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आपात उपबंध - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

आपातकालीन शक्तियों का उल्लेख 
यद्ध, बाह्य आक्रमण अथवा आंतरिक अशांति के कारण आपात की उद्धोषणा , उसका प्रभाव तथा स्वतंत्राता प्राप्ति के बाद से अब तक इसका व्यवहार

  • संविधान के अनच्छेद 352 में कहा गया है कि - यदि राष्ट्रपति यह अनभव करे कि यद्ध, बाहरी आक्रमण या आन्तरिक अशान्ति के कारण भारत या उसके किसी भाग में अशान्ति उत्पन्न होने या सरक्षा को खतरा है तो वह देश में या उस भाग में आपात काल की घोषणा कर सकता है।
  • संविधान के अनच्छेद 352(1) के खण्ड (1) में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्वारा जारी की गई उपर्यक्त आधार पर आपात घोषणा में बाद में की गई घोषणा द्वारा परिवर्तन भी किया जा सकता है तथा आपातकाल की उक्त घोषणा को वापस भी लिया जा सकता है।
  • संविधान में 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान के अनच्छेद 352(3) में कहा गया है कि 352 अनच्छेद के अन्तर्गत राष्ट्रपति आपात काल की घोषणा तभी कर सकता है जबकि मंत्रिमण्डल लिखित रूप में उसे ऐसा करने के लिए सूचित करे।
  • संविधान के अनच्छेद 352(4) में यह व्यवस्था की गई है कि इस अनच्छेद के अधीन की गई आपातकालीन घोषणा उद्धोषित किए जाने के एक माह के अन्दर संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखी जानी चाहिए और यदि संसद के दोनों सदनों ने पृथक-पृथक विशेष बहमत द्वारा इसे (दोनों सदनों के कल बहमत एवं उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहमत से) पारित किया है तभी यह लागू माना जाएगा।
  • संसद द्वारा पारित उद्धोषणा के बाद भी यह 6 माह तक ही लागू रहेगा। इसे लागू रखने के लिए प्रत्येक 6 माह पश्चात् संसद की स्वीकृति लेना आवश्यक है।
  • ऐसी स्थिति में जबकि लोकसभा विघटित हो और आपातकाल की घोषणा जारी की गई हो तब उद्धोषणा से सम्बन्धित प्रस्ताव राज्य सभा में रखा जाएगा और राज्यसभा में यदि यह पारित कर दिया गया है तो उसे लागू माना जाएगा। लेकिन यदि इसके लागू होने की अवधि (6 माह) पूरी नहीं हई है और नई लोकसभा का गठन हो चका हो तब लोकसभा द्वारा अपने पनर्गठन के पश्चात् अपनी प्रथम बैठक में तीस दिन की समाप्ति से पूर्व आपात कालीन घोषणा का प्रस्ताव पारित कर दिया हो तभी वह लागू रह सकेगा, अन्यथा वह समाप्त माना जाएगा।
  • संविधान में यह व्यवस्था भी की गई है कि अनच्छेद 352(1) के अधीन जारी की गई आपात घोषणा में परिवर्तन सम्बन्धी घोषणा अथवा उसे बनाये रखने सम्बन्धी घोषणा को लागू रखने के लिए लोकसभा की कल सदस्य संख्या के कम से कम दसवें भाग द्वारा अपने हस्ताक्षरों सहित लिखित रूप में कोई प्रस्ताव -
    (i) लोक सभा का यदि अधिवेशन चल रहा हो तो लोकसभा अध्यक्ष को;
    (ii) यदि लोकसभा का अधिवेशन जारी नहीं है तो राष्ट्रपति को, दिया जाए।
     
  •  तब अध्यक्ष या राष्ट्रपति ऐसी सूचना पर विचार करने के लिए प्रस्ताव प्राप्त होने के चैदह दिन की अवधि के भीतर लोकसभा की विशेष बैठक बला सकता है।


आपातघोषणा का प्रभाव

  • संविधान के अनच्छेद 353 में - कहा गया है कि जब देश में या उसके किसी भाग में अनच्छेद 352(1) के अधीन आपातकाल की घोषणा की गई हो तब-

(क) संघ की कार्यपालिका (केन्द्रीय सरकार) राज्यों की कार्यपालिकाओं - को यह निर्देश दे सकती है कि वे अपनी शक्ति का प्रयोग किस प्रकार से करें।
(ख) संसद को सम्पूर्ण भारत अथवा उसके किसी क्षेत्रा विशेष के लिए सभी सूचियों - जिसमें - कि राज्य सूची भी शामिल है के सभी विषयों पर कानून निर्माण करने की शक्ति प्राप्त हो जाएगी।

  • संविधान के अनच्छेद 354 के अनसार जब आपातकालीन घोषणा प्रभाव में - हो तब राष्ट्रपति आदेश द्वारा यह निर्देश दे सकता है कि संघ और राज्यों - के बीच आय के वितरण सम्बन्धी भाग का कोई भी उपबंध (अनच्छेद 268 से 279 तक के) चालू वित्तीय वर्ष में - उसके निर्देशानसार संशोधित होंगे अथवा लागू होंगे। परन्त ऐसे आदेशों - को यथाशीघ्र संसद के दोनों सदनों - के समक्ष रखा जाएगा।
  • संविधान के 43वें - संवैधानिक संशोधन द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि अनच्छेद 352(1) के अधीन जब भारत भूमि के किसी विशेष भाग में - आपात स्थिति लागू की गई हो तब संसद को न केवल उस राज्य क्षेत्रा से सम्बन्धित कार्यपालिका तथा विधायी शक्ति प्राप्त होगी अपित संघ की यह शक्ति अन्य राज्यों - में - भी उस समय तक लागू की जा सकती है जिस सीमा तक भारत की भूमि या किसी विशेष भाग की सरक्षा के लिए संकट हो।
  • आपात घोषणा के दौरान संविधान में - अनच्छेद 19 द्वारा नागरिकों - को प्रदान की गई 5 स्वतंत्राताएं भी स्थगित की जा सकती हंै और इन स्वतंत्राताओं - को सीमित या प्रतिबन्धित करने सम्बन्धित कानून भी संसद द्वारा बनाये जा सकते है।
  • 44वें - संशोधन द्वारा उपर्यक्त स्थिति में यह सधार किया गया है कि ये स्वतंत्राता केवल यद्ध या बाहरी आक्रमण होने पर या उसकी आशंका होने पर ही स्थगित की जा सकती है। देश में - आंतरिक सशó विद्रोह की आशंका पर नहीं।
  • 44वें - संशोधन द्वारा यह उपबन्ध भी किया गया है कि किसी भी स्थिति में - नागरिकों - के जीवन और शारीरिक स्वाधीनता (अनच्छेद 21) के अधिकार को समाप्त या सीमित नहीं किया जाएगा।
  • इसी संशोधन द्वारा यह भी कहा गया है कि उपर्यक्त अधिकार की रक्षा के अतिरिक्त अन्य किसी भी अधिकार के आपातकाल के दौरान अतिक्रमण के विरद्ध न्यायालय में - नहीं जाया जा सकता।
  • आपात स्थिति की समाप्ति के पश्चात् उपर्यक्त सभी प्रभाव स्वतः ही समाप्त हो जाएँगे।
  • मूल संविधान में - केवल ‘आन्तरिक अशान्ति’ शब्द था,  44वें - संशोधन में - इसके स्थान पर ‘सशस्त्र विद्रोह’ की आशंका शब्द डाला गया।

अनच्छेद 352 व्यवहार में

  •  अनच्छेद 352 के अंतर्गत भारत में - अब तक तीन बार आपातकाल की घोषणा की जा चकी है-
    (i) 1962 में - भारत पर चीन के आक्रमण के समय- इस दौरान 26 अक्टूबर, 1962 को नेफा तथा लद्दाख क्षेत्रा में आपातकाल घोषित किया गया था। इसके पश्चात 8 नवम्बर, ’62 से भारत के सभी लोगों - के व्यक्तिगत स्वंतत्राता से सम्बन्धित अनच्छेद 20 व 21 स्थगित कर दिये गये थे एवं साथ ही इस सम्बन्ध में - न्यायालय की शरण लेने का अधिकार भी स्थगित कर दिया गया था। 14 नवम्बर, 1962 से अनच्छेद 14 भी स्थगित कर दिया गया था। 1962 में - जारी की गई यह संकटकालीन घोषणा 10 जनवरी, 1968 तक जारी रही।
    (ii) 1971 में - पाकिस्तान के आक्रमण की स्थिति में।
    (iii) जून 1975 में - इंदिरा गांधी सरकार द्वारा।

    राज्यों में - संवैधानिक तंत्रा के विफल होने के कारण आपात की उद्धोषणा और इसका संवैधानिक प्रभाव
  • संविधान के अनच्छेद 356 के अनसार - यदि राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल के प्रतिवेदन (रिपोर्ट) पर या किसी अन्य कारण से यह अनभव करे कि राज्य में - ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि उस राज्य का शासन संविधान के उपबन्धों - के अनसार नहीं चलाया जा सकता तब सम्बन्धित राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है।

 राष्ट्रपति यह घोषणा कर सकता है कि-
(क) उस राज्य की सरकार की सभी शक्तियाँ एवं कार्य वह अपने हाथ में - लेता है।
(ख) राज्य विधान मण्डल की शक्तियाँ संसद द्वारा या उसके अधीन किसी अधिकारी द्वारा प्रयोग की जाएँगी।
(ग) राज्य के किसी निकाय या अधिकारी से सम्बन्धित संविधान के किन्हीं उपबन्धों - के पूर्ण या आंशिक प्रवर्तन (लागू होने को) को पूरी तरह या किसी भाग को निलम्बित या
स्थगित कर सकता है यदि राष्ट्रपति को अनच्छेद 358 के अधीन उद्धोषणा के लागू होने के लिए आवश्यक या वांछनीय लगे।

  • ऐसे संकट की घोषणा करने की विधि वही है जो कि अनच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा करने की है।
  • मूल संविधान द्वारा इस सम्बन्ध में - संसद द्वारा एक बार ऐसा प्रस्ताव पास करने पर 6 माह के लिए राज्यों - में - राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता था।
  • 42वें - संशोधन द्वारा यह अवधि बढ़ाकर 1 वर्ष कर दी गई थी। लेकिन 44वें - संशोधन द्वारा इसे पनः घटाकर 6 माह कर दिया गया है।
  • 44वें - संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा यह व्यवस्था भी की गई है कि राज्य में - राष्ट्रपति शासन एक वर्ष की अवधि के बाद भी जारी रखने के लिए संसद द्वारा प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए। संसद ऐसा प्रस्ताव तभी पारित कर सकेगी जबकि अनच्छेद 352 के अधीन सम्पूर्ण भारत या उसके किसी भाग में - आपातकाल घोषित हो तथा निर्वाचन आयोग द्वारा यह प्रमाणित किया गया हो कि सम्बन्धित राज्य में - विधान सभा हेत आम चनाव करवाना संभव है।

घोषणा के संवैधानिक प्रभाव

  •  इस दौरान राष्ट्रपति यह घोषणा कर सकता है कि वह राज्य विधान मण्डल की विधान (कानून) बनाने के शक्ति राष्ट्रपति या संसद को अथवा राष्ट्रपति या संसद द्वारा इस हेत नियक्त किये गये किसी भी अधिकारी को प्रदान करता है।
  •  राष्ट्रपति राज्य की कार्यपालिका शक्ति किसी भी राज्याधिकारी को हस्तगत (प्रदान) कर सकता है।
  •  राष्ट्रपति इस घोषणा के अधीन उच्च न्यायालय की शक्तियों - को छोड़कर सभी शक्तियाँ अपने हाथ में - ले सकता है।
  • जब लोकसभा की बैठकें नहीं हो रही हो, उस स्थिति में - राष्ट्रपति राज्य की संचित-निधि में - से व्यय के आदेश दे सकता है।
  • संकट की अवधि में - राष्ट्रपति नागरिकों - की अनच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त स्वतंत्राताएँ स्थगित कर सकता है तथा अनच्छेद 20 एवं 21 के अधीन व्यक्तिगत एवं जीवन रक्षा की स्वतंत्राता के अतिरिक्त किसी भी अन्य अधिकार के सम्बन्ध में - व्यक्ति के न्यायालय में - शरण लेने सम्बन्धी (संवैधानिक उपचारों - का अधिकार) अधिकार का भी उस अवधि तक के लिए अन्त कर सकता है।

वित्तीय आपात एवं उसका प्रभाव
 वित्तीय आपात 

  • भारतीय संविधान के अनच्छेद 360 में - वित्तीय आपातकाल की घोषणा का प्रावधान किया गया है।
  • संविधान के अनच्छेद 360 (1) में - कहा गया है कि - यदि राष्ट्रपति यह अनभव करे कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे पूरे भारत या उसके किसी राज्य क्षेत्रा के किसी भाग में - वित्तीय स्थायित्व या साख को खतरा है तो वह पूरे भारत या सम्बन्धित राज्य क्षेत्रा या उसके किसी भाग में - वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
  • अनच्छेद 360 (2) में - व्यवस्था की गई है कि वित्तीय आपात की घोषणा - 
    (क) बाद में - की गई किसी घोषणा द्वारा वापस ली जा सकेगी या उसमें परिवर्तन किया जा सकता है।
    (ख) ऐसी घोषणा का प्रस्ताव सदन के दोनों - सदनों - के समक्ष रखा जाएगा।इस सम्बन्ध में - प्रस्ताव पारित किये जाने की वही प्रक्रिया अपनायी जाएगी जो कि अनच्छेद 352 के अधीन आपात उपबन्ध के लिए निर्धारित की गई है।
    (ग) इसकी अवधि 2 मास है। किन्त यदि संसद के दोनों सदन इससे सम्बन्धित प्रस्ताव पारित कर देते हैं तो यह तब तक प्रभाव में - रहेगी जब तक कि इसे समाप्त करने की घोषणा न कर दी जाएगी। इस प्रकार इसके लिए कोई अधिकतम अवधि निश्चित नहीं की गई है। लेकिन यदि दो माह की अवधि के अन्तर्गत ही संसद के दोनों - सदनों - द्वारा इससे सम्बन्धित प्रस्ताव पारित नहीं किया जाता तो यह दो माह की समाप्ति पर स्वतः समाप्त मान ली जाएगी।
    (घ) वित्तीय आपात की घोषणा को न्यायालय में चनौती नहीं दी जा सकती है। 
    (ङ) यदि घोषणा के समय लोक सभा विघटित है तो 2 माह की अवधि के भीतर ही इसे राज्य सभा की स्वीकृति लेना आवश्यक है। और यदि 2 माह की अवधि के भीतर नई लोकसभा गठित हो जाती है तो लोकसभा की प्रथम बैठक के 30 दिनों- के भीतर लोकसभा द्वारा इसे स्वीकार कर लेना चाहिए, अन्यथा इसे समाप्त समझा जाएगा।

वित्तीय संकट के प्रभाव

  • संघ की कार्यपालिका राज्य को वित्त सम्बन्धी सिद्धान्तों के सम्बन्ध में- आदेश एवं निर्देश दे सकती है। साथ ही राष्ट्रपति यदि यह आवश्यक एवं उचित समझे तो राज्य को वित्तीय औचित्य से सम्बन्धित निर्देश दे सकता है।
  • संघ एवं राज्य सरकार के अधीन सेवारत किसी भी या सभी वर्गों के व्यक्तियों- के वेतन एवं भत्तों- में- कटौती की जा सकती है। इसमें - राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मख्य न्यायाधीश एवं अन्य न्यायाधीशों- के वेतन भत्ते भी शामिल है।
  • राष्ट्रपति राज्य सरकारों को इस बात के लिए बाध्य कर सकता है कि वे राज्य के समस्त धन विधेयक राष्ट्रपति के विचार एवं स्वीकृति के लिए प्रस्तत करें।
  • संघ की कार्यपालिका राज्य की कार्यपालिका को शासन सम्बन्धी निर्देश दे सकती है।
  • राष्ट्रपति केन्द्र तथा राज्यों के धन सम्बन्धी बँटवारे के प्रावधानों- में- आवश्यक संशोधन कर सकता है।
  • भारत में- व्यवहार में- अब तक कभी भी इस प्रकार के संकट (वित्तीय संकट) की घोषणा नहीं की गई है। 
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FAQs on आपात उपबंध - भारतीय राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. आपात उपबंध क्या होता है?
उत्तर: आपात उपबंध एक प्राथमिकता योजना होती है जिसका उद्देश्य असामान्य परिस्थितियों में जनता की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन करना होता है। इस उपबंध के अंतर्गत लोगों को आपदा के समय सुरक्षा, आहार, पानी, राहत कार्यों और उससे जुड़े सुविधाओं की प्राथमिकता दी जाती है।
2. भारतीय राजव्यवस्था में UPSC का मतलब क्या है?
उत्तर: UPSC का पूरा रूप है "यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन"। यह भारतीय राज्य प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय वाणिज्यिक सेवा (IFS) और अन्य केंद्रीय सरकारी सेवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन करने वाला संघीय आयोग है। यह परीक्षा उच्च स्तरीय नौकरियों के लिए भारत में सरकारी सेवाओं में प्रवेश करने का मार्ग स्थापित करती है।
3. आपात उपबंध के दौरान कौन सी सेवाएं प्रदान की जाती हैं?
उत्तर: आपात उपबंध के दौरान निम्नलिखित सेवाएं प्रदान की जाती हैं: - सुरक्षा सुविधाएं: आपात उपबंध के दौरान, सुरक्षा बलों की प्राथमिकता होती है जो लोगों की सुरक्षा और सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाते हैं। - आहार और पानी: आपात उपबंध के दौरान, लोगों को खाना-पीना की सुविधा प्रदान की जाती है, जिसमें खाद्यान्न, पानी, और अन्य आवश्यक वस्त्र-सामग्री शामिल हो सकती है। - राहत कार्य: आपात उपबंध के दौरान, लोगों को आवश्यक मदद और राहत कार्यों की सुविधा प्रदान की जाती है, जैसे कि चिकित्सा सेवाएं, आवास, स्थानांतरण और अन्य सहायता कार्य।
4. UPSC परीक्षा क्या होती है और कैसे तैयारी की जाए?
उत्तर: UPSC परीक्षा भारतीय राज्य प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय वाणिज्यिक सेवा (IFS) और अन्य केंद्रीय सरकारी सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षा है। तैयारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन कर सकते हैं: - परीक्षा पैटर्न की समझ: UPSC परीक्षा के पैटर्न, सिलेबस और पाठ्यक्रम को समझना महत्वपूर्ण है। - ध्यानपूर्वक अध्ययन: अच्छी तैयारी के लिए समय के साथ ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, पुस्तकों, सामग्री और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का उपयोग करें। - मॉक टेस्ट सीरीज: मॉक टेस्ट सीरीज का उपयोग करें ताकि आप अपनी परीक्षा की तैयारी को अच्छे से समझ सकें और अधिक अभ्यास कर सकें। - स्वस्थ और नियमित जीवनशैली: स्वस्थ और नियमित जीवनशैली अपनाएं, स्वस्थ भोजन खाएं, नियमित व्यायाम करें और अपने मन को शांत रखें।
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