राष्ट्रपति का निर्वाचन
निर्वाचन पद्धति
1. राष्ट्रपति का निर्वाचन ऐसे निर्वाचकगण (निर्वाचक मण्डल के सदस्य) करेंगे जिसमें
(क) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, और
(ख) राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होंगे।
महत्वपूर्ण तथ्य
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राष्ट्रपति का निर्वाचन गुप्त मतदान द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होगा -
मतदान प्रक्रिया एवं गणना
राष्ट्रपति की पदावधि
संविधान के अनुच्छेद 56 में राष्ट्रपति के पद की अवधि एवं उसे पद से हटाये जाने संबंधी प्रावधान दिये गये है।
संविधान के अनुच्छेद 56 में कहा गया है कि -
राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तारीख से 5 वर्ष की अवधि तक अपने पद पर रह सकता है।
पांच वर्ष के भीतर भी राष्ट्रपति को हटाया जा सकता है यदि -
(i) राष्ट्रपति स्वयं उपराष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लिखित रूप में अपना त्याग पत्र दे दे।
(ii) राष्ट्रपति द्वारा संविधान का अतिक्रमण या उल्लंघन करने पर, अनुच्छेद 61 में निर्धारित महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा।
(iii) संविधान में यह व्यवस्था भी की गई है कि राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त होने पर भी तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक कि नया राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण न कर ले
राष्ट्रपति पद की योग्यताएँ (अर्हताए.)
(i) भारत का नागरिक हो,
(ii) 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो,
(iii) लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो
(iv) वह भारत सरकार या किसी भी राज्य की सरकार के अधीन या उक्त दोनों सरकारों में से किसी के भी नियंत्राण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिये।
राष्ट्रपति के लिए आवश्यक शर्तें
संविधान के अनुच्छेद 59 के अनुसार-
(i) राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन (लोकसभा अथवा राज्यसभा) या किसी भी राज्य के विधानमंडल के किसी भी सदन (विधानसभा या विधान परिषद्) का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या राज्य विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य राष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि राष्ट्रपति पद ग्रहण करने की तारीख से संबंधित सदन में उसका स्थान रिक्त हो गया है।
(ii) राष्ट्रपति लाभ का अन्य कोई भी पद धारण नहीं कर सकेगा।
अनुच्छेद 59 (3) के अनुसार -
राष्ट्रपति बिना किराया दिये, अपने शासकीय निवासों के उपयोग का हकदार होगा। वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों एवं विशेषाधिकारों का हकदार होगा जो इस संबंध में संसद ने विधि (कानून) द्वारा निर्धारित की है। जब तक संसद ऐसी कोई व्यवस्था न करे तब तक वह संविधान की दूसरी अनुसूची में निर्धारित उपलब्धियों, भत्तों तथा विशेषाधिकारों का हकदार होगा।
राष्ट्रपति की उन्मुक्तियाँ
भारत का राष्ट्रपति अपने पद द्वारा किये गये किसी भी कार्य के लिए स्वयं उत्तरदायी नहीं माना जाएगा। अपने पद की शक्तियों एवं कत्र्तव्यों का प्रयोग करते हुए उनके सम्बन्ध में उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, उसे न्यायालय में प्रस्तुत होने या गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। उसके विरुद्ध कोई भी कार्यवाही दो माह का नोटिस देकर ही की जा सकती है। यहाँ तक कि महाभियोग के लिए भी उसे 14 दिन पूर्व लिखित नोटिस देना अनिवार्य है।
राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
(क) कम से कम चैदह दिन की लिखित सूचना दिये जाने के पश्चात् प्रस्तावित किया गया हो और जिस पर प्रस्तावित करने वाले सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम एक चैथाई सदस्यों ने हस्ताक्षर करके उस संकल्प को प्रस्तावित करने का आशय प्रकट किया हो;और
(ख) उस सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो तिहाई बहुमत द्वारा ऐसा प्रस्ताव (संकल्प) पारित नहीं किया गया हो।
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