UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  मौर्य साम्राज्य - इतिहास,यु.पी.एस.सी

मौर्य साम्राज्य - इतिहास,यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

मौर्य साम्राज्य
-    भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना का प्रथम श्रेय मौर्यों को जाता है जिन्होंने मगध के विस्तारवादी धारा को केन्द्र बनाकर अपने साम्राज्य की स्थापना की।
-  मौर्यों की उत्पत्ति को लेकर मतभेद है। पौराणिक साक्ष्य जहाँ मौर्यों को शूद्र बताते हुए उन्हें ‘मुरा’ नामक स्त्री से उत्पन्न होने के आधार पर ‘मौर्य’ ठहराते है वहीं बौद्ध तथा जैन साक्ष्य इनको ‘क्षत्रिय कुल’ से जोड़ते है। बहुमान्य विचारधारा यही है कि मौर्यों का उद्भव एक क्षत्रिय गणतंत्रा ”पिप्लिवन के मोरिय“ से हुआ और ‘मोर पक्षी’ की क्षेत्राीय अधिकता के आधार पर ये मोरिय एवं कालान्तर में मौर्य कहलाए।
-  मौर्यों के बारे में जानकारी के विभिन्न स्त्रोत है। इनमें कुछ प्रमुख है-कौटिल्य त अर्थशास्त्र, मेगास्थनीज त इण्डिका, विशाखदत्त त मुद्राराक्षस, हेमचन्द्र त परिशिष्ट पर्वन एवं अशोक के विभिन्न स्तम्भ तथा शिला लेख।
-  मौर्य साम्राज्य का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था। चन्द्रगुप्त ने चाणक्य (अन्य नाम: विष्णुगुप्त, कौटिल्य) की सहायता से नन्द वंश का उन्मूलन (अन्तिम नंद शासक: धननन्द) करके मौर्य साम्राज्य की नींव रखी।
-  चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की संभावित तिथि 322-321 ई. पू. निर्धारित की जाती है।
-  विष्णुगुप्त तक्षशिला का आचार्य था। वह कुरूप, क्रोधी, हठी एवं तेजस्वी था। मगध के सम्राट द्वारा उसका अपमान किए जाने से उसने मगध सम्राट के उन्मूलन की प्रतिज्ञा कर ली।
-  सर्वप्रथम ‘सर विलियम जोन्स’ ने ‘सैण्ड्रोकोट्टस’ (ग्रीक साक्ष्यों में वर्णित) नाम का तादात्म्य चन्द्रगुप्त मौर्य से स्थापित किया जिससे एक ऐतिहासिक कालानुक्रम निर्धारण में अत्यधिक सहायता मिली।
-  चन्द्रगुप्त मौर्य ने सर्वप्रथम ‘पंजाब’ प्रदेश पर अधिकार कर लिया, तत्पश्चात् मगध पर विजय प्राप्त की। अन्य विजयों के उपरांत उसका साम्राज्य पश्चिम में ‘हिन्दुकुश’ से लेकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक तथा उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में ष्णा नदी तक विस्तृत था।
-  चन्द्रगुप्त ने 305 ई. पू. में सिकन्दर के सेनापति ‘सेल्यूकस’ को हराया और सम्भवतः उसकी पुत्राी ‘हेलन’ से विवाह भी किया। सेल्यूकस का दूत ‘मेगास्थनीज’ चन्द्रगुप्त के दरबार में रहा था।
-  चन्द्रगुप्त का शासन काल लगभग 298-97 ई. पू. तक रहा। जैन परम्परा के अनुसार अपने जीवन के अन्तिम समय में वह जैन आचार्य भद्रबाहु के साथ मैसूर के श्रवण-बेलगोला चला गया और वहीं अपना प्राणान्त किया।
-  चन्द्रगुप्त मौर्य के पश्चात् उसका पुत्रा बिन्दुसार 298-97 ई. पू. में पाटलिपुत्रा के सिंहासन पर बैठा।
-  बिन्दुसार के समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना तक्षशिला की प्रजा द्वारा किया गया विद्रोह था, जिसे दबाने के लिए उसने अपने पुत्रा ‘अशोक’ को भेजा था और वह पूर्णतया सफल रहा।
-    चन्द्रगुप्त की तरह बिन्दुसार का भी यूनानियों से व्यापक व मधुर सम्पर्क बना रहा। एण्टियोकस प् से बिन्दुसार ने मीठी शराब तथा एक दार्शनिक भेजने के लिए कहा था। सीरियाई सम्राट् का भी राजदूत डायमेकस बिन्दुसार के दरबार में आया था।
-    पुराण बिन्दुसार का कार्यकाल 25 वर्ष बताते है जबकि पालि-साहित्य 27-28 वर्ष। बिन्दुसार की मृत्यु सम्भवतः 273-72 ई. पू. में हो गयी।
-    बिन्दुसार के मृत्योपरांत उसका पुत्रा ‘अशोक’ गद्दी पर बैठा। वह उस समय उज्जैन का सूबेदार (वायसराय) था। अशोक की राज्यारोहण तिथि 269 ई. पू. है।
-    पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार अशोक को 272 से 269 ई. पू. के बीच गृहयुद्ध में उलझना पड़ा और वह ‘सुसीम’ आदि 100 भाइयों की हत्या के उपरांत राज्यारुढ़ हो सका। परन्तु बौद्ध एवं अन्य साक्ष्य ऐसी घटना का कोई विवरण नहीं देते, सम्भवतः सत्य भी यही है।
-    अशोक की प्रमुख विजयों में कश्मीर व कलिंग है।
-    कलिंग युद्ध (261 ई. पू. राज्यारोहण के बाद 8वें वर्ष में) के पश्चात् अशोक ने कभी भी युद्ध न करने की प्रतिज्ञा कर ली एवं ‘धम्मविजय’ नामक एक नवीन भावनात्मक युद्ध को आधार बना लिया।

स्मरणीय तथ्य
•    स्याद्वाद का संबंध है जैन मत से
•    किस स्थल से युगल स्त्री-पुरुषों के शवाधानों का साक्ष्य प्राप्त हुआ है? लोथल
•    तृतीय बौद्ध संगति की अध्यक्षता किसने की थी?  मोग्गलिपुत्त तिस्स
•    अविमुक्त क्षेत्र अभिधान किसके लिए है? वाराणसी
•    किस स्थल पर हड़प्पा संस् ति के लोगों को घोड़े का ज्ञान था? सुरकोटदा
•    यज्ञ सम्पादन का निरीक्षण किसका कर्तव्य था? ब्रह्म
•    छान्दोग्य उपनिषद् का सम्बन्ध किस वेद-शाखा से है? सामवेद
•    किसमें बौद्ध संघजीवन के नियमों का संग्रह है? विनय पिटक
•    शून्यवाद के व्या•याकार कौन थे? नागार्जुन
•    हिन्द-यवन राजा अन्तलिकित के राजदूत हेलिओदोर द्वारा स्थापित गरुड़ स्तम्भ कहाँ स्थित है? विदिशा
•    कला में विष्णु के किस निम्नलिखित अवतार को समुद्र से पृथ्वी का उद्धार करते हुए अंकित किया गया है? वराह
•    लकुलीश किस मत के प्रवर्तक माने जाते हैं? पाशुपत
•    सर्प-फण में किसका लांछन है? पाश्र्वनाथ
•    पदिरुप्पत्तु किन राजाओं की स्तुतिपरक कविताओं का संग्रह है? चेर
•    शक एवं गुप्त संवतों के बीच लगभग कितना अन्तर है?  242 वर्ष
•    प्राचीन भारत में अच्छे घोड़ों के लिए कौन सा स्थान प्रसिद्ध था?  कम्बोज
-    वह श्रेणी जो कुमारगुप्त प्रथम के काल में लाट से आकर देशपुर में बस गई थी किस वस्तु के व्यापार में संलग्न थी? पट्टवस्त्र
-    पूर्वमध्यकाल में दण्डपाशिक किस तरह का अधिकारी था?  पुलिस अधिकारी

-   कलिंग युद्धोपरान्त अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया। यद्यपि वह वैयक्तिक स्तर पर तो बौद्ध धर्मावलम्बी रहा परन्तु जनसामान्य के लिए उसने सैद्धांतिक बौद्ध धर्म से अलग एक व्यावहारिक धर्म को प्रस्तुत किया।
-   सिंहली अनुश्रुतियों एवं ‘दीपवंश’ तथा ‘महावंश’ के अनुसार अशोक को उसके शासन के चैथे वर्ष में ‘निग्रोध’ नामक 7 वर्षीय भिक्षु ने बौद्ध मत में दीक्षित किया था। तत्पश्चात् ‘मोग्गलिपुत्रा तिस्स’ के प्रभाव से वह पूर्णतया बौद्ध हो गया। ‘दिव्यावदान’ अशोक को बौद्धधर्म में दीक्षित करने का श्रेय ‘उपगुप्त’ नामक बौद्ध भिक्षु को प्रदान करता है।
-   भाब्रू (वैराट राज्य) से प्राप्त लघु शिलालेख में ‘अशोक’ बुद्ध, धम्म तथा संघ का अभिवादन करता है।
-   7वें शिलालेख में अशोक अपनी धार्मिक इच्छा व्यक्त करते हुए कहता है कि ”सब मतों के व्यक्ति सब स्थानों पर रह सकें क्योंकि सभी मत आत्म संयम व हृदय की पवित्राता चाहते हैं“।
-   13वें  शिलालेख में अशोक सैनिक विजय की तुलना धम्म विजय से करता है। इस प्रसंग में वह कलिंग विजय के दौरान होने वाली व्यापक हिंसा व संहार पर भारी पश्चाताप करता है।
-   13वें शिलालेख में ही वह प्रश्न करता है; ‘कियं चु धम्म’ (धम्म क्या है?) और स्वयंमेव उत्तर देते हुए कहता है ”दया, दाने, शुचे, साधवे, अपासिनवे बहुकयाने“ (दया, दान, पवित्राता, सहजता, उपासिनव एवं        बहुकयान) अर्थात् धम्म के ये ही तत्व है।
-   9वें लेख में वह धम्म के नकारात्मक तत्वों पर प्रकाश डालता है।
-   अपने नवीन मत परिवर्तन की सूचना देने के लिए अशोक ने अपने अभिषेक के 10वें वर्ष सम्बोधि (बोध गया) की यात्रा की। अभिषेक के 20वें वर्ष वह ‘लुम्बिनी ग्राम’ गया। उसने वहाँ पत्थर की दृढ़ दीवार         बनवाई तथा शिलास्तम्भ खड़ा किया। उसने यहीं पर 1/8 भाग कर लेने की घोषणा की।
-   अशोक बौद्ध धर्म से बंधा नहीं रहा। उसने एक सार्वभौमिक धर्म की स्थापना की जिसमें साम्प्रदायिकता का अभाव था। उसने नैतिकता एवं आचरण की शुद्धता पर बल दिया।
-  उसने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार की भी निम्नलिखित व्यवस्था की-
1. विभिन्न देशों में प्रचारक भेजे।
2. पाटलिपुत्रा में तीसरी बौद्ध संगीति आयोजित की।
3. ‘धम्म महामात्रा’ नामक एक नए पदाधिकारी की नियुक्ति की।
4. शिलालेखों तथा स्तम्भ लेखों को स्थापित कराया और इसके लिए लोक भाषा को अपनाया।
-  अशोक के अधिकांश लेख ब्राह्मी लिपि (पालि भाषा) में है जबकि उत्तरी पश्चिमी भारत के कतिपय लेख खरोष्ठी लिपि में ह®। उत्तर पश्चिमी सीमान्त के कुछ अभिलेख आरमाइक लिपि में भी है।
-  अपने छठे शिलालेख में वह प्रजा के कल्याण के विषय में अभिव्यक्ति करता है।
-  अशोक की मृत्यु 232  ई. पू. में हो गयी।
-  उसकी मृत्योपरांत उसका पुत्रा कुणाल मगध के सिंहासन पर बैठा। बाद में कई राजा हुए, परन्तु कोई सक्षम न रहा। अन्तिम शासक बृहद्रथ की हत्या 185 ई. पू. में उसके सेनापति पुष्यमित्रा शंुग ने करके मौर्य वंश का अंत कर दिया।
-  अशोक के 13वें शिलालेख से ज्ञात होता है कि दक्षिण में उसने मात्रा ‘कलिंग’ की विजय की थी और उसके बाद युद्ध से पूर्णतया विमुख हो गया।
-  चन्द्रगुप्त मौर्य की शासन-व्यवस्था का स्वरूप राजतंत्रात्मक था। साम्राज्य में सम्राट की स्थिति सर्वोपरि थी। उसकी सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद् होती थी। ‘मंत्रिपरिषद्’ के ही शीर्ष तत्वों की एक संस्था ‘मंत्रिण’ थी जो ‘मंत्रिपरिषद्’ के सदस्यों से श्रेष्ठ होती थी।
-  मौर्य प्रशासन का स्तरीय खण्डन निम्नलिखित रूप में था एवं उनके प्रशासनिक पदाधिकारी निम्नतया थे-
साम्राज्य केन्द्र                                         पदाधिकारी
    प्रान्त                                                  कुमार (आर्यपुत्रा)
    मण्डल                                                प्रदेष्ठा (प्रादेशिक)
    आहार या विषय                                    विषयपति या राजुक
    स्थानीय (800 ग्राम मिलकर)    
1. स्थानिक (कर संग्रहकर्ता)
2. गोप (लेखाकार)
    द्रोणामुख (400 ग्राम मिलाकर)
    खार्वरिक (ग्रामों का समूह)
    (खार्वरिक के अन्तर्गत 20 संग्रहण होते थे)
    ग्राम (प्रशासन की छोटी इकाई) ग्रामणी

स्मरणीय तथ्य
•    पौतवाध्यक्ष का कार्य किसका निरीक्षण करना था? माप-तौल
•     राजराज प्रथम के शासनकाल में नागीपट्टण में बौद्ध विहार बनवाने वाला महाराज मारविजयोतंुगवर्मन् कहाँ का शासक था? श्रीविजय
•    शिलाहार राजा अपरार्क ने किसकी स्मृति पर एक टीका लिखी थी? याज्ञवल्क्य
•     विद्या के किस क्षेत्रा में ब्रह्मगुप्त की प्रसिद्धि है? गणित
•     प्रसिद्ध वेदज्ञ सायण, जिन्होेंने अनेक वैदिक गं्रथों पर टीकायें लिखीं, किस राज्य को अलं त करते थे? विजयनगर
•     दक्षिण के किस राजा को ‘राय रायान’ की पदवी मिली थी? रामचन्द्र देव
•     मासिक अनुपात के आधार पर वेतन की प्रथा किस मुगल सम्राट ने आरम्भ की थी? शाहजहाँ
•     पैबाकी से क्या तात्पर्य  है? अप्रदत्त जागीर भूमि
•     वह कौन हिन्दू चित्राकार था जो जहाँगीर द्वारा ईरान के शाह अब्बास प्रथम का छाया चित्र बनाने के लिए भेजा गया था? बिशन दास
•     निहाल चन्द किस कलम का प्रसिद्ध चित्राकार था? किशनगढ़
•     मराठों के अन्तर्गत गाँवों से भूराजस्व वसूलने की जिम्मा किसका था?  पटेल
•     शिवाजी के समय में परराष्ट्र मामलों के प्रभारी मंत्राी को क्या संज्ञा थी? सुमन्त
•     1719 में फर्रूखशियर की पदच्युति के पश्चात् किस दरबारी गुट ने सैयद भाइयों की शक्ति को समाप्त किया? तूरानी
•     भारतीय शासकों में कौन सर्वप्रथम सहायक सन्धि में सम्मिलित हुआ?  निजाम अली
•     बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त का विचार सर्वप्रथम किसने प्रस्तुत किया था?   एक डिस्ट्रिक्ट सिविल आॅफीसर
•     किस ब्रिटिश अफसर ने बंगाल में जमींदारी के स्वामित्व सम्बन्धी अधिकारों का विरोध किया?  जेम्स ग्रांट

-    मेगास्थनीज ने जिले के अधिकारियों को ‘एग्रोनोमोई’ एवं नगर के अधिकारियों को ‘एस्टिनोमोई’ कहा है।
-    मेगास्थनीज ने ‘इण्डिका’ में ‘पाटलिपुत्रा’ नगर के प्रशासन पर प्रकाश डाला है। उसने नगर परिषद् के पाँच-पाँच सदस्यों वाली 6 समितियों का उल्लेख किया है।
    पहली समिति: औद्योगिक कलाओं के निरीक्षण तथा कारीगरों एवं कलाकारों के हितों की रक्षा से जुड़ी थी।
    दूसरी समिति: विदेशी यात्रियों के भोजन, निवास तथा चिकित्सा का प्रबन्ध
    तीसरी समिति: जनगणना
    चैथी समिति: वाणिज्य-व्यापार
    पाँचवी समिति: उद्योग समिति थी
    छठी समिति: कर व्यवस्था (कर बिक्री के मूल्य का 1/10 होता था)
-    राज्य की आय का मुख्य स्त्रोत भूमि-कर था। यह सिद्धान्ततः उपज  का 1/6 होता था, परन्तु व्यवहार में आर्थिक स्थिति के अनुसार कुछ बढ़ा दिया जाता था (1/4 भाग)। भूमि-कर को ‘भाग’ कहा जाता था।
-    अनन्तपाल नामक पदाधिकारी दुर्गों के अध्यक्ष होते थे।
-    ग्राम प्रबन्ध पंचायतों द्वारा होता था। ग्राम-शासन की सूचना ‘सोहगौरा’ तथा ‘महास्थान’ के लेखों से मिलती है।
-    कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में राज्य के सप्तांग सिद्धांत को प्रस्तुत किया है। मौर्य प्रशासन का यह आधार था। गुप्तचरों की अत्यन्त विस्तृत भूमिका थी। इन्हें अर्थशास्त्र में ‘गूढ़ पुरुष’ कहा गया है।
-    पश्चिमी भारत में सिंचाई की सुविधा के लिए चन्द्रगुप्त के पश्चिमी प्रान्त के राज्यपाल ‘पुष्यगुप्त वैश्य’ ने ‘सुदर्शन’ नामक प्रसिद्ध झील का निर्माण कराया।
-    गेहूँ तथा जौ मुख्य खाद्यान्न थे।
-    नेपाल की तराई में स्थित ‘निग्लीवा’ में अशोक ने कनक मुनि के स्तूप को संवर्धित कराया।
-    13वें शिलालेख में वह 5 यवन शासकों का उल्लेख करता है।
-    दूसरे शिलालेख में दक्षिण के चेर, चोल, पाण्ड्य राजाओं का उल्लेख करता है।
-    राजत्व के सम्बन्ध में अशोक की अवधारणा पितृवत थी। उसके प्रधानमंत्राी का नाम ‘राधागुप्त’ था। अशोक के लेखों में ‘पुरोहितों’ का उल्लेख नहीं मिलता। कालान्तर में एक नए अधिकारी ‘धम्ममहामात्रा’ की नियुक्ति (शासन के 13वें वर्ष में) की थी।
-    न्याय प्रशासन में एकरूपता लाने के लिए अशोक ने अपने अभिषí

The document मौर्य साम्राज्य - इतिहास,यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|679 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on मौर्य साम्राज्य - इतिहास,यु.पी.एस.सी - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. मौर्य साम्राज्य क्या होता है?
उत्तर: मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण राजशाही माना जाता है। यह साम्राज्य मौर्य वंश के शासक चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित किया गया था और इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज का पटना) थी। यह साम्राज्य 4वीं से 2वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक विस्तारित हो चुका था। इसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य के बाद उनके पुत्र सम्राट अशोक ने की थी।
2. मौर्य साम्राज्य की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर: मौर्य साम्राज्य की स्थापना सन् 322 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा की गई थी।
3. मौर्य साम्राज्य की राजधानी कहाँ स्थित थी?
उत्तर: मौर्य साम्राज्य की प्रमुख राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान दिन का पटना) थी।
4. मौर्य साम्राज्य के समय किसने इस्लाम धर्म को स्वीकार किया था?
उत्तर: मौर्य साम्राज्य के समय में भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध सम्राट अशोक ने इस्लाम धर्म को स्वीकार किया था। वह अपने जीवन के एक अवधि में बौद्ध धर्म का प्रचार करते रहे थे, और बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म को अपनाया।
5. मौर्य साम्राज्य का उत्थान और अपाराधिक प्रभाव क्या था?
उत्तर: मौर्य साम्राज्य का उत्थान बहुत तेजी से हुआ था और यह भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली और विस्तृत साम्राज्यों में से एक था। इसके शासक चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक ने अपनी धार्मिक और सामाजिक नीतियों के माध्यम से सम्राटीय प्रभाव बनाया। उन्होंने धर्म प्रचार के लिए बौद्ध धर्म को अपनाया और साम्राज्य के विभिन्न भागों में स्थापना की। इसके अलावा, मौर्य साम्राज्य के शासनकाल में व्यापार और आर्थिक विकास में भी वृद्धि हुई।
398 videos|679 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

मौर्य साम्राज्य - इतिहास

,

Sample Paper

,

mock tests for examination

,

past year papers

,

यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

shortcuts and tricks

,

ppt

,

study material

,

मौर्य साम्राज्य - इतिहास

,

video lectures

,

मौर्य साम्राज्य - इतिहास

,

यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

practice quizzes

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Important questions

,

pdf

,

Free

,

यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

MCQs

,

Extra Questions

,

Summary

,

Semester Notes

,

Objective type Questions

,

Viva Questions

,

Exam

;