महात्मा गाँधी
- महात्मा गाँधी आधुनिक भारत के सर्वश्रेष्ठ नेता थे जिन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में 30 वर्षों से भी अधिक जनता का नेतृत्व किया। उनका पूरा नाम मोहन दास करमचन्द गाँधी था। गाँधीजी को राष्ट्रपिता की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- गाँधीजी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई. को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था।
- गाँधीजी इंग्लैण्ड में कानूनी शिक्षा पाने के पश्चात् वकालत करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गये।
- 1893.94 ई. के दौरान गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष के नेता बन गये तथा इसी आन्दोलन के दौरान गाँधीजी ने सत्याग्रह आन्दोलन के दर्शन का विकास किया था जिसके प्रमुख तत्व थे सत्य और अहिंसा।
- 1915 ई. में 46 साल की उम्र में गाँधीजी भारत लौटे।
- 1916 ई. में गाँधीजी ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की जिससे उनके मित्रा और अनुयायी सत्य और अहिंसा के आदर्शों को सीखें और व्यवहार में ला सकें।
- गाँधीजी ने कांग्रेस के 1916 ई. तथा 1917 ई. के अधिवेशन में बिना किसी अग्रणी भूमिका के भाग लिया।
- चम्पारन सत्याग्रह - नील की खेती करने वाले किसानों को अपनी जमीन के कम-से-कम 3/20 भाग पर नील की खेती करने तथा पैदावार को निलहों द्वारा निर्धारित दरों पर बेचने के लिए मजबूर किया जाता था। गाँधीजी ने इसके विरोध में बिहार के चम्पारन जिले में सत्याग्रह किया जो सफल रहा। गाँधीजी के साथ राजेन्द्र प्रसाद, मजहरुल हक, जे. बी. कृपलानी और महादेव देसाई ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया।
- 1918 ई. में गाँधीजी ने अहमदाबाद में मिल मालिकों तथा मजदूरों के बीच झगड़े में हस्तक्षेप किया तथा समझौता करवाने के लिये आमरण अनशन किया जिसमें उन्हें सफलता मिली।
- फसल खराब हो जाने के कारण भू-राजस्व वसूल किये जाने के विरोध में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों द्वारा चलाए जाने वाले आन्दोलन का गाँधीजी ने समर्थन किया।
- महात्मा गाँधी ने साप्ताहिक पत्रा यंग इण्डिया निकाला।
- गाँधीजी हिन्दू मुस्लिम एकता, छुआछूत के निवारण और स्त्रियों की मर्यादा के उत्थान के प्रबल समर्थक थे।
- गाँधीजी ने तथाकथित अस्पृश्यों को ”हरिजन“ नाम से सम्बोधित किया।
- 1920 ई. तक गाँधीजी भारतीय जनता के सर्वमान्य नेता हो गये।
- गाँधीजी के नेतृत्व में कांग्रेस आन्दोलन एक सार्वजनिक आन्दोलन बन गया।
- गाँधीजी ने प्रथम विश्व युद्ध में सरकार का पूरा समर्थन किया।
रौलट एक्ट
- क्रान्तिकारियों के आन्दोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने मार्च 1919 ई. में रौलट एक्ट पास किया जिसमें सरकार को अधिकार दिया गया कि वह
रौलट एक्ट
- क्रान्तिकारियों के आन्दोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने मार्च 1919 ई. में रौलट एक्ट पास किया जिसमें सरकार को अधिकार दिया गया कि वह किसी भी व्यक्ति को उस पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए तथा दोषी साबित किये जेल में बन्द कर सकती है। सरकार को बन्दी प्रत्यक्षीकरण के अधिकार को स्थगित करने का भी अधिकार दिया गया।
- सेडीशन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर रौलट एक्ट पास हुआ था। इस कमेटी का गठन ब्रिटिश सरकार ने 1918 में किया था। इसके चेयरमैन जस्टिस रौलट थे।
- इस एक्ट के विरोध में मुहम्मद अली जिन्ना, मदन मोहन मालवीय तथा मजहरुल हक ने काउन्सिल से इस्तीफा दे दिया।
- गाँधीजी ने 1919 ई. में सत्याग्रह सभा की स्थापना की जिसके सदस्यों ने रौलट एक्ट की अवहेलना करने तथा गिरफ्तार होने और जेल जाने की शपथ ली।
- सारे देश में रौलट एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन और हड़तालें हुई। कई शहरों में प्रदर्शनकारियों पर लाठियों और गोलियों की बौछारें हुईं।
- गाँधीजी ने 6 अप्रैल, 1919 को हड़ताल करने का आह्नान किया जिसे जनता ने सफल बनाया।
- 10 अप्रैल को दो राष्ट्रवादी नेता डा. सत्यपाल तथा डा. सैफउद्दीन किचलू गिरफ्तार कर लिये गये जिसके खिलाफ विरोध प्रकट करने के लिये अमृतसर के जालियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 ई. को एक भारी भीड़ जमा हुयी। सैनिक कमांडर जनरल डायर ने इस सभा पर गोली चलाने का आदेश दे दिया जिसमें हजारों लोग मरे तथा घायल हुए। इस घटना को जालियांवाला बाग हत्याकाण्ड कहते है।
- जालियांवाला बाग कांड के विरोध में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने ब्रितानी सरकार से प्राप्त नाइटहुड की उपाधि वापस कर दी।
- कांग्रेस के आग्रह तथा जनता के असंतोष के कारण सरकार ने 1919 में जालियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए हंटर आयोग का गठन किया। आयोग ने सरकार को दोष मुक्त बताया। उसने डायर के कार्य को निर्णय लेने की भूल कहा तथा गोली चलाने को अनुचित कहा।
स्मरणीय तथ्य
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खिलाफत आन्दोलन
- प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात अंग्रेजों ने तुर्की के खलीफा का पद समाप्त कर दिया जिसके कारण भारतीय मुसलमान उत्तेजित हो गये। फलतः मुहम्मद अली, शौकत अली तथा अबुल कलाम आजाद के नेतृत्व में 1919 ई. में भारत में खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ किया गया। अंग्रेजों से मांग की गयी कि वे मुसलमानों के धार्मिक कार्यों में कोई हस्तक्षेप न करें।
- मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली, अबुल कलाम आजाद, हकीम अजमल खां तथा हसरत मोहानी के नेतृत्व में एक खिलाफत कमेटी बनी और देश व्यापी आन्दोलन का आयोजन किया गया।
- 31 अगस्त, 1919 ई. को खिलाफत दिवस मनाया गया।
- नवम्बर 1919 ई. में आल इण्डिया खिलाफत कांफ्रेंस दिल्ली में हुआ जिसमें निर्णय लिया गया कि जब तक सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेती तब तक सरकार के साथ कोई सहयोग न किया जाये।
- कांग्रेस ने खिलाफत आन्दोलन में सहयोग प्रदान किया। नवम्बर 1919 ई. में गाँधीजी खिलाफत सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गये।
- 1924 में जब मुस्तफा कमालपाशा के नेतृत्व में तुर्की में खलीफा की सत्ता समाप्त कर दी गयी तो खिलाफत आन्दोलन स्वतः समाप्त हो गया।
असहयोग आन्दोलन
- जून 1920 ई. को इलाहाबाद में एक सर्वदलीय सम्मेलन हुआ जिसमें स्कूलों, कालेजों तथा अदालतों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया।
- 31 अगस्त, 1920 ई. को खिलाफत कमेटी ने असहयोग आन्दोलन शुरू किया जिसके निम्नलिखित कार्यक्रम थे -
- नवम्बर 1921 ई. को प्रिन्स आफ वेल्स भारत आये जिनके समक्ष विशाल प्रदर्शन हुआ।
-1 फरवरी, 1922 ई. को गाँधीजी ने घोषणा की कि यदि सात दिनों के अन्दर राजनीतिक बन्दी नहीं छोड़े जाते और प्रेस को सरकारी नियन्त्राण से मुक्त नहीं किया जाता तो वे करबंदी सहित सविनय अवज्ञा आंदोलन बड़े पैमाने पर शुरू करेंगे।
- 5 फरवरी, 1922 ई. को गोरखपुर जिले के चैरी चैरा नामक स्थान पर 3000 किसानों के कांग्रेस के एक जुलूस पर पुलिस ने गोलियाँ चलायी जिससे क्रुद्ध भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया जिसमें एक थानेदार तथा 21 सिपाही मारे गये।
- चैरी चैरा की घटना से गाँधीजी को बड़ा दुख हुआ। 12 फरवरी, 1922 ई. को बारदोली प्रस्ताव द्वारा असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया गया।
- 10 मार्च, 1922 ई. को गाँधीजी को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करके 6 साल की सजा दे दी गयी।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से गाँधीजी को फरवरी 1924 में जेल से रिहा कर दिया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
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वराज दल
- असहयोग आन्दोलन की समाप्ति के पश्चात यह प्रश्न उठा कि 1919 के सुधारों के अन्तर्गत कांग्रेस को व्यवस्थापिका सभाओं में स्थान प्राप्त करना चाहिए अथवा नहीं। कांग्रेस का बहुमत काउन्सिल में प्रवेश के पक्ष में नहीं था परन्तु चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू इस निर्णय के विरुद्ध थे।
- कांग्रेस के काॅउन्सिल में प्रवेश न करने के निर्णय के विरोध में दिसë
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1. भारतीय स्वाधीनता संग्राम क्या है? |
2. भारतीय स्वाधीनता संग्राम का पहला विद्रोह कब और कहां हुआ था? |
3. भारतीय स्वाधीनता संग्राम में किस आन्दोलन की गहरी प्रभावीता थी? |
4. भारतीय स्वाधीनता संग्राम में किस वर्ष और कैसे अंत हुआ? |
5. भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं की भूमिका क्या थी? |
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