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केन्द्र राज्य सम्बन्ध - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi PDF Download

केन्द्र-राज्य सम्बन्ध

भारत मेें केन्द्र-राज्य सम्बन्ध संघवाद की ओर उन्मुख है, और संघवाद की इस प्रणाली को कनाडा के संविधान से ग्रहण किया गया है। भारतीय संविधान में केन्द्र तथा राज्य के मध्य विधायी, प्रशासनिक तथा वित्तीय शक्तियों का विभाजन किया गया है लेकिन न्यायपालिका को विभाजन की परिधि से बाहर रखा गया है।

विधायी सम्बन्ध

  • भारतीय संविधान में वर्णित सातवीं अनुसूची में शामिल संघ सूची के विषयों पर केन्द्र सरकार को, राज्य सूची के विषयों पर राज्य को तथा समवर्ती सूची के विषयों पर केन्द्र तथा राज्य दोनों को और इन तीनों सूचियों में न वर्णित विषयों, अर्थात् अवशिष्ट विषयों पर केन्द्र को अधिकार दिया जाता है।
     
  • संघ सूची-संघ सूची में उन विषयों को शामिल किया गया है, जो राष्ट्रीय महत्व के है तथा जिन पर कानून बनाने का एकमात्र अधिकार केन्द्रीय विधायिका, अर्थात संसद को है। इस सूची में कुल 99 विषयों को शामिल किया गया है, जिनमें से प्रमुख है-रक्षा, विदेशी मामले, युद्ध, अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि, अणु शक्ति, सीमा शुल्क, निर्यात शुल्क, आयात शुल्क, बीमा, बैंकिंग, नागरिकता, जनगणना, विदेशी ऋण, डाक एवं तार, प्रसारण, टेलीफोन, विदेशी व्यापार, रेल तथा वायु एवं जल परिवहन आदि।
     
  • राज्य सूची-राज्य सूची में उन विषयों को शामिल किया गया है, जो स्थानीय महत्व के है तथा जिन पर कानून बनाने का एकमात्र अधिकार राज्य विधामण्डल को है लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में संसद भी इस सूची में शामिल विषयों पर कानून बन सकती है। इस सूची में शामिल विषयों की संख्या 61 है, जिनमें प्रमुख हैं-लोक सेवा, कृषि, वन, कारागार, भू-राजस्व, लोक व्यवस्था, पुलिस, लोक स्वास्थ्य, स्थानीय शासन, जेल, न्याय प्रशासन, क्रय, विक्रय, सिंचाई आदि।
     
  • समवर्ती सूची-समवर्ती सूची में 52 विषयों को शामिल किया गया है, जिन पर कानून बनाने का अधिकार संसद तथा राज्य विधानमण्डल दोनों को दिया गया है। यदि इस सूची में वर्णित विषयों पर संसद तथा राज्य विधानमण्डल दोनों द्वारा कानून बनाया जाता है, और यदि दोनों कानूनों में विरोध है, तो संसद द्वारा निर्मित कानून लागू होगा। इस सूची में जिन विषयों को शामिल किया गया है, उनमें से प्रमुख है-राष्ट्रीय जल मार्ग, परिवार नियोजन, जनसंख्या नियन्त्रण, समाचार पत्रा, कारखाना, शिक्षा, आर्थिक तथा सामाजिक योजना आदि।
     
  • अवशिष्ट विधायी शक्ति-जिन विषयों को संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में नहीं शामिल नहीं किया गया है, उन पर कानून बनाने का एकमात्र अधिकार संसद को प्रदान किया गया है। इस शक्ति के प्रयोग में संसद ऐसे विषयों पर कर लगाने के लिए कानून बना सकती है, जो विषय उक्त तीन सूचियों में से किसी में भी शामिल नहीं किये गये है।
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FAQs on केन्द्र राज्य सम्बन्ध - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था - Revision Notes for UPSC Hindi

1. केन्द्र राज्य सम्बन्ध - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था UPSC क्या है?
उत्तर: केन्द्र राज्य सम्बन्ध - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था UPSC एक परीक्षा है जो यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) द्वारा आयोजित की जाती है। यह परीक्षा उन उम्मीदवारों के लिए है जो केन्द्र और राज्य सरकारों के संबंध में अधिकारिक, संशोधन नोटस और भारतीय राजव्यवस्था के बारे में ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं।
2. संशोधन नोटस क्या है और क्या इसका महत्व है?
उत्तर: संशोधन नोटस भारतीय संविधान में किसी विशेष धारा या अनुच्छेद को संशोधित करने के लिए द्वारा जारी की जाती है। यह एक महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन है जो उपयोगी जानकारी प्रदान करता है और नए नियमों या संशोधित नियमों को लागू करने के लिए धाराओं में परिवर्तन करता है। संशोधन नोटस का महत्व इसलिए होता है क्योंकि यह देश के नागरिकों को नए नियमों या संशोधित नियमों के बारे में सूचित करता है और उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करता है।
3. UPSC की परीक्षा कैसे तैयारी की जा सकती है?
उत्तर: UPSC की परीक्षा की तैयारी के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें: 1. सबसे पहले, संशोधन नोटस और भारतीय राजव्यवस्था के साथ अच्छी तरह से अवगत हों। आपको नोटिफिकेशन को ध्यान से पढ़ना चाहिए और ध्यान देना चाहिए कि नए नियमों या संशोधित नियमों का अध्ययन कैसे किया जा सकता है। 2. आधिकारिक वेबसाइट और समाचार पत्रों को नियमित रूप से पढ़ें ताकि आपको आधिकारिक घोषणाएं और अपडेट मिल सकें। 3. पिछले साल के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करें और मॉडल प्रश्न पत्रों का समाधान करें। इससे आपको परीक्षा पैटर्न और प्रश्नों के तरीके का अध्ययन होगा। 4. समय प्रबंधन कौशल को सुधारें और निष्पादन करें। एक अच्छी परीक्षा समय सारणी तैयार करें और समय के अनुसार पढ़ाई करें। 5. अभ्यास के लिए संबंधित पुस्तकें, स्टडी मटेरियल और ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करें। आप इंटरनेट पर UPSC की तैयारी के लिए विभिन्न वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनल भी खोज सकते हैं।
4. संशोधन नोटस का अंतर क्या है और इसका प्रभाव क्या हो सकता है?
उत्तर: संशोधन नोटस और संशोधन दो अलग-अलग चीजें हैं। संशोधन नोटस एक नोटिफिकेशन होता है जो संविधान के किसी धारा या अनुच्छेद को संशोधित करने के लिए जारी किया जाता है। इसका मतलब होता है कि संविधान में परिवर्तन किया जा रहा है। संश
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