आनन्द रंग पिल्लई - डूप्ले का दुभाषिया था। उसने पांडिचेरी की घटनाओं का विवरण लिखा है और साथ ही उन घटनाओं का भी उल्लेख किया है जिनकी प्रतिक्रिया फ्रांसीसी राजधानी में हुई। उनकी तमिल भाषा में लिखी डायरी के बारह खंडों का अनुवाद अंग्रेजी में हुआ है।
सर अलेक्जेण्डर कनिंघम (1814-93) - प्रसिद्ध पुरात- त्त्वान्वेषक जो 1833 ई. में एक सैन्य शिक्षार्थी की हैसियत से भारत आया। वे 1856 से 58 ई. तक बर्मा में मुख्य अभियंता रहे। 1861 में रिटायर होने के बाद फौरन ही वे भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षक बना दिए गए। उन्होंने प्राचीन मुद्रा-शाó पर विशेष ध्यान दिया। वे इस विषय का अधिकारी विद्वान् माने जाते थे। उनके महत्वपूर्ण ग्रन्थों में ‘मिल्सा टोप्स’, ‘दि ए शियेण्ट ज्याॅग्राफी आॅफ इंडिया’, ‘दि स्तूप आॅफ भरहुत’ विशेष उल्लेखनीय है।
फ्रेन्को करोन - भारत में प्रथम फ्रांसीसी फैक्टरी का संस्थापक। फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भेजे जाने पर वे 1667 ई. में एक छोटे फ्रांसीसी जहाजी बेड़े के साथ भारतीय तट पर आये और सूरत मंे एक फैक्टरी की स्थापना की।
लायोनेल कर्टिस - प्रख्यात पत्राकार। ‘राउण्ड टेबुल’ पत्रा का संस्थापक
स्मरणीय तथ्य
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प्रमुख संस्थाएं व संस्थापक
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महत्पूर्ण तथ्य • बौद्ध शब्दावली मे ‘धर्मचक्रप्रवर्तन’ से क्या निर्देशित होता है? - बुद्ध का प्रथम उपदेश • संगम काल में तमिल में महाभारत किसने लिखी ? - पेरुन्देवनार • ऋग्वेद में सम्पत्ति का प्रमुख रूप क्या था ? - गौ धन • सिंधु घाटी सभ्यता में प्रसिद्ध कांस्य नर्तकी किस स्थान से प्राप्त हुई है? - मोहनजोदड़ो • सैन्धव सभ्यता के किस स्थल से घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं ? - सुरकोट्डा • सैन्धव सभ्यता का कौन-सा स्थल समुद्र व्यापार का मुख्य केन्द्र माना जाता है ? - लोथल • प्राचीन सरस्वती नदी का किस स्थान पर विलुप्त होना माना जाता है ? - विनसन • प्रथम बौद्ध संगीति किसकी अध्यक्षता में हुई ? - महाकस्यप • भारत में ”सबसे पुराना ब्राह्मी अभिलेख“ कहां मिला है ? - पिपरहवा • वर्ण-व्यवस्था की उत्पत्ति का संकेत सर्वप्रथम किस धर्मग्रंथ में मिलता है? - ऋग्वेद • जाति प्रथा की तीव्र आलोचना करने वाला ग्रंथ, ‘बज्रसूची’ के रचयिता कौन हैं ? - अश्वघोष • समुद्रगुप्त के ‘प्रयाग स्तम्भ अभिलेख’ के रचयिता कौन हैं ? - हरिषेण • ब्रह्मसूत्र’ के लेखक कौन हैं ? - शंकराचार्य • महमूद गजनवी का भारत पर पहला आक्रमण किस ईसवी सन् में हुआ ? - 1000 • बाबर ने अपनी आत्मकथा किस भाषा में लिखी थी ? - तुर्की • किस सुल्तान ने अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि कहा और अपने सिक्कों पर ‘खलीफातुल्लाह’ शब्द अंकित कराया ? - कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी • भू-राजस्व का स्थायी प्रबन्ध सर्वप्रथम किस ब्रिटिश शासक ने लागू किया? - लाॅर्ड काॅर्नवालिस • किस ब्रिटिश शासक के समय में सर्वाधिक देशी राज्य ब्रिटिश भारत में मिलाए गए - लाॅर्ड डलहौजी • अंग्रेजों ने मद्रास का पट्टा कहां के शासक से प्राप्त किया? चन्द्रगिरि |
गवर्नमेण्ट आफ इंडिया ऐक्ट में पहली बार ”द्वैध शासन“ का सिद्धांत शामिल किया गया। वे ब्रिटिश साम्राज्य की एकता को बनाये रखने के बहुत बड़े समर्थक थे।
सर आर्थर टामस काटन (1803-99) - मद्रास में ईस्ट इंडिया कम्पनी का एक प्रख्यात इंजीनियर। वे दक्षिण भारत में सिंचाई सम्बन्धी कार्यों के विशेषज्ञ थे। उन्होंने कावेरी, कोलरुन, गोदावरी और कृष्णा नदियों द्वारा सिंचाई करने की योजनाएँ बनायीं व पूरीं की। वे भारतीय हाईड्रालिक इंजीनियरिंग विद्या के जनक थे। 1861 ई. में उन्हें ‘नाइट’ की उपाधि से विभूषित किया गया। उनकी कृति ‘पब्लिक वक्र्स इन इंडिया’ अपने विषय का एक मानक ग्रन्थ है।
विलियम केरी - मूल पेशे से मोची, बाद में बैपटिस्ट मिशनरी बन गये और 1793 ई. में कलकत्ता आकर अन्य बैपटिस्ट मिशनरियों के साथ श्री रामपुर में बस गये। उन्होंने बंगाल के लोगों के मध्य ईसाई धर्म का प्रचार करने में अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया। उन्होंने बंगला सीखी और अपने मुंशी रामराम बसु की सहायता से बाईबिल का बंगला में अनुवाद किया। इन्होंने बंगला में अनेकों पुस्तकों की रचना की, जिसमें सर्वाधिक प्रसिद्ध कथोपकथन है। केरी प्रमुख समाज-सुधारक भी थे और उनके ही कहने पर 1802 ई. में लार्ड वेलेस्ली ने संगम पर शिशुओं की बलि देने की प्रथा पर रोक लगा दी थी। सती प्रथा की भी उन्होंने जोरदार भत्र्सना की।
लार्ड क्रिवी - 1911-12 ई. में ब्रिटिश सरकार का भारत-मंत्राी। सम्राट जार्ज पंचम के भारत पधारने पर क्रिवी ने दिल्ली में दरबार का आयोजन किया। इस समय राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली लाने की घोषणा भी की गई। भारतीय प्रशासन में होने वाले अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तनों के साथ लार्ड क्रिवी का नाम जुड़ा हुआ है।
सर ऐलिजा इम्पी - वेस्ट मिनिस्टर में शिक्षा तथा गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स का सहपाठी। 1773 ई. के रेग्युलेटिंग ऐक्ट द्वारा कलकत्ता के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 1774 ई. में कलकत्ता पहुँचा। 1775 ई. में उनकी अध्यक्षता में नन्दकुमार के मुकदमे की सुनवाई हुई। उन्होंने जालसाजी के अभियोग में उसे फाँसी की सजा दे दी।
डाक्टर अंसारी (1880-1936) - एक प्रमुख मुसलमान राष्ट्रीयतावादी नेता। उनका जन्म बिहार में हुआ, एडिनबरा (ब्रिटेन) से उन्होंने डाक्टरी की पदवी प्राप्त की और दिल्ली में रहकर वे डाक्टरी करने लगे। 1912-13 ई. में उन्होंने भारत में एक चिकित्सक दल संगठित करके उसे तुर्की के युद्ध में सहायता कार्य के लिए भेजा। उन्होंने मुस्लिम लीग को संगठित करने में प्रमुख रूप से भाग लिया और 1920 ई. में उसके अधिवेशन की अध्यक्षता की।
सर अकबर हैदरी (1869-1941) - भारत सरकार के वित्त विभाग में एक छोटे अफसर के रूप में नियुक्त और बाद में भारत के सर्वप्रथम कन्ट्रोलर आफ ट्रेजरी। 1937 में वे निजाम के प्रधान सचिव बनाए गए जहाँ उन्होंने कुछ शासकीय सुधार किए। बाद में वे वायसराय की एक्जीक्वीटिव कौंसिल के सदस्य बनाये गए।
अवनीन्द्रनाथ ठाकुर (1871-1931) - प्रख्यात कलाकार तथा साहित्यकार। इन्होंने ‘इण्डियन सोसायटी आॅफ ओरियण्टल आर्टस’ की स्थापना की। कला और चित्राकला की भारतीय पद्धति पुनः प्रतिष्ठित करके संसार में उसे उचित सम्मान दिलाया। उनके चित्राकारी के प्रमुख नमूने है - ‘प्रवासी यक्ष’, ‘बुद्ध और सुजाता’, ‘कच और देवयानी’, ‘शाहजहाँ की मृत्यु’ आदि।
देवेन्द्रनाथ ठाकुर - कलकत्ता निवासी श्री द्वारकानाथ ठाकुर के पुत्रा जो प्रख्यात विद्वान और धार्मिक नेता थे। अपने दानशीलता के कारण इन्होंने ‘प्रिंस’ की उपाधि प्राप्त की थी। ये ब्रह्म समाज के प्रमुख सदस्य थे जिसका 1843 ई. से इन्होंने बड़ी सफलता से नेतृत्व किया। उसी साल इन्होंने तत्वबोधिनी पत्रिका प्रकाशित की। 1851 ई. में स्थापित ब्रिटिश इंडियन एसोसियेशन का पहला सेक्रेटरी इन्हें ही नियुक्त किया गया था।
सत्येन्द्रनाथ ठाकुर (1842-1923) - इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा में उत्र्तीण होने वाले प्रथम भारतीय। ये देवेन्द्रनाथ ठाकुर के द्वितीय पुत्रा और रवीन्द्रनाथ ठाकुर के अग्रज थे। उन दिनों सरकारी नौकरियों में भारतीयों को ऊँचे उठने का बहुत कम अवसर दिया जाता था। इस कारण अवकाश-प्राप्ति के समय तक ये केवल जिला तथा सेशन जज के पद तक ही उन्नति कर सके।
सर लुई डेन - 1904 ई. में इन्हें ब्रिटिश भारतीय मिशन का नेता बनाकर अफगानिस्तान भेजा गया। यह मिशन दिसम्बर 1904 ई. से मार्च 1905 ई. तक काबुल में रहा और इसने वहाँ के तत्कालीन शासक अमीर हबीबुल्ला खाँ के साथ संबंध सुधारने में सफलता प्राप्त की।
बी. जी. खेर - बम्बई प्रांत में 1927 ई. में बनने वाले पहले कांग्रेस मंत्रिमंडल के मुख्य मंत्राी। इन्होंने बड़ी योग्यता तथा सफलता के साथ प्रशासन चलाया तथा शिक्षा-प्रणाली के विकास में विशेष रुची दिखलायी।
सर गंगा सिंह - राजपूताना स्थित बीकानेर के 1887 से 1934 ई. तक शासक। वे प्रगतिशील भारतीय राजा थे। 1921 से 1925 ई. तक वे चैम्बर आॅफ प्रिंस के प्रथम चांसलर रहे। प्रथम विश्व-युद्ध के समय इन्होंने अपने सारे साधन स्रोत ब्रिटिश सरकार की सहायता में लगा दिये।
सर मारिस लिनफोर्ड ग्वायर - एक विख्यात अंग्रेज विधिवेत्ता, जो भारतीय संघ न्यायालय के अध्यक्ष थे और 1937 से 1943 ई. तक भारत के प्रधान न्यायाधीश पद पर रहे। अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् वे दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने और 1949 ई. तक इस पद पर रहे। भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने में इन्होंने महत्वपूर्ण योगदान किया था।
लार्ड जेटलैण्ड - 1913 से 1922 ई. तक बंगाल का गवर्नर। एक योग्य प्रशासक से भी बढ़कर वे एक योग्य लेखक थे। उनके प्रमुख ग्रंथ हैं - ‘लाइफ आफ लार्ड कर्जन’ और ‘हार्ट आॅफ आर्यावर्त’। उन्होंने जब ये ग्रंथ लिखे तब रोनाल्डशे की उपाधि से विभूषित हुए।
हेनरी विवियन डेरोजियो - एक पुर्तगाली भारतीय परिवार में सन 1809 ई. में कलकत्ता में पैदा हुए। 1826 ई. में वे कलकत्ता के हिन्दू कालेज में अध्यापक नियुक्त हुये, किन्तु अप्रैल 1831 ई. में इस्तीफा देने के लिए बाध्य हुए।
इन्होंने ‘यंग बंगाल’ मूवमेंट शुरू किया। उनकी शिक्षाओं ने आधुनिक विचारों के ऐसे युवकों का समूह खड़ा किया जो विचारों में प्रगतिशील थे और जिन्होंने न केवल धार्मिक कट्टरता का विरोध किया, वरन् बाद में प्रशासन के विरुद्ध भी आवाज उठायी।
सिस्टर निवेदिता - स्वामी विवेकानन्द की एक प्रमुख शिष्या जो आयरिश महिला थी। इनका मूल नाम कुमारी मार्गरेट नोबुल था। कलकत्ता में भीषण प्लेग फैलने पर भारतीय बस्तियों में प्रशंसनीय सेवा कार्य कर इन्होंने एक आदर्श स्थापित कर दिया। ये भारत की स्वतंत्राता की कट्टर समर्थक थीं। अरविन्द घोष सरीखे राष्ट्रवादियों से इनका घनिष्ठ सम्बन्ध था। ‘भारत की बाल सुलभ कहानियाँ’ उनकी अनेक रचनाओं में से एक लोकप्रिय रचना है।
श्रीमती विजयालक्ष्मी पंडित - पंडित मोती लाल नेहरू की पुत्राी तथा पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन। वक्तत्व कला में दक्ष। इंग्लैंड में भारत की उच्चायुक्त (1955-61), सोवियत संघ (1947-49) तथा अमेरीका (1949-51) में भारत की राजदूत, 1954 ई. में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्बली की अध्यक्षा 1962 में म
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