Table of contents |
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परिचय |
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कहानी का सारांश |
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कहानी से शिक्षा |
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शब्दावली |
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कामतानाथ की कहानी "लाख की चूड़ियाँ" दिखाती है कि कैसे शहरीकरण और औद्योगिक विकास के कारण गाँव के पारंपरिक उद्योग खत्म हो रहे हैं। यह कहानी रिश्तों और गाँव की सरल जीवनशैली में आई टूट-फूट और आर्थिक समस्याओं के कारण होने वाले सांस्कृतिक नुकसान को बताती है।
कहानी एक बच्चे और उसके बदलू मामा की है। बदलू मामा बच्चे को लाख की गोलियाँ बनाकर देता है, और बच्चा इससे बहुत खुश होता है। समय बीतने पर, जब वह बच्चा बड़ा हो जाता है और गांव वापस आता है, तो बदलू मामा से मिलकर उसे पता चलता है कि अब गांव में लाख की चूड़ियाँ बनाने का काम बंद हो रहा है।
बदलू मामा इस बदलाव से दुखी है, लेकिन वह अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ता। वह जीवन जीने के लिए और तरीके अपनाता है। इस कहानी के जरिए लेखक हमें यह सिखाता है कि मुश्किल हालात में भी हमें अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए और हमें अपने फैसलों पर संतुष्ट रहना चाहिए।
'लाख की चूड़ियाँ' कहानी में यह दिखाया गया है कि कैसे मशीनों के आ जाने से कारीगरों का रोजगार समाप्त हो रहा है, और इसके साथ ही एक कुशल कारीगर का स्वाभिमान भी स्पष्ट होता है।
लेखक बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में अपने ननिहाल मामा के घर जाया करते थे और वहां एक महीने से अधिक समय बिताते थे। वहाँ उनका सबसे पसंदीदा व्यक्ति बदलू था, जो उन्हें लाख की गोलियाँ देता था। बदलू पेशे से मनिहार था, यानी चूड़ियाँ बनाने वाला। वह लाख की सुंदर चूड़ियाँ बनाता था। बदलू का घर गाँव में ऊँचाई पर था, उसके घर के सामने नीम का पेड़ था और पास में उसकी भट्ठी थी, जहाँ वह लाख पिघलाकर चूड़ियाँ बनाता था।
लेखक और अन्य बच्चे उसे बदलू काका कहते थे। गाँव की महिलाएँ भी चूड़ियाँ बदलू काका से ही ले जाती थीं। वह पैसे की बजाय अनाज लेता था, लेकिन शादी-ब्याह के समय चूड़ियों का अच्छा दाम लेता था। उसका स्वभाव बहुत सीधा और सरल था।बदलू को काँच की चूड़ियाँ बहुत पसंद नहीं थीं। जब वह किसी महिला की कलाई पर काँच की चूड़ियाँ देखता, तो गुस्से में आ जाता था। वह बचपन में लेखक से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछता और लेखक बताता कि शहर में महिलाएँ काँच की चूड़ियाँ पहनती हैं। बदलू लेखक को रंग-बिरंगी लाख की गोलियाँ, गाय के दूध की मलाई और आम के मौसम में आम देता था।
लेखक के पिता की नौकरी की वजह से वह कई सालों तक गाँव नहीं जा सके। लगभग आठ-दस साल बाद जब वह गाँव लौटे, तो अब उन्हें चूड़ियों में कोई रुचि नहीं थी। उन्होंने देखा कि अब गाँव की सभी महिलाएँ काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी थीं।
एक दिन लेखक की मामा की बेटी गिर गई और काँच की चूड़ियाँ उसकी कलाई में चुभने से घाव हो गया, जिससे लेखक को उसकी पट्टी करने के लिए जाना पड़ा। इस घटना ने लेखक को बदलू काका की याद दिलाई, और वह उनसे मिलने उनके घर गया। जब वह वहाँ पहुँचा, तो बदलू काका नीम के पेड़ के नीचे चारपाई पर लेटे हुए थे। उनका शरीर अब बुढ़ा हो चुका था और उन्हें खाँसी भी थी। बदलू काका ने लेखक को पहचाना नहीं, तो लेखक ने उन्हें अपना परिचय दिया, जिससे वह उन्हें पहचान सके।
बदलू काका का लाख की चूड़ियों का काम अब खत्म हो चुका था, और उनकी गाय भी बिक चुकी थी। बदलू काका ने बताया कि अब सभी काम मशीन से होते हैं, और मशीनी चूड़ियाँ लाख की चूड़ियों से कहीं ज्यादा सुंदर होती हैं।
इसी दौरान, बदलू की बेटी रज्जो डलिया में आम लेकर आई। लेखक की नज़र रज्जो की कलाई पर पड़ी, जहाँ सुंदर लाख की चूड़ियाँ थीं। तब बदलू काका ने बताया कि यह चूड़ियाँ उन्होंने खुद बनाई हैं, और यह उनका आखिरी जोड़ा है। यह जोड़ा उसने जमींदार की बेटी के विवाह के लिए बनाया था, लेकिन जमींदार इस जोड़े के लिए केवल दस आने देने वाला था। बदलू काका ने उसे यह जोड़ा नहीं दिया और कहा कि वह शहर से नई चूड़ियाँ लाकर दे। लेखक ने इस बात में बदलू काका का स्वाभिमान देखा।
इस कहानी से हमें यह महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती है कि हमें अपने स्वाभिमान और सिद्धांतों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए, भले ही परिस्थितियाँ कठिन हों। बदलू काका ने दिखाया कि अपने काम में निष्ठा और इज्जत बनाए रखना सबसे अहम होता है। बदलू ने भले ही समय के साथ अपने व्यवसाय में बदलाव होते देखे, लेकिन उसने कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया। काँच की चूड़ियाँ जो अब गाँव में लोकप्रिय हो गई थीं, के बावजूद बदलू ने अपने काम की कीमत और गुणवत्ता को बनाए रखा। यह हमें यह सिखाता है कि असली सम्मान और सफलता अपने सिद्धांतों और मेहनत में छिपी होती है, न कि बाहरी चकाचौंध में।
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1. "लाख की चूड़ियाँ" पाठ का मुख्य विषय क्या है? | ![]() |
2. इस पाठ में मुख्य पात्र कौन है और उसकी विशेषताएँ क्या हैं? | ![]() |
3. "लाख की चूड़ियाँ" पाठ में महिलाओं की स्थिति को कैसे दर्शाया गया है? | ![]() |
4. पाठ में लाख की चूड़ियों का प्रतीकात्मक महत्व क्या है? | ![]() |
5. "लाख की चूड़ियाँ" पाठ से हमें क्या सीख मिलती है? | ![]() |