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केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi PDF Download

मंत्रिपरिषद् का निर्माण

  • संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार-”राष्ट्रपति को उसके कार्यों के प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी, जिसका प्रधान प्रधानमंत्राी होगा और राष्ट्रपति उसकी सलाह के अनुसार कार्य करेगा।“
  • संविधान के अनुच्छेद 75(1) के अनुसार-राष्ट्रपति प्रधानमंत्राी की नियुक्ति करेगा और प्रधानमंत्राी की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा।
  • संविधान के इसी अनुच्छेद 75 (2) में कहा गया है कि मंत्राी राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त (जब तक राष्ट्रपति चाहे) अपने पद पर बने रहेंगे।
  • अनुच्छेद 75 (B) के अनुसार मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी रहती है।

मंत्रिपरिषद् का स्वरूप

मंत्रिपरिषद् का गठन प्रधानमंत्राी के परामर्श पर राष्ट्रपति द्वारा होता है। इस मंत्रिपरिषद् में सामान्यतः 5 स्तर के मंत्राी होते है-
    (1) मंत्रिमण्डलीय स्तर के मंत्राी, जो कि मंत्रिमण्डल के सदस्य होते है , इन्हें प्रायः केबिनेट मंत्राी भी कहा जाता है।
    (2) मंत्रिमण्डलीय स्तर के वे मंत्राी, जो मंत्रिमण्डल के सदस्य नहीं है, इन्हें प्रायः केबिनेट स्तरीय मंत्राी कहा जाता है।
    (3) राज्यमंत्राी।
    (4) उपमंत्राी।
    (5) संसदीय सचिव।

  • भारत के केन्द्रीय मंत्राी के रूप में नियुक्त होने के लिए यह आवश्यक है कि वह व्यक्ति संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य हो।
  • यदि प्रधानमंत्राी किसी ऐसे व्यक्ति को मंत्राी नियुक्त कर दे जो कि संसद का सदस्य नहीं है तो उसे मंत्राी बने रहने के लिए यह आवश्यक है कि वह 6 माह की अवधि के भीतर संसद के किसी भी सदन का सदस्य बन जाए, अन्यथा वह मंत्राी अपने पद पर नहीं रह सकेगा।
  • 1985 में संशोधित ‘मंत्रियों के संबलमों और भत्तों से संबंधित अधिनियम 1952’ के अनुसार-भारत के प्रथम दो स्तर के मंत्रियों को 2,250 रु. मासिक वेतन तथा 500 रुपये मासिक भत्ता एवं निःशुल्क आवास मिलेगा। राज्यमंत्रियों को 2,250 रु. मासिक वेतन मिलता है तथा उन्हें कोई भत्ता नहीं मिलता। उपमंत्रियों का वेतन 1,750 रु. मासिक है।
  • मंत्रिमण्डल के मंत्रियों को मंत्रिमण्डल एवं मंत्रिपरिषद् की बैठकों में भाग लेने का अधिकार है। लेकिन राज्यमंत्राी एवं उपमंत्राी जो कि मंत्रिमण्डल के सदस्य नहीं होते और यदि उन्हें स्वतंत्रा रूप से कोई विभाग सा पा जाता है तब उसके विभाग से संबंधित कोई बात यदि मंत्रिमण्डल के विचार के लिए रखी गई हो तो ऐसी स्थिति में वे मंत्रिमण्डल की बैठकों में भाग ले सकते है ।
  • संविधान के अनुच्छेद 75 (3) में मंत्रिमण्डल एवं मंत्रिपरिषद् के सामूहिक उत्तरदायित्व की घोषणा की गई है। मंत्रिपरिषद् का सामूहिक उत्तरदायित्व संसद के प्रति होता है।
  • भारतीय संविधान में सामूहिक उत्तरदायित्व के साथ-साथ व्यक्तिगत उत्तरदायित्व के सिद्धान्त का समन्वयन किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 75 (2) में कहा गया है कि-”मंत्राी राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद धारण करेंगे।“ इस प्रकार मंत्रियों का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व राष्ट्रपति के प्रति होता है।
  • मंत्रिमण्डल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य राष्ट्रीय नीति का निर्धारण करना है।
  • मंत्रिमण्डल ही प्रशासन संबंधी नियमों का निर्धारण करता है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्रा में हमारी गुट-निरपेक्षता की नीति, राष्ट्रीय क्षेत्रा में पंचवर्षीय योजनाएँ लागू करने की नीति, बंधकों के राष्ट्रीयकरण की नीति, राजाओं के प्रीविपर्स समाप्ति की नीति, मुद्रा-अवमूल्यन जैसे सभी महत्वपूर्ण निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा ही लिये गये है ।
  • संसद द्वारा स्वीकृत विधेयकों को कार्यान्वित करने का दायित्व मंत्रिमण्डल का ही है।
  • देश में शान्ति और सुरक्षा बनाये रखने का दायित्व भी मंत्रिमण्डल का ही है।
  • मंत्रिमण्डल के सदस्य जो कि संसद के ही सदस्य होते हैं महत्वपूर्ण विधेयकों को संसद के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। ऐसे विधेयकों को ‘सरकारी विधेयक’ कहा जाता है।
  • चूंकि मंत्रिमण्डल को लोकसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त होता है, अतएव उसके द्वारा प्रस्तुत विधेयक सरलता से बिना अधिक विरोध किये संसद द्वारा पारित कर दिये जाते है।
  • आधुनिक समय में ‘प्रदत्त व्यवस्थापन’ के प्रचलन के कारण मंत्रिमण्डल की विधि-निर्माण के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका हो गई है।
  • प्रदत्त व्यवस्थापन की प्रक्रिया में संसद विधेयकों या कानूनों की सिर्फ ऊपरी महत्वपूर्ण रूपरेखा बनाती है। इन विधेयकों के विस्तार का एवं इनके अन्तर नियमों एवं उपनियमों के निर्माण का कार्य मंत्रिमण्डल पर छोड़ दिया जाता है।
  • सिद्धान्त रूप में राष्ट्रपति को जो अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है, व्यवहार रूप में उसका प्रयोग भी मंत्रिमण्डल ही करता है। इसके अतिरिक्त देश में संकट काल की घोषणा भी मंत्रिमण्डल की सलाह से ही की जा सकती है।
  • राष्ट्रपति द्वारा संसद में दिये जाने वाले आरंभिक अभिभाषण का प्रारूप भी मंत्रिमण्डल द्वारा ही तैयार किया जाता है।
  • मंत्रिमण्डल ही देश की वार्षिक आय-व्यय का ब्यौरा अर्थात् बजट का निर्माण करता है।
  • संविधान द्वारा जिन पदाधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है व्यवहार रूप में ये नियुक्तियाँ मंत्रिमण्डल द्वारा ही की जाती है। मंत्रिमण्डल की सलाह से ही राष्ट्रपति विभिन्न पदों पर अधिकारियों को नियुक्त करता है।
  • मंत्रिमण्डल की सलाह से ही राष्ट्रपति संसद में राज्य सभा के 12 एवं लोक सभा के 2 एंग्लोंइण्डियन सदस्यों, राज्यों के राज्यपालों, महान्यायवादी, नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक, वित्त आयोग, निर्वाचन आयोग, राजदूतों एवं अन्य आयोग के सदस्यों की, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की एवं सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
  • विदेशों से संधि-समझौते करना, संधियों की शर्तें निश्चित करना, विदेशी राज्यों के प्रतिनिधियों या राष्ट्राध्यक्षों से मिलना एवं वार्ता करना सभी कार्य मंत्रिमण्डल द्वारा किये जाते है।
  • संधियों पर आवश्यकता हुई तो संसद की स्वीकृति ली जा सकती है।
  • दूसरे देशों के साथ युद्ध एवं शान्ति की घोषणा राष्ट्रपति मंत्रिमण्डल के परामर्श से ही करता है।

नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक

भारतीय संविधान के अध्याय 5 में अनुच्छेद 148 से 151 तक में भारत के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद एवं उसकी शक्तियाँ तथा उसकी स्वाधीनता सुनिश्चित की गई है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति

  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संविधान के अनुच्छेद 148 (1) के अनुसार भारत का एक नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक होगा जिसको राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्यकाल

  • संविधान के अनुच्छेद 148 के अधीन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्यकाल, सेवा शर्तें, वेतन के निर्धारण हेतु विधि बनाने का दायित्व संसद को प्राप्त है। इस शक्ति के अधीन संसद ने नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (सेवा-शर्तें) अधिनियम 1971 में निर्मित किया था।
  • 1976 में संशोधित इस अधिनियम के अनुसार
  • नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के पद की अवधि उसके पद ग्रहण करने की तारीख से 6 वर्ष की होगी।
  • लेकिन 65 वर्ष की आयु पूरी हो जाने पर 6 वर्ष की अवधि की समाप्ति के पूर्व भी उसका पद रिक्त माना जाएगा।

नियंत्राक-महालेखा परीक्षक का पद से हटाया जाना

  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक निम्न प्रकार से अपने पद से हट सकेगा या हटाया जा सकेगा-
  • वह किसी भी समय राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लिखित त्यागपत्रा द्वारा पद त्याग सकता है।
  • उसे महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 148 (1) में उसे उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जाएगा, जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
  • इस प्रकार उसे केवल संसद के दोनों सदनों के समावेदन पर ;पद्ध साबित कदाचार एवं (2) असमर्थता के आधार पर ही हटाया जा सकता है।
  • साबित कदाचार का अर्थ है उसने अपने अधिकारों अथवा शक्तियों के प्रयोग में दुव्र्यवहार किया है और असमर्थता से तात्पर्य है कि वह अपने कार्य को करने में समर्थ नहीं रह गया है।
  • इन दोनों या इनमें से किसी एक आधार पर उसे तभी हटाया जा सकता है जबकि संसद राष्ट्रपति से ऐसा करने का अनुरोध करे और इस अनुरोध प्रस्ताव पर संसद के प्रत्येक सदन के सदस्यों के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित किया गया होना चाहिए।
भारत के प्रधानमंत्री
नामअवधि
जवाहरलाल नेहरू5 अगस्त, 1947 - 27 मई, 1964
गुलजारी लाल नंदा (कार्यवाहक)27 मई, 1964 - 9 जून, 1964 
लाल बहादुर शास्त्री9 जून, 1964 - 11 जनवरी, 1966
गुलजारी लाल नंदा (कार्यवाहक)11 जनवरी, 1966 - 24 जनवरी, 1966
इंदिरा गांधी24 जनवरी, 1966 - 24 मार्च, 1977
मोरारजी देसाई24 मार्च, 1977 - 28 जुलाई, 1979
चरण सिंह28 जुलाई, 1979 - 14 जनवरी, 1980
इंदिरा गांधी14 जनवरी, 1980 - 31 अक्टूबर, 1984
राजीव गांधी31 अक्टूबर, 1984 - 1 दिसम्बर, 1989
विश्वनाथ प्रताप सिंह2 दिसम्बर, 1989 - 10 नवम्बर, 1990
चन्द्रशेखर11 नवम्बर, 1990 - 21 जून, 1991
पी.वी. नरसिंहराव21 जून, 1991 - 16 अपै्रल, 1996
अटल बिहारी वाजपेयी16 अप्रैल, 1996 - 28 मई, 1996
एच.डी. देवेगौड़ा28 मई, 1996 - 11 अपै्रल, 1997
इन्द्रकुमार गुजराल21 अप्रैल, 1997 - 18 मार्च, 1998
अटल बिहारी वाजपेयी19 मार्च, 1998 - 13 अक्टूबर, 1999
अटल बिहारी वाजपेयी13 अक्टूबर, 1999 - 22 मई, 2004
डाॅ. मनमोहन सिंह22 मई, 2004 - 28 मई, 2014 
नरेन्द्र मोदी26 मई, 2014 - अभी तक


वेतन एवं सेवा शर्तें

  • इसका वेतन संसद द्वारा निर्धारित होता है।
  • अन्य विषयों में उसकी सेवा शर्तें उन्हीं नियमों से निर्धारित होगी जो भारत सरकार के सचिव की पंक्ति के प्रशासनिक सेवा के सदस्य के लिए लागू होती है।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के वेतन, भत्ते, छुट्टियों, पेंशन, निवृति का आयु एवं उसके अधिकारों के संबंध में उसकी नियुक्ति के पश्चात् उसकी पदावधि के दौरान कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा। (अनुच्छेद 148 (3))
  • संविधान के अनुच्छेद 148 (4) के अनुसार अपने पद से हटने के पश्चात् वह भारत सरकार या राज्य सरकारों के अधीन कोई भी अन्य पद धारण नहीं कर सकेगा। यह उपबंध इसलिए रखा गया है कि उसे संघ या राज्य की कार्यपालिका को प्रसन्न करने के लिए कोई लालच न हो। (कि वह पद-निवृति के पश्चात् उसे कोई अन्य लाभ का पद सौंप देगी।)
  • नियंत्रक महालेखा परीक्षक का वेतन एवं उसके सहयोगी कर्मचारियों का वेतन देश की संचित निधि पर भारित होगा और संसद में इस विषय पर मतदान नहीं हो सकेगा।
  • उसके सहयोगी कर्मचारियों की सेवा एवं शर्तें राष्ट्रपति द्वारा उसी के परामर्श पर बनायी जाएगी।

नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के कार्य एवं शक्तियाँ

  • संसद द्वारा ‘नियन्त्रक-महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियाँ, सेवा की शर्तें) अधिनियम 1971 द्वारा अधिनियमित निम्न शक्तियाँ निर्धारित की गई है-
  • भारत और उसके प्रत्येक राज्य के और संघ राज्यों की संचित निधि से किये गये सभी व्ययों का परीक्षण (जाँच) और उन पर प्रतिवेदन (रिपोर्ट) तैयार करना।
  • इसी प्रकार संघ और राज्यों की आकस्मिक निधि और सार्वजनिक सेवाओं के सभी व्ययों की जाँच करना और उन पर प्रतिवेदन (रिपोर्ट) तैयार करना।
  • संघ या राज्य के विभागों द्वारा किये गये सभी व्यापार और विनियोजन (विनिर्माण) के लाभ और हानि लेखाओं की जाँच एवं उन पर अपनी रिपोर्ट देना।
  • संसद द्वारा राजस्व का निर्धारण (करों का निर्धारण) उनका संग्रह, और उचित वितरण की पर्याप्त जाँच के लिए इस हेतु बनायी गई विधि या नियमों के अनुरूप संघ एवं राज्यों की आय एवं व्ययों की जाँच करना |
  • संविधान के अनुच्छेद 150 के अनुसार राष्ट्रपति नियन्त्राण-महालेखा परीक्षक की सलाह से ही राज्यों एवं संघ के लेखाओं के प्रारूप तैयार करवाएगा।
  • संविधान के अनुच्छेद 151 के अधीन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक संघ के लेखाओं से संबंधित रिपोर्ट राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करेगा और राष्ट्रपति इन रिपोर्ट (प्रतिवेदन) को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाएगा।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा तैयार राज्यों के लेखाओं से संबंधित प्रतिवेदन वह संबंधित राज्यों के राज्यपालों के समक्ष प्रस्तुत करता है और राज्यों के राज्यपाल उसे विधान मण्डल के समक्ष प्रस्तुत करवाते है।
  • उपर्युक्त शक्तियों के आधार पर कहा जा सकता है कि संविधान द्वारा जनता की निधि से किये गये व्यय की जाँच का महत्वपूर्ण कार्य सा पा गया है। एक तरह से वह जन-निधि का संरक्षक होता है।
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FAQs on केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था - Revision Notes for UPSC Hindi

1. केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस क्या है?
उत्तर: केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस एक सरकारी सूचना होती है जो केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् द्वारा जारी की गई होती है। इसमें विभिन्न नीतियों, योजनाओं, और कदमों के संबंध में जानकारी दी जाती है। यह संशोधन नोटस भारतीय राज्यव्यवस्था के संक्षेप में नवीनतम बदलावों को समझने में मदद करती है।
2. UPSC क्या है और यह किस कार्यक्रम के तहत काम करता है?
उत्तर: UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) भारतीय सरकार द्वारा स्थापित एक संगठन है जो केंद्रीय सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया को संचालित करता है। यह संघीय स्तर पर नियुक्तियों के लिए आवेदकों का चयन करता है और उन्हें विभिन्न सरकारी विभागों में स्थानांतरित करता है।
3. केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस कितने प्रकार के सवालों का समावेश करती है?
उत्तर: केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस विभिन्न प्रकार के सवालों का समावेश करती है, जैसे कि सामान्य ज्ञान, करंट अफेयर्स, राजनीति, आर्थिक मुद्दे, विज्ञान और प्रशासनिक विषय। यह सवाल और उत्तर विभिन्न परीक्षाओं और नौकरी संबंधित प्रश्नों को शामिल करती है।
4. क्या UPSC द्वारा आयोजित परीक्षाओं में केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं?
उत्तर: हाँ, UPSC द्वारा आयोजित परीक्षाओं में केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं। यह परीक्षा उम्मीदवारों की सामान्य ज्ञान, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, और सरकारी नीतियों को समझने की क्षमता का मापदंड रखती है।
5. केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस कैसे डाउनलोड की जा सकती है?
उत्तर: केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् - संशोधन नोटस को आप UPSC की आधिकारिक वेबसाइट (www.upsc.gov.in) पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं। वेबसाइट पर आपको संशोधन नोटस के लिए एक विशेष अनुभाग मिलेगा जहां आप नवीनतम संशोधन नोटस की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उसे डाउनलोड कर सकते हैं।
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