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भारतीय स्वाधीनता संग्राम (भाग - 1)- इतिहास,यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

-   885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद राष्ट्रीय आन्दोलन का नेतृत्व धीरे -धीरे कांग्रेस के हाथों में आ गया। प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस ने अपने वार्षिक अधिवेशनों के जरिए अपनी माँग सरकार के सामने प्रस्तुत की।
-    राष्ट्रवादियों ने 1885 से 1892 तक लगातार लेजिस्लेटिव काउंसिल के विस्तार और सुधार की माँग की तथा माँग की कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को ही काउंसिल की सदस्यता मिले और काउंसिल के अधिकारों को बढ़ाया जायें। इस आन्दोलन के कारण ही 1892 में इ.डियन काउंसिल एक्ट द्वारा इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल तथा प्रांतीय काउंसिल के सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गयी परन्तु राष्ट्रवादी इस एक्ट से संतुष्ट नहीं हुए। राष्ट्रवादियों ने इस एक्ट का विरोध करते हुए सार्वजनिक कोष पर भारतीय नियंत्राण की माँग की तथा भारतीयों को काउंसिल में अधिक जगह देने की माँग की। राष्ट्रवादियों ने नारा दिया ”प्रतिनिधित्व के बिना कोई कर नहीं।“
-    कांग्रेस के प्रारम्भिक नेताओं ने इंग्लै.ड में कार्य करने को अधिक महत्व दिया क्योंकि सभी प्रकार के कानून ब्रिटिश संसद द्वारा ही पास होते थे। 1888 में दादाभाई नौरोजी ने इंग्लै.ड में कांग्रेस के एजेन्ट के रूप में कार्य करना आरम्भ किया तथा बाद में उमेशचन्द्र बनर्जी भी उनके साथ सम्मिलित हो गये।
-    1893 में लन्दन में एक भारतीय राजनीतिक एजेन्सी की स्थापना हुई जो शीघ्र ही ब्रिटिश कमेटी आॅफ इ.डियन नेशनल कांग्रेस में परिवर्तित हो गयी। इसक अध्यक्ष वैडन वर्ग तथा सचिव डिग्बी थे। यह कमेटी एक जर्नल छापती थी जिसका नाम इ.डिया था। इस जर्नल का प्रमुख उद्देश्य कांग्रेस के भारत की समस्याओं से सम्बन्धित विचारों को ब्रिटिश जनता के समक्ष रखना था।
-  दादाभाई नौरोजी ने भारत की निर्धनता के विरु) आवाज उठायी। उन्होंने अपने लेख ”पावर्टी इन इ.डिया“ में लिखा, ”भारत कई प्रकार से विपन्न है और दरिद्रता में डूबा हुआ है।“
-  दादाभाई के आर्थिक विचारों का मुख्य विषय था - निकासी का सिद्धांत। 
-  1890 के दशक के दौरान इंग्लिश स्कूल (फर्गूसन कालेज) की स्थापना हुई।
-  1893 में गणपति महोत्सव तथा 1895 में शिवाजी समारोह प्रारम्भ हुआ।
-  1896 -97 में महाराष्ट्र में कर बन्दी अभियान शुरू हुआ।
-  राष्ट्रवादियों ने न्यायिक शक्तियों को कार्यपालिका की शक्तियों से अलग करने की माँग की तथा उन्होंने जूरी के अधिकारों में कटौती का विरोध किया।
-  1897 में बाल गंगाधर तिलक तथा अन्य कई लोगों को अपने भाषणों तथा लेखों द्वारा राजद्रोह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया तथा लम्बी सजाएं दी गयी। पूणे के नाटु बन्धुओं को बिना मुकदमा चलाये देश निकाला दे दिया गया।
-  1904 में इ.डियन आफीशियल सीक्रेट्स एक्ट पास करके प्रेस की स्वतंत्राता पर अंकुश लगा दी गयी।
-  1904 में इ.डियन यूनिवर्सिटी एक्ट पास हुआ जिसका राष्ट्रवादियों ने प्रबल विरोध किया।
-  1905 तक राष्ट्रीय आन्दोलन में जिन लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई उन्हें नरम दलीय कहा जाता है।
-  उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय विचारधारा वाले भारतीयों ने देश भक्ति के संदेश को प्रसारित किया तथा अखिल भारतीय चेतना का सृजन किया। इस प्रकार के राष्ट्रवादी समाचार पत्रा निम्नलिखित थे - 

    (अ) बंगाल अमृत बाजार पत्रिका, इ.डियन मिरर, हिन्दू, पैट्रियट, संजीवनी, सोमप्रकाश, बंगाली इत्यादि।
    (ब) उत्तर प्रदेश आजाद, एडवोकेट, हिन्दुस्तानी इत्यादि।
    (स) बम्बई मराठा, केशरी, नेटिव ओपिनियन, रास्ते गोफ्तार, सुधारक इत्यादि।
    (द) मद्रास हिन्दू, केरल पत्रिका, आन्ध्र प्रकाशिक स्वदेशी मंजन इत्यादि।
    (य) पंजाब ट्रिब्यून, कोहेनूर, अखबारे आम इत्यादि।

           प्रमुख जनजातीय विद्रोह
1.   होस जनजाति का विद्रोह (1827.34 ई.)
2.   छोटानागपुंर की मु.डा जाति का विद्रोह (1831.32)
3.   भूमिबी और चैरस जनजाति का विद्रोह (1832 ई.)
4.   भील विद्रोह (1818.31 ई.)
5.    गुजरात की नायकड़ वन्यजाति का विद्रोह (1868 ई.)
6.    कोंडा डोरा जनजाति का विद्रोह    (1900 ई.)
7.    बिरसा मुंडा विद्रोह (1899.1900 ई.)
8.    बघेरा विद्रोह (1818.19 ई.)
9.     कच्छ का विद्रोह (1819 ई.)
10.    उरांव विद्रोह (1914 ई.)

 

      1857 का विद्रोह
विद्रोह के केन्द्र       विद्रोही नेता       विद्रोह दबाया
कानपुर                नाना साहेब         सर कौलिन कैंपबेल
लखनऊ               अवध की बेगम    कैंपबेल
इलाहाबाद            लियाकत अली     जनरल नील
बनारस                जन साधारण       जनरल नील
बिहार                 कुंवर सिंह             विलियम टेलर व विंसेंट आयार
दिल्ली               बहादुशाह द्वितीय   जार्ज लारेंस
झांसी                रानी लक्ष्मीबाई        सर ह्यूरोज
बरेली                बख्त खां                सर कौलिन कैंपबेल

 

बंगाल का विभाजन
-   लार्ड कर्जन ने 20 जुलाई, 1905 ई. को बंगाल को दो भागों में विभाजित करने की घोषणा की तथा यह विभाजन 16 अक्टूबर, 1905 ई. को लागू हो गया।
-   उस समय बंगाल भारत का सबसे बड़ा प्रान्त था जिसमें वर्तमान समय के बिहार तथा उड़ीसा के क्षेत्रा भी सम्मिलित थे तथा पूरे बंगाल की जनसंख्या 7 करोड़, 80 लाख थी।
-   विभाजन द्वारा बंगाल के पूर्वी हिस्सों को असम के साथ मिला दिया गया और इस प्रकार पूर्वी बंगाल और असम का नया प्रान्त बना।
-   यद्यपि बंगाल प्रान्त इतना बड़ा था कि कुशलतापूर्वक प्रशासन चलाने में कठिनाइयाँ थी परन्तु अंग्रेजों ने विभाजन इस उद्देश्य से किया था कि इससे राष्ट्रवाद की बढ़ती हुई लहर को रोकने में सहायता मिलेगी।
-   विभाजन का पूरे बंगाल में घोर विरोध हुआ। बंगभंग विरोधी आन्दोलन 7 अगस्त, 1905 ई. को  कलकत्ता के टाउन हाल में विशाल प्रदर्शन के आयोजन से प्रारंभ हुआ।
-   16 अक्टूबर, 1905 ई. को जिस दिन बंगभंग लागू हुआ उस दिन राष्ट्रवादियों ने पूरे बंगाल में राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया।
-   1905 ई. में कांग्रेस के बनारस अधिवेशन में अध्यक्ष गोखले ने बंगभंग की घोर निन्दा की।
-   कांग्रेस के मंच से 1905 ई. में गोखले तथा 1906 ई. में दादाभाई नौराजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत स्वशासन की माँग की।
-   1907 ई. में लाला लाजपत राय तथा अजीत सिंह को पंजाब में दंगों के कारण देश से निर्वासित कर दिया गया।
-   1908 में कृष्ण कुमार मित्रा तथा अश्विनी कुमार दत्त सहित 9 बंगाली नेताओं को देश निकाला दे दिया गया।
-   1908 ई. में तिलक को गिरफ्तार करके 6 साल की सजा दी गयी।
-   अरविन्द घोष ने कहा, ”राजनीतिक स्वतंत्राता राष्ट्र की प्राण वायु है“।
-   1911 में बंगाल विभाजन को रद्द करके पूर्वी बंगाल को एक करने की तथा बिहार और उड़ीसा नाम के नये प्रान्त के निर्माण की घोषणा की गयी।
जुझारू राष्ट्रवाद
-   अंग्रेजों की नीतियों से असंतुष्ट होकर भारत में एक ऐसा वर्ग उत्पन्न हुआ जिसका विश्वास था कि शान्तिपूर्ण तरीके से आन्दोलन करने पर स्वतंत्राता प्राप्त होना असम्भव है। अतएव वे संगठित हिंसात्मक साधनों द्वारा अंग्रेजी  शासन को नष्ट करके स्वतंत्राता चाहते थे।
-   इन क्रान्तिकारियों में भूपेन्द्र नाथ दत्त, सावरकर, अजीतसिंह, लाला हरदयाल, सरदार भगत सिंह, सुखदेव और चन्द्रशेखर प्रमुख थे।
-   1897 ई. में पूना में दामोदर और बाल कृष्ण चिपलुंणकर बंधुओं ने बदनाम अंग्रेज अफसरों की हत्या कर दी।
-   1896.97 में तिलक ने करबन्दी अभियान प्रारम्भ किया और उन्होंने महाराष्ट्र के अकालग्रस्त किसानों से कर न देने को कहा। इसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
-   जुझारू राष्ट्रवादी आन्दोलन के प्रमुख नेता तिलक, विपिन चन्द्र पाल, अरविन्द घोष, लाला लाजपत राय इत्यादि थे।
-   आन्दोलन के तरीके को लेकर कांग्रेस के लोग दो समूहों में बंटने लगे जिनमें से एक समूह के लोग ब्रिटिश साम्राज्य से सम्बन्ध रखते हुए स्वराज्य प्राप्त करना चाहते थे जबकि दूसरे समूह के लोग ब्रिटिश सरकार से संघर्ष करके स्वराज्य प्राप्त करने के पक्ष में थे। यह तथ्य कांग्रेस के सूरत अधिवेशन 1907 में खुलकर सामने आया और कांग्रेस दो भागों उदारवादी (नरम दल) तथा उग्रवादी (गरम दल) में विभाजित हो गयी। कांग्रेस संगठन पर उदारवादी लोगों का कब्जा हो गया, जिसके कारण उग्रवादी लोग कांग्रेस से अलग होकर उग्रवादी आन्दोलन में संलग्न हो गये।
-   1907.1908 में क्रान्तिकारी आन्दोलन ने काफी जोर पकड़ा और कई गुप्त समितियों का गठन हुआ।
-   आतंकवादियों ने अपनी गतिविधियों का केन्द्र विदेश में भी स्थापित किया। लन्दन में श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर और हरदयाल ने आतंकवादियों का नेतृत्व किया। मैडम कामा और अजीत सिंह यूरोप में आतंकवादियों के प्रमुख नेता थे।
-   1904 ई. में विनायक दामोदर सावरकर ने अभिनव भारत नामक एक गुप्त संस्था की स्थापना की।
-   बंगाल की ‘संध्या’ और ‘युगान्तर’ तथा महाराष्ट्र का ‘काल’ जैसे समाचार पत्रों ने 1905 ई. से क्रान्तिकारी आतंकवाद का प्रचार करना आरम्भ कर दिया।
-   1908 ई. में खुदीराम बोस तथा प्रफुल्ल चाकी ने बम द्वारा मुजफ्फरपुर के जिला जज की हत्या करने का प्रयास किया परन्तु बम ने दो निर्दोष महिलाओं की जान ले ली। प्रफुल्ल चाकी ने आत्महत्या कर ली जबकि खुदीराम बोस को गिरफ्तार करके मुकदमा चलाकर फाँसी दे दी गयी।
-   आतंकवादियों ने एक अनुशीलन समिति नामक संस्था स्थापित की जिसका मुख्यालय ढाका में था।
-   दिल्ली में राजकीय जुलूस में हाथी पर जाते हुए वायसराय लार्ड हार्डिंग पर बम फेंका गया जिसके कारण वायसराय घायल हो गये।
-   चिदंवरम पिल्लै ने पूर्ण स्वतंत्राता की माँग की। चिदंवरम की गिरफ्तारी के कारण तुतीकोरीन और तिनेवेल्ली में भयंकर दंगे हुए जिसमें पुलिस ने गोली चलायी। बाद में वांची अय्यर ने गोली चलाने का आदेश देने वाले अधिकारी आशे की हत्या करके खुद भी गोली मार ली।
-   तिलक को अपने समाचार पत्रा केशरी में एक लेख लिखने के आरोप में 6 वर्ष का कारावास दिया गया।
-   अमेरिका तथा कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों ने 1913 में गदर पार्टी की स्थापना की। इसकी अन्य देशों में भी शाखाएं खोली गयीं। इसके प्रमुख नेता रास बिहारी घोष, हरदयाल, मैडम कामा आदि थे।

मार्ले -मिन्टो सुधार
-   ब्रिटिश सरकार नरमपंथियों को संतुष्ट करने के लिए इण्डियन काउंसिल एक्ट 1909 के जरिए संवैधानिक रियायतों की घोषणा की जिसे मार्ले -मिन्टो सुधार कहते है।
-   उस समय मार्ले भारत मंत्राी तथा मिन्टो वायसराय था।
-   इस एक्ट द्वारा इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल और प्रांतीय काउंसिलों में चुने हुए सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गयी यद्यपि अधिकतर सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से करने की व्यवस्था की गई। इम्पीरियल काउंसिल के सदस्यों को प्रान्तीय काउंसिलों तथा प्रान्तीय काउंसिल के सदस्यों को म्यूनिसिपल कमेटियों और डिस्ट्रिक्ट बोर्डों द्वारा चुने जाने की व्यवस्था की गयी। चुनी जाने वाली कुछ सीटें जमींदारों तथा भारत स्थित पूंजीपतियों के लिए आरक्षित रहती थी।
-   हिन्दू तथा मुसलमानों के लिए अलग -अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था की गयी।
-   नरमपंथियों ने मार्ले -मिन्टो सुधारों का स्वागत किया जबकि उग्रदल वालों ने इसका बहिष्कार किया।
-   1909 के सुधारों का वास्तविक उद्देश्य नरमपंथी राष्ट्रवादियों को उलझन में डालना, राष्ट्रवादी जमात में फूट डालना तथा भारतीयों के बीच एकता न होने देना था।
-   1911 में केन्द्रीय सरकार का मुख्यालय कलकत्ता से दिल्ली लाने का निर्णय हुआ।

मुस्लिम लीग
-   30 दिसम्बर, 1906 को जब ढाका में मोहम्मडन एजुकेशनल कांफ्रेंस की बैठक हो रही थी तभी उस अधिवेशन को मुस्लिम लीग के नाम से घोषित कर दिया गया।
-   मुस्लिम लीग की स्थापना आगा खाँ, ढाका के नवाब सलीमुल्ला तथा मोहसिन उल मुल्क के नेतृत्व में 1906 ई. में हुआ।
-   1908 में आगा खाँ को मुस्लिम लीग का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया।
-   मुस्लिम लीग ने घोषणा की कि उसका लक्ष्य सरकार के प्रति निष्ठा रखना, मुसलमानों के हितों की रक्षा करना और भारत के अन्य समुदायों के प्रति मुसलमानों में शत्राुता की भावना नहीं पनपने देना है।
-   मुस्लिम लीग ने बंगभंग का समर्थन किया तथा सरकारी सेवाओं में मुसलमानों के लिए विशेष स्थान की माँग की।
-   मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की माँग की जिसे स्वीकार कर लिया गया।
-   मौलाना मोहम्मद अली, हकीम अजमल खाँ, हसन इमाम, मौलाना जफर अली खाँ और मजहरुल हक के  नेतृत्व में जुझारु राष्ट्रवादी अहरार आन्दोलन की स्थापना हुई।
-   1913 ई. में मुस्लिम लीग ने स्वशासन की प्राप्ति को अपना लक्ष्य घोषित किया।
-   दिसम्बर 1915 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग का बम्बई में संयुक्त अधिवेशन हुआ।
-   दिसम्बर 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच समझौता हुआ।
होम रूल लीग
-   1914 ई. में लोकमान्य तिलक जेल से रिहा किये गये।
-   जून, 1914 ई. में प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया जिसमें एक ओर ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, रूस, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका थे तथा दूसरी और जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी और तुर्की थे।
-   1915.1916 ई. के दौरान दो होमरूल लीगों की स्थापना हुई जिनमें से एक का नेतृत्व लोकमान्य तिलक ने किया तथा दूसरे का नेतृत्व एनी बेसेन्ट और एस. सुब्रह्मण्यम अय्यर ने किया। बाद में दोनों होमरूल लीगों को मिलाकर एक कर दिया गया।
-  होमरूल लीग ने विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भारत को होमरूल या स्वराज्य देने के पक्ष में जोरदार प्रचार किया। इसी आन्दोलन के दौरान तिलक ने प्रसिद्ध नारा, ”स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और में इसे लेकर रहूँगा“ दिया।
-  1915 ई. में गोपाल कृष्ण गोखले की मृत्यु हो गयी।
-  प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ होने पर गदर पार्टी वालों ने भारत में सैनिक तथा स्थानीय क्रान्तिकारियों की सहायता से विद्रोह करने की योजना बनायी परन्तु इस योजना की सूचना ब्रिटिश सरकार को मिल गयी जिसके कारण यह योजना सफल न हो सकी और बहुत से क्रान्तिकारियों को मौत की सजा दे दी गयी।
-  गदर पार्टी के नेताओं में गुरुमुख सिंह, सोहन सिंह, कर्तार सिंह, रहमत अली शाह, परमानन्द तथा मोहम्मद बरकतुल्ला प्रमुख थे।
-  1915 ई. में जतीन मुकर्जी बालासोर में पुलिस से लड़ते हुए मारे गये।
-  1916 ई. में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में नरम दल तथा गरमदल में 

मेल हो गया तथा कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच एक समझौता हुआ जिसे लखनऊ पैक्ट कहते हैं। लखनऊ पैक्ट करवाने में तिलक ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
-  1917 में श्रीमती एनी बेसेन्ट को ऊटकमंड में नजरबन्द कर दिया गया।
-  जिन्ना भी होमरूल लीग में शामिल हुए थे।
-  1917 में तिलक को पंजाब और दिल्ली से बाहर चले जाने का आदेश दिया गया।

 

            पूर्वी भारत के जनजातीय विद्रोह
क्रम    विद्रोह के नाम                                               काल                                    प्रभाव क्षेत्र                                           नेतृत्व
1.    खासी विद्रोह                                                   1829.33                               असम के पहाड़ी प्रदेश                           बरमानिक एवं
                                                                                                                                                                               सरदार तीरत सिंह
                                                                                                                                                                                सरदार तागी राजा
2.    सिंहपो विद्रोह                                                1830.39                                 असम के पहाड़ी प्रदेश
3.    कपसछोर -आकस जनजाति का विद्रोह               1835.1842    
4.    कूकी विद्रोह                                                   1829.1850                          लुशाई की पहाड़ियों व मणिपुर व त्रिपुरा के पहाड़ी क्षेत्र में
5.    घुमसर के खोंद विद्रोह                                     1846.1848 के दशक              उड़ीसा    चक्रबिसोई
6.    पार्लिखारवेमदी का सवार आन्दोलन                   1856.57                             उड़ीसा    राधाकृष्ण द.डसेना
7.    खेरवाड़ अथवा सफाहार का आन्दोलन                1882                                   कछार    साबूदान
8.    संथाल विद्रोह                                                 1855.56                              भागलपुर व राजमहल के बीच का क्षेत्र        सिद्धू व कान्हू

 

 

          प्रमुख नागरिक विद्रोह
विद्रोह                                      स्थान                                 काल
संन्यासी विद्रोह                        बंगाल                             1763 -1800 ई.
चुआर विद्रोह                           बंगाल व बिहार                 1755.72/1795.1816 ई.
विजयनगरम् का राजा              दक्षिण भारत                    1794 ई.
पारलेकमड़ी के पोलिगर            दक्षिण भारत                    1813.14 ई.
दीवान वेलु थंपी                      त्रावनकोर                         1805 ई.
कोलियों का विद्रोह                  गुजरात                            1824.28ध्1839 ई.
भील विद्रोह                           पश्चिम भारत                    1818.31 ई.
कित्तूर विद्रोह                       पश्चिम भारत                     1824 ई.

 

         स्वतन्त्राता आन्दोलन से जुड़े कुछ प्रमुख व्यक्ति एवं उनसे सम्बन्धित प्रमुख घटनायें तथा नारे आदि 

  •     बाल गंगाधर तिलक (1825 -1920ए लोकमान्य) - मराठा, गीता रहस्य, केसरी; ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।’
  •     दादा भाई नौरोजी (1825.1917ए ग्रैंडओल्ड मैन आफ इंडिया) - ‘आओ हम पुरुषों की तरह बोलें और घोषणा कर दें कि हम पूरे राजभक्त है।’
  •    सर सैयद अहमद खान (1817.1899) - अलीगढ़ कालेज व अलीगढ़ आन्दोलन के संस्थापक, मुस्लिम प्रगतिशीलता के समर्थक।
  •    रवीन्द्र नाथ टैगोर (1861.1941ए गुरुदेव) - शांति निकेतन व विश्वभारती के संस्थापक, राष्ट्रगान के लेखक।
  •   मदन मोहन मालवीय (1861.1946, महामना) - अभ्युदय के लेखक व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक। 
  •    लाला लाजपत राय (1865.1928, पंजाब केसरी)
  •    चितरंजन दास (1870.1925, देश बन्धु) 
  •     सरोजिनी नायडू (1879.1948, नाइटिंगल आफ इण्डिया भारत कोकिला)
  •    मु. इकबाल - सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
  •     मोहनदास करम चन्द गाँधी (1869.1948, राष्ट्रपिता, बापू, महात्मा गाँधी, नंगा फकीर) - चम्पारन सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, डाण्डी मार्च, भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय गोलमेज सम्मेलन, ‘हे राम’, ‘भारत छोड़ो’, ‘करो या मरो।’ ‘ट्रूथ एन्ड नान वायलेंस आर माई गाड (सत्य एवं अहिंसा मेरे ईश्वर हैं)’, ‘ए गुड थिंग इज लाइक ए  फ्रैगरैन्स’, ‘पाप से डरो पापी से नहीं’।
  •     जवाहर लाल नेहरू (1889.1964, चाचा) - ‘पूर्ण स्वराज्य’, ‘आराम हराम है’, ‘हेव मेड ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’, ‘हू लिव्स इफ इण्डिया डाइज।’
  •   भगत सिंह (1907.1931, शहीदे आजम) - ‘इन्कलाब जिन्दाबाद।’
  •    सुभाष चन्द्र बोस (1892.1945, नेताजी) - ‘दिल्ली चलो’, ‘तुम मुझे खून दो में तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘जय हिन्द’।
  •     सरदार बल्लभ भाई पटेल (1870.1950, लौह पुरुष) - बारदोली सत्याग्रह।
  •    रामप्रसाद विस्मिल - काकोरी बम काण्ड 1925, ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में  है।’
  •     सूर्यसेन - चटगांव आर्मरी रेड 1925।
  •     अली ब्रदर्स - खिलाफत आन्दोलन।
  •   जतीन दास (भूखा जतीन) - 63 दिनों की भूख हड़ताल के बाद शहीद।

 

-   885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद राष्ट्रीय आन्दोलन का नेतृत्व धीरे -धीरे कांग्रेस के हाथों में आ गया। प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस ने अपने वार्षिक अधिवेशनों के जरिए अपनी माँग सरकार के सामने प्रस्तुत की।
-    राष्ट्रवादियों ने 1885 से 1892 तक लगातार लेजिस्लेटिव काउंसिल के विस्तार और सुधार की माँग की तथा माँग की कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को ही काउंसिल की सदस्यता मिले और काउंसिल के अधिकारों को बढ़ाया जायें। इस आन्दोलन के कारण ही 1892 में इ.डियन काउंसिल एक्ट द्वारा इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल तथा प्रांतीय काउंसिल के सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गयी परन्तु राष्ट्रवादी इस एक्ट से संतुष्ट नहीं हुए। राष्ट्रवादियों ने इस एक्ट का विरोध करते हुए सार्वजनिक कोष पर भारतीय नियंत्राण की माँग की तथा भारतीयों को काउंसिल में अधिक जगह देने की माँग की। राष्ट्रवादियों ने नारा दिया ”प्रतिनिधित्व के बिना कोई कर नहीं।“
-    कांग्रेस के प्रारम्भिक नेताओं ने इंग्लै.ड में कार्य करने को अधिक महत्व दिया क्योंकि सभी प्रकार के कानून ब्रिटिश संसद द्वारा ही पास होते थे। 1888 में दादाभाई नौरोजी ने इंग्लै.ड में कांग्रेस के एजेन्ट के रूप में कार्य करना आरम्भ किया तथा बाद में उमेशचन्द्र बनर्जी भी उनके साथ सम्मिलित हो गये।
-    1893 में लन्दन में एक भारतीय राजनीतिक एजेन्सी की स्थापना हुई जो शीघ्र ही ब्रिटिश कमेटी आॅफ इ.डियन नेशनल कांग्रेस में परिवर्तित हो गयी। इसक अध्यक्ष वैडन वर्ग तथा सचिव डिग्बी थे। यह कमेटी एक जर्नल छापती थी जिसका नाम इ.डिया था। इस जर्नल का प्रमुख उद्देश्य कांग्रेस के भारत की समस्याओं से सम्बन्धित विचारों को ब्रिटिश जनता के समक्ष रखना था।
-  दादाभाई नौरोजी ने भारत की निर्धनता के विरु) आवाज उठायी। उन्होंने अपने लेख ”पावर्टी इन इ.डिया“ में लिखा, ”भारत कई प्रकार से विपन्न है और दरिद्रता में डूबा हुआ है।“
-  दादाभाई के आर्थिक विचारों का मुख्य विषय था - निकासी का सिद्धांत। 
-  1890 के दशक के दौरान इंग्लिश स्कूल (फर्गूसन कालेज) की स्थापना हुई।
-  1893 में गणपति महोत्सव तथा 1895 में शिवाजी समारोह प्रारम्भ हुआ।
-  1896 -97 में महाराष्ट्र में कर बन्दी अभियान शुरू हुआ।
-  राष्ट्रवादियों ने न्यायिक शक्तियों को कार्यपालिका की शक्तियों से अलग करने की माँग की तथा उन्होंने जूरी के अधिकारों में कटौती का विरोध किया।
-  1897 में बाल गंगाधर तिलक तथा अन्य कई लोगों को अपने भाषणों तथा लेखों द्वारा राजद्रोह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया तथा लम्बी सजाएं दी गयी। पूणे के नाटु बन्धुओं को बिना मुकदमा चलाये देश निकाला दे दिया गया।
-  1904 में इ.डियन आफीशियल सीक्रेट्स एक्ट पास करके प्रेस की स्वतंत्राता पर अंकुश लगा दी गयी।
-  1904 में इ.डियन यूनिवर्सिटी एक्ट पास हुआ जिसका राष्ट्रवादियों ने प्रबल विरोध किया।
-  1905 तक राष्ट्रीय आन्दोलन में जिन लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई उन्हें नरम दलीय कहा जाता है।
-  उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय विचारधारा वाले भारतीयों ने देश भक्ति के संदेश को प्रसारित किया तथा अखिल भारतीय चेतना का सृजन किया। इस प्रकार के राष्ट्रवादी समाचार पत्रा निम्नलिखित थे - 

    (अ) बंगाल अमृत बाजार पत्रिका, इ.डियन मिरर, हिन्दू, पैट्रियट, संजीवनी, सोमप्रकाश, बंगाली इत्यादि।
    (ब) उत्तर प्रदेश आजाद, एडवोकेट, हिन्दुस्तानी इत्यादि।
    (स) बम्बई मराठा, केशरी, नेटिव ओपिनियन, रास्ते गोफ्तार, सुधारक इत्यादि।
    (द) मद्रास हिन्दू, केरल पत्रिका, आन्ध्र प्रकाशिक स्वदेशी मंजन इत्यादि।
    (य) पंजाब ट्रिब्यून, कोहेनूर, अखबारे आम इत्यादि।

           प्रमुख जनजातीय विद्रोह
1.   होस जनजाति का विद्रोह (1827.34 ई.)
2.   छोटानागपुंर की मु.डा जाति का विद्रोह (1831.32)
3.   भूमिबी और चैरस जनजाति का विद्रोह (1832 ई.)
4.   भील विद्रोह (1818.31 ई.)
5.    गुजरात की नायकड़ वन्यजाति का विद्रोह (1868 ई.)
6.    कोंडा डोरा जनजाति का विद्रोह    (1900 ई.)
7.    बिरसा मुंडा विद्रोह (1899.1900 ई.)
8.    बघेरा विद्रोह (1818.19 ई.)
9.     कच्छ का विद्रोह (1819 ई.)
10.    उरांव विद्रोह (1914 ई.)

 

      1857 का विद्रोह
विद्रोह के केन्द्र       विद्रोही नेता       विद्रोह दबाया
कानपुर                नाना साहेब         सर कौलिन कैंपबेल
लखनऊ               अवध की बेगम    कैंपबेल
इलाहाबाद            लियाकत अली     जनरल नील
बनारस                जन साधारण       जनरल नील
बिहार                 कुंवर सिंह             विलियम टेलर व विंसेंट आयार
दिल्ली               बहादुशाह द्वितीय   जार्ज लारेंस
झांसी                रानी लक्ष्मीबाई        सर ह्यूरोज
बरेली                बख्त खां                सर कौलिन कैंपबेल

 

बंगाल का विभाजन
-   लार्ड कर्जन ने 20 जुलाई, 1905 ई. को बंगाल को दो भागों में विभाजित करने की घोषणा की तथा यह विभाजन 16 अक्टूबर, 1905 ई. को लागू हो गया।
-   उस समय बंगाल भारत का सबसे बड़ा प्रान्त था जिसमें वर्तमान समय के बिहार तथा उड़ीसा के क्षेत्रा भी सम्मिलित थे तथा पूरे बंगाल की जनसंख्या 7 करोड़, 80 लाख थी।
-   विभाजन द्वारा बंगाल के पूर्वी हिस्सों को असम के साथ मिला दिया गया और इस प्रकार पूर्वी बंगाल और असम का नया प्रान्त बना।
-   यद्यपि बंगाल प्रान्त इतना बड़ा था कि कुशलतापूर्वक प्रशासन चलाने में कठिनाइयाँ थी परन्तु अंग्रेजों ने विभाजन इस उद्देश्य से किया था कि इससे राष्ट्रवाद की बढ़ती हुई लहर को रोकने में सहायता मिलेगी।
-   विभाजन का पूरे बंगाल में घोर विरोध हुआ। बंगभंग विरोधी आन्दोलन 7 अगस्त, 1905 ई. को  कलकत्ता के टाउन हाल में विशाल प्रदर्शन के आयोजन से प्रारंभ हुआ।
-   16 अक्टूबर, 1905 ई. को जिस दिन बंगभंग लागू हुआ उस दिन राष्ट्रवादियों ने पूरे बंगाल में राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया।
-   1905 ई. में कांग्रेस के बनारस अधिवेशन में अध्यक्ष गोखले ने बंगभंग की घोर निन्दा की।
-   कांग्रेस के मंच से 1905 ई. में गोखले तथा 1906 ई. में दादाभाई नौराजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत स्वशासन की माँग की।
-   1907 ई. में लाला लाजपत राय तथा अजीत सिंह को पंजाब में दंगों के कारण देश से निर्वासित कर दिया गया।
-   1908 में कृष्ण कुमार मित्रा तथा अश्विनी कुमार दत्त सहित 9 बंगाली नेताओं को देश निकाला दे दिया गया।
-   1908 ई. में तिलक को गिरफ्तार करके 6 साल की सजा दी गयी।
-   अरविन्द घोष ने कहा, ”राजनीतिक स्वतंत्राता राष्ट्र की प्राण वायु है“।
-   1911 में बंगाल विभाजन को रद्द करके पूर्वी बंगाल को एक करने की तथा बिहार और उड़ीसा नाम के नये प्रान्त के निर्माण की घोषणा की गयी।
जुझारू राष्ट्रवाद
-   अंग्रेजों की नीतियों से असंतुष्ट होकर भारत में एक ऐसा वर्ग उत्पन्न हुआ जिसका विश्वास था कि शान्तिपूर्ण तरीके से आन्दोलन करने पर स्वतंत्राता प्राप्त होना असम्भव है। अतएव वे संगठित हिंसात्मक साधनों द्वारा अंग्रेजी  शासन को नष्ट करके स्वतंत्राता चाहते थे।
-   इन क्रान्तिकारियों में भूपेन्द्र नाथ दत्त, सावरकर, अजीतसिंह, लाला हरदयाल, सरदार भगत सिंह, सुखदेव और चन्द्रशेखर प्रमुख थे।
-   1897 ई. में पूना में दामोदर और बाल कृष्ण चिपलुंणकर बंधुओं ने बदनाम अंग्रेज अफसरों की हत्या कर दी।
-   1896.97 में तिलक ने करबन्दी अभियान प्रारम्भ किया और उन्होंने महाराष्ट्र के अकालग्रस्त किसानों से कर न देने को कहा। इसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
-   जुझारू राष्ट्रवादी आन्दोलन के प्रमुख नेता तिलक, विपिन चन्द्र पाल, अरविन्द घोष, लाला लाजपत राय इत्यादि थे।
-   आन्दोलन के तरीके को लेकर कांग्रेस के लोग दो समूहों में बंटने लगे जिनमें से एक समूह के लोग ब्रिटिश साम्राज्य से सम्बन्ध रखते हुए स्वराज्य प्राप्त करना चाहते थे जबकि दूसरे समूह के लोग ब्रिटिश सरकार से संघर्ष करके स्वराज्य प्राप्त करने के पक्ष में थे। यह तथ्य कांग्रेस के सूरत अधिवेशन 1907 में खुलकर सामने आया और कांग्रेस दो भागों उदारवादी (नरम दल) तथा उग्रवादी (गरम दल) में विभाजित हो गयी। कांग्रेस संगठन पर उदारवादी लोगों का कब्जा हो गया, जिसके कारण उग्रवादी लोग कांग्रेस से अलग होकर उग्रवादी आन्दोलन में संलग्न हो गये।
-   1907.1908 में क्रान्तिकारी आन्दोलन ने काफी जोर पकड़ा और कई गुप्त समितियों का गठन हुआ।
-   आतंकवादियों ने अपनी गतिविधियों का केन्द्र विदेश में भी स्थापित किया। लन्दन में श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर और हरदयाल ने आतंकवादियों का नेतृत्व किया। मैडम कामा और अजीत सिंह यूरोप में आतंकवादियों के प्रमुख नेता थे।
-   1904 ई. में विनायक दामोदर सावरकर ने अभिनव भारत नामक एक गुप्त संस्था की स्थापना की।
-   बंगाल की ‘संध्या’ और ‘युगान्तर’ तथा महाराष्ट्र का ‘काल’ जैसे समाचार पत्रों ने 1905 ई. से क्रान्तिकारी आतंकवाद का प्रचार करना आरम्भ कर दिया।
-   1908 ई. में खुदीराम बोस तथा प्रफुल्ल चाकी ने बम द्वारा मुजफ्फरपुर के जिला जज की हत्या करने का प्रयास किया परन्तु बम ने दो निर्दोष महिलाओं की जान ले ली। प्रफुल्ल चाकी ने आत्महत्या कर ली जबकि खुदीराम बोस को गिरफ्तार करके मुकदमा चलाकर फाँसी दे दी गयी।
-   आतंकवादियों ने एक अनुशीलन समिति नामक संस्था स्थापित की जिसका मुख्यालय ढाका में था।
-   दिल्ली में राजकीय जुलूस में हाथी पर जाते हुए वायसराय लार्ड हार्डिंग पर बम फेंका गया जिसके कारण वायसराय घायल हो गये।
-   चिदंवरम पिल्लै ने पूर्ण स्वतंत्राता की माँग की। चिदंवरम की गिरफ्तारी के कारण तुतीकोरीन और तिनेवेल्ली में भयंकर दंगे हुए जिसमें पुलिस ने गोली चलायी। बाद में वांची अय्यर ने गोली चलाने का आदेश देने वाले अधिकारी आशे की हत्या करके खुद भी गोली मार ली।
-   तिलक को अपने समाचार पत्रा केशरी में एक लेख लिखने के आरोप में 6 वर्ष का कारावास दिया गया।
-   अमेरिका तथा कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों ने 1913 में गदर पार्टी की स्थापना की। इसकी अन्य देशों में भी शाखाएं खोली गयीं। इसके प्रमुख नेता रास बिहारी घोष, हरदयाल, मैडम कामा आदि थे।

मार्ले -मिन्टो सुधार
-   ब्रिटिश सरकार नरमपंथियों को संतुष्ट करने के लिए इण्डियन काउंसिल एक्ट 1909 के जरिए संवैधानिक रियायतों की घोषणा की जिसे मार्ले -मिन्टो सुधार कहते है।
-   उस समय मार्ले भारत मंत्राी तथा मिन्टो वायसराय था।
-   इस एक्ट द्वारा इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल और प्रांतीय काउंसिलों में चुने हुए सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गयी यद्यपि अधिकतर सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से करने की व्यवस्था की गई। इम्पीरियल काउंसिल के सदस्यों को प्रान्तीय काउंसिलों तथा प्रान्तीय काउंसिल के सदस्यों को म्यूनिसिपल कमेटियों और डिस्ट्रिक्ट बोर्डों द्वारा चुने जाने की व्यवस्था की गयी। चुनी जाने वाली कुछ सीटें जमींदारों तथा भारत स्थित पूंजीपतियों के लिए आरक्षित रहती थी।
-   हिन्दू तथा मुसलमानों के लिए अलग -अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था की गयी।
-   नरमपंथियों ने मार्ले -मिन्टो सुधारों का स्वागत किया जबकि उग्रदल वालों ने इसका बहिष्कार किया।
-   1909 के सुधारों का वास्तविक उद्देश्य नरमपंथी राष्ट्रवादियों को उलझन में डालना, राष्ट्रवादी जमात में फूट डालना तथा भारतीयों के बीच एकता न होने देना था।
-   1911 में केन्द्रीय सरकार का मुख्यालय कलकत्ता से दिल्ली लाने का निर्णय हुआ।

मुस्लिम लीग
-   30 दिसम्बर, 1906 को जब ढाका में मोहम्मडन एजुकेशनल कांफ्रेंस की बैठक हो रही थी तभी उस अधिवेशन को मुस्लिम लीग के नाम से घोषित कर दिया गया।
-   मुस्लिम लीग की स्थापना आगा खाँ, ढाका के नवाब सलीमुल्ला तथा मोहसिन उल मुल्क के नेतृत्व में 1906 ई. में हुआ।
-   1908 में आगा खाँ को मुस्लिम लीग का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया।
-   मुस्लिम लीग ने घोषणा की कि उसका लक्ष्य सरकार के प्रति निष्ठा रखना, मुसलमानों के हितों की रक्षा करना और भारत के अन्य समुदायों के प्रति मुसलमानों में शत्राुता की भावना नहीं पनपने देना है।
-   मुस्लिम लीग ने बंगभंग का समर्थन किया तथा सरकारी सेवाओं में मुसलमानों के लिए विशेष स्थान की माँग की।
-   मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की माँग की जिसे स्वीकार कर लिया गया।
-   मौलाना मोहम्मद अली, हकीम अजमल खाँ, हसन इमाम, मौलाना जफर अली खाँ और मजहरुल हक के  नेतृत्व में जुझारु राष्ट्रवादी अहरार आन्दोलन की स्थापना हुई।
-   1913 ई. में मुस्लिम लीग ने स्वशासन की प्राप्ति को अपना लक्ष्य घोषित किया।
-   दिसम्बर 1915 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग का बम्बई में संयुक्त अधिवेशन हुआ।
-   दिसम्बर 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच समझौता हुआ।
होम रूल लीग
-   1914 ई. में लोकमान्य तिलक जेल से रिहा किये गये।
-   जून, 1914 ई. में प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया जिसमें एक ओर ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, रूस, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका थे तथा दूसरी और जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी और तुर्की थे।
-   1915.1916 ई. के दौरान दो होमरूल लीगों की स्थापना हुई जिनमें से एक का नेतृत्व लोकमान्य तिलक ने किया तथा दूसरे का नेतृत्व एनी बेसेन्ट और एस. सुब्रह्मण्यम अय्यर ने किया। बाद में दोनों होमरूल लीगों को मिलाकर एक कर दिया गया।
-  होमरूल लीग ने विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भारत को होमरूल या स्वराज्य देने के पक्ष में जोरदार प्रचार किया। इसी आन्दोलन के दौरान तिलक ने प्रसिद्ध नारा, ”स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और में इसे लेकर रहूँगा“ दिया।
-  1915 ई. में गोपाल कृष्ण गोखले की मृत्यु हो गयी।
-  प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ होने पर गदर पार्टी वालों ने भारत में सैनिक तथा स्थानीय क्रान्तिकारियों की सहायता से विद्रोह करने की योजना बनायी परन्तु इस योजना की सूचना ब्रिटिश सरकार को मिल गयी जिसके कारण यह योजना सफल न हो सकी और बहुत से क्रान्तिकारियों को मौत की सजा दे दी गयी।
-  गदर पार्टी के नेताओं में गुरुमुख सिंह, सोहन सिंह, कर्तार सिंह, रहमत अली शाह, परमानन्द तथा मोहम्मद बरकतुल्ला प्रमुख थे।
-  1915 ई. में जतीन मुकर्जी बालासोर में पुलिस से लड़ते हुए मारे गये।
-  1916 ई. में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में नरम दल तथा गरमदल में 

मेल हो गया तथा कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच एक समझौता हुआ जिसे लखनऊ पैक्ट कहते हैं। लखनऊ पैक्ट करवाने में तिलक ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
-  1917 में श्रीमती एनी बेसेन्ट को ऊटकमंड में नजरबन्द कर दिया गया।
-  जिन्ना भी होमरूल लीग में शामिल हुए थे।
-  1917 में तिलक को पंजाब और दिल्ली से बाहर चले जाने का आदेश दिया गया।

 

            पूर्वी भारत के जनजातीय विद्रोह
क्रम    विद्रोह के नाम                                               काल                                    प्रभाव क्षेत्र                                           नेतृत्व
1.    खासी विद्रोह                                                   1829.33                               असम के पहाड़ी प्रदेश                           बरमानिक एवं
                                                                                                                                                                               सरदार तीरत सिंह
                                                                                                                                                                                सरदार तागी राजा
2.    सिंहपो विद्रोह                                                1830.39                                 असम के पहाड़ी प्रदेश
3.    कपसछोर -आकस जनजाति का विद्रोह               1835.1842    
4.    कूकी विद्रोह                                                   1829.1850                          लुशाई की पहाड़ियों व मणिपुर व त्रिपुरा के पहाड़ी क्षेत्र में
5.    घुमसर के खोंद विद्रोह                                     1846.1848 के दशक              उड़ीसा    चक्रबिसोई
6.    पार्लिखारवेमदी का सवार आन्दोलन                   1856.57                             उड़ीसा    राधाकृष्ण द.डसेना
7.    खेरवाड़ अथवा सफाहार का आन्दोलन                1882                                   कछार    साबूदान
8.    संथाल विद्रोह                                                 1855.56                              भागलपुर व राजमहल के बीच का क्षेत्र        सिद्धू व कान्हू

 

 

          प्रमुख नागरिक विद्रोह
विद्रोह                                      स्थान                                 काल
संन्यासी विद्रोह                        बंगाल                             1763 -1800 ई.
चुआर विद्रोह                           बंगाल व बिहार                 1755.72/1795.1816 ई.
विजयनगरम् का राजा              दक्षिण भारत                    1794 ई.
पारलेकमड़ी के पोलिगर            दक्षिण भारत                    1813.14 ई.
दीवान वेलु थंपी                      त्रावनकोर                         1805 ई.
कोलियों का विद्रोह                  गुजरात                            1824.28ध्1839 ई.
भील विद्रोह                           पश्चिम भारत                    1818.31 ई.
कित्तूर विद्रोह                       पश्चिम भारत                     1824 ई.

 

         स्वतन्त्राता आन्दोलन से जुड़े कुछ प्रमुख व्यक्ति एवं उनसे सम्बन्धित प्रमुख घटनायें तथा नारे आदि 

  •     बाल गंगाधर तिलक (1825 -1920ए लोकमान्य) - मराठा, गीता रहस्य, केसरी; ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।’
  •     दादा भाई नौरोजी (1825.1917ए ग्रैंडओल्ड मैन आफ इंडिया) - ‘आओ हम पुरुषों की तरह बोलें और घोषणा कर दें कि हम पूरे राजभक्त है।’
  •    सर सैयद अहमद खान (1817.1899) - अलीगढ़ कालेज व अलीगढ़ आन्दोलन के संस्थापक, मुस्लिम प्रगतिशीलता के समर्थक।
  •    रवीन्द्र नाथ टैगोर (1861.1941ए गुरुदेव) - शांति निकेतन व विश्वभारती के संस्थापक, राष्ट्रगान के लेखक।
  •   मदन मोहन मालवीय (1861.1946, महामना) - अभ्युदय के लेखक व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक। 
  •    लाला लाजपत राय (1865.1928, पंजाब केसरी)
  •    चितरंजन दास (1870.1925, देश बन्धु) 
  •     सरोजिनी नायडू (1879.1948, नाइटिंगल आफ इण्डिया भारत कोकिला)
  •    मु. इकबाल - सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
  •     मोहनदास करम चन्द गाँधी (1869.1948, राष्ट्रपिता, बापू, महात्मा गाँधी, नंगा फकीर) - चम्पारन सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, डाण्डी मार्च, भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय गोलमेज सम्मेलन, ‘हे राम’, ‘भारत छोड़ो’, ‘करो या मरो।’ ‘ट्रूथ एन्ड नान वायलेंस आर माई गाड (सत्य एवं अहिंसा मेरे ईश्वर हैं)’, ‘ए गुड थिंग इज लाइक ए  फ्रैगरैन्स’, ‘पाप से डरो पापी से नहीं’।
  •     जवाहर लाल नेहरू (1889.1964, चाचा) - ‘पूर्ण स्वराज्य’, ‘आराम हराम है’, ‘हेव मेड ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’, ‘हू लिव्स इफ इण्डिया डाइज।’
  •   भगत सिंह (1907.1931, शहीदे आजम) - ‘इन्कलाब जिन्दाबाद।’
  •    सुभाष चन्द्र बोस (1892.1945, नेताजी) - ‘दिल्ली चलो’, ‘तुम मुझे खून दो में तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘जय हिन्द’।
  •     सरदार बल्लभ भाई पटेल (1870.1950, लौह पुरुष) - बारदोली सत्याग्रह।
  •    रामप्रसाद विस्मिल - काकोरी बम काण्ड 1925, ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में  है।’
  •     सूर्यसेन - चटगांव आर्मरी रेड 1925।
  •     अली ब्रदर्स - खिलाफत आन्दोलन।
  •   जतीन दास (भूखा जतीन) - 63 दिनों की भूख हड़ताल के बाद शहीद।

 

मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार
-   1918 में भारत मंत्राी एडविन मांटेग्यू और वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड ने संवैधानिक सुधारों की अपनी योजना प्रस्तुत की जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश संसद ने गवर्नमेण्ट आॅफ इण्डिया एक्ट, 1919 पास किया।
-   इस एक्ट के द्वारा प्रान्तों में द्वैध शासन की स्थापना की गयी तथा प्रान्तीय सरकारों को अधिक अधिकार दिया गया।
-   प्रान्तीय लेजिस्लेटिव काउंसिल का विस्तार किया गया तथा उनके अधिकांश सदस्यों के चुनाव की व्यवस्था की गयी।
-   आरक्षित तथा हस्तांतरित वर्गों के अधिकारों को परिभाषित किया गया।
-   आरक्षित विषयों के अन्तर्गत वित्त, कानून तथा व्यवस्था को रखा गया जो सीधे गवर्नर के नियंत्राण में थे जबकि हस्तांतरित विषयों के अन्तर्गत शिक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और स्थानीय स्वायत्त शासन जैसे विषयों को रखा गया तथा इन्हें विधानमंडलों के प्रति उत्तरदायी मंत्रियों  के अधीन रखा गया।
-   गवर्नर अपने मंत्रियों के निर्णय को विशेष कारणों से रद्द कर सकता था।
-   केन्द्र में दो सदनों वाले विधान मण्डल, लेजिस्लेटिव असेम्बली तथा काउंसिल आॅफ स्टेट की व्यवस्था की गयी।
-   लेजिस्लेटिव असेम्बली में 144 सदस्यों की व्यवस्था की गयी जिसमें से 41 नामजद किये जाने वाले थे। काउंसिल आॅफ स्टेट में 26 नामजद और 34 निर्वाचित सदस्यों की व्यवस्था की गयी।
-   विधानमण्डल का गवर्नर जनरल और उसकी कार्यकारिणी परिषद् पर कोई नियंत्राण नहीं था।
-   केन्द्रीय सरकार का प्रान्तीय सरकारों पर अप्रतिबन्धित नियंत्राण था।
-    मतदान के अधिकार को सीमित कर दिया गया।
-    भारत मंत्राी के अधिकार सीमित कर दिये गये।
-    1918 के बम्बई में हुए कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों को निराशाजनक और असन्तोषप्रद कहकर इनकी निन्दा की गयी। अधिवेशन में सुधारों के स्थान पर स्वराज्य की माँग की गयी। कांग्रेस के इस विशेष अधिवेशन की अध्यक्षता हसन इमाम ने की थी।
-    सुरेन्द्र नाथ बनर्जी के नेतृत्व में कुछ कांग्रेसी इन प्रस्तावित सुधारों के पक्ष में थे। इसलिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और इण्डियन लिबरल फेडरेशन की स्थापना की। वे उदारवादियों के नाम से जाने गये।

 

 

          कांग्रेस से पूर्व गठित कुछ राष्ट्रवादी संगठन
     क्रम  संगठन                           संस्थापक                                    वर्ष                                                  स्थान                                                           
1.    लैण्ड होल्डर्स सोसायटी          द्वारिका नाथ टैगोर                       1836                                                  कलकत्ता
2.    ब्रिटिश इंडिया सोसायटी         विलियम आदम                            1839                                                  लन्दन
3.   बंगाल ब्रिटिश इं0 सोसायटी      द्वारिका नाथ टैगोर                     1843                                                  कलकत्ता
4.    ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन                                                      1851                                                  कलकत्ता 
5.    मद्रास नेटिव एसोसिएशन                                                       1852                                                   मद्रास
6.    बाम्बे एसोसिएशन                  जगन्नाथ शंकर                          1866                                                   लन्दन
7.    ईस्ट इंडिया एसोसिएशन          दादाभाई नौरोजी                         1866                                                   लन्दन
8.   नेशनल इण्डियन एसोसिएशन     मेरी कारपेंटर                             1867                                                   लन्दन
9.    पूना सार्वजनिक सभा                 एस.एच.चिपलंकर                     1876                                                    कलकत्ता
                                                    जी.वी.जोशी पी.रानाडे    
        
10.    इण्डियन सोसाइटी                   आनन्द मोहन बोस                  1872                                                       लन्दन
11.    इण्डियन एसोसिएशन               आनन्द माहन बोस                  1876                                                       कलकत्ता
                                                     तथा एस.एन.बनर्जी    
12.    मद्रास महाजन सभा                जी.एस.अय्यर, एम.                  1884                                                        मद्रास
                                                     वीर राघवाचारी, 
                                                    आनन्द चारलू आदि
13.    बाम्बे प्रेसीडेन्सी एसोसिएशन    फिरोजशाह मेहता,                    1885                                                         बम्बई
                                                     के.टी. तैलंग
                                                      बदरूद्दीन तैयबजी

 

भारतीय प्रेस का विकास
क्रम    पत्र/पत्रिका                संस्थापक                          वर्ष                                    स्थान
1.    बंगाल गजट            जेम्स आग्सट्स हिक्की          1780                                 कलकत्ता
2.   इंडिया गजट                                                      1787                                 कलकत्ता
3.    मद्रास कुरियर                                                   1784                                 मद्रास
4.    बाम्बे हेराल्ड                                                     1789                                 बम्बई
5.    दिग्दर्शन                                                           1818                                कलकत्ता
6.    बंगाली गजट             हरिश्चन्द्र राय                      1818                                कलकत्ता
7.    मिरात-उल-अखबार    राममोहन राय                      1822                                कलकत्ता 
8.    बंगदूत                     राममोहन राय                       1822                                कलकत्ता
                                       देवेन्द्रनाथ टैगोर
9.    बम्बई समाचार                                                    1822                                बम्बई
10.    रफ्त गोफ्तार             दादाभाई नौरोजी                  1851                               बम्बई
11.   हिन्दू पैट्रियाट           गिरीशचन्द्र घोष तथा              1853                               कलकत्ता
                                          हरिश्चन्द्र मुखर्जी
12.    सोम प्रकाश               द्वारिका नाथ विद्याभूषण     1858                               कलकत्ता
13.    इण्डियन मिरर           देवेन्द्रनाथ टैगोर                  1862                                कलकत्ता
14.  बंगाली                      गिरीशचन्द्र घोष                     1862                               कलकत्ता
15.    अमृत बाजार पत्रिका    शिशिर कुमार घोष                1868                               कलकत्ता
16.    बंग दर्शन                   बंकिमचंद्र चटर्जी                  1873                                कलकत्ता
17.    स्टेट्समैन                   राबर्ट नाईट                         1875                               कलकत्ता
18.    हिन्दू                           जी.एस.अय्यर,                  1878                                 मद्रास
        वीर राघवाचारी
19.   केसरी-माहट्टा (मराठी)    बाल गंगाधर तिलक              1881                                बम्बई
20.    ट्रिब्यून                        दयाल सिंह मजीठा                1881                               लाहौर
 


    

 

 

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FAQs on भारतीय स्वाधीनता संग्राम (भाग - 1)- इतिहास,यु.पी.एस.सी - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. भारतीय स्वाधीनता संग्राम क्या है?
उत्तर. भारतीय स्वाधीनता संग्राम भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है जिसमें भारतीय लोगों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी स्वतंत्रता को प्राप्त की। इसमें विभिन्न आंदोलन, सत्याग्रह और क्रांतिकारी गतिविधियां शामिल थीं।
2. भारतीय स्वाधीनता संग्राम कब शुरू हुआ?
उत्तर. भारतीय स्वाधीनता संग्राम 1857 में शुरू हुआ, जिसे "सिपाही विद्रोह" या "भारतीय स्वतंत्रता संग्राम" के रूप में भी जाना जाता है।
3. भारतीय स्वाधीनता संग्राम की मुख्य उपलब्धियां क्या थीं?
उत्तर. भारतीय स्वाधीनता संग्राम की मुख्य उपलब्धियां इस प्रकार हैं: - भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ जनसमर्थन बढ़ाना। - अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष के माध्यम से भारतीय स्वाधीनता चलचित्र को बढ़ावा देना। - स्वतंत्रता संग्राम के माध्यम से विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक सुधारों की मांग करना।
4. भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान कौन-कौन से आंदोलन हुए?
उत्तर. भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान कई आंदोलन हुए, जैसे कि: - सिपाही विद्रोह (1857) - स्वाधीनता संग्राम की पहली स्वतंत्रता संग्राम संघठन, इंकलाबी गदर पार्टी (1913) - नॉन-कॉपरेशन आंदोलन (1920-1922) - सत्याग्रह आंदोलन (1930-1934) - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधीनता में आयोजित किए गए अनेक आंदोलन
5. भारतीय स्वाधीनता संग्राम की महत्वपूर्ण व्यक्तियां कौन-कौन सी थीं?
उत्तर. भारतीय स्वाधीनता संग्राम में कई महत्वपूर्ण व्यक्तियां शामिल थीं, जैसे कि: - महात्मा गांधी - नेताजी सुभाष चंद्र बोस - जवाहरलाल नेहरू - भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु - रवींद्रनाथ टैगोर - अरुणा आसफाली - सरोजिनी नायडू - विनोबा भावे - भीमराव अंबेडकर
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