पृथ्वी की आन्तरिक संरचना •
• भूपर्पटी (Crust) धरातल से 100 कि.मी. की गहराई तक का भाग स्थलमण्डल (lithosphere) कहलाता है।
• इसका ऊपरी भाग (महाद्वीप) हल्के पदार्थों (Sial) का बना है तथा निचला भाग (महासागर) भारी पदार्थों (Sima) से निर्मित है।
• गुटेनवर्ग चैनेल (Guttenberg channel) धरातल से 100-200 कि.मी. की गहराई पर स्थित एक मेखला।
• मोहो विसंगतितल (Mohorovicic discontinuity) धरातल से 100 कि. मी. की गहराई पर स्थित अर्द्धतरलावस्था पदार्थ की एक मेखला जहां मैग्मा भण्डार (magma chamber) होता है जिसे एस्थिनोस्फियर (Asthenosphere) भी कहा जाता है।
• यह भूतापीय ऊर्जा (geothermal energy) का प्राकृतिक भण्डार है जिसका मध्य अमेरिका में शोषण हो रहा है।
• मैण्टिल (Mantle) धरातल से नीचे 100 कि. मी. से 700 कि. मी. के मध्य ऊपरी मैण्टिल (upper mantle) तथा 700 कि.मी. से 2098 कि. मी. की गहराई तक निचला मैण्टिल (lower mantle) मिलता है।
• गटेनवर्ग विसंगति तल (Gutenberg discontinuity) निचले मैण्टिल के नीचे स्थित मेखला जहां पदार्थ ठोस एवं प्लास्टिक (Plastic) अवस्था में मिलता है। इसके नीचे पृथ्वी का केन्द्र मिलता है।
• केन्द्र (Core) 2098 कि. मी. की गहराई से 4700 कि. मी. की गहराई तक बाह्य कोर (outer core), 4700 किमी. से 5150 कि. मी. की गहराई तक संक्रमण मेखला (transition zone) तथा 5150 कि. मी. से 6371 कि. मी. (पृथ्वी के केन्द्र) तक आन्तरिक कोर (Inner core) मिलता है।
• बाह्य कोर का घनत्व 12.0 तथा आन्तरिक कोर का घनत्व 17.0 है।
• चन्द्रमा (Moon) चन्द्रमा एक जीवाश्म ग्रह (Fossil Planet) भी कहलाता है। चन्द्रमा का अध्ययन करने वाले विज्ञान को चन्द्र विज्ञान (Selonography) कहते है।
• इसका व्यास 2160 मील, द्रव्यमान (mass) पृथ्वी का 1/81वां भाग है। पृथ्वी एवं चन्द्रमा एक गुरुत्वकेन्द्र (common centre of gravity) के चारों तरफ घूमते है जो पृथ्वी के केन्द्र से 2886 मील दूर स्थित है।
• वायुमंडल के अभाव के कारण क्रम पलायन वेग (escape valocity) मील प्रति सेकेण्ड जबकि पृथ्वी का पलायन वेग मील प्रति सेकेण्ड है।
• चन्द्रमा का अर्द्धरात्रि का ताप -243°c दोपहर का ताप + 214°c, सूर्योदय का ताप -58°c
• चन्द्रमा के धरातल पर 30ए000 क्रेटर है, जिनमें अधिकांश उल्कापातीय उत्पत्ति (Meteoritic origin) के हैं न कि ज्वालामुखीय उत्पत्ति (Volcanic origin) के सबसे बड़ा क्रेटर क्लावियस (Clavius) है।
• जिसका व्यास 146 मील तथा चतुर्दिक कगार की ऊंचाई 20,000 फीट है। दूसरा टाइको तथा तीसरा कोपरनिकस है।
• एक चन्द्र मास (lunar month or synodic month) की अवधि दिन।
एक नक्षत्रा चन्द्रमास (sideral month) की अवधि 27.3 दिन।
• एक चन्द्र दिवस (lunar day) दिन
• एक सूर्य दिवस (solar day) 24 घंटे
• अम्ब्रा (Umbra) चन्द्र ग्रहण तथा सूर्य ग्रहण के समय क्रमशः चन्द्रमा तथा सूर्य के धरातल पर पड़ी काली छाया। इसके चारों तरफ का कम गहरा भाग पेनम्ब्रा (Penumbra) कहलाता है।
अक्षांश व देशांतर रेखाएं
• पृथ्वी के धरातल पर किसी स्थान या बिन्दु की स्थिति दर्शाने हेतु अक्षांश व देशांतर रेखाओं का सहारा लिया जाता है। वास्तव में ये रेखाएँ काल्पनिक रेखाएँ मात्रा है, जो सिर्फ मानचित्रों पर ही खिंचे मिलते है।
• पृथ्वी के ध्रुवों से समदूरस्थ उन सभी बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा, जो पृथ्वी को दो समान गोलाद्र्धों में बांटती है, भूमध्य रेखा कहलाती है।
• अक्षांश पृथ्वी के केन्द्र पर बना वह कोण है, जो भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण स्थित किसी बिन्दु (स्थान) की कोणीय दूरी को दर्शाती है। इस प्रकार उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में क्रमशः 90.90 अक्षांश होते है।
• ध्रुवों का अक्षांश 90° होता है, जो एक बिन्दु के रूप मेें होता है। उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा (Tropic of cancer) और दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा (Tropic of Capricorn) कहा जाता है।
• इसी प्रकार देशान्तर रेखाएं भी किसी बिन्दु की प्रधान देशान्तर रेखा से कोणीय दूरी दर्शाती है, जो भूमध्य रेखा पर लम्बवत होती है।
• प्रधान देशान्तर रेखा का मान 0° होता है और यह ग्रीनविच (ब्रिटेन में लंदन के समीप एक स्थान) से गुजरती है।
• प्रधान देशान्तर के पूर्व में 180 और पश्चिम में 180 देशान्तर रेखाएं होती है।
• 180° पूर्व या पश्चिम देशान्तर रेखाएं एक दूसरे पर अध्यारोपित हो जाती है।
• इस रेखा का भौगोलिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इसे अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) भी कहा जाता है, क्योंकि इसके पूर्व से पश्चिम आने पर एक दिन की वृद्धि हो जाती है और पश्चिम से पूर्व जाने पर एक दिन की कटौती।
• अन्य शब्दों में, यदि अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के पूर्व की ओर रविवार है तो इसके पश्चिम में सोमवार होगा।
पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करने वाली जनजातियां |
|
1. छोटानागपुर क्षेत्र (भारत) |
कोल, संथाल, हो, भील |
2. नीलगिरि पहाड़ियाँ (द. भारत) |
टोडा |
3. वेल्स तथा कार्नवाल (वेल्स क्षेत्र यूरोप) |
वेल्स जनजाति |
4. श्रीलंका |
वेद्दा |
5. फिलीपीन्स |
एटाज |
6. मलेशिया |
सेमांग |
7. ओजार्क तथा एप्लेशियम क्षेत्र (सं. रा. अमेरिका) |
हिल बिली (Hill Billy) |
8. स्काॅटलैंड |
हाइलैण्डर (Highlander) |
9. द. कैरोलाइना (सं. रा. अमेरिका) |
सैण्डहिलर |
10. जार्जिया (सं.रा. अमेरिका) |
क्रैकर |
11. चेक एवं स्लोवाक गणराज्य |
स्लोवाक जनजाति |
स्मरणीय तथ्य |
• बैंकाल झील से भारत की ओर मिलने वाली वनस्पतियों का क्रम है-कोणधारी, मरुस्थलीय, घास के मैदान तथा मानसूनी वनस्पति। |
• विश्व की सबसे चैड़ी जलसन्धि (Strait) डेविस जलसन्धि है। |
• मोह स्केल (Moh's Scale) से चट्टानों की कठोरता मापी जाती है। |
• आइसलैण्ड, नार्वे, स्वीडेन, डेनमार्क तथा फिनलैण्ड को सम्मिलित रूप से नार्देन (Norden) के नाम से जाना जाता है। |
• मेघों की दिशा एवं गति का मापन एक प्रकाशीय यन्त्र नेफोमीटर अथवा मेघमापी (Nephometer) द्वारा किया जाता है। |
• ताप्ती एवं गोदावरी नदियों के बीच सतमाला श्रेणी स्थित है। |
• भीमा तथा कृष्णा नदियों के बीच महादेव श्रेणी स्थित है। |
• भारत का प्रथम जलविद्युत केन्द्र शिवसमुद्रम सन् 1893 में स्थापित किया गया था। |
• देश की प्रथम बहुद्देशीय योजना का विकास दामोदर नदी पर किया गया था। |
• भारत में कृषि मूल्य आयोग की स्थापना सन् 1965 में की गई। |
• केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान (सी. ए. जेड. आर. आई) राजस्थान के जोधपुर नगर में स्थापित किया गया है। |
• बेतवा नदी पर निर्मित उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश की संयुक्त ‘राजघाट परियोजना’ का नाम बदलकर ‘लक्ष्मी बाई सागर बाँध परियोजना’ कर दिया गया है। |
• पेरयापाटन सिंचाई परियोजना कर्नाटक राज्य में कावेरी नदी पर स्थित है। |
• भारत में ‘सागरीय सर्वेक्षण विभाग’ अथवा ‘मैरीन सर्वे डिपार्टमेण्ट’ की स्थापना 1874 में की गई तथा प्रथम समुद्री शोध जलयान ‘एच. एम. एस. इन्वेस्टीगेटर’ को सन् 1881 में कमीशन किया गया। |
• समुद्र विज्ञान में स्नातकोत्तर स्तर का शैक्षिक पाठ्यक्रम सर्वप्रथम 1945 में आन्ध्र विश्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ किया गया। |
• देश का प्रथम समुद्री शोध संस्थान ‘सेण्ट्रल मैरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट’ सन् 1974 में स्थापित हुआ। इसका मुख्यालय तमिलनाडु के मण्डपम नामक स्थान पर है। |
• सबसे अधिक परतदार अथवा अवसादी चट्टान शिवालिक हिमालय में पायी जाती है। |
• सिन्धु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र पूर्ववर्ती प्रवाह प्रणाली का उदाहरण प्रस्तुत करती है। |
• ताप्ती नदी द्वारा प्राकृतिक तटबन्धों (Natural Levees) का सर्वाधिक विकास किया गया है। |
पर्वत, पठार, मैदान
• पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियाँ पाई जाती है, जिनमें महाद्वीप तथा महासागरों को प्रथम श्रेणी की स्थलाकृतियाँ कहा जाता है, जबकि पर्वत, पठार तथा मैदान द्वितीय श्रेणी की।
• पर्वत सामान्यतया धरातल पर वे भाग है, जो आस-पास के क्षेत्रों से ऊंचे होते है और उनका शीर्ष नुकीला होता है।
• दूसरी ओर पठार भी उत्थित भूखंड ही है, परन्तु उनका शीर्ष चैरस और सपाट होता है। मैदान सामान्यतया कम ऊंचे और समतल भूभाग होते है।
पर्वत कई प्रकार के होते है
• वलित पर्वत - पृथ्वी की आन्तरिक हलचलों से भूभाग के किसी भाग में, विशेषकर जलखण्ड में जमा निक्षेपों में तनाव अथवा दबाव उत्पन्न होने से वे वलित होकर ऊपर उठ जाते है, जिन्हें वलित पर्वत कहा जाता है।
• इनके उदाहरण हिमालय, आल्पस, राॅकी, एण्डीज आदि है। पृथ्वी पर चार पर्वत निर्माणकारी घटनाओं की सूचना मिलती है
• कैम्ब्रियन युग के पूर्व;
• कैलिडोनियन पर्वत, जो अन्तिम सिलूरियन तथा प्रारम्भिक डिवोनियन युग में घटित हुआ;
• वारिस्कन या हर्सीनियन पर्वत, जो पर्मो-कार्बोनिफेरस युग में घटित हुआ और
• अल्पाइन पर्वत, अन्तिम मेसोजोइक तथा टर्शियरी युग में निर्मित हुए।
• अवरोधी या ब्लाक पर्वत- किसी भूखंड में खिंचाव के कारण धरातलीय भागों में दरार या भ्रंश पड़ जाती है, जिस कारण धरातल का कुछ भाग ऊपर उठ जाता है और कुछ नीचे धंस जाता है। इस प्रकार ऊपर उठे हुए भाग को ब्लाक या अवरोधी पर्वत कहा जाता है।
• यूरोप में वासजेस तथा ब्लैक फोरेस्ट, पाकिस्तान में साल्ट रेंज, कैलिफोर्निया का सियरा नेवादा आदि इसके उल्लेखनीय उदाहरण है।
• गुम्बदाकार पर्वत- धरातल पर गुम्बद के आकार का उत्थित भाग, जिसका ऊपरी भाग गोलाकार होता है, गुम्बदाकार पर्वत कहलाता है।
• सं. रा. अमेरिका में ब्लैक हिल्स, सिनसिनती उभार आदि इसके प्रमुख उदाहरण है।
• कभी-कभी मिट्टी, मलवा, लावा आदि के निरन्तर जमाव द्वारा निर्मित पर्वतों को संग्रहीत पर्वत (Mountain of Accumulation) भी कहते है।
• इटली का विसूवियस, चिली का एकांकागुआ, जापान का फ्यूजीयामा, इक्वाडोर का कोटोपैक्सी आदि इसके प्रमुख उदाहरण है।
• मिश्रित पर्वत- जटिल संरचना वाले पर्वत, जिनका निर्माण कई प्रकार की बनावटों से होता है, वे मिश्रित या जटिल पर्वत कहलाते है। स. रा. अमेरिका का ह्नाइट पर्वत, एनाकोण्डा पर्वत आदि इसके कुछ उदाहरण है।
स्मरणीय तथ्य |
• एटलाण्टिक महासागर के उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित चेसापीक खाड़ी ओयस्टर पकड़ने के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जबकि इसकी कृषि मुख्य रूप से जापान में की जाती है। |
• विश्व में सबसे पहले नाइट्रेट की प्राप्ति दक्षिण अमेरिका के चिली पठार पर हुई थी। |
• मिसीसिपी नदी संयुक्त राज्य अमेरिका के 31 राज्यों तथा कनाडा के दो प्रदेशों से होकर प्रवाहित होती है। |
• चांग टांग पठार लद्दाख में स्थित है। |
• गोल्डेन गेट ब्रिज सैन फ्रांसिस्को नगर (सं. रा. अमेरिका) में स्थित है। |
• जाम्बिया में जेम्बेजी नदी पर स्थित करीबा बाँध के पीछे करीबा झील का निर्माण किया गया है। |
• सं. रा. अमेरिका में एरीजोना तथा नेवादा राज्यों की सीमा पर कोलोरेडो नदी पर हूबर बाँध बनाया गया है। इसके पीछे स्थित मीड झील (Mead Lake) एक प्रमुख जल भण्डार है। |
• स्वर्डलोवस्क नगर को ‘यूराल प्रदेश की राजधानी’ कहा जाता है जबकि यूराल प्रदेश कोई राजनैतिक इकाई नहीं है। |
• हेरिंग को ‘गरीबों की मछली’ कहा जाता है। |
• उष्णकटिबन्धीय जलवायु क्षेत्रों में कुछ जहरीली मछलियाँ भी पायी जाती है। |
• ह्नेल मछली पकड़ने के सन्दर्भ में अन्तर्राष्ट्रीय सहमति का उद्देश्य इसकी अत्यधिक पकड़ को नियन्त्रित करना है। |
• विश्व में प्रथम जल विद्युत गृह की स्थापना सन् 1883 में फ्रांस में की गयी थी। |
• इटली प्राकृतिक गैस का उपयोग करने वाला प्रथम यूरोपीय देश है। |
• दक्षिण अमेरिका की पराना, परागुए, उरुग्वे तथा इनकी सहायक नदियों के तन्त्र का सम्मिलित नाम प्लाटा (Plata) है। |
• कृषि की प्रधानता तथा आल्पस पर्वत की उपलब्धि के कारण इटली को ‘यूरोप का भारत’ कहा जाता है। |
• न्याग्रा जलप्रपात ईरी तथा ओण्टैरियो झीलों के बीच स्थित है। |
• आमेजन नदी की ज्वारीय तरंगों अथवा ज्वारभित्तियों को ‘पोरोरोका’ (Pororoca) कहा जाता है। |
• ‘डेटम लाइन’ (Datum Line) वह क्षैतिज रेखा होती है जिसको आधार मानकर उच्चावच की गहराइयों तथा ऊँचाइयों की गणना की जाती है। प्रायः मध्य समुद्र तल को ही डेटम लाइनमान लिया जाता है। |
• जूरा पर्वत से जेनेवा झील तक रात्रि में बहने वाले शीतल एवं शुष्क पवन को ‘जोरान’ (Joran) कहा जाता है। |
• किसी प्राकृतिक प्रदेश की सबसे स्पष्ट पहचान वहाँ की वनस्पतियों द्वारा होती है। |
• जेट स्ट्रीम क्षोभ मण्डल अथवा ट्रोपोस्फीयर की ऊपरी परतों में प्रवाहित होने वाली वायु-धाराएं है। |
• उत्तरी गोलार्द्ध में अधिकतम सूर्यातप 21 जून को प्राप्त होता है। |
• शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में सूर्य की किरण कभी भी धरातल पर सीधी नहीं पड़ती है। |
• मनाओस आमेजन बेसिन की लकड़ियों का निर्यात करने वाला प्रसिद्ध बन्दरगाह है। |
• झील के अन्दर झील मेनीटू (कनाडा) में स्थित है। |
• विश्व का सबसे ऊँचा जलप्रपात वेनेजुएला की कैरोनी नदी पर स्थित साल्टो एंजिल्स जल प्रपात है। इसकी ऊँचाई 979 मीटर है। |
• सामान्यतः पठार पर्वत की तुलना में कम ऊंचे होते है, परन्तु यह आवश्यक नहीं है। वास्तव में पठार की अधिक महत्वपूर्ण विशेषता ऊंचाई के साथ-साथ इसका सपाट धरातल होना है।
• स्थिति के अनुसार पठार के तीन रूप है - पर्वतपदीय पठार, अन्तपर्वतीय पठार तथा महाद्वीपीय पठार। पर्वतपदीय पठार किसी विशाल पर्वत के पाद पर पाये जाते है, जबकि अन्तर्पर्वतीय पठार दो पर्वतों के मध्य पाये जाते है।
• इनके विपरीत महाद्वीपीय पठार महाद्वीपों के मध्य या सागरों के मध्य उठे हुए भाग होते है।
• मैदान सागर तल से बहुत कम ऊंचाई वाले भूभाग होते है, जिनका ऊपरी धरातल समतल तथा ढाल अत्यधिक मन्द होता है।
• मैदान या तो अपरदनकारी शक्तियों द्वारा निर्मित होते है अथवा निक्षेपण द्वारा। नदियाँ हिमानी, पवन आदि के द्वारा मैदानों का निर्माण होता है।
137 docs|10 tests
|
1. पृथ्वी की आन्तरिक संरचना क्या है? |
2. पृथ्वी के अक्षांश और देशांतर रेखाएं क्या हैं? |
3. पहाड़, पठार और मैदान क्या होते हैं? |
4. भारतीय भूगोल में पहाड़, पठार और मैदान कैसे पाए जाते हैं? |
5. पृथ्वी की आन्तरिक संरचना क्यों महत्वपूर्ण है? |
|
Explore Courses for UPSC exam
|