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भारतीय इतिहास किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए सामान्य ज्ञान का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। अतः इस विषय का अध्ययन अनिवार्य हो जाता है। सबसे पहले हम पिछले 37 पूछे गए प्रश्नों और विभिन्न वर्षों के पैटर्न का अध्ययन करेंगे और फिर तार्किक परीक्षण के बाद आगे की रणनीति तैयार करेंगे।

प्राचीन

सिन्धु घाटी की सभ्यता

सिंधु या हड़प्पा संस्कृति की उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में हुई थी। इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है क्योंकि यह पहली बार 1921 में पाकिस्तान में पश्चिम पंजाब प्रांत में स्थित हड़प्पा के आधुनिक स्थल पर खोजी गई थी।


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इस अध्याय को निम्नलिखित शीर्षकों में विभाजित किया जा सकता है:
(i) उत्पत्ति,
(ii) विस्तार,
(iii) प्रमुख नगर और उनकी विशेषताएं
(iv) आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक तथा कला व स्थापत्य के क्षेत्र में  विकास
(v) पतन और अंत
(iv) उत्तरजीविता व निर्भरता।

सामान्यतः

  • इन्हीं शीर्षकों से प्रश्न पूछे जाते है। अब हम पिछले 32 वर्षों के दौरान सिविल सर्विसेज प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण करेंगे 1985 से पूर्व प्रश्नों का पैटर्न बहुत सरल था। लेकिन क्रमशः इसमें परिवर्तन आया। आगे चलकर सुमेलित करने वाले प्रश्न, कथन - कारण पर आधारित प्रश्न आदि पुछे जाने लगे ऐसे प्रश्नों की भी बहुतायत होने लगी जिसमें चार विकल्पों में से दो या तीन या चारों सही विकल्पों का चयन करना पडे़। 1985 और 1986 में चावल की भूसी, घोड़े का कंकाल आदि विशिष्ट वस्तुओं की प्राप्ति से सम्बंधित प्रश्न पूछे गए। 1987 में हड़प्पा की लिपि तथा नक्शे पर हड़प्पा सभ्यता के केन्द्रों की पहचान करनी थी।
  • साथ ही मिट्टी के बर्तनों के रंग से जुड़ा सवाल भी पूछा। 1988 में सिन्धु सभ्यता की मुहरों किस चीज से बना है तथा सूती कपड़े और हल के निशान कहां पाया गया है? से संबंधित प्रश्न थे। 1989 और 1990 में सभ्यता के पतन के कारण, बाट व माप-तौल तथा भिन्न-भिन्न स्थानों पर पाई गई भिन्न-भिन्न वस्तुओं से संबंधित प्रश्न थे। 1991 - 1995 तक पूछे गए प्रश्नों का पैटर्न कमावे एक समान है। 
  • इन वर्षों में प्रश्न मुख्य रूप से व्यापार और वाणिज्य, पतन के कारण, कला, मुहरों पर पाए जाने वाले पशु, गेहूँ, जौ और चावल की खेती, विदेशों में पाई जाने वाली सिंधु सभ्यता की मुहरें, विभिन्न वस्तुओं के आयात-निर्यात आदि पर आधारित थे। वर्ष 1996 थे - हड़प्पा संस्कृति की सबसे पश्चिमी बस्ती कौन थी? हड़प्पाकालीन ह्रदय का सबसे सामान्य प्रकार क्या है? पकी हुई मिट्टी से बने हल का मॉडल कहाँ मिला है? वर्ष 1997 में पूछे गए प्रश्न थे - हड़प्पा नगर की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है? हड़प्पावासी किस धातु का प्रयोग नहीं करते थे? 1998 से 2010 तक प्रश्नों के पैटर्न में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। उपरोक्त 6 भागों से ही प्रश्न पूछे गए थे। वर्ष 2011 से विश्लेषणात्मक प्रश्न वस्तुनिष्ठ रूप से पूछे जाने लगे।
  • वर्ष 2011 में भी यही सवाल पूछा गया था - इनमें से कौन सा सही है? यह मुख्य रूप से एक धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी, हालाँकि इसमें धार्मिक तत्व भी थे लेकिन वे ज्यादा हावी नहीं थे और इस अवधि में सूती कपड़ों के लिए कपास का इस्तेमाल किया जाता था। वर्ष 2012 वर्ष 2012 में कोई प्रश्न नहीं था। वर्ष 2013 में एक प्रश्न था- सिंधु घाटी के लोगों की विशेषता क्या थी? उनके पास बड़े महल और मंदिर थे, वे नर और मादा दोनों छवियों की पूजा करते थे। और वे युद्ध में घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथों का प्रयोग करते थे। इस अध्याय से वर्ष 2014-16 तक कोई प्रश्न नहीं पूछा गया था। वर्ष 2017 में पूछे गए प्रश्न सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक काल के तुलनात्मक अध्ययन के थे। जहाँ तक प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास का संबंध है, आपको सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास के साथ-साथ कला, दर्शन, कलाकृति और साहित्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। तुलनात्मक अध्ययन आवश्यक है।
  • इस अध्याय के अंतर्गत हम तथ्यपरक जानकारियां, वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का संकलन तथा खास-खास सूचनाओं को बाॅक्स के अंदर प्रस्तुत कर रहे है जिसमें उन शीर्षकों पर विशेष बल दिया गया है जिनकी चर्चा ऊपर की गई है।

वैदिक काल

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वैदिक सभ्यता

  • सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में सामान्यतः इस अध्याय से एक या दो प्रश्न पूछे जाते हैं। 1989 तक इस अध्याय से पूछे जाने वाले प्रश्न सरल और सीधे थे, जैसे - विष्टि क्या था, बाली क्या था, गोत्र का अर्थ क्या था? जम्हाई क्या थी? उस समय तक ज्यादातर प्रश्न आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था पर आधारित होते थे। लेकिन 1990 और उसके बाद से प्रश्नों के पैटर्न में बदलाव आया है। प्रश्न ऋग्वैदिक आर्यों की भौगोलिक पृष्ठभूमि, जनजातीय युद्ध, धर्म, साहित्यिक कृतियाँ आदि क्षेत्रों से पूछे गए थे। उदाहरण के लिए, 1990 में यह प्रश्न पूछा गया था कि आर्य समुद्र के बारे में क्या जानते थे? इस काल के साहित्य में किस नदी का सर्वाधिक उल्लेख मिलता है? एक और सवाल था कि 'क्या' होता।
  • कमोबेश यही पैटर्न 1995 तक अपनाया गया। वर्ष 1996 में पूछे गए प्रश्न थे- ऋग्वैदिक देवता इंद्र के बारे में क्या सही है?, दशराज्ञ युद्ध के विजेता सुदास का संबंध किससे था? वेदांग में कौन शामिल हैं? मुख्य रूप कौन सा था?, सर्वप्रथम चार वर्णों का उल्लेख कहाँ मिलता है?, नचिकेता और यम के बीच हुए किस संवाद में उल्लेख है?, बायें से दायें किस भाषा में लिखा गया था?, 1998 से 2010 तक कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं हुआ प्रश्नों के पैटर्न में देखा गया। 2011 से वर्णनात्मक और तार्किक प्रश्नों को वस्तुनिष्ठ बनाया गया था। अब सिर्फ रटने से काम नहीं चलेगा। वर्ष 2011 में इस काल के धर्म और कर्मकांडों का वर्णन किया गया और पूछा गया कि वैदिक आर्यों का धर्म किस पर आधारित था? वर्ष 2013 में इस भाग से कोई प्रश्न नहीं पूछा गया।
  • वर्ष 2014 में पूछा गया था कि 'सत्यमेव जयते' कहां से लिया गया है? वर्ष 2015 और 2016 में इस अध्याय से कोई प्रश्न नहीं पूछा गया था। वर्ष 2017 में वैदिक काल और सिंधु घाटी सभ्यता के तुलनात्मक विश्लेषण पर एक प्रश्न पूछा गया था। सवालों के पैटर्न को देखते हुए हमने तथ्यों की तह तक जाने की कोशिश की है। चूंकि इस अध्याय से वैचारिक प्रश्नों की संभावना बहुत कम है, इसलिए यह आवश्यक है कि आप सभी तथ्यों को याद कर लें। इस अध्याय में हमारा मुख्य जोर आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक, धार्मिक और साहित्यिक क्षेत्रों पर होगा।

संगम युग

यह युग दक्षिणी भारत में पहली शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी (1st century B.C. to the end of 2nd century A.D.) के बीच की अवधि में था।

चेरा, चोल, पाण्ड्यचेरा, चोल, पाण्ड्य

  • कभी-कभी इस अध्याय से प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्नों के पैटर्न में बदलाव 1989 से देखा जा सकता है। इससे पूर्व मुख्यतः साहित्य और अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रश्न ही पूछे जाते थे। साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न रचनाकारों की कृतियों और विशिष्ट कृतियों की विषय वस्तु पर आधारित प्रश्न होते थे। अर्थव्यवस्था के प्रश्न में व्यापार और वाणिज्य का बोलबाला था, खासकर धातु और कपड़ों का व्यापार। कभी-कभी राजाओं, नगरों, बंदरगाहों से संबंधित प्रश्न भी पूछे जाते थे, जैसे - शेनगुवन किस वंश का राजा था, पूर्वी तट का मुख्य बंदरगाह कौन-सा था, आदि। उन दिनों इस अध्याय की तैयारी हेतु गजेटियर आफ़ इंडिया नामक पुस्तक पर्याप्त हुआ करती थी।
  • 1989 से जो परिवर्तन हुआ है, लगता है उसका मुख्य उद्देश्य प्रश्न पत्र को ज्यादा कठिन बनाना है ताकि परीक्षार्थियों की छंटनी ज्यादा आसानी से हो सके। अब पूछे जाने वाले प्रश्न राजनीतिक स्थिति, अर्थव्यवस्था, भूगोल, धर्म और यहां तक कि प्रमुख साहित्यिक कृतियों ; जैसे मणिमेकलाई के पात्रों से भी संबंधित होते है। संगम युग में प्रयुक्त तमिल शब्दों के अर्थ भी पूछे जाते है। वर्ष 1996 में पूछे गए प्रश्न थे- संगम साहित्य में उल्लिखित शब्द नडुकल क्या है?, वर्ष 1997 में पूछे गए प्रश्न थे -संगम काल में तमिल में महाभारत किसने लिखी?, उस काल में प्रयोग किए गए विभिन्न तमिल शब्दों को रटना होगा। 
  • उदाहरण के लिए सन् 2016 में यह पूछा गया कि इरीपत्ती, तेनियु एवं घटिका क्या थे? वैसे 2011 से इस अध्याय पर कम जोर दिया जा रहा है ऐसा प्रतीत होता है। अतः इस अध्याय के लिए सभी उपलब्ध सामग्रियों का अध्ययन आवश्यक है। हिन्दी भाषी परीक्षार्थियों को तो इस अध्याय के लिए अधिकांश तथ्यों को बार-बार रटना होगा। यहां प्रस्तुत अध्ययन सामग्री आपके इस प्रयास में सहायक सिद्ध होगा।

बौद्ध एवं जैन धर्म

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  • सिन्धु घाटी की सभ्यता और वैदिक सभ्यता की भांति यह अध्याय भी सिविल सर्विसेज प्रारम्भिक परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस अध्याय से सामान्यतः दो या तीन प्रश्न पूछे जाते रहे है। इस अध्याय के प्रश्नों के पैटर्न में भी क्रमिक परिवर्तन स्पष्ट दिखाई पड़ता है। 1986 में पूछे गए कुछेक बेतुका प्रश्नों को छोड़कर 1985 से 1989 तक के प्रश्नों का पैटर्न करीब-करीब एक जैसा है। 1990 से पहले पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न है - जैन धर्म के त्रिरत्न क्या हैं? बौद्ध मठ-विषयक नियमावली किसमें संग्रहीत है?, धर्मचक्र प्रवर्तन किसका सूचक है?, निर्गंथ किससे संबंधित थे?, जैन धर्मग्रंथों का संकलन कहां हुआ?, अब तो इस तरह के सरल प्रश्न अब कम ही पूछे जाते है। 
  • अब पूछे जाने वाले प्रश्न सामान्यतः तत्कालीन अर्थव्यवस्था, साहित्य, कला व स्थापत्य और दर्शन पर आधारित होते है। कुछ उदाहरण इस प्रकार है - स्यादवाद किसका दर्शन है?, बुद्ध, पाश्र्व, महावीर और भद्रबाहु को कालक्रमानुसार सजाएँ?, सुत्त पिटक, विनय पिटक और अभिधम्म पिटक में क्या है?, साथ ही, किसी खास दर्शन से संबंधित उदाहरण देकर यह पूछा जाता है कि वह किस दर्शन से उद्धत है। 1996 में पूछे गए प्रश्न थे - महासंघिकों के अनुसार जीव किससे निर्मित है?, परम्परानुसार थेरवाद सम्प्रदाय के प्रवर्तक महाकच्चायन कहां के थे?, 1997 में पूछे गए प्रश्न थे- बौद्ध शब्दावली में ‘धर्मचक्रप्रवर्तन’ से क्या निर्देशित होता है?, किस विचार का प्रचलन महावीर ने किया?, महायान बुद्ध के अनुसार बौधिसत्व अवलोकितेश्वर को किस रूप में जाना जाता था?
  • वर्ष 2011 में इस अध्याय से एक प्रश्न पूछा गया- वह प्रश्न जैन दर्शन पर आधारित था। वर्ष2012 में इस अध्याय से दो प्रश्न थे- बुद्ध के भमिप्रास मुद्रा और बुद्ध एवं जैन दर्शन में क्या समानताऐं हैं के बारे में। वर्ष 2013 में बुद्ध के अनुसार निर्वाण क्या है, चैत्य और बिहार में क्या अंतर है एवं जैन के सिद्धन्त पर प्रश्न पुछे गए। वर्ष 2014 में पूछे गए प्रश्न थे-बुद्ध के महापरिनिर्वाण के ऊपर चित्रकला, बुद्ध के इतिहास, परम्परा एवं संस्कृति जैसे- टेबो मोनेस्ट्री, लोहोटसाथा लखांग मंदिर एवं अलची मंदिर तथा बुद्ध से जुड़े राज्यों के बारे में पूछा गया। अंतिम प्रश्न 2015 में भी पूछा गया। वर्ष 2016 में बोधिसत्व पर प्रश्न पूछा गया। वर्ष 2017 में स्वतंत्रिक, समित्सय एवं सरवस्तीवादीन तथा बोधिसत्व पद्मपानी चित्राकला पर प्रश्न पूछे गए। ध्यान रहे यह अध्याय लोकसेवा परीक्षाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

संभवत

  • प्रश्नों के पैटर्न में इस तरह का परिवर्तन पंथनिरपेक्ष इतिहास की अवधारणा से प्रेरित है। अतः इतिहास का अध्ययन कालक्रमानुसार और तुलनात्मक ढंग से करें। अगर आप ऐसा करते है, तो हमारा विश्वास है कि साठ प्रतिशत प्रश्नों को आप बिना किसी परेशानी के हल कर सकते है। शेष तथ्यपरक प्रश्नों को हल करने के लिए तो तथ्यों को याद करना ही पड़ेगा। इस अध्याय की प्रस्तुति में उपर्युक्त बातों का ध्यान रखा गया है।

भागवत और ब्राह्मण धर्म

  • पहले सिविल सर्विसेज प्रारम्भिक परीक्षा के लिए यह अध्याय उतना महत्वपूर्ण नहीं था। कभी-कभी तो इस अध्याय से कोई प्रश्न रहता ही नहीं था। लेकिन 1989 के बाद से इस अध्याय का महत्व बढ़ रहा है। वर्ष 1996 में पूछे गए प्रश्न थे - प्रारंभिक भागवत धर्म के कौन से प्रमुख लक्षण हैं?, किस ऐतिहासिक स्थल से पंचवृष्णि वीरों का उल्लेख करने वाला एक प्राचीन अभिलेख मिला है?, वर्ष 1997 में पूछ्रे गए प्रश्न थे- मेगास्थनीज द्वारा डायोनीसस एवं हेरेक्लीज के रूप में वर्णित दो भारतीय देवताओं की क्रमशः पहचान किससे की गयी है?, बेसनगर स्तंभ अभिलेख में किसे भागवत कहा गया है ? अधिकांश प्रश्न शैव और वैष्णव धर्म पर आधारित होते है। 
  • विभिन्न देवताओं के नाम, भिन्न-भिन्न पंथ, अलग-अलग काल में उनकी महत्ता, साहित्यिक कृतियों में देवताओं व पंथों की चर्चा, ईश्वर के विभिन्न अवतार, पंथों के संस्थापक, धर्मग्रंथों के उपदेश और पंथों के दर्शन से संबंधित प्रश्न पूछे जाते है। उपर्युक्त विभाजन को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी करें।

मौर्य साम्राज्य

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मौर्य राजवंश

  • यह अध्याय सिविल सर्विसेज प्रारम्भिक परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। सामान्यतः इस अध्याय से प्रश्न पूछे जाते हैं पर विगत वर्षों में इस अध्याय से प्रश्न न के बराबर पूछे गये। पर आप इस अध्याय को छोड़ नहीं सकते। पिछले 37 वर्षों में पूछे गए प्रश्नों का आकलन करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि इस अध्याय से पूछे गए प्रश्नों का पैटर्न कमोवेश एक-जैसा है। हल्के-फुल्के परिवर्तनों, यथा - सुमेलित करने वाले प्रश्न, प्रमुख उद्धरण, तत्कालीन साहित्यों में परिलक्षित राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के अतिरिक्त पैटर्न में एकरूपता दृष्टिगोचर होती है। हम पाते हैं कि अधिकतर प्रश्न अशोक के व्यक्तित्व और उपलब्धियों के इर्द-गिर्द केन्द्रित है। द्वितीय महत्वपूर्ण भाग है मेगास्थनीज का इंडिका और कौटिल्य का अर्थशास्त्र, अन्य महत्व के क्षेत्र है - अशोक के अभिलेख व शिलालेख, बौद्ध व जैन धर्मग्रंथ, पुराण, वास्तुशिल्पीय स्मारक और राजवंशीय इतिहास।
  • इस अध्याय से पूछे गए कुछ प्रश्न थेः सेल्युकस ने मेगास्थनिस को किसके राज दरबार में भेजा था? अशोक का अपना नाम किस अभिलेख में मिलता है?, आदि। इन चंद पन्नों में सारे तथ्यों को तो समाहित करना संभव नहीं है, लेकिन यथासंभव हमने अति महत्वपूर्ण एवं विशिष्ट तथ्यों को समाहित करने का प्रयास किया है। हालांकि इसे संकलित करने में इस अध्याय के लिए आवश्यक सभी प्रमुख पुस्तकों का सहारा लिया गया है, पर फिर  भी ऐसा नहीं कहा जा सकता कि यह अपने आप में परिपूर्ण है। आशा है, आपने प्राचीन भारतीय इतिहास की प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन किया होगा। उसमें यहां दिए गए सूचनाओं का समावेश आपकी तैयारी को सफलता के स्तर पर लाएगा।

गुप्त-पूर्व एवं गुप्त काल में व्यापार और वाणिज्य

  • यह अध्याय बहुत छोटा है अगर निर्दिष्ट काल के सिर्फ व्यापार और वाणिज्य पर ध्यान केंद्रित करें। 1989 तक इस अध्याय से मात्रा एक-दो प्रश्न ही पूछे जाते थे। लेकिन 1990 से इस अध्याय के प्रश्नों की संख्या बढ़कर तीन-चार हो गई है। जब हम इस अध्याय का अध्ययन करते है, तो हिन्द-यवन, पार्थव, शक, कुषाण, सातवाहन, शुंग, कण्व, गुप्त आदि वंशों के सम्पूर्ण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक स्थितियों का अध्ययन करते है। अध्ययन की सुविधा और निरंतरता के लिए भी यह आवश्यक है। इसके लिए गुप्त-पूर्व एवं गुप्त काल के सभी पहलुओं का दो बार सामान्य पठन पर्याप्त है। 

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  • एक बार जब पूरे अध्याय का खांका तैयार हो जाए, तब पाठ्यक्रम में दिए गए प्रसंग पर ध्यान केन्द्रित करें। इस अध्याय से पूछे जाने वाले प्रश्न सिक्कों ;सोना, चांदी, सीसा आदिद्ध, वस्त्रा-निर्माण, सिल्क उद्योग, ऐशो-आराम के सामान, गिल्ड, रोमन-व्यापार, व्यापार मार्ग, आयात-निर्यात की वस्तुओं, भू-दान आदि पर आधारित होते है। अतः अपना ध्यान इन्हीं शीर्षकों पर केन्द्रित करें। विगत 5 वर्षों से इस काल के कला, कलाकृति, चित्राकला एवं व्यापार पर ज्यादा पूछे जा रहे हैं। सन् 2012 में नागर, दविड़ एवं बेसर कला के बारे में पूछा गया।

गुप्तोत्तर काल

गुप्तोत्तर काल का पतन

  • सिविल सर्विसेज प्रारम्भिक परीक्षा के लिए यह अध्याय बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही काल भारतीय इतिहास में सामन्तवाद के युग के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय से प्रश्न पूछे जा सकते है जिन्हें हल करना बहुत मुश्किल होता है। कारण यह है कि इस अध्याय की तैयारी हम अलग से नहीं करते है। हर्षवर्धन  युग के राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक इतिहास की चर्चा पाठ्यक्रम में नहीं है, पर अक्सर इस पर आधारित प्रश्न पूछे जाते है। अतः बुधिमानी इसी में है कि हम हर्षवर्धन  की उपलब्धियों का भी अध्ययन करें। भारत में सामन्तवाद का उद्भव भारतीय समाज के गर्भ से ही हुआ, हुआ, अतः इसकी उत्पत्ति भी कालान्तर में भारतीय जनता के क्रमिक विकास से जुड़ी हुई है। 
  • इसका राजनीतिक तत्व जहां भूमि पर आधारित तत्कालीन प्रशासनिक व्यवस्था में निहित है, वहीं आर्थिक संरचना समाज में व्याप्त कृषि दासता की प्रथा में। भारत में सामन्तवाद का अभिप्राय दस्तकारों व शिल्पियों का देहातीकरण और परम्परागत भारतीय ग्रामीण समुदाय का आविर्भाव है। 

अतः तैयारी के दौरान हमें अपना ध्यान निम्नलिखित बातों पर केन्द्रित करना चाहिए:

  • भूमि अनुदान, जैसे:
    (i) युवराज और शाही परिवार के सदस्यों को,
    (ii) सैनिक और असैनिक अधिकारियों को उनके सेवा के पुरस्कारस्वरूप,
    (iii) पुजारियों तथा मंदिरों को,
    (iv) जागीरदारों को सेना आपूर्ति की शर्त पर,
    (v) साम्राज्य के मातहत राज्यों को, आदि
  • कृषकों का स्थानांतरण
  • बेगार का विस्तार
  • मुद्राओं की अल्पता
  • राजकोषीय व अपराधिक प्रबन्ध का परित्याग और सामन्तों के दायित्वों में वृद्धि और अंततः
  • कृषि उत्पाद और करारोपण।
इस अध्याय के प्रस्तुतीकरण में उपर्युक्त बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन

  • समाज को जिस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और जैसी जरूरतों को पूरा करना होता है, उसी के अनुरूप इसमें परिवर्तन होता रहता है। प्राचीन भारतीय सामाजिक संरचना में हुए ढेर सारे परिवर्तन भी इन्हीं परिस्थितियों के परिणाम थे। ये परिवर्तन मुख्यतः जाति प्रथा, विवाह और नारियों की स्थिति से संबंधित थे। प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में हुए परिवर्तनों की निश्चित रूपरेखा और इससे संबंधित युगांतकारी घटनाओं को रेखांकित करना आसान नहीं है क्योंकि सामाजिक परिवर्तन राजनीतिक परिवर्तनों की तरह कालक्रमानुसार सम्बंद्ध  नहीं थे। 
  • तथापि प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना में हुए परिवर्तनों की कुछ सुस्पष्ट अवस्थाएँ इस प्रकार है - ऋग्वेदिक से उत्तर-वैदिक और धर्मसूत्र काल से बौद्ध, मौर्य, मौर्योत्तर, कुषाण और गुप्त काल। प्राचीन भारत का कोई प्रामाणिक सामाजिक इतिवृत्त उपलब्ध नहीं है, अतः इसके लिए सूचनाओं का मुख्यस्रोत तत्कालीन धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष साहित्य ही है।
  • इस अध्याय से आप हर वर्ष प्रश्नों की अपेक्षा कर सकते है। चूंकि इस अध्याय से आप हर वर्ष प्रश्नों की अपेक्षा कर सकते है। चूंकि प्रश्न सामान्यतः विभिन्न अवस्थाओं में जाति प्रथा, विवाह और नारी की स्थिति से संबंधित होते है, अतः हम इन्हीं प्रसंगों पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे। इसके अतिरिक्त आवश्यकता अनुरूप अन्य प्रसंगों, यथा सामाजिक संस्थाएं, श्रमिकों की स्थिति, आश्रम व्यवस्था आदि की भी चर्चा की गई है।
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FAQs on अभ्यर्थियों के लिए सुझावः जरूर पढ़ें - (भाग - 1), इतिहास, UPSC - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. What are the different historical periods covered in the article?
Ans. The article covers the following historical periods: Prachin, Vedic Age, Sangam Era, Buddhism and Jainism, Bhagvat and Brahman Dharma, Maurya Empire and Gupta period.
2. What is the significance of the Vedic Age in Indian history?
Ans. The Vedic Age is significant in Indian history as it marked the beginning of Hinduism and the composition of the Vedas, the oldest scriptures of Hinduism. It was also a time when the caste system began to take shape.
3. What was the Maurya Empire and who was its most famous ruler?
Ans. The Maurya Empire was a powerful empire that existed in ancient India from 321 to 185 BCE. Its most famous ruler was Emperor Ashoka, who is known for his conversion to Buddhism and his efforts to spread the religion throughout his empire.
4. What is the difference between Buddhism and Jainism?
Ans. Buddhism and Jainism are both ancient Indian religions that emerged as alternatives to Hinduism. While both religions emphasize non-violence and the importance of ethical behavior, Buddhism believes in the concept of non-self, while Jainism believes in the concept of soul.
5. How did the Gupta period contribute to Indian culture and art?
Ans. The Gupta period is considered a golden age of Indian culture and art. During this time, literature, science, philosophy, and art flourished. The Gupta rulers were great patrons of art and architecture, and many magnificent structures like the Ajanta and Ellora caves and the Iron Pillar of Delhi were built during this time.
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