UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi  >  संसद - भारतीय राजव्यवस्था

संसद - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

लोक सभा की शक्तियाँ एव कार्य

  • सामान्य विधेयक संसद के किसी भी सदन में प्रस्तावित किये जा सकते है एवं ये विधेयक तभी पारित समझे जाते है जबकि दोनों सदन इसे पारित कर दे। किसी विधेयक के संबंध में यदि दोनों सदनों के मध्य गतिरोध है या मतभेद है तो दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाता है।
  • इसमें लोक सभा की सदस्य संख्या राज्य सभा की सदस्य संख्या से दुगनी से भी अधिक होने के कारण विधेयक लोक सभा की इच्छानुसार पारित हो जाता है। राज्य सभा सामान्य विधेयक को 6 माह रोके रखने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर सकता।
  • संविधान के अनुच्छेद 109 के अनुसार कोई भी वित्त विधेयक केवल लोक सभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है और लोक सभा द्वारा पारित होने के पश्चात् ही राज्य सभा में भेजा जाता है।
  • राज्य सभा के लिए यह आवश्यक है कि वह किसी भी वित्त विधेयक को उसकी प्राप्ति की तारीख से 14 दिन के अन्दर संशोधनों के साथ या उनके बगैर लौटा दे।
  • राज्य सभा के द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को मानना या न मानना लोक सभा की इच्छा पर निर्भर करता है।
  • यदि राज्य सभा 14 दिन के भीतर विधेयक नहीं लौटाती तो वह विधेयक राज्य सभा द्वारा पारित मान लिया जाता है।
  • वार्षिक बजट अनुदान एवं पूरक मांगें भी लोक सभा के ही समक्ष रखी जाती हैं।
  • मंत्रिमण्डल अपने पद पर तभी तक रह सकता है जब तक कि उसे लोक सभा का विश्वास प्राप्त रहे।
  • संविधान संशोधन के संबंध में लोक सभा एवं राज्य सभा की शक्तियाँ बराबर हैं।
  • राष्ट्रपति द्वारा घोषित संकटकाल दो माह से अधिक समय तक तभी जारी रह सकता है जबकि इन दो माह के भीतर उसे लोक सभा की स्वीकृति प्राप्त हो जाए। अन्यथा दो माह पश्चात् वह स्वयं समाप्त मान लिया जाता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 85 (1) के अनुसार राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय व स्थान पर जो कि वह ठीक समझे, अधिवेशन को लिए आहूत (बुलायेगा) करेगा।
  • लोक सभा के अधिवेशन के स्थगन की शक्ति अध्यक्ष को तथा राज्य सभा के सत्रा को स्थगित करने की शक्ति सभापति को प्राप्त है।

 

 महत्वपूर्ण तथ्य


 बैठक: प्रत्येक अधिवेशन के दौरान संसद के दोनों सदनों की बैठकें अपराह्र्नी11 बजे से पूर्वाह्र्नीछः बजे होती है, किन्तु कभी-कभी विशेष विषयों पर वक्ताओं के अधिक होने के कारण बैठक मध्यरात्रि तक भी चलती रहती है। बैठक सप्ताह में सोमवार से शुक्रवार तक पांच दिन होती है। संसदीय आचार के अनुसार सदस्यों को बैठक आरंभ होने के निर्धारित समय से कुछ मिनट पहले अपने नियत स्थान पर बैठ जाना चाहिए। ठीक 11 बजे सदन का उद्घोषक घोषणा करता है ”माननीय सभासदों, माननीय अध्यक्षजी“, इसके साथ ही अध्यक्ष कक्ष में प्रवेश करते है उनके सदन में प्रवेश करते ही उपस्थित सदस्य आदरस्वरूप अपने स्थानों पर खड़े हो जाते है और तब तक खड़े रहते हैं, जब तक कि अध्यक्ष अपना स्थान ग्रहण नहीं कर लेते। इस बीच यदि कोई सदस्य सदन में प्रवेश कर ही रहा हो और अभी अपने स्थान तक न पहुंचा हो तो अध्यक्ष के प्रवेश करते ही जहां पर होता है वही साभिवादन रूक जाता है। अध्यक्ष के स्थान ग्रहण करने के बाद सभी सदस्य झुककर अभिवादन करते है और फिर अपने नियत स्थान पर बैठ जाते है इसके साथ ही बैठक की कार्यवाही आरंभ हो जाती है।

 

संसद सदस्यों के विशेषाधिकार तथा उन्मुक्तियाँ

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 (9) में कहा गया है कि संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों के संबंध में कानून बनाने का अधिकार संसद को होगा।
  • भारतीय संविधान में हुए 44वें संविधान संशोधन 1978 के पश्चात् संसद सदस्यों को प्राप्त विशेषाधिकारों को दो श्रेणियों में रखा जा सकता है-
    (1) व्यक्तिगत रूप से उपभोग किये जाने वाले तथा
    (2) सामूहिक रूप से प्राप्त विशेषाधिकार।

व्यक्तिगत रूप से प्राप्त विशेषाधिकार

  •  संसद के किसी भी सदस्य को उस सदन जिसका कि वह सदस्य है का अधिवेशन के चलते रहने के दौरान या संयुक्त बैठक के दौरान अथवा यदि वह किसी संसदीय समिति का सदस्य है तो उसकी बैठकों के दौरान तथा बैठकों के पूर्व या पश्चात् 40 दिन की अवधि के दौरान गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
  •  गिरफ्तारी से यह उन्मुक्ति उसे केवल दीवानी (सिविल) मामलों में प्राप्त है, फौजदारी (आपराधिक) मामलों में नहीं।
  •  संसद के किसी भी सदस्य के लिए उस सदन की जिसका कि वह सदस्य है, अनुमति के बगैर गवाही देने के लिए बुलाये जाने संबंधी आदेश नहीं निकाला जा सकता।
  • संसद के सदस्य को संसद या समिति में उसके द्वारा कही गई किसी भी बात के लिए न्यायालय में दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
  • सदस्यों के इस वाक् स्वातंत्रा्य पर यह प्रतिबन्ध है कि वे उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीशों के कार्यों की आलोचना नहीं कर सकते, न ही उसके आचरण के विरुद्ध कुछ कह सकते है। ऐसा वे केवल महाभियोग लगाने की स्थिति में ही कर सकते है।

सदन के सामूहिक विशेषाधिकार
(i) सदन की कार्यवाही एवं चर्चा को अध्यक्ष की अनुमति से प्रकाशित करवाया जा सकता है। सदन अन्य व्यक्तियों को इन्हें प्रकाशित करने से रोक भी सकता है।
(ii) सदन अन्य व्यक्तियों की किसी भी समय दर्शक दीर्घा से हटवा सकता है। सदन के प्रक्रिया संबंधी नियमों के अधीन, अध्यक्ष तथा सभापति को यह अधिकार है कि वह अन्य व्यक्तियों (अजनबियों) को सदन के किसी भाग से बाहर चले जाने का आदेश दे।
(iii) सदन को अपने आन्तरिक मामलों को निपटाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। प्रत्येक सदन को यह अधिकार है कि वह सदन की कार्यवाहियों को नियन्त्रिात करे तथा सदन की चारदीवारी के अन्दर उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद का न्यायालय की सहायता के बिना निपटारा करें।
(iv) सदन को अपने सदस्यों तथा बाहरी व्यक्तियों को सदन के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने पर दण्डित करने का भी अधिकार प्राप्त है।
(v) सदन को अपने किसी सदस्य की गिरफ्तारी, निरोध, कारावास अथवा रिहाई के संबंध में तुरन्त सूचना प्राप्त करने का भी अधिकार प्राप्त है।

  • प्रत्येक सदन के अध्यक्ष व सभापति का यह दायित्व होता है कि वह सदन के सदस्यों के इन विशेषाधिकारों एवं दायित्वों की रक्षा करे।

लोक सभा अध्यक्ष का चुनाव, पद से हटाना, कार्य एवं अधिकार

  • लोकसभा अपने सदस्यों में से बहुमत द्वारा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करती है। इनका कार्यकाल लोकसभा के भंग होने पर समाप्त हो जाता है। किन्तु कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व भी वे त्याग-पत्रा दे सकते है।
  • लोकसभा अपने तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत (दो-तिहाई) से प्रस्ताव पारित कर उसे उसके पद से हटा सकती है, परन्तु ऐसा करने के लिए 14 दिन की पूर्व सूचना देना अनिवार्य है। लोकसभा की जिस बैठक में ऐसा प्रस्ताव लाया गया हो, उसमें वह अध्यक्ष या उपाध्यक्ष (जिसके विरुद्ध प्रस्ताव लाया गया है) अध्यक्षता नहीं कर सकता। वह बैठक में भाग ले सकता है और प्रथमतः मत दे सकता है, किन्तु मत समान होने की दशा में उसे मत देने का अधिकार नहीं है। लोकसभा के भंग होने की स्थिति में अध्यक्ष अपना पद अगली लोकसभा की पहली बैठक होने तक रिक्त नहीं करता।

अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार

  •   सदन के सदस्यों के प्रश्नों को स्वीकार करना, उन्हें नियमित करना व नियम के विरुद्ध घोषित करना।
  •   किसी विषय को लेकर प्रस्तुत किया जाने वाला ‘कार्य स्थगन प्रस्ताव’ अध्यक्ष की अनुमति से पेश किया जा सकता है।
  •   वह विचाराधीन विधेयक पर बहस रुकवा सकता है।
  •   संसद सदस्यों को भाषण देने की अनुमति देता है और भाषणों का क्रम व समय निर्धारित करता है।
  •   सदन में शान्ति व अनुशासन बनाये रखता है।
  •   विभिन्न विधेयक व प्रस्तावों पर मतदान करवाना व परिणाम घोषित करना तथा मतों की समानता की स्थिति में निर्णायक मत देने का उसे अधिकार है।
  •   संसद व राष्ट्रपति के मध्य होने वाला पत्रा व्यवहार अध्यक्ष के माध्यम से होता है।
  •   कोई विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं, इसका निर्णय भी अध्यक्ष ही करता है।
  •   वह संसद के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता करता है।

संसद सदस्य की अयोग्यता

  •  अनुच्छेद 102 के अनुसार कोई व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए निम्नलिखित आधार पर अयोग्य होगा:

 (i) यदि वह भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है लेकिन यदि संसद ने विधि द्वारा किसी पद को धारण करने की छूट दी है, तो उस पद को धारण करने वाला व्यक्ति संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होगा;
 (ii) यदि वह सक्षम न्यायालय द्वारा विकृतचित्त घोषित कर दिया गया है;
 (iii) यदि वह अमुक्त दिवालिया है;
 (iv)यदि वह भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है या यदि वह किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा धारण करता है;
 (v)यदि वह दल-बदल कानून (संविधान की दसवीं अनुसूची) के अधीन संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया गया है;
 (vi) यदि वह संसद द्वारा बनायी गयी किसी विधि के अधीन अयोग्य घोषित कर दिया गया है। संसद ने 1951 में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 बनाकर निम्नलिखित व्यक्तियों को संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया हैः
    (क) जो कुछ अपराधों के लिए सक्षम न्यायालय द्वारा दोषी निर्णीत किया गया हो,
    (ख) जो भ्रष्ट आचरण का दोषी ठहराया गया हो,
    (ग) जो व्यक्ति भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण करते हुए भ्रष्टाचार के कारण या राज्य के प्रति अभक्ति के कारण पदच्युत कर दिया गया हो,
    (घ) जो सरकार के साथ अपने व्यापार या कारबार के अनुक्रम में सरकार को माल प्रदान करने के लिए या सरकार द्वारा किये जाने वाले किसी कार्य के लिए संविदा लिया हो,
    (ङ) जो व्यक्ति किसी ऐसी कम्पनी या निगम का (सहकारी सोसाइटी से भिन्न), जिसकी पूंजी में सरकार का 25ः या अधिक हिस्सा है, प्रबन्ध अभिकत्र्ता या सचिव है,
    (च) जो व्यक्ति अपने चुनाव व्यय का लेखा दाखिल करने में असफल रहा है।

संसद सदस्यों की अयोग्यता से सम्बन्धित प्रश्न का विनिश्चय

  • जब संसद सदस्यों की अयोग्यता से सम्बन्धित प्रश्न उत्पन्न होता है, तब उसका विनिश्चय राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है और राष्ट्रपति का निर्णय अन्तिम होता है तथा इस निर्णय के विरुद्ध न्यायालय में याचिका या अपील दाखिल नहीं की जा सकती। राष्ट्रपति संसद सदस्यों की अयोग्यता से सम्बन्धित प्रश्न का निर्णय करते समय चुनाव आयोग की राय लेता है और उसी के अनुसार कार्य करता है।
  • लेकिन संसद सदस्य के दल बदल के आधार पर संसद की सदस्यता के लिए अयोग्यता का निर्णय लोकसभा या राज्यसभा के सभापति, जैसी भी स्थिति हो, द्वारा किया जाता है।
The document संसद - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
184 videos|557 docs|199 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on संसद - भारतीय राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. संसद क्या है और यह भारतीय राजव्यवस्था के क्या महत्वपूर्ण हिस्से हैं?
उत्तर: संसद भारतीय राजव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भारतीय नागरिकों के लिए सरकारी नीतियों को बनाने और निर्धारित करने का जिम्मेदारी रखता है। यह दो घरों, लोकसभा और राज्यसभा, से मिलकर बना होता है और नवीनतम विधानों और नीतियों को अधिकृतता प्रदान करता है।
2. UPSC क्या है और इसकी भूमिका क्या है?
उत्तर: UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) भारत में सरकारी नौकरियों की भर्ती के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन है। यह आयोग केंद्रीय सरकारी और राज्य सरकारी पदों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है और उच्चतम स्तरीय साक्षात्कार तक प्रक्रिया को संचालित करता है।
3. संसद में कितने सदस्य होते हैं और उनका चयन कैसे होता है?
उत्तर: संसद में कुल 545 सदस्य होते हैं, जिनमें से 543 लोकसभा के सदस्य होते हैं और 2 राज्यसभा के अध्यक्ष होते हैं। लोकसभा के सदस्यों का चयन जनता द्वारा होता है, जबकि राज्यसभा के सदस्यों का चयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है।
4. UPSC परीक्षा क्या है और इसकी तैयारी के लिए सुझाव क्या हैं?
उत्तर: UPSC परीक्षा भारतीय संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली एक प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा है जिसके माध्यम से सरकारी नौकरियों की भर्ती होती है। इसकी तैयारी के लिए छात्रों को नवीनतम सामग्री के साथ निरंतर अभ्यास करना चाहिए, पिछले वर्षों के पेपर्स को हल करना चाहिए और महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ना चाहिए।
5. संसद की मुख्य कार्यवाही क्या है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: संसद की मुख्य कार्यवाही नवीनतम विधानों और नीतियों को बनाना और सरकारी नीतियों को निर्धारित करना है। यह सामान्य जनता के हित में नीतियों को पारित करने का काम करता है और नवीनतम विषयों पर चर्चा और विचार-विमर्श को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
184 videos|557 docs|199 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

संसद - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

study material

,

Semester Notes

,

Viva Questions

,

Objective type Questions

,

संसद - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

mock tests for examination

,

Extra Questions

,

pdf

,

Summary

,

Sample Paper

,

ppt

,

Free

,

past year papers

,

Exam

,

practice quizzes

,

video lectures

,

संसद - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

MCQs

,

shortcuts and tricks

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Important questions

;