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सभा पटल पर स्वतः रखे गए वक्तव्य पत्र - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

मंत्रियों द्वारा स्वतः दिए गए वक्तव्य
लोक महत्व के विषयों अथवा सामयिक महत्व संबंधी सरकार की नीति से सभा को अवगत कराने के लिए मंत्री महोदय लोक सभाध्यक्ष की अनुमति से प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 372 के अधीन समय-समय पर सदन में वक्तव्य देते हैं।
नियमानुसार, मंत्री द्वारा वक्तव्य दिए जाने के बाद प्रश्न उठाने की अनुमति नहीं दी जाती है क्योंकि सदन के सामने ऐसा कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं होता जिस पर वाद.विवाद किया जा सके।
देश में घटने वाली सभी गम्भीर घटनाओं की सभा केा यथासंभव शीघ्र सूचना देने की दृष्टि से इस परम्परा का पालन किया जाता है कि घटित घटना के बारे में मंत्री स्वतः ही सदन में वक्तव्य दे। यह एक सामान्य परम्परा है कि जब सभा सत्राधीन होती है, उस समय नीति संबंधी वक्तव्य प्रेस में प्रकाशित करने से पूर्व सभा में दिए जाते हैं।

सभा पटल पर रखे गये पत्र
संसदीय भाषा में श्सभा पटल पर रख्ेा गए पत्रोंश् का तात्पर्य उन सभी दस्तावेजों, वक्तव्यों, रिपोर्टों, नियम एवं विनियमों, सरकारी अधिसूनाओं आदि से है, जो लेखबद्ध करने के लिए सभा पटल पर रखे जाते हैं। सभा में विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए आधार तैयार करने हेतु संसद को अधिकृत तथ्य तथा सूचनाएं उपलब्ध कराना इसका उद्देश्य है। 
लोक सभा को अपनी सूचना के लिए आवश्यक सभी पत्रों को सभा पटल पर रखने के लिए आदेश देने का अधिकार प्राप्त है। किन्तु, यह पत्र सामान्यतः संविधान में अंतविरष्ट विशिष्ट उपबन्धों, सदन की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली, लोक सभाध्यक्ष द्वारा समय - समय पर जारी किए गए निर्देशों और तत्संबंधी निर्धारित प्रक्रियाओं तथा परम्पराओं एवं संसदीय समितियों की सिफारिशों के अनुपालन में सभा पटल पर रखे जाते हैं।

संविधान के अन्तर्गत सभा पटल पर रखे गये पत्र

संविधान के उपबन्धों के अनुसरण में निम्नलिखित पत्र सभा पटल पर रखे जाते हैं।
(i)    बजट तथा तत्संबंधी दस्तावेज (अनुच्छेद 112)
(ii)   अनुपूरक तथा अतिरिक्त अनुदानों की माँगें (अनुच्छेद 115)
(iii)   राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश (अनुच्छेद 123)
(iv)   भारत के नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन (अनुच्छेद 151)
(v)    वित्त आयोग के प्रतिवेदन (अनुच्छेद 281)
(vi)   संघ लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन (अनुच्छेद 223)
(vii)   अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के विशेष अधिकार के प्रतिवेदन (अनुच्छेद 338) 
(viii)  पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रतिवेदन (अनुच्छे 340)
(ix)   भाषाई अल्पसंख्यकों के विशेष अधिकारी के प्रतिवेदन (अनुच्छेद 350 - ख)
(x)    किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा (अनुच्छेद 356)
(xi)   अनुच्छेद 359 के अन्तर्गत जारी किए गए राष्ट्रपति के आदेश 
(xii)  आपात स्थिति की उद्घोषणा (अनुच्छेद 352)
(xiii)  वित्तीय आपात स्थिति की उद्घोषणा (अनुच्छेद 360)   

परिनियमों के अन्तर्गत रखे गये पत्र
विभिन्न परिनियमों के अन्तर्गत निम्नलिखित पत्र सभा पटल पर रखे जाते हैंः
1.   कम्पनी अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत संस्थापित या संसद के विशिष्ट अधिनियमों के अन्तर्गत संस्थापित सरकारी उपक्रमों के वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखा परीक्षित लेखे;
2.   संसद के विशिष्ट अधिनियमों के अन्तर्गत संस्थापित, सरकारी उपक्रमों के अतिरिक्त, सांविधिक निकायों के प्रतिवेदन;
3.   प्रत्योयोजित विधान की शक्तियों के अन्तर्गत सरकार द्वारा बनाए गए नियम, उप नियम, विनियम, उप विधियाँ; और 
4.   सरकारी संकल्प, सांविधिक या कार्यकारी आदेश अथवा विभिन्न केन्द्रीय संबिधियों के अन्तर्गत जारी कोई अन्य पत्र।

प्रक्रिया संबंधी नियमों के अन्तर्गत रखे गये पत्र
लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के अन्तर्गत निम्नलिखित पत्र सभा पटल पर रखे जाते हैंः
(i)  विधेयकों संबंधी प्रवर तथा संयुक्त समिति के प्रतिवेदन;
(ii)  स्थायी संसदीय समिति के प्रतिवेदन;
(iii)  याचिकाएं;
(iv)  अध्यादेशों से संबंधित विवरण;
(v)   संसद के दोनो सदनों द्वारा स्वीकृति संशोधनों के अनुसार रूपान्तरित नियम, विनियम आदि;
(vi)   राज्य सभा द्वारा संशोधन सहित लौटाये गए विधेयक तथा परित किए गए विधेयक;
(vii)  नुनर्विचार के लिए राष्ट्रपति द्वारा लौटाये गए विधेयक; और  
(viii)  अतारांकित प्रश्नों अथवा मौखिक उत्तर के लिए न लिये गये तारांकित प्रश्नों के उत्तर।

लोक सभा अध्यक्ष के निर्देशों के अन्तर्गत रखे गये पत्र
लोक सभा अध्यक्ष द्वारा जारी किए गए निदेशों के अनुसरण में निम्नलिखित पत्र सभा पटल पर रखे जाते हेंः
(i)   आधे घंटे की चर्चा के उत्तर में मंत्री द्वारा वक्तव्य जबकि इस प्रयोजन के लिए निर्धारित समय में पूरा उत्तर न दिया जा सका हो;
(ii)  जनमत प्राप्त करने के लिए परिचालित विधेयकों पर राय;
(iii)  राष्ट्रपति से अनुमति प्राप्त विधेयक;
(iv)  ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संबंधी विवरण, उस दशा में जब किसी दिन के लिए एक से अधिक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव स्वीकृत कर लिए जायें;
(v)   स्थायी संसदीय समितियों की बैठकों के कार्यवाही सारांश; और 
(vi)  किसी प्रवर या संयुक्त समिति के प्रतिवेदन से संबंधित दस्तावेज।

संसदीय समिति की सिफारिश पर सभा पटल परखे जाने वाले पत्र
कभी-कभी संसदीय समिति सभा में प्रस्तुत किये गये अपने प्रतिवेदनों में कुछ दस्तावेजों, प्रतिवेदनों, व्याख्यात्मक ज्ञापनों आदि को सभा के समक्ष रखने की सिफारिश करती है। इन सिफारिशों के अनुसरण में संगत पत्र सभा पटल पर रखे जाते हैं। 
कोई गैर-सरकारी सदस्य भी लोक सभा के अध्यक्ष की अनुमति से सभा पटल पर पत्र रख सकता है। अतः जब कोई गैरसरकारी सदस्य किसी दस्तावेज से कोई उद्धारण देता है तो वह अपनी इच्छा से या सदन की माँग पर इस दस्तावेज को सभा पटल पर रख सकता है। गैर-सरकारी सदस्य से यह भी अपेक्षा की जाती है कि उसके द्वारा लगाए गए आरोपों को प्रमाणित करने वाले दस्तावेज भी वह सभा पटल पर रखे।

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FAQs on सभा पटल पर स्वतः रखे गए वक्तव्य पत्र - भारतीय राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. प्रश्न 1: भारतीय राजव्यवस्था क्या होती है?
उत्तर: भारतीय राजव्यवस्था भारत की संविधानिक और सामाजिक व्यवस्था है जो देश के सभी नागरिकों के अधिकारों, कर्तव्यों, और सरकारी संस्थाओं को नियंत्रित करती है। यह भारतीय संविधान द्वारा स्थापित की गई है और एक संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चलाई जाती है।
2. प्रश्न 2: भारतीय संविधान कब लागू हुआ था?
उत्तर: भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। इस दिन भारतीय गणराज्य की स्थापना हुई थी और भारतीय राजव्यवस्था आधिकारिक रूप से प्रारम्भ हुई।
3. प्रश्न 3: भारतीय राज्यों की संख्या क्या है?
उत्तर: भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं।
4. प्रश्न 4: भारतीय राजव्यवस्था में केंद्र और राज्य सरकार के कार्य क्षेत्र क्या हैं?
उत्तर: केंद्र सरकार विशेष योजनाओं, राष्ट्रीय नीतियों, रक्षा, विदेशी मामलों, आर्थिक नीतियों, केंद्रीय कानूनों और केंद्रीय विनियमों के लिए जिम्मेदार है। राज्य सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, न्यायपालिका, स्थानीय नीतियां, राज्य कानूनों और विनियमों के लिए जिम्मेदार होती है।
5. प्रश्न 5: UPSC क्या है और यह किसके लिए जिम्मेदार होता है?
उत्तर: UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) भारतीय संविधान द्वारा स्थापित की गई एक संघीय संघ संगठन है जो भारतीय राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न सिविल सेवा पदों की भर्ती, संवर्धन और नियुक्ति के लिए जिम्मेदार है। UPSC के माध्यम से IAS, IPS, IFS, IRS और अन्य उच्च स्तरीय पदों की भर्ती होती है।
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