लिंग का शाब्दिक अर्थ है – ‘चिह्न अथवा पहचान’
शब्द का वह रूप जो पुरुष – जाति या स्त्री – जाति का बोध कराता है, उसे लिंग कहते हैं|
जैसे:
1. पुल्लिंग: जिस शब्द से पुरुष – जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते है|
जैसे: घोड़ा, बालक, आदमी
2. स्त्रीलिंग: जिस शब्द से स्त्री – जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं|
जैसे: गाय, बालिका, शेरनी
जिन शब्दों के अंत में आ, आव, पा, न आदि आते वे शब्द अधिकतर पुल्लिंग होते हैं|
जैसे:
आ → लोट + आ = लोटा
लोह + आ = लोहा
आव → चढ़ + आव = चढ़ाव
बह + आव = बहाव
पा → मोटा + पा = मोटापा
बुढ़ा + पा = बुढ़ापा
सदा पुल्लिंग रहने वाले शब्द
जिन शब्दों के अंत में ई, आवट, इया, ता, आई, आहट आदि प्रत्यय लगे हो तो स्त्रीलिंग होते हैं|
ई → बोल + ई = बोली
रोल + ई = रोली
ता → मित्र + ता = मित्रता
शत्रु + ता = शत्रुता
आवट → थक् + आवट = थकावट
बन + आवट = बनावट
आई → पढ़ + आई = पढ़ाई
चढ़ + आई = चढ़ाई
सदा स्त्रीलिंग रहने वाले शब्द
‘ई’ प्रत्यय लगाकर
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग
बेटा + ई = बेटी
पुत्र + ई = पुत्री
घोड़ा + ई = घोड़ी
आकारांत पुल्लिंग शब्दों के अंत में ‘इया’ प्रत्यय लगाकर
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग
डिब्बा + ‘इया’ = डिबिया
बूढ़ा + ‘इया’ = बुढ़िया
चूहा + ‘इया’ = चुहिया
व्यवसाय सूचक पुल्लिंग शब्दों के अंत में ‘इन’ प्रत्यय लगाकर
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग
माली + ‘इन’ = मालिन
पुजारी + ‘इन’ = पुजारिन
कुछ शब्द सदा पुल्लिंग / स्त्रीलिंग होते हैं:
शरीर के अंगों के नाम
पुल्लिंग: हाथ, पाँव, नाखून आदि|
स्त्रीलिंग: आँख, नाक, जीभ, ठोड़ी, उँगलियाँ आदि|
अन्न के नाम
पुल्लिंग: गेहूँ, चावल, चना, मटर, बाजरा आदि|
स्त्रीलिंग: मकई, जुआर आदि|
पेड़ के नाम
पुल्लिंग: आम, नीम, अशोक, पीपल, बरगद आदि|
स्त्रीलिंग: लीची, नाशपाती, नारंगी, सूरजमुखी आदि|
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