राज्यपाल के संबंध में सरकारिया आयोग की सिफारिश
नियुक्त राज्यपाल क्यों?
(क) इससे देश को ऐसे निर्वाचन के दष्परिणामों से बचाया जा सकेगा जो व्यक्तिगत मद्दों के आधार पर हों। करोड़ों मतदाताओंवाले प्रांतों को व्यक्तिगत आधार पर लड़े जाने वाले निर्वाचनों में ढकेलने से देश की प्रगति पर बरा असर पड़ेगा।
(ख) यदि राज्यपाल प्रत्यक्ष मत द्वारा निर्वाचित होगा तो वह अपने आपको मख्यमंत्राी से वरिष्ठ समझेगा क्योंकि मख्यमंत्राी तो एक ही निर्वाचन क्षेत्रा से चना जाता है। इसके कारण राज्यपाल और मख्यमंत्राी के बीच अनेकों बार संघर्ष होगा। संविधान द्वारा विहित संसदीय शासन प्रणाली के अधीन राज्यपाल सांविधानिक प्रधान होगा। वास्तविक कार्यपालिका शक्ति मंत्रिमंडल में निहित होगी जो विधान मंडल के प्रति उत्तरदायी होगा।
(ग) निर्वाचन में जो धन व्यय होगा और जो तंत्रा लगेगा उसका राज्यपाल में निहित शक्तियों के साथ कोई अनपात नहीं होगा। राज्यपाल तो केवल सांविधानिक प्रधान है।
(घ) वयस्क मत के आधार पर राज्य के राजनीतिक जीवन में सर्वोच्च पद पर निर्वाचित राज्यपाल चाहेगा कि वह वास्तविक शक्ति धारण करने वाला मख्यमंत्राी या मंत्राी बन जाये। सत्तारूढ़ दल स्वभावतः राज्यपाल के पद के लिए ऐसे व्यक्ति को खड़ा करेगा जो भावी मख्यमंत्राी की तलना में श्रेष्ठतर नहीं है। इसके फलस्वरूप राज्य को दल का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति नहीं मिल पाएगा। निर्वाचन की पूरी प्रक्रिया केवल इसलिए होगी कि दल में एक दूसरे दर्जे के व्यक्ति को राज्यपाल निर्वाचित किया जाए।
(ङ) राष्ट्रपति द्वारा नियक्ति के माध्यम से संघ सरकार राज्यों पर अपना नियंत्राण बनाए रख सकेगी।
(च) निर्वाचन की पद्धति से पृथकतावाद को बढ़ावा मिलेगा। देश के शासन तंत्रा की स्थिरता और एकता तभी रखी जा सकेगी जब हम नामनिर्देशन की प्रणाली स्वीकार करें।
राज्यपाल की विधायी शक्तियां
राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियां
राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति
(अ) जिस विधेयक को विधानमण्डल में पेश करने से पूर्व राष्ट्रपति की स्वीकृति लेनी पड़ती है, उस विषय पर अध्यादेश जारी करने से पूर्व राज्यपाल को राष्ट्रपति से निर्देश लेना पड़ता है।
(ब) राज्यपाल जिन विषयोंपर राष्ट्रपति का विचार लेना आवश्यक समझता है, उस विषय पर अध्यादेश जारी करने के पूर्व वह राष्ट्रपति से परामर्श करेगा।
(स) राज्य के विधानमण्डल द्वारा पारित अधिनियम जिसमेंवही प्रावधान होते जिस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति की अनपस्थिति में अवैध हो जाता, यदि उसे राज्यपाल द्वारा आरक्षित न किया गया होता। इस प्रकार जारी किये गये अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होगा जो राज्य के विधानमण्डल द्वारा पारित एक अधिनियम का होता है।
राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्ति की तुलना
मंत्रिपरिषद और राज्यपाल के संबंधों की समीक्षा
184 videos|557 docs|199 tests
|
1. भारतीय राजव्यवस्था में राज्य की कार्यपालिका क्या होती है? |
2. राज्य की कार्यपालिका के क्या कार्य होते हैं? |
3. राज्य की कार्यपालिका किसे नियुक्त करती है? |
4. राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख नियंत्रण कौन करता है? |
5. भारतीय राजव्यवस्था में राज्य की कार्यपालिका का महत्व क्या है? |
184 videos|557 docs|199 tests
|
|
Explore Courses for UPSC exam
|