जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता का बोध हो, उसे विशेषण कहते हैंI
जैसे:
जो विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण दोष, रंग-रूप आदि के बारे में बताते हैं, वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैंI
जैसे:
इन वाक्यों में ‘लाल’ व ‘सुंदर’ शब्द फूल का गुण बता रहे हैं, तो ‘आलसी’ शब्द आयुष का दोष बता रहा है। अतः वे शब्द गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएँगे।
कुछ प्रमुख गुणवाचक विशेषण शब्द हैं –
गुण-दोष – भला, बुरा, अच्छा, झूठा, उदार, सुंदर।
रंग – लाल, काला, पीला, चमकीला।।
दशा, अवस्था – अमीर, गरीब, पतला, भारी, हलका
आकार – बड़ा, छोटा, चौड़ा, तिकोना, मोटा
जो विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या की जानकारी दे, वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे:
इस कतार में पाँच छात्र खड़े हैं। मेज़ पर चार केले रखे हैं।
इन वाक्यों में पाँच तथा चार क्रमशः छात्र तथा केले की संख्या के बारे में बता रहे हैं, अतः ये संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण: जो विशेषण शब्द निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, वे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे:
इन दोनों वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध हो रहा है; जैसे
कक्षा में कितने छात्र हैं? चालीस।
डाल पर कितनी चिड़ियाँ बैठी हैं? दो।
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण: वे संज्ञा शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध न कराते हों, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे: कुछ बच्चे, कम छात्र, कई घोड़े इत्यादि।
जो विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की परिमाण अर्थात माप-तोल संबंधी जानकारी दें, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे: चार किलो चीनी। दो लीटर दूध। पाँच मीटर कपड़ा।
परिमाणवाचक विशेषण को दो भागों में बाँटा गया है
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण: जो विशेषण शब्द निश्चित माप-तोल बताते हैं, वे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे- दो मीटर कपड़ा। एक लीटर दूध।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण: जो विशेषण शब्द निश्चित माप-तोल नहीं बताते वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे: थोड़ी चीनी, कुछ खिलौने आदि।
जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे: वह लड़की अच्छी है। वह पुस्तक मेरी है।
यहाँ, ‘यह’ ‘वह’ सार्वनामिक विशेषण है।
किसी व्यक्ति, वस्तु के गुण-दोष की तुलना अन्य व्यक्ति, वस्तु के साथ करने की अवस्था को विशेषण की तुलना कहते हैं। तुलना की दृष्टि से विशेषण की तीन अवस्थाएँ होती हैं।
(क) मूलावस्था: किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण दोष में जब विशेषणों का प्रयोग किया जाता है, तब वह विशेषण की मूलावस्था कहलाती है।
जैसे: वह एक अच्छा व्यक्ति है। बलवान आदमी। बुद्धिमान छात्र, ऊँचा भवन आदि।
(ख) उत्तरावस्था अथवा तुलनावस्था: इसमें दो व्यक्ति, वस्तु अथवा प्राणियों के गुण-दोष बताते हुए उनकी आपस में तुलना की जाती है।
जैसे:
(ग) उत्तमावस्था: इसमें दो से अधिक व्यक्तियों वस्तुओं की तुलना करके एक को सबसे अच्छा या बुरा बताया जाता है।
जैसे: राम सबसे अच्छा लड़का है।
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1. विशेषण क्या होता है? |
2. विशेषण कितने प्रकार के होते हैं? |
3. विशेषण कैसे पहचानें? |
4. विशेषण क्या काम करता है? |
5. विशेषण के उदाहरण क्या हैं? |
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