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विश्व की कुछ प्रमुख वनस्पतियां, हाइड्रोमीटिअर्स तथा विश्व के मरुस्थल - भारतीय भूगोल | Revision Notes for UPSC Hindi PDF Download

विश्व की कुछ प्रमुख वनस्पतियां
• सेल्वा (Selva): दक्षिणी अमेरिका में आमेजन वेसिन में मिलने वाला सदावहार सघन वन।
• कटिंगा (Katinga)-ब्राजील में मिलने वाला उष्ण कटिबन्धीय वन।
• शंक्वाकार वन (Coniferous forest): टैंगा प्रदेश तथा पर्वतीय भागों में हिमरेखा के नीचे पेटी में मिलने वाले मुलायम लकड़ी वाले आर्थिक महत्व के सदावहार वन।
• सवाना घास (Savanna grasses) : अफ्रीका महाद्वीप में भूमध्य रेखीय सदाबहार वन के उत्तर तथा दक्षिण स्थित पेटी जहां उष्ण कटिबन्धीय कड़ी सवाना घास मिलती है (वर्षा की कमी तथा ताप की अधिकता के कारण)। सवाना ब्राजील तथा भारत के मध्य प्रदेश में भी मिलती है।
• लैनोज (Lanos): दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भाग में गियाना उच्च पठारी भाग तथा ओरीनीको बेसिन में मिलने वाली उष्ण कटिबन्धीय घास ।
• प्रेयरी (Prairi): शीतोष्ण कटिबन्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका में मिलने वाली मुलायम तथा पौष्टिक घास, जिस पर संयुक्त राज्य अमेरिका का पशुचारण उद्योग निर्भर करता है।
• स्टेपी (Steppee): सोवियत रूस में टैगा वन के दक्षिण स्थित पूरब से पश्चिम तक फैली एक पेटी में मिलने वाली मुलायम पौष्टिक घास, जिस पर खिरगीज चलवासी पशुचारण निर्भर करता है।
• पम्पाज (Pampas): अर्जेन्टीना के समतल मैदान की शीतोष्ण कटिबन्धीय घास जिस पर अर्जेंटीना का पशुचारण उद्योग निर्भर करता है।
• वेल्ड (Veldt): दक्षिणी अफ्रीका में भूमध्यसागरीय जलवायु वाले भागों पर मिलने वाली शीतोष्ण कटिबन्धीय मुलायम घास। कारु पठार पर मिलने वाली घास को कारुवेल्ड (Karooveldt) कहा जाता है।
• डाउन्स (Downs): आस्ट्रेलिया में मैदानी भाग में विशेष रूप से मर्रे-डार्लिंग बेसिन में मिलने वाली शीतोष्ण कटिबन्धीय मुलायम घास जिस पर आस्ट्रेलिया का ऊन उद्योग (भेड़ो पर आधारित) निर्भर करता है।


हाइड्रोमीटिअर्स
• ओस (Dew)- जब किसी वायुराशि का तापमान घट कर ओसांक बिन्दु (dew point) पर आ जाता है तब संघनन (condensation) की पहली अवस्था होती है तथा ओस बिन्दुओं का निर्माण होता है।
• कुआसा (Fog)- ओसांक बिन्दु से नीचे तापमान होने पर वायुमंडलीय जलवाष्प संघनित होकर छोटे जलकणों में बदल जाती है जिसे कुहासा कहते है। कुहासा में नगरीय भागों में धुआं (smoke) मिलने से दृश्यता (visibility) 1 किमी. से कम हो जाती है जिसे स्माॅग (smog) कहते है।
• तुषार या पाला (Frost)- रात्रि में तापमान अधिक कम हो जाने पर वायुमंडलीय जल वनस्पतियों की पत्तियों पर संघनित होकर इकट्ठा हो जाता है। इससे फसलों की रक्षा के लिए सिंचाई करना चाहिए।
• ओला वृष्टि (Hale)- वायुमंडलीय तापमान अचानक गिरने से वायुमंडलीय जल जमकर हिम रूप में परिवर्तित हो जाता है तथा भूमि पर आ गिरता है जिसे ओलावृष्टि कहते है।
• स्लीट (Sleet)- हिमकणों तथा जलकणों का मिश्रित रूप में वर्षण स्लीट कहलाता है।
• विर्गा (Virgae)- वर्षा जलकणों का पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने के पूर्व ही अधिक धरातलीय तापमान के कारण वाष्पीकृत होकर उड़ जाने को विर्गा कहते है।
• ग्लेज (Glaze)- 0°C तापमान से कम ताप (Super cooled drops) वाले जलकणों का धरातल पर गिरना जो वायुमंडलीय विक्षोभ के कारण जमने (Freeze) नहीं पाते।


विश्व के मरुस्थल

नाम क्षेत्राफल (वर्ग कि. मी.)स्थिति
सहारा 84,00,000 अल्जीरिया, चाड, लीबिया, माली, मारितानिया, नाइजर, सूडान, ट्यूनूशिया, मिस्र, मोरक्को (अफ्रीका)। यह लीबिया मरुस्थल (15,50,00 वर्ग कि. मी.) तथा नूबियन मरुस्थल (2,60,000 वर्ग कि. मी.) को स्पर्श करता है।
आस्ट्रेलिया मरुभूमि 15,50,000 आस्ट्रेलिया। यह वारबर्टन अथवा महान रेतीले मरुस्थल (4,20,000वर्ग कि. मी), ग्रेट विक्टोरिया (3,25,000 वर्ग कि. मी.), आरुण्टा या सिम्पसन (3,10,000 वर्ग कि. मी.), गिब्सन (2,20,000  कि. मी.) एवं स्टुअर्ट मरुस्थल से संलग्न है।
अरब मरुभूमि13,00,000दक्षिणी अरब, सउदी अरब, यमन (अरब प्रायद्वीप)। इसमें अरब-अल-खाली या इम्पटी क्वार्टर (6,47,500 वर्ग कि. मी), सीरिया मरुभूमि (3,25,000 वर्ग कि. मी.) तथा नाफूद (1,29,500 वर्ग कि. मी.) सम्मिलित है।
 गोबी10,40,000मंगोलिया एवं आन्तरिक मंगोलिया (चीन)।
 काला-हारी5,20,000 बोत्सवाना (अफ्रीका मध्य)।
तकला माकन3,20,000सिंकियांग प्रान्त (चीन)।
सोनोरान मरुस्थल3,10,000एरीजोना एवं कैलीफोर्निया (सं. रा. अमेरिका तथा मैक्सिको)।
नामिब मरुस्थल3,10,000नामीबिया (दक्षिणी-पश्चिमी अफ्रीका)।
 काराकुम2,70,000तुर्कमेनिया (स्वतन्त्रा राज्यों का राष्ट्रकुल)।
थार मरुभूमि2,60,000उत्तरी-पश्चिमी भारत एवं पाकिस्तान।
सोमाली मरुभूमि2,60,000सोमालिया (अफ्रीका)।
अटाकामा मरुस्थल1,80,000उत्तरी चिली (दक्षिणी अमेरिका)।
काइजिल कुम1,80,000उजबेकिस्तान, कजाकिस्तान (स्वतन्त्रा राज्यों का राष्ट्रकुल)।
दस्त-ए -लुत52,000पूर्वी ईरान (पहले ईरान का मरुस्थल कहलाता था)।
मोजेव मरुस्थल 35,000दक्षिणी कैलीफोर्निया (सं. रा. अमेरिका)।
सेचुरा मरुभूमि26,000उत्तरी-पश्चिमी पेरू (दक्षिणी अमेरिका)।
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FAQs on विश्व की कुछ प्रमुख वनस्पतियां, हाइड्रोमीटिअर्स तथा विश्व के मरुस्थल - भारतीय भूगोल - Revision Notes for UPSC Hindi

1. वनस्पतियों के बारे में विश्व की कुछ प्रमुख जानकारी क्या है?
उत्तर: विश्व में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं। कुछ प्रमुख वनस्पतियों में नींबू, नींबू के पेड़, बांस, बंदरगाह, ओक आदि शामिल हैं। ये वनस्पतियां अपने आहार, जंगली जीवन और आर्थिक महत्व के कारण प्रमुख हैं।
2. हाइड्रोमीटिअर्स क्या होते हैं और इनका महत्व क्या है?
उत्तर: हाइड्रोमीटिअर्स वे जलीय पौधे होते हैं जो जल में विकसित होते हैं और जल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इनकी मदद से हम जल की गुणवत्ता, जलवायु, जल उपयोग और जलीय पारिस्थितिकी की समीक्षा करते हैं। हाइड्रोमीटिअर्स जल के खाद्य श्रृंगारकों के रूप में भी उपयोग होते हैं।
3. विश्व के मरुस्थलों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दें।
उत्तर: विश्व में मरुस्थलों के कुछ मुख्य स्थान हैं जैसे कि थार मरुस्थल (भारत), गोबी मरुस्थल (चीन), कालहारी मरुस्थल (दक्षिण अफ्रीका) और अरबीयन मरुस्थल (अरबीयन प्रायद्वीप)। ये मरुस्थल अत्यंत सूखे और तापमान बढ़ते हैं। इन मरुस्थलों में पानी की कमी होती है और वनस्पतियों की विविधता कम होती है। ये स्थान जीव-जंतुओं के लिए कठिनाईयों का सामना कराते हैं।
4. क्या वनस्पतियों का महत्व हमारे जीवन में है?
उत्तर: हां, वनस्पतियों का हमारे जीवन में महत्व है। वनस्पतियां हमें ऑक्सीजन देती हैं, जल की संरक्षण में मदद करती हैं, जलवायु नियंत्रण करती हैं, वनस्पति चिकित्सा के रूप में उपयोगी होती हैं, और आर्थिक महत्वपूर्ण उत्पादों की वितरण में मदद करती हैं।
5. भारतीय भूगोल में मरुस्थलों का महत्व क्या है?
उत्तर: भारतीय भूगोल में मरुस्थलों का महत्वपूर्ण स्थान है। थार मरुस्थल भारत में स्थित है और यह विश्व का एक महत्वपूर्ण मरुस्थल है। यह वनस्पतियों, जीव-जंतुओं, और लोगों के लिए एक आवास स्थान है, और यहां का संसाधनों का उपयोग भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
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