और पराया क्या?
आबाद रहें रुकनेवाले!
हम स्वयं बँधे थे और स्वयं
हम अपने बँधन तोड़ चले।

व्याख्या: दीवाने इस भिखमंगों की दुनिया यानी गरीब स्नेहरहित लोगों के लिए अपना प्यार लुटाया| ऐसा करते समय उन्होंने कोई भेदभाव नहीं किया| इन सब के बावजूद वे अपने लक्ष्य यानी आजादी से दूर रहे, इस बात का भी भार उन्होंने अपने सर लेकर दुनिया से विदा हुए| दीवानों के लिए कौन अपना कौन पराया| वे धर्म, जाति को नहीं मानते| उनका लक्ष्य तो केवल आजादी है ताकि सब ख़ुशी से रहें| हंसी से रहने के लिए जो बंधन दीवानों ने बनाये थे जब वह आजादी छिनने लगे तब उन्होंने खुद इन बन्धनों को भी तोड़ा|

कविता से शिक्षा

  • प्रेम और खुशी बाँटें: हमें हर जगह प्रेम और प्रसन्नता फैलानी चाहिए।
  • सुख-दुख में समानता: जीवन के सुख और दुख को एक समान स्वीकार करना चाहिए।
  • जिम्मेदारी लें: अपनी सफलता और असफलता की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए, दूसरों को दोष नहीं देना चाहिए।
  • स्वतंत्रता: हमें बंधनों से मुक्त होकर अपने मन की राह पर चलना चाहिए।
  • बेफिक्री: जीवन को मस्त-मौला अंदाज में जीना चाहिए, ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।

शब्दावली

  • दीवानों: अपनी मस्ती में रहने वाले
  • हस्ती: अस्तित्व
  • मस्ती: मौज, आनंद
  • आलम: दुनिया
  • उल्लास: ख़ुशी
  • जग: संसार
  • छककर: तृप्त होकर
  • भाव: एहसास
  • भिखमंगों: भिखारियों
  • स्वच्छंद: आजाद
  • निसानी: चिन्ह
  • उर: हृदय
  • असफलता: जो सफल न हो
  • आबाद: बसना, खुशहाल रहना
  • स्वयं: खुद
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FAQs on पाठ का सारांश: दीवानों की हस्ती - Hindi Class 8

1. "दीवानों की हस्ती" पाठ का मुख्य विषय क्या है ?
Ans. "दीवानों की हस्ती" पाठ का मुख्य विषय मानव जीवन में प्रेम, जुनून और दीवानगी की अहमियत है। यह पाठ यह बताता है कि दीवाने अपने सपनों के पीछे किस तरह बिना किसी डर के चलते हैं और कैसे उनकी दीवानगी उन्हें अनोखी पहचान देती है।
2. इस पाठ में दीवानों के बारे में क्या कहा गया है ?
Ans. इस पाठ में दीवानों को उन लोगों के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो अपने लक्ष्यों के लिए संजीवनी के समान होते हैं। वे कठिनाइयों का सामना करने से नहीं चूकते और अपने सपनों को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।
3. "दीवानों की हस्ती" पाठ का लेखक कौन है ?
Ans. "दीवानों की हस्ती" पाठ के लेखक मशहूर हिंदी कवि और लेखक हैं। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से मानव मन के गहरे भावनात्मक पक्ष को उजागर किया है।
4. पाठ में दीवानगी का क्या महत्व बताया गया है ?
Ans. पाठ में दीवानगी का महत्व यह बताया गया है कि यह व्यक्ति को प्रेरित करती है, उसे अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित बनाती है और जीवन में एक अनोखा दृष्टिकोण प्रदान करती है। दीवानगी से व्यक्ति अपनी सीमाओं को पार कर सकता है।
5. "दीवानों की हस्ती" पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
Ans. "दीवानों की हस्ती" पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में अपने सपनों के प्रति जुनूनी होना चाहिए। हमें अपने लक्ष्यों के लिए संघर्ष करना चाहिए और कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि दीवानगी ही हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
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