UPPSC (UP) Exam  >  UPPSC (UP) Notes  >  Course for UPPSC Preparation  >  बेरोज़गारी निवारण में शिक्षा की भूमिका

बेरोज़गारी निवारण में शिक्षा की भूमिका | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) PDF Download

घर की दीवार भी अब टूट कर मुँह चिढ़ा रही,
बेरोज़गारी के जश्न में सबको शरीक होना था।

बेरोज़गारी के दर्द को बयाँ करती ये पंक्तियाँ बोल रही हों जैसे कि अब तो घर की दीवारों को भी इंतजार है, अगली पीढ़ी के रोज़गार का। बेरोज़गारी आज भारत की ही नहीं वरन् विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं में से एक है। भारत में इस समय करोड़ों लोग बेरोज़गारी का सामना कर रहे हैं। कार्य अनुभव तथा आय के निश्चित क्षेत्र की अनुपस्थिति निर्धनता को जन्म देती हैं तथा इसके बाद निर्धनता व बेरोज़गारी का यह दुश्चव्र सदा चलता रहता है। बेहतर अवसरों की तलाश में युवा गाँव, प्रदेश अथवा देश से पलायन करते रहते हैं। ऐसे पलायन के फलस्वरूप उनका शोषण किये जाने का संकट बना रहता है। बेरोज़गारी की अधिकता से उनका शोषण किये जाने का संकट बना रहता है। बेरोज़गारी की अधिकता राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की प्रगति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है।
युवाओं में बेरोज़गारी का मूल कारण अशिक्षा तथा रोज़गारपरक कौशल की कमी है। बेरोज़गारी व निर्धनता के निवारण का सबसे सशक्त माध्यम शिक्षा ही है। शिक्षा व्यापक अर्थों में लगभग हर सामाजिक-आर्थिक समस्या का समाधान बन सकती है, परंतु बेरोज़गारी निवारण में इसकी भूमिका अतुलनीय है। यदि भारत में शिक्षा तंत्र को जड़ से लेकर उच्चतम स्तर तक सशक्त बना दिया जाए तो बेरोज़गारी की समस्या का हल ढूँढना बेहद आसान हो जाएगा। यह ध्यान देने योग्य है कि प्राथमिक स्तर पर अवधारणा विकास तथा उच्च स्तरों पर रोज़गारपक कौशल विकास आधारित शिक्षा तंत्र को विकसित किया जाए।
प्राचीन समय में शिक्षा बिना किसी औपचारिक शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से दी जाती थी किंतु कालांतर में ‘शिक्षा’ संस्थाओं के माध्यम से दी जाने लगी। पहले मनुष्य प्रकृति, परिवेश एवं अपने अनुभवों तथा जीवन के संघर्षों के माध्यम से सीखता था। जब शिक्षा का संस्थानीकरण हुआ तो भेदभाव की भी शुरुआत हुई। हालाँकि शिक्षा सभी को समान रूप से प्रदान की जाती है लेकिन उसे ग्रहण करना व्यक्ति विशेष की मानसिक क्षमता पर निर्भर करने लगा। इससे सबकी योग्यताओं में भिन्नता आने लगी एवं ऐसे लोगों की संख्या में वृद्धि होने लगी। आगे चलकर जब उन्हें अपनी योग्यता अनुरूप कार्य नहीं मिला तो वे बेरोज़गार की श्रेणी में शामिल होते गए । हालाँकि शिक्षित या गैर-शिक्षित मनुष्य का बेरोज़गार होना ‘उत्पादन प्रणाली’ से जुड़ा हुआ मुद्दा माना जाता है। वर्तमान समय में शिक्षा सभी के लिये सुलभ नहीं है परंतु शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत भी रोज़गार प्राप्त नहीं हो रहा। इसलिये शिक्षा प्राप्त करने भर से रोज़गार मिलना ज़रूरी नहीं है। बेरोज़गारी एक सापेक्षिक अवधारणा है एवं शिक्षा द्वारा समझ विकसित की जाती है जिससे चेतना का आविर्भाव होता है। अतएव बेरोज़गारी एवं शिक्षा को दो भिन्न प्रकार से देखने की आवश्यकता है। बेरोज़गारी की समस्या का वास्तविक हल रोज़गार सृजन में ही निहित है।
यहाँ पर गांधी जी की प्रासंगकिता बढ़ जाती है  जिन्होंने ‘चरखा’ को आधुनिक मशीनी सभ्यता के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत किया था। वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सर्वाधिक तीव्र गति से विकास करती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। देश की तीव्र आर्थिक विकास दर को बनाए रखने के लिये हमें बड़े पैमाने पर कुशल मानव श्रम की आवश्यकता है। वर्तमान कोविड महामारी के दौरान बेरोज़गारी की संख्या में भी वृद्धि हुई है एवं लोगों के समक्ष जीविका का प्रश्न उपस्थित हो गया है। साथ ही इस विपदा के समय कुशल श्रम की आवश्यकता में भी वृद्धि हुई है। लेकिन यह विडंबना ही है कि भारत जैसे युवा देश में कुशल मानव कार्यबल की अत्यधिक कमी है। यह भी देखा गया है कि भारतीय युवा विनिर्माण उद्योगों में कार्य हेतु आवश्यक योग्यता नहीं रखते। ऐसे में यह आवश्यक है कि युवाओं को कौशल प्रशिक्षण एवं रोज़गारपरक शिक्षा दी जाए। इस समस्या के समाधान हेतु ही भारत सरकार द्वारा ‘‘स्किल इंडिया’’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसका उद्देश्य युवाओं को रोज़गारपरक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है।
भारत सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ के तहत युवाओं में कौशल निर्माण के उद्देश्य से जगह-जगह कौशल विकास केंद्रों की स्थापना की गई है। इन केंद्रों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षणों द्वारा युवाओं के कौशल का विकास किया जाता है। स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाएँ भी इस संदर्भ में उल्लेखनीय है। इन योजनाओं के तहत भारत में प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों को विभिन्न प्रकार के अनुदान तथा कर लाभ प्रदान किये जाते हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार का लक्ष्य देश को विनिर्माण गतिविधियों का हब बनाना है, जिसके लिये लाखों की संख्या में कौशल प्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता है। यदि इन योजनाओं को सुचारु रूप से संचालित किया जाए तो न केवल उच्च आर्थिक संवृद्धि दर प्राप्त की जा सकती है बल्कि काफी हद तक बेरोज़गारी की समस्या का भी समाधान किया जा सकता है।
शिक्षा बेरोज़गारी दूर करने का लगभग अकेला माध्यम है, परंतु यह भी सुनिश्चित व विनियमित किया जाना आवश्यक है कि कितने लोगों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान की जा रही है तथा शिक्षा प्राप्ति के बाद उनकी रोज़गार तक पहुँच सुनिश्चित हो पाती है या नहीं। शिक्षित बेरोज़गारी की समस्या उत्पन्न होने पर यह स्थिति राष्ट्र व अर्थव्यवस्था के लिये अच्छी नहीं मानी जाती। भारत वर्ममान में शिक्षित बेरोज़गारी की समस्या से ग्रस्त है। ऐसे में आगे बढ़ने के लिये अशिक्षितों को शिक्षा तथा शिक्षितों को उनकी क्षमता के अनुरूप रोज़गार दिलाने हेतु पर्याप्त प्रयास किये जाने चाहिये।
वर्तमान भूमंडलीकरण के दौर में शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप कैसा हो तथा आधारभूत संरचनात्मक संसाधनों की प्रकृति कैसी हो? यह एक विवाद का विषय है। देखा जाता है कि सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कक्षा पाँच के छात्रों के पास न्यूनतम सामान्य ज्ञान भी नहीं होता। इस तरह से प्राथमिक स्तर पर ही असमान शिक्षा प्रणाली दो भिन्न मानसिक स्तर एवं योग्यता वाले छात्रों को जन्म देती है, जिन्हें रोज़गार प्राप्त करने हेतु भविष्य में एक ही प्रतियोगी परीक्षा में प्रतिस्पर्द्धी बनना पड़ता है। सरकारी हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम व उनमें पढ़ाने वाले अध्यापकों की योग्यता भी वर्तमान समय की मांग अनुरूप नहीं है। वहीं दूसरी तरफ सीबीएसई व आईएससी जैसे केंद्रीय बोर्डों से निकलने वाले छात्र अपेक्षित रूप से राज्य बोर्ड के छात्रों से कुशल व भिन्न सोच वाले होते हैं। इस तरह माध्यमिक स्तर पर भी असमान प्रतिभा व योग्यता वाले छात्रों का एक वर्ग तैयार हो जाता है।
ऐसे में आवश्यक है कि प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक एक समान शिक्षा प्रणाली लागू की जाए। स्कूलों के विभिन्न स्तरों को समाप्त कर एक समान स्कूल प्रणाली अगर लागू कर दी जाए तो गरीब व अमीर परिवार दोनों के बच्चों की मानसिक योग्यता एक प्रकार की होगी। शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले अध्यापकों के लिये निरंतर मूल्यांकन प्रक्रिया का होना बहुत आवश्यक है। इसके अलावा शिक्षा संस्थानों को अत्याधुनिक संसाधनों जैसे- कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, वाई-फाई अरि सुविधाओं से भी सुसज्जित होना चाहिये।
हम पाते हैं कि शिक्षा समाज में आमूलचूल परिवर्तन लाने में सक्षम एक अस्त्र है, परंतु उसे कारगर बनाने हेतु उसका कुशल संचालन तथा लक्ष्य तय करना आवश्यक है। शिक्षा को रोज़गार से जोड़कर बेरोज़गारी एवं अन्य कई सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।

The document बेरोज़गारी निवारण में शिक्षा की भूमिका | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) is a part of the UPPSC (UP) Course Course for UPPSC Preparation.
All you need of UPPSC (UP) at this link: UPPSC (UP)
111 videos|370 docs|114 tests

Top Courses for UPPSC (UP)

111 videos|370 docs|114 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPPSC (UP) exam

Top Courses for UPPSC (UP)

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

practice quizzes

,

Free

,

Previous Year Questions with Solutions

,

past year papers

,

shortcuts and tricks

,

बेरोज़गारी निवारण में शिक्षा की भूमिका | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

बेरोज़गारी निवारण में शिक्षा की भूमिका | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

Semester Notes

,

mock tests for examination

,

बेरोज़गारी निवारण में शिक्षा की भूमिका | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

video lectures

,

Summary

,

Objective type Questions

,

Exam

,

MCQs

,

Extra Questions

,

pdf

,

study material

,

ppt

,

Viva Questions

,

Sample Paper

,

Important questions

;