विवाह
(i) संपरिवर्ती (कन्वर्ट) विवाह-विघटन अधिनियम, 1866
(ii) भारतीय विवाह-विच्छेद अधिनियम, 1869
(iii) भारतीय क्रिश्चियन विवाह अधिनियमए 1872
(iv) काजी अधिनियम, 1880
(v) आनन्द विवाह अधिनियम, 1909
(vi) बाल-विवाह अवरोध अधिनियम, 1929
(vii) पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936
(viii) मुस्लिम विवाह-विघटन अधिनियम, 1939
(ix) विशेष विवाह अधिनियम, 1954
(x) हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955
(xi) विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 और
(xii) मुस्लिम महिला (विवाह-विच्छेद संरक्षण) अधिकार अधिनियम, 1986
(क) तलाक-ए ताफविद: यह प्रत्यायोजित तलाक का एक रूप है। इसके अनुसार पति विवाह संविदा में तलाक के अपने अधिकार को प्रत्यायोजित कर देता है। उस संविदा में अन्य बातों के साथ-साथ यह अनुबंध किया जा सकता है कि उसके द्वारा कोई दूसरी पत्नी ले आने पर प्रथम पत्नी को उससे तलाक लेने का अधिकार होगा
(ख) खुलाः यह विवाह के दोनों पक्षों में हुए करार के अनुसार विच्छेद है, जिसके लिए पत्नी को विवाह आदि के बंधन से मुक्त होने के लिए पति को कुछ प्रतिफल देना पड़ता है,उसकी शर्त आपस में तय कर ली जाती है और प्रायः पत्नी को अपना मोहर या उसका एक हिस्सा छोड़ना पड़ता है, और
(ग) मुवर्रतः यह आपसी सहमति द्वारा तलाक है।
बाल विवाह
दत्तक ग्रहण
संरक्षता
भरण-पोषण
(क) ‘इद्दत’ के दौरान पूर्व पति द्वारा उचित और न्यायसंगत खाद्य-सामग्री और निर्वाह-भत्ता दिया जाएगा,
(ख) यदि तलाक के पहले या बाद में हुए बच्चे का भरण-पोषण तलाकशुदा महिला खुद करती है, तो उसके पूर्व पति द्वारा उसे उचित न्यायसंगत खाद्य-सामग्री और निर्वाह-भत्ता हर बच्चे के बाद दो साल तक मिलेगा,
(ग) ‘मोहर’ या ‘डावर’ (पति की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाला हिस्सा), जो भी विवाह के अवसर पर या बाद में मुस्लिम विधि के अनुसार पत्नी को देना तय हुआ हो, वह तलाकशुदा महिला को मिलेगा, और
(घ) विवाह से पहले, विवाह के वक्त या बाद में उसे उसके मित्रों या रिश्तेदारों, पति या उसके मित्रों और रिश्तेदारों से मिली सभी संपत्तियां भी तलाकशुदा महिला को प्राप्त होंगी।
उत्तराधिकार
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