Table of contents |
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वंशीय परिवर्तन |
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अर्नोराज का विस्तार (1139 ईस्वी) |
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भादानक और हरियाणा संबंध |
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भादानकों और चौहान के बीच संघर्ष |
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हरियाणा में तोमर वंश के पतन के दौरान, शकाम्भरी चौहान राजस्थान से हरियाणा और दिल्ली में प्रवासित हुए। इतिहासकार अक्सर उन्हें अग्निकुल राजपूत के रूप में पहचानते हैं।
अजमेर के चौहान शासक अर्नोराज ने लगभग 1139 ईस्वी में हरियाणा की ओर कदम बढ़ाया।
भादानकों की उत्पत्ति: भादानक, जो प्राचीन हरियाणा के लोगों (भद्रास) से जुड़े हैं, गुड़गांव, महेंद्रगढ़ और राजस्थान के अलवर पर स्थित थे।
चौहान-भादानक संबंध: अर्नोराज ने तोमर की हार के बाद भादानक पर आक्रमण किया, लेकिन एक शिलालेख से पता चलता है कि भादानक ने बिना संघर्ष के अर्नोराज की सत्ता को स्वीकार किया।
अर्नोराज के बाद की अराजकता: अर्नोराज की मृत्यु के बाद अराजकता उत्पन्न हुई, और भादानक उसके अधीन फ्यूडल लॉर्ड बन गए।
चौहान का प्रतिक्रमण (1151 ईस्वी): विग्रहराज-IV ने 1151 ईस्वी में भादानकों पर आक्रमण किया, जिससे उन्हें चौहान अधीनता को स्वीकार करना पड़ा।
भादानक का पुनरुत्थान: अमर गंगाय, पृथ्वीराज-II, और सोमेश्वर ने भादानक के पुनरुत्थान का नेतृत्व किया, और शक्ति और स्वतंत्रता प्राप्त की।