जिन शब्दों से किसी काम का करना या होना पाया जाए, उन्हें क्रिया कहते हैं। जैसे:
ऊपर के वाक्यों में ‘लिख रही हैं’, ‘खेल रहा है’, ‘पढ़ा रही हैं’ और ‘हँस रहे हैं’ शब्द किसी काम के करने या होने का बोध हो रहा हैं। ये सभी शब्द क्रियाएँ हैं।
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। जैसे: पढ़, लिख, हँस, आ, जा, खेल आदि। सामान्य रूप: धातु के आगे ‘ना’ लगाने से धातु का सामान्य रूप प्राप्त होता है। जैसे:
क्रिया के दो भेद होते हैं:
(i). सकर्मक क्रिया
(ii). अकर्मक क्रिया
1. सकर्मक क्रिया
जिस क्रिया में कर्ता के काम करने का फल कर्म पर पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे:
रमेश पुस्तक पढ़ता है।
मैं विद्यालय जाता हूँ।
पंकज पानी पीता है।
ऊपर लिखे वाक्यों में पढ़ता है’, ‘जाता है’, ‘पीता है’ क्रियाएँ सकर्मक हैं। यहाँ ‘पढ़ना’ क्रिया का फल पुस्तक पर, ‘जाता’ क्रिया का फल विद्यालय पर और ‘पीता’ क्रिया का फल पानी पर पड़ रहा है। जिन वाक्यों में कर्म न होते हुए भी ‘क्या’ प्रश्न करने पर उत्तर मिलता है तो वह सकर्मक क्रिया होती है। जैसे- रमेश पढ़ता है। क्या पढ़ता? उत्तर- पुस्तक।
2. अकर्मक क्रिया
जिस क्रिया में कर्ता के काम करने का फल कर्म पर न पड़कर कर्ता पर पड़े उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे:
योगेश हँसता है।
घोड़ा दौड़ता है।
सुप्रिया चलती है।
ऊपर लिखे वाक्यों में ‘हँसता है’, ‘दौड़ता है’, ‘चलती है’ क्रियाएँ अकर्मक हैं। ये बिना कर्म के हैं। यहाँ क्रिया का फल कर्ता पर पड़ रहा है ना कि कर्म पर। इन वाक्यों में ‘क्या’ प्रश्न करने पर उत्तर नहीं मिलता।
जैसे:
विकास हँसता है।
क्या हँसता है? उत्तर- नहीं है।
25 videos|17 docs|19 tests
|
|
Explore Courses for Class 1 exam
|