Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)  >  पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - नीतिनवनीतम्, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8

पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - नीतिनवनीतम्, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8) PDF Download

पाठ का परिचय (Introduction of the Lesson)
प्रस्तुत पाठ ‘मनुस्मृति’ के कतिपय श्लोकों का संकलन है जो सदाचार की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यहाँ माता-पिता तथा गुरुजनों को आदर और सेवा से प्रसन्न करने वाले अभिवादनशील मनुष्य को मिलने वाले लाभ की चर्चा की गई है। इसके अतिरिक्त सुख-दुख में समान रहना, अन्तरात्मा को आनन्दित करने वाले कार्य करना तथा इसके विपरीत कार्यों को त्यागना, सम्यक् विचारोपरान्त तथा सत्यमार्ग का अनुसरण करते हुए कार्य करना आदि शिष्टाचारों का उल्लेख भी किया गया है।

पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ
(क) अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥

शब्दार्थ : अभिवादनशीलस्य-प्रणाम करने के स्वभाव वाले। नित्यम्-प्रतिदिन। वृद्धोपसेविनः-बड़ों (बुजुर्गों) की सेवा करने वाले के। चत्वारि-चार (चीजें) तस्य-उसकी। वर्धन्ते-बढ़ती हैं। यशः-नाम।

  शब्दार्थ:  भावार्थ:
 अभिवादनशीलस्य प्रणाम करने के स्वभाव वाले
 नित्यम् प्रतिदिन
 वृद्धोपसेविनः बड़ों (बुजुर्गों) की सेवा करने वाले के
 चत्वारि चार (चीजें)
 तस्य उसकी
 वर्धन्ते बढ़ती हैं
 यशः नाम


सरलार्थः- अभिवादनशील (प्रणाम करने की आदत वाले) तथा प्रतिदिन (सदैव) वृद्धों (बुजुर्गों) की सेवा करने वाले व्यक्ति की आयु, विद्या, यश और बल ये चारों चीजें बढ़ती हैं।

(ख) यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम्।
न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि।

 शब्दार्थ:  भावार्थ:
 यम् जिस (को)
 मातापितरौ माता और पिता
 क्लेशम् कष्ट को
 सहेते सहते हैं
 सम्भवे जना देने में
 नृणाम् मनुष्यों के
 तस्य उसका
 निष्कृतिः बदला
 शक्या समर्थ होते हैं
 कर्तुम्  करने में
 वर्षशतैः सौ वर्षों में
 अपि भी


सरलार्थ:- मनुष्यों (बच्चों) की उत्पत्ति तथा पालन-पोषण करने में माता-पिता जिस कष्ट को सहते हैं, उसका बदला चुकाने (निराकरण करने) में बच्चा सौ वर्षों में भी समर्थ नहीं हो सकता है।

(ग) तयोर्नित्यं प्रियं कुर्यादाचार्यस्य च सर्वदा।
तेष्वेव त्रिषु तुष्टेषु तपः सर्वं समाप्यते॥

 शब्दार्थ: भावार्थ:
 तयोः उन दोनों का
 नित्यम् प्रतिदिन
 कुर्यात् करना चाहिए
 तेषु उन (के)
 त्रिषु तीनों के
  तुष्टेषु सन्तुष्ट होने पर
 तपः तपस्या
 सर्वम् सर्वम्-सारी
 समाप्यते समाप्त (सार्थक) होती हैं


सरलार्थ:- उन दोनों (माता और पिता) का और आचार्य को सदा प्रतिदिन (सन्तानों द्वारा) प्रिय करना चाहिए। उन तीनों के ही सन्तुष्ट होने पर सारे तप समाप्त (सार्थक) हो जाते हैं।

(घ) सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।
एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः॥

 शब्दार्थ: भावार्थ:
 सर्वम् सारा
 परवशम् दूसरों के वश में (परतन्त्रता में)
 आत्मवशम् अपने वश में (स्वतन्त्रता में)
 एतत् यह
 विद्यात् जानना चाहिए
 समासेन संक्षेप से
 सुखदुःखयोः सुख-दुःख का।


सरलार्थ:- दूसरों के वेश में सारा दु:ख होता है और अपने वश में सब कुछ सुख होता है। इसे ही संक्षेप से सुख और दुःख का लक्षण जानना चाहिए।

(ङ) यत्कर्म कुर्वतोऽस्य स्यात्परितोषोऽन्तरात्मनः।
तत्प्रयत्नेन कुर्वीत विपरीतं तु वर्जयेत्॥

 शब्दार्थ: भावार्थ:
 यत्कर्म जिस काम को
 कुर्वतः करते हुए
 अस्य इस (का)
 स्यात् हो
 परितोषः सन्तोष
 अन्तरात्मनः आत्मा का
 तत् वह
 प्रयत्नेन प्रयत्न से (कोशिश करके)
 कुर्वीत करना चाहिए
 विपरीतम् उल्टा
 तु तो
 वर्जयेत् छोड़ देना चाहिए


सरलार्थ:- जिस काम को करते हुए इस (अपनी) आत्मा का सन्तोष हो, उस काम को प्रयत्नपूर्वक करना चाहिए। उससे विपरीत (उल्टा) तो छोड़ देना चाहिए।

(च) दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
सत्यपूतां वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्॥

 शब्दार्थ: भावार्थ:
 दृष्टिपूतम् आँख से देखकर
 न्यसेत् रखना चाहिए
 पादम् कदम को (पैर को)
 वस्त्रपूतम् कपड़े से छानकर
 पिबेत् पीना चाहिए
 सत्यपूताम् सत्य से परीक्षा करने
 वदेत् बोलना चाहिए
 वाचम् वाणी को
 समाचरेत् आचरण करना चाहिए


सरलार्थ:- आँख से पवित्र करके (अच्छी तरह देख-भाल करके) पैर रखना चाहिए, कपड़े से छानकर (शुद्ध करके) जल पीना चाहिए। सत्य से पवित्र करके (सत्य से युक्त करके) वाणी बोलनी चाहिए और मन से पवित्र करके (सोच-विचार करके) आचरण-व्यवहार करना चाहिए।

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FAQs on पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - नीतिनवनीतम्, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 - संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

1. नीतिनवनीतम्, रुचिरा और संस्कृत कक्षा 8 के लिए देखा जाए तो इस पाठ में क्या कुछ है?
उत्तर. इस पाठ में नीतिनवनीतम्, रुचिरा और संस्कृत के कक्षा 8 के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान को समझाने वाली बातें हैं।
2. नीतिनवनीतम् क्या है?
उत्तर. नीतिनवनीतम् संस्कृत में एक पाठ है जो कक्षा 8 के छात्रों को नैतिक मूल्यों और नीति के बारे में सिखाता है।
3. रुचिरा क्या है?
उत्तर. रुचिरा संस्कृत में एक पाठ है जो कक्षा 8 के छात्रों को रस, छंद और कविता के बारे में सिखाता है।
4. संस्कृत कक्षा 8 के छात्रों के लिए पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर. पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ कक्षा 8 के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वे आसानी से पाठ के शब्दार्थ और मुख्य विषय को समझ सकते हैं।
5. इस पाठ में कौन-कौन सी विषय सिखाए जाते हैं?
उत्तर. इस पाठ में नीतिनवनीतम्, रुचिरा और संस्कृत कक्षा 8 के छात्रों को नैतिक मूल्यों, कविता, रस और छंद के बारे में सिखाया जाता है।
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