कार्यकुशल व्यक्ति एक प्रकार का योगी ही होता है। योग के आठ अंगों में से यम, नियम, आसन, ध्यान ये चार प्रत्येक व्यक्ति को सामान्य जीवन में लाभ पहुँचाते हैं। इनके अंगों के साधन से व्यक्ति तन और मन दोनों को सशक्त और परम उपयोगी बना सकता है।
इन सभी को प्राप्त करने और अपेक्षाओं पर खरे उतरने के लिए, व्यक्ति को उत्साही, ऊर्जावान, आत्मविश्वास से परिपूर्ण और धैर्यशाली होना चाहिए। उपर्युक्त योग के चारों अंग इन विशेषताओं को प्राप्त करने में पूर्ण सहायक होते हैं। अतः युवाओं द्वारा योग को अपनाना उन्हें हर क्षेत्र में कुशलता और सफलता प्रदान कर सकता है।
उनके द्वारा आयोजित योग:
शिविरों, क्रियात्मक प्रदर्शनों और प्रत्यक्ष लाभों ने आज योग को सर्वसाधारण के लिए सुगम बना दिया गया है। इससे युवाओं की एक अच्छी संख्या योग से जुड़ी है, फिर भी आज के युवाओं के प्रिय विषय कुछ और ही बने हुए हैं। युवाओं की दिनचर्या, खान-पान, वेश-भूषा और व्यवहार योग के अनुकूल नहीं है। इस प्रवृत्ति के कारण युवावर्ग कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण लाभों से वंचित हो रहा है।
योग कोई व्यायाम की विशेष पद्धति मात्र नहीं है, बल्कि जीवन में, सफलता के शिखरों तक ले जाने वाली सरल सीढ़ी है। युवाओं को यदि अपने सपने साकार करने हैं, तो योग को अपनाने से बढ़कर और कोई उनका सच्चा सहायक नहीं हो सकता।
अतः युवाओं को नियमित योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित कर लेना चाहिए। इससे व्यायाम और जीवन के नए-नए आयाम दोनों का लाभ प्राप्त होगा। कह नहीं सकता कि मेरे साथी युवा. मेरे इस अनुभूत प्रयोग अर्थात योग को अपनाएँगे या नहीं।
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