मशीनों के प्रयोग से हमें लाभ तो होता है, किंतु अप्रत्यक्ष रूप में इससे हानि भी होती है। मशीनों का प्रयोग विकास का सूचक समझा जाता है, किंतु हस्तकला एवं कुटीर उद्योगों पर इसका बहुत बुरा एवं दूरगामी असर होता है पाठ में इसी का वर्णन किया गया है। मशीनों के प्रयोग से बदलू जैसे कुशल कारीगरों के हाथ से काम छिन गया है। ऐसे कारीगर या तो बेरोज्जगार हो चुके हैं या फिर कोई और व्यवसाय अपनाने को विवश हैं।
बचपन में लेखक को सारे गाँव में बदलू सबसे अच्छा लगता था। लेखक जब भी बदलू के पास जाता था, वह लेखक को लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ बनाकर दिया करता था। लेखक को यह गोलियाँ बहुत अच्छी लगती थीं। बदलू लेखक के मामा के गाँव में रहता था, इसलिए बदलू को 'बदलू मामा' कहना चाहिए था, पर गाँव के अन्य बच्चों की तरह लेखक भी उसे 'बदलू काका' कहता था। बदलू का मकान गाँव में कुछ ऊँचाई पर था, जिसके सामने नीम का पेड़ था। उसी की बगल में बनी भट्ठी पर बदलू लाख पिघलाया करता था। लाख को बेलननुमाँ मुंगेरिओ पर चढ़ाकर वह उन्हें चूडिय़ों का आकार देता था तथा बाद में उन पर रंग करता था। बीच-बीच में वह हुक्का भी पीता जाता था। बचपन में वह लेखक को 'लला' कहता था। लेखक को वह मचिए पर बैठाता था। लेखक उसे चूडिय़ाँ बनात देखा करता था।
बदलू मनिहार था, जिसका पैतृक पेशा चूडिय़ाँ बनाना था। उसकी बनाई चूडिय़ाँ औरतों को बहुत पसंद आती थीं। इन चूडिय़ों की खपत बहुत थी। बदलू इन चूडिय़ों को पैसों के बदले नहीं बेचता था। वह बिना मोल-भाव के वस्तुओं के बदले चूडिय़ाँ देता था, परन्तु शादी-ब्याह के अवसर पर वह पूरा मोल-भाव करके ही चूडिय़ाँ देता था। जीवनभर मुफ्त चूडिय़ाँ दे सकनेवाला बदलू उस समय भी जरा पसीजता था। उस समय उसी एक जोड़े के लिए बदलू को खूब सारा अनाज, घरवाली के लिए कपड़े, पगड़ी और रुपये मिलते थे।
बदलू को काँच की चूडिय़ों से बहुत चिढ़ थी। वह किसी महिला की कलाई पर काँच की चूडिय़ाँ देखकर कुढ़ उठता था। वह बचपन में लेखक से उसकी पढ़ाई की बातें पूछता। लेखक उसे बताता कि शहर मेें सभी औरतें काँच की चूडिय़ाँ पहनती हैं। वह लेखक को रंग-बिरंगी लाख की गोलियों के अलावा गाय के दूध की मलाई तथा आम की फसल के समय खाने को आम दिया करता था।
इसी बीच लेखक के पिता की बदली कहीं दूर के शहर में हो गई और लेखक आठ-दस वर्षों तक अपने मामा के गाँव न जा सका। इतने दिनों बाद जब वह अपने मामा के गाँव गया तो देखा कि गाँव की औरतों की कलाइयों पर भी काँच की चूडिय़ाँ हैं। बहुत कम ही हाथों में लाख की चूडिय़ाँ थी। एक दिन उसके मामा की लड़की फिसलकर गिर गई और काँच की चूडिय़ों के चुभने से उसकी कलाई में घाव हो गया, जिसकी पटटी लेखक को कराने जाना पड़ा। इस घटना से लेखक को बदलू का ध्यान आ गया। वह बदलू से मिलने उसके घर गया। बदलू ने लेखक को पहचाना नहीं। लेखक ने 'जनार्दन' कहकर जब अपना परिचय दिया, तब बदलू ने उसे पहचाना और आदर से बैठाया । लेखक को चूडिय़ाँ बनाने का सामान कहीं दिखाई न दिया। उसने बदलू से लाख की चूडिय़ों के बारे में जानना चाहा तो बदलू ने बताया कि मशीनी युग में अब हर काम मशीनों से होने लगा है। अब काँच की चूडिय़ों के आगे लाख की चूडिय़ों की खपत कम हो गई है। काम बंद होने से बदलू बेरोज्जगार हो गया था। वह बीमार रहने लगा था। अचानक उसे खाँसी आने लगी। लेखक की शंका भाँपकर उसने कहा कि यह फसली खाँसी है जो शीघ्र ही ठीक हो जाएगी। लेखक ने महसूस किया कि मशीनी युग ने कितनों के कारोबार छीन लिए हैं। इससे कुशल कारीगर भी बेरोज्जगार होकर अशक्त और लाचार बन गए हैं।
बात का विषय बदलने के उदेश्य से लेखक ने पूछा—"काका, आम की फसल इस साल कैसी है?" उसने फसल को अच्छी बताते हुए अपनी बिटिया रज्जो से आम लाने के लिए कहा। इसी बीच लेखक ने उससे गाय के बारे में पूछा तो बदलू ने बताया कि गाय ह्मे दो साल पहले बेच दी, क्योंकि गाय को क्या खिलाता। इसी बीच रज्जो डलिया में आम ले आई। उसने लेखक को नए पेड़ वाले चार-पाँच सदूरी आम दिए। लेखक की दृष्टि रज्जो की कलाई पर सुंदर लग रही लाख की चूडिय़ों पर गई। यह देख बदलू ने लेखक को बताया - यही उसके द्वारा बनाया गया आखिरी जोड़ा है, जिसे उसने जमींदार की लड़की के विवाह के लिए बनाया था। जमींदार इस जोड़े के दस आने दे रहा था। इस दाम पर बदलू ने उसे चूडिय़ों का जोड़ा नहीं दिया और शहर से लाने को कह दिया। बदलू की बातें सुनकर लेखक को खुशी हुई कि उसने हार नहीं मानी है। बदलू का व्यक्तित्व काँच की चूडिय़ों की तरह कमजोर नहीं है। वह आसानी से टूटनेवाला नहीं है।
शब्दार्थ -
पृष्ठ - लाख— मोम जैसा पदार्थ। चाव —रुचि, शौक। चौखट—चौकोर लकड़ी।
पृष्ठ - सलाख—छड़। मचिया—बैठने की छोटी-सी चारपाई। मनिहार—चूडिय़ाँ बनाने अथवा बेचने का काम करनेवाल । पैतृक—पुश्तैनी, पूर्वजों से संबंधित। खपत— माल की विक्री | विनिमय—वस्तुओं के बदले वस्तुएँ लेने-देने की प्रथा|
पृष्ठ - कुढऩा—चिढऩा। नाजुक—मुलायम, कमज्जोर। खातिर—इज्ज्त, आवभगत।
पृष्ठ - बहुधा—प्राय:, अकसर। अवधि—समय-सीमा। विरले—कम। निहारना—देखना। स्मृति-पटल—मस्तिष्क, दिमाग। अतीत—बीते दिन।
पृष्ठ - दृष्टि दौड़ाना—कुछ ढूँढऩे का प्रयास करना। प्रचार—चलन में आना। फसली—मौसमी। व्यथा—पीड़ा। मुखातिब—मुँह घुमाकर।
पृष्ठ - ठिठकना—रुकना। फबना—सुंदर लगना।
पाठ में प्रयुक्त मुहावरे
मन मोह लेना—मन को अच्छा लगना।
कसर निकालना—सारी कमी पूरी कर लेना।
लोहा लगना—बड़ा मुश्किल होना।
अतीत के चित्र उतारना—बीती बातें याद करने की कोशिश करना।
कुढ़ उठना—झल्ला जाना।
भाँप लेना—अनुमान करना।
शरीर ढल जाना—कमज्जोर हो जाना।
हाथ काट देना—रोजगार छीन लेना।
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1. चूड़ी क्या है? |
2. लाख की चूड़ी क्या होती है? |
3. चूड़ियों का महत्व क्या है? |
4. चूड़ियों की पुरानी परंपरा के बारे में कुछ बताएं। |
5. लाख की चूड़ी कैसे बनाई जाती है? |
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