सेल्युकस प्रथम निकेटर
चीनी यात्री फाहियान
चोल राजा राजेन्द्र की सैन्य विरासत
प्रश्न.1. कनिष्क के शासनकाल में कला का विकास किस प्रकार हुआ?
उत्तर: कला की उन्नति - कनिष्क का शासन काल 78 ई. से 101 ई. तक रहा। कनिष्क ने लगभग 23 वर्षों तक शासन किया। माना जाता है कि युद्ध में घायल होने के कारण उसके ही सेनापति ने उसे मार डाला। कनिष्क एक कला प्रेमी था। उसने अपने शासनकाल में अनेक भवनों और स्तूपों का निर्माण करवाया था। कुषाण साम्राज्य की उन्नति के लिए कनिष्क का शासक बनना एक उल्लेखनीय घटना थी। भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कनिष्क को कनिष्क प्रथम के नाम से भी जाना जाता है।
"कनिष्क का भारत के कुषाण सम्राटों में सबसे आकर्षक व्यक्तित्व है। वह बौद्ध धर्म का एक महान विजेता और संरक्षक था। वह चंद्रगुप्त की क्षमता और अशोक के धार्मिक उत्साह का एक संयोजन था।" -डॉ. रमाशंकर त्रिपाठी
गान्धार औऱ मथुरा कला:
प्रश्न.2. हर्षवर्धन तथा उसकी उपलब्धियाँ का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिये?
उत्तर: गुप्तों के पतन के बाद जब उत्तरी भारत में अनेक जनपदों का आविर्भाव हो रहा था उस समय थाणेश्वर श्रीकण्ठ जनपद की राजधानी था। इस जनपद को प्रारम्भिक संस्थापक पुष्यभूति था। कहते हैं कि वह अपने वंश का प्रथम नरेश था और अपने नाम पर ही पुष्यभूति वंश की स्थापना की । पुष्यभूति वंश का संस्थापक पुष्यभूति नामक राजा ही था और हर्षवर्धन इस वंश का छठा नरेश था । बांसवाड़ा के ताम्रलेख, सोनपत की ताम्र मुहर, नालन्दा में प्राप्त मुहर तथा मधुवन लेख से हर्ष के पाँच पूर्वजों का बोध होता है।
हर्ष का प्रारम्भिक जीवन
हर्ष का सिंहासनारोहण
हर्षवर्धन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ
हर्ष को शासक बनते ही कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
जो निम्न थी:
(1) ज्येष्ठ भ्राता की असामयिक मृत्यु से उत्पन्न परिस्थितियों का सामना करना ।
(2) कन्नौज के राजा गृहवर्मन का वध तथा वहाँ के उत्तराधिकारी का प्रश्न ।
(3) बहिन राज्यश्री की तलाश करना जो मालवा नरेश द्वारा मुक्त किये जाने पर पर्वतों की ओर सती होने के लिए चली गई थी।
(4) राज्य के चारों ओर शत्रुओं की उपस्थिति ।।
कन्नौज के उत्तराधिकार के प्रश्न
हर्षवर्धन की दिग्विजय अथवा विजयें
थानेश्वर तथा कन्नौज नगरों का शासक बनने के कारण हुई की सैन्य एवं राजनीतिक शक्ति में भारी वृद्धि हुई। द्रिष्ण को अपने साम्राज्य के रूप में रखने के लिए राजनीतिक एकता स्थापित करना बहुत आवश्यक था।
प्रश्न.3. समुद्रगुप्त की निम्नलिखित में से कौन सी ऐसी नीति थी जो विशेष रूप से दक्षिणापथ के शासकों के प्रति थी?
(a) उनके राज्यों को उखाड़ फेंका गया और समुद्रगुप्त के साम्राज्य का हिस्सा बनाया गया।
(b) उन्होंने समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकार की और अपनी बेटियों का विवाह उससे किया।
(c) वे उपहार लाते थे, उनके आदेशों का पालन करते थे और उनके दरबार में उपस्थित होते थे।
(d) इन्होंने हार स्वीकार की और इन्हें पुनः शासन करने की अनुमति दी गई।
उत्तर: सही उत्तर (d) है।
समुद्रगुप्त प्राचीन भारत के गुप्त साम्राज्य का शासक था।
दक्षिणापथ के शासकों के प्रति समुद्रगुप्त की नीति:
अतिरिक्त जानकारी:
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1. क्या ईसा पूर्व लगभग ईस्वी सन् होता है? |
2. क्या इस लेख में इतिहास के बारे में कुछ बताया गया है? |
3. क्या आप इस लेख में बताए गए कुछ अन्य विषयों के बारे में भी जान सकते हैं? |
4. ईसा पूर्व एक धर्म की स्थापना की थी या उसका जन्म हुआ था? |
5. वर्तमान समय में ईसाई धर्म का संख्यात्मक स्थान क्या है? |
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