मराठा राज्य तथा राज्यसंघ
- मराठों को संगठित करने का श्रेय शिवाजी को है।
- शिवाजी के पिता शाहजी ने कुछ समय तक मुगलों को चुनौती दी। अहमदनगर में उनका इतना प्रभाव था कि शासकों की नियुक्ति में भी उनका हाथ होता था, परन्तु 1636 की सन्धि के अन्तर्गत शाहजी को अपने प्रभाव वाले क्षेत्रा को छोड़ना पड़ा। शाहजी ने बीजापुर के शासक की सेवा में प्रवेश किया और बंगलोर में अर्द्ध-स्वायत्त राज्य की स्थापना का प्रयत्न किया।
- शिवाजी का जन्म 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनकी माता का नाम जीजाबाई था।
- शाहजी ने पूना की जागीर अपनी उपेक्षित पटरानी जीजाबाई तथा छोटे लड़के शिवाजी को सौंपा दिया।
- शिवाजी संत तुकाराम तथा स्वामी रामदास के सम्पर्क में आये जिससे उन्हें देश प्रेम की शिक्षा मिली।
- वास्तव में सत्राहवीं शताब्दी में मराठों का उत्थान महाराष्ट्र में सामाजिक, धार्मिक तथा बौद्धिक जागरण का परिणाम था।
- तुकाराम तथा एकनाथ जैसे संतों के कारण महाराष्ट्र में भाषाई एकता कायम हुई।
- शिवाजी ने 1645 तथा 1647 के बीच पूना के निकट राजगढ़, कोडक तथा तोरण के किलों पर कब्जा कर लिया।
- 1647 में अपने अभिभावक दादाजी कोण्डदेव की मृत्यु के पश्चात् शिवाजी पूरी तरह से आजाद हो गये।
- शिवाजी ने 1656 में मराठा सरदार चन्द्रराव मोरे से जावली छीन लिया और इस प्रकार वह भावल क्षेत्रा का शासक हो गया। शिवाजी ने पूना के निकट कई पहाड़ी किलों पर विजय प्राप्त की।
- शिवाजी ने मुगल क्षेत्रों पर आक्रमण करके बड़ी मात्रा में धन लूटा।
- 1659 में शिवाजी ने बीजापुर के क्षेत्रों के विरुद्ध अभियान आरम्भ करके कोंकण के पहाड़ तथा समुद्र के बीच तटीय क्षेत्रा पर अपना कब्जा कर लिया। बीजापुर के शासक ने अफजल खाँ को दस हजार सैनिकों के साथ शिवाजी के खिलाफ भेजा। अफजल खाँ ने शिवाजी को व्यक्तिगत भेंट के लिए सन्देश भेजा। भेंट के दौरान शिवाजी ने अफजल खां की हत्या कर दी और उसके सारे सामान और तोपखाने पर कब्जा कर लिया। इसके पश्चात् शिवाजी की सेना ने पन्हाला के किले तथा कोंकण और कोल्हापुर के कई क्षेत्रों पर विजय प्राप्त कर ली।
- औरंगजेब ने दक्कण के प्रशासक शाइस्ता खाँ तथा बीजापुर के शासक आदिलशाह को शिवाजी के क्षेत्रों पर आक्रमण करने को कहा। शाइस्ता खाँ तथा आदिल शाह के प्रतिनिधि सरदार सिद्दी जौहर ने पन्हाला में शिवाजी को घेर लिया परन्तु शिवाजी भागने में सफल हो गया। इसके पश्चात् शिवाजी तथा आदिल शाह के बीच एक गुप्त समझौता हो गया।
- 1660 में शाइस्ता खाँ ने पूना पर कब्जा कर लिया तथा उसे अपना मुख्यालय बनाया। उसने शिवाजी से कोंकण भी जीत लिया।
- 1663 में शिवाजी ने एक रात को पूना में शाइस्ता खाँ के खेमे में घुसकर उसके एक लड़के तथा सेनाध्यक्ष को मार डाला और शाइस्ता खाँ को जख्मी कर दिया। औरंगजेब नाराज होकर शाइस्ता खाँ को बंगाल भेज दिया।
- शिवाजी ने 1664 में सूरत पर आक्रमण करके अपार सम्पत्ति लूटा।
- 1665 में औरंगजेब ने आमेर के राजा जयसिंह को शिवाजी का मुकाबला करने के लिये भेजा। जयसिंह ने पुरंदर के किले की घेराबन्दी कर दी। मजबूर होकर शिवाजी ने जयसिंह से बात करने का निश्चय किया और सन्धि कर ली। संधि के अनुसार शिवाजी अपने 35 किलों में से अधिक लगान वाले 23 किलों तथा उसके पास के क्षेत्रों को मुगलों को सौंप देने तथा सम्राट के प्रति सेवा एवं निष्ठा का वचन दिया। इसके अतिरिक्त शिवाजी मुगलों को चालीस लाख हून किश्तों में देते। शिवाजी के छोटे पुत्रा संभाजी को 5000 मनसब की पदवी दी गयी। शिवाजी ने यह वचन दिया कि वह दक्कन में मुगलों के अभियानों में उनका साथ देगा।
- बीजापुर के विरुद्ध मुगलों तथा मराठों ने संयुक्त आक्रमण किया लेकिन शिवाजी असफल रहे।
- जयसिंह ने शिवाजी को आगरा में औरंगजेब से मिलने के लिये राजी किया परन्तु 5000 मनसब की श्रेणी में रखे जाने के कारण शिवाजी को अपमान महसूस हुआ और उन्होंने मुगल सेवा में शामिल होने से इंकार कर दिया। शिवाजी को कैद कर लिया गया परन्तु वे कारावास से भागने में सफल हो गये।
- 1670 में शिवाजी ने सूरत को दूसरी बार लूटा तथा अगले चार वर्षों के दौरान उसने पुरंदर सहित कई किले मुगलों से वापस ले लिया। शिवाजी ने रिश्वत देकर पन्हाला और सतारा हासिल कर लिया।
- शिवाजी ने 1674 में औपचारिक रूप से रायगढ़ में अपना राज्याभिषेक कराया और रायगढ़ को अपनी राजधानी घोषित की। इसी समय उन्होंने छत्रापति की उपाधि धारण की।
- 1676 में शिवाजी ने कर्नाटक पर आक्रमण किया जिसमें उन्हें सफलता मिली।
- शिवाजी ने शासन प्रबन्ध में सहायता के लिए आठ मंत्रियों की एक परिषद बनायी थी जिसे अष्ट प्रधान कहते है। इनका प्रधानमंत्राी पेशवा कहलाता था जो राज्य का प्रशासन तथा अर्थव्यवस्था को देखता था। अन्य मंत्राी थे- सूरी-ए-नावात (सेनापति), मजमुदार (लेखाकार), वाकयानवीस (घरेलू तथा गुप्तचर विभाग), सुरुनवीस अथवा चिटनीस (पत्रा व्यवहार), दबीर (विदेशी मामला), न्यायाधीश (न्याय) तथा पंडित राव (अनुदान)। सभी मंत्राी सम्राट के प्रति जिम्मेदार थे।
- शिवाजी अपने सैनिकों को नकद वेतन देता था तथा उसकी सेना में कड़ा अनुशासन था। उसकी नियमित सेना में तीस से चालीस हजार घुड़सवार थे।
- शिवाजी ने पड़ोस के मुगल क्षेत्रों से लगान उगाह कर अपनी आय बढ़ाई। यह भूमि पर लगाए गये लगान का चैथा हिस्सा था जिसे चैथ कहा जाता था। शिवाजी सरदेशमुखी के रूप में लूटे गये राज्य की आय का 1ध्10 भाग लेते थे।
- शिवाजी किसानों से लगान का 2/3 भाग कर के रूप में लेते थे।
- शिवाजी के पास लगभग 260 दुर्ग थे। उन्होंने एक बड़ा जहाजी बेड़ा बनवाया था।
- शिवाजी के राज्य में हूज नामक मुद्रा चलती थी।
- 1680 में शिवाजी की मृत्यु के बाद उनका पुत्रा शम्भाजी गद्दी पर बैठा। उसने अपने छोटे भाई राजाराम तथा सौतेली माँ सोमरा को जेल में डाल दिया।
- शम्भाजी ने औरंगजेब के विद्रोही पुत्रा राजकुमार अकबर को शरण दी जिससे औरंगजेब क्षुब्ध था। 1689 में मुगलों ने शम्भाजी के गुप्त अड्डे संगमेश्वर पर आक्रमण करके उसे गिरफ्तार कर लिया। औरंगजेब ने उसकी हत्या करवा दी। फलस्वरूप मराठों ने मुगल क्षेत्रों में लूटपाट आरम्भ कर दिया।
- 1689 में राजाराम गद्दी पर बैठा परन्तु मुगलों के आक्रमण के कारण वह भाग गया। रायगढ़ पर औरंगजेब का कब्जा हो गया। शम्भाजी के पुत्रा साहू को कैद कर लिया गया।
- 1698 में मुगलों ने जिंजी पर घेरा डाल दिया परन्तु राजाराम वहाँ से भी भागने में सफल हो गया तथा सतारा आ गया। मराठा छापामारों ने मुगलों के विरुद्ध अभियान जारी रखा।
- 1700 में राजाराम की मृत्यु हो गयी।
- राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी ताराबाई ने अपने पुत्रा शिवाजी द्वितीय को गद्दी पर बैठा दिया तथा स्वयं उसके संरक्षक के रूप में काम करने लगी।
- 1707 में सम्राट बहादुरशाह ने साहू को मुक्त कर दिया। साहू जब अपने राज्य पहुंचा तो ताराबाई से उसका संघर्ष शुरू हो गया। साहू को सफलता मिली और उसने सतारा को अपनी राजधानी बनाया।
- साहू को अपने दुश्मनों को कुचलने में बालाजी विश्वनाथ से काफी मदद मिली थी, इसलिए उसने 1713 में बालाजी विश्वनाथ को अपना पेशवा नियुक्त किया।
- बालाजी विश्वनाथ ब्राह्मण था तथा उसने अपना जीवन एक छोटे राजस्व अधिकारी के रूप में प्रारम्भ किया था।
- बालाजी विश्वनाथ ने धीरे-धीरे मराठा सरदारों तथा अधिकांश महाराष्ट्र पर साहू और अपना आधिपत्य जमा लिया।
- पेशवा ने धीरे-धीरे अपने हाथों में शक्ति केन्द्रित कर लिया और इस प्रकार साहू के समय में शासन की सारी शक्ति पेशवा के हाथों में आ गयी।
- बालाजी विश्वनाथ ने दक्कन का चैथ और सरदेशमुखी देने के लिए जुल्फिकार खाँ को राजी कर लिया।
- बालाजी विश्वनाथ ने सैयद बंधुओं से एक समझौता किया जिसके तहत शिवाजी के राज्य के सारे हिस्से साहू को वापस कर दिये गये तथा उसे दक्कन के 6 सूबों का चैथ और सरदेशमुखी भी दे दिया गया। इसके बदले में साहू को बादशाह की सेवा में 15000 घुड़सवार सैनिक तथा 10 लाख रुपये सालाना नजराना देना था।
- 1719 में बालाजी विश्वनाथ एक फौज लेकर हुसैन अली खाँ के साथ दिल्ली गया और वहाँ उसने सैयद बन्धुओं की फर्रुखसियर का तख्ता पलटने में मदद की।
- बालाजी विश्वनाथ के समय में मराठा राज्य का स्वरूप बदल गया और मराठा राज्यसंघ की नींव पड़ी।
- 1720 में बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्रा बाजीराव प्रथम पेशवा बना।
- बाजीराव प्रथम ने मुगलों के विरुद्ध कई अभियान चलाकर विशाल इलाकों को मराठा राज्य में शामिल कर लिया।
- बाजीराव प्रथम ने मालवा, गुजरात तथा बुन्देलखण्ड के हिस्सों पर अधिकार कर लिया।
- बाजीराव ने 1733 में जंजीरा के सिंदियों को उनकी मुख्य भूमि से बाहर निकाल दिया।
- 1739 में बाजीराव ने पुर्तगालियों को हराकर सिलसिट तथा बसीन छीन लिया।
- बाजीराव प्रथम ने जीते हुए प्रान्तों को मराठा सरदारों में बांट दिया जिनमें प्रमुख थे गायकवाड़, सिन्धिया, होल्कर तथा भोसले। पेशवा ने इन चारों सरदारों को मिलाकर संघ बनाया जिसे मराठा संघ कहते हैं।
- बाजीराव प्रथम द्वारा जीते गये नये इलाकों के प्रशासन पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। सरदारों की मुख्य दिलचस्पी राजस्व वसूलने में थी।
- 1740 में बाजीराव प्रथम की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्रा बालाजी बाजीराव जो नाना साहब के नाम से जाना जाता था, पेशवा बना।
- 1747 में साहू की मृत्यु हो गयी। साहू ने अपनी वसीयत के जरिए सारा राजकाज पेशवा को सौंप दिया था। इस समय तक पेशवा का पद वंशगत हो गया था तथा वही वास्तविक शासक बन गया था।
- बालाजी बाजीराव ने 1751 में बंगाल के नवाब को मजबूर करके उड़ीसा छीन लिया। उसने दक्षिण में मैसूर और अन्य छोटे रजवाड़ों को भी नजराना देने के लिए मजबूर किया।
- 1760 में बालाजी बाजीराव ने हैदराबाद के निजाम को पराजित करके विशाल क्षेत्रा प्राप्त किया।
- जनवरी 1761 में पानीपत के तीसरे युद्ध में अहमदशाह अब्दाली ने पेशवा बालाजी बाजीराव के पुत्रा विश्वास राव, उसके भाई सदाशिव राव तथा गायकवाड़, सिन्धिया, होल्कर एवं सूरजमल जाट को पराजित कर दिया। युद्ध में सदाशिव राव तथा विश्वास राव मारे गये तथा मराठा संघ का अन्त हो गया।
- जून 1761 में बालाजी बाजीराव की मृत्यु के बाद माधव राव पेशवा बना।
- माधव राव ने मराठा की शक्ति का पुनः एहसास कराया। उसने निजाम को पराजित किया तथा हैदरअली को नजराना देने के लिए मजबूर किया। उसने रुहेलों को पराजित किया तथा राजपूत राज्यों एवं जाट सरदारों को अपने अधीन किया।
- 1772 में माधव राव की क्षय रोग से मृत्यु हो गयी और मराठों में आन्तरिक संघर्ष शुरू हो गया।
- बालाजी बाजीराव के छोटे भाई रघुनाथ राव तथा माधव राव के छोटे भाई नारायण राव के बीच सत्ता के लिए संघर्ष हुआ जिसमें 1775 में नारायण राव मारा गया और उसकी जगह उसका पुत्रा सवाई माधवराव आया।
- सवाई माधवराव तथा रघुनाथ राव के बीच सत्ता के लिए पुनः संघर्ष हुआ जिसमें सवाई माधव राव के समर्थकों का नेता नाना फड़नवीस था जबकि रघुनाथ राव ने अंग्रेजों से मदद ली।
- 1795 में सवाई माधव राव की मृत्यु के बाद उसकी जगह रघुनाथ राव के अयोग्य पुत्रा बाजीराव द्वितीय ने ली।
- 1800 में नाना फड़नवीस की मृत्यु हो गयी।
- अंग्रेजों ने अपनी कूटनीति से मराठा सरदारों को विभाजित कर दिया तथा दूसरे मराठा युद्ध (1803-1805) और तीसरे मराठा युद्ध (1816-1819) में उन्होंने मराठों को पराजित करके पेशवा वंश समाप्त कर दिया।
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1. मराठा राज्य तथा राज्यसंघ क्या हैं? |
2. मराठा राज्य की स्थापना कब हुई थी? |
3. मराठा राज्यसंघ क्या था? |
4. मराठा राज्य का इतिहास किस प्रकार का था? |
5. मराठा राज्य के क्या प्रमुख कारण थे जो इसे एक महत्वपूर्ण साम्राज्य बनाते थे? |
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