Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)  >  अभ्यासः - सदैव पुरतो निधेहि चरणम, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8

अभ्यासः - सदैव पुरतो निधेहि चरणम, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8) PDF Download

अभ्यासः
प्रश्नः 1. पाठे दत्तं गीतं सस्वरं गायत। (पाठ में दिए गए गीत को स्वर में गाइए।)
उत्तरम्-  
 छात्रा सुस्वर में गीत को गाएँ।

प्रश्नः 2. अधेलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर एक पद में दीजिए-)
(क)    स्वकीयं साधनं किं भवति?
उत्तरम्- 
बलम्।  
(ख)    पथि के विषमाः प्रखराः?
​उत्तरम्-  पाषाणाः।  
(ग)    सततं किं करणीयम्?
​उत्तरम्-  ध्येय-स्मरणम्।    
(घ)    एतस्य गीतस्य रचयिता कः?
​उत्तरम्- श्रीध्रभास्कर-वर्णेकरः।
(ङ)    सः कीदृशः कविः मन्यते?
​उत्तरम्- राष्ट्रवादी।

प्रश्नः 3. मञ्जुषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(मञ्जुषा से क्रिया पद चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
निधेहि,  विधेहि,  जहीहि,  देहि , भज,  चल , कुरु
यथा-  त्वं पुरतः चरणं निधेहि।
(क)    त्वं विद्यालयं ......................।
(ख)    राष्ट्रे अनुरक्तिं ......................।
(ग)    मह्यं जलं ......................।
(घ)    मूढ! ...................... ध्नागमतृष्णाम्।
(ङ)    ...................... गोविन्दम्।
(च)    सततं ध्येयस्मरणं ......................।

उत्तरम्-   
(क)    चल।    
(ख)    विधेहि।    
(ग)    देहि।
(घ)    जहीहि।
(ङ)    भज।  
(च)    कुरु।

प्रश्नः 4. मञ्जुषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत।-(मञ्जुषा से अव्यय पद चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए)
एव, खलु,  तथा,  परितः , पुरतः , सदा,  विना
(क)   विद्यालयस्य ...................... एकम् उद्यानम् अस्ति।
(ख)   सत्यम् ...................... जयते।
(ग)    किं भवान् स्नानं कृतवान् ......................?
(घ)    सः यथा चिन्तयति ...................... आचरति।
(ङ)   ग्रामं ...................... वृक्षाः सन्ति।
(च)    विद्यां ...................... जीवनं वृथा।
(छ)    ...................... भगवन्तं भज।

उत्तरम्-   
(क)    पुरतः
(ख)    एव
(ग)    खलु
(घ)    तथा
(ङ)    परितः
(च)    विना
(छ)    सदा

प्रश्नः 5. विलोमपदानि योजयत-(विलोम पदों का मिलान कीजिए-)
पुरतः            विरक्तिः
स्वकीयम्      आगमनम्
भीतिः           पृष्ठतः
अनुरक्तिः      परकीयम्
गमनम्          साहसः

उत्तरम्-    
पुरतः    -  पृष्ठतः
स्वकीयम्   -  परकीयम्
भीतिः       -    साहसः
अनुरक्तिः  -  विरक्तिः
गमनम्    -   आगमनम्

प्रश्नः 6. लट्लकारपदेभ्यः लोट्-विधिलिङ्लकारपदानां निर्माणं कुरुत-(लट् लकार के पदों से लोट् और विधिलिङ् लकार के पदों का निर्माण कीजिए-)
           लट्लकारे    लोट्लकारे    विधिलिङ्लकारे
यथा-    पठति             पठतु             पठेत्
           खेलसि       ..................    ..................
           खादन्ति    ..................    ..................
            पिबामि    ..................     ..................
            हसतः      ..................     ..................
             नयामः    ..................     ..................
उत्तरम्-    
लोट्लकारे    विधिलिङ्लकारे
खेल                  खेलेः
खादन्तु             खादेयुः
पिबानि             पिबेयम्
हसताम्             हसेताम्
नयाम                नयेम

प्रश्नः 7. अधेलिखितानि पदानि निर्देशानुसारं परिवर्तयत-(निम्नलिखित पदों को उदाहरण अनुसार परिवर्तित कीजिए-)
यथा-    गिरिशिखर (सप्तमी-एकवचने)    -    गिरिशिखरे
            पथिन् (सप्तमी-एकवचने)         -    ..................
            राष्ट्र (चतुर्थी-एकवचने)         -    ..................
            पाषाण (सप्तमी-एकवचने)       -    ..................
            यान (द्वितीया-बहुवचने)         -    ..................
            शक्ति(प्रथमा-एकवचने)         -    ..................
            पशु (सप्तमी-बहुवचने)            -    ..................
उत्तरम्-    
पथि
राष्ट्राय
पाषाणे
यानानि
शक्तिः
पशुषु

प्रश्नः 8. उचितकथनानां समक्षम् ‘आम्’, अनुचितकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-(उचित कथनों के सामने ‘आम्’ तथा अनुचित कथनों के सामने ‘न’ ऐसा लिखिए-)
यथा-  पुरतः चरणं निधेहि।  - आम्
(क)    निजनिकेतनं गिरिशिखरे अस्ति।            
(ख)    स्वकीयं बलं बाध्कं भवति।            
(ग)    पथि हिंड्डाः पशवः न सन्ति।            
(घ)    गमनं सुकरम् अस्ति।            
(ङ)    सदैव अग्रे एव चलनीयम्।            

उत्तरम्-  
(क)  आम्    
(ख)    न    
(ग)    न   
(घ)    न    
(ङ)   आम्

प्रश्नः 9. वाक्यरचनया अर्थभेदं स्पष्टीकुरुत-(वाक्य रचना द्वारा अर्थ-भेद स्पष्ट कीजिए-)
परितः         -    पुरतः
नगः            -    नागः
आरोहणम्   -    अवरोहणम्
विषमाः        -    समाः

उत्तरम्-    
परितः (चारों ओर)    -      ग्रामं परितः जनाः वसन्ति।
पुरतः  (आगे)        -        सीतायाः पुरतः रामः चलति।
नगः  (पर्वत)        -          हिमालयः संसारे प्रसि): नगः अस्ति।
नागः   (सर्प)          -         शेषनागः सर्वोच्चः भवति।
आरोहणम्  (चढ़ाई)        -    पर्वतस्य आरोहणम् सुखदं भवति।
अवरोहणम्  (उतराई)     -    पर्वतस्य अवरोहणं रोमांचकं भवति।
विषमाः (असमान)    -    पर्वतस्य मार्गाः विषमाः एव भवन्ति।
समाः  (समान)         -    राजपुत्राः नृपेण समाः सन्ति।

अतिरिक्त-अभ्यासः
(1) पद्यांशं पठित्वा अधेदत्तान् प्रश्नाम् उत्तरत-(पद्यांश पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों वेफ उत्तर दीजिए-)
        पथि पाषाणा विषमाः प्रखराः।
        हिंस्रा: पशवः परितो घोराः।।
        सुदुष्करं खलु यद्यपि गमनम्।
        सदैव पुरतो........................।।
(I) एकपदेन उत्तरत।
1. पथि विषमाः वेफ सन्ति? _______________     
2. पशवः कीदृशः सन्ति? _______________
3. दुष्करं किं भवति?_______________        
4. पुरतः किं निधेयम्? _______________

उत्तरम्- 
1. पाषाणाः    
2. हिंस्रा    
3. गमनम्    
4. चरणम्

(II) पूर्णवाक्येन उत्तरत।
पथि किं किं काठिन्यं वर्तते?

उत्तरम्-   पथि विषमाः प्रखराः पाषाणाः सन्ति, परितः च हिंस्रा: घोराः पशवः, अतः गमनम् दुष्करम्।

(III) भाषिककार्यम्
1. पर्यायपदम् चित्वा लिखत-
(i) सर्वदा = ..................    
(ii) मार्गे = ...................
(iii) अभितः = ...................

उत्तरम्- (i) सदैव   (ii) पथि  (iii) परितः

2. सन्धिविच्छेदं कुरुत-    
(i) यद्यपि = ................+................
(ii) सदैव = ................+................

उत्तरम्-  (i) यदि + अपि  
(ii) सदा + एव

3. विशेषणपदं चित्वा लिखत-‘सुदुष्करं खलु यद्यपि गमनम्’.......................
उत्तरम्-  सुदुष्करम्

4. विपिर्यायं (विलोमं) लिखत-
(i) समाः = ____________    
(ii) अतीव सुकरम् = ____________
(iii) पृष्ठतः = ____________

उत्तरम्-  (i) विषमाः  (ii) सुदुष्करम्  (iii) पुरतः

5. एकवचने परिवर्तयत-‘पथि, पाषाणाः, विषमाः, प्रखराः’.......................
उत्तरम्-  पथि, पाषाणः विषमः प्रखरः।

(2)    शब्दार्थान् परस्परं मेलयत-(शब्दार्थों का परस्पर मेल कीजिए-)
अनुरक्तिम्              पर्वतः
गिरिशिखरे             स्वगृहम्
नगः                      त्यज
सततम्                  कुरु
निजनिवेफतनम्      पर्वत शृङ्गे
विधेहि                  स्नेहम्
जहीहि                 निरन्तरम्

उत्तरम्- 
अनुरक्तिम् =           स्नेहम्;     
गिरिशिखरे =           पर्वत शृंगे;    
नगः          =           पर्वतः;
सततम्      =          निरन्तरम्; 
निजनिवेफतनम् =   स्वगृहम्; 
विधेहि =                कुरु;
जहीहि =                त्यज 

(3)  लट्लकारपदानि लोट्-विधिलिङ्लकारे परिवर्तयत-(लट् लकार वेफ पद लोट् तथा विधिलिङ् में परिवर्तित कीजिए-)
      लट्               लोट्               विधिलिङ्
1. अस्ति      __________    __________
2. करोमि     __________    __________
3. लिखन्ति  __________    __________
4. पठति      __________    __________
5. खादामः   __________    __________
6. धवथः     __________    __________
7. गायतः    __________    __________
उत्तरम्- 
1. अस्तु, स्यात्    
2. करवाणि, कुर्याम्  
3. लिखन्तु, लिखेयुः  
4. पठ, पठेः
5. खादाम, खादेम  
6. धवतम्, धवत    
7. गायताम्, गायेताम्

(4) वाक्य-प्रयोगम् कुरुत- 
1. घोरः  
2. पुरतः  
3. साधनम्  
4. गमनम्

उत्तरम्-
1. व्याघ्रः घोरः पशुः वर्तते।
2. भवनस्य पुरतः विशाला वाटिका शोभते।
3. साधनम् विना कार्यसिधि: कथं भवेत्?
4. विषमे मार्गे गमनम् सुकरम् नास्ति।

बहुविकल्पीयप्रश्नाः
(1)    प्रदत्तविकल्पेभ्यः उचितपदं चित्वा वाक्यपूर्ति कुरुत-(दिए गए विकल्पों से उचित पद चुनकर रिक्त स्थान भरिए-)
(क) 

1. सदैव _______ निधेहि चरणम्। (परितः, पुरतः, सर्वतः)
2. विनैव यानम् _______ । (नागारोहरणम्, नगारोहणम्, नगावरोहणम्)
3. ________ राष्ट्रे तथा ऽनुरक्तिम्। (देहि, विधेहि, जहीहि)
4. कुरु कुरु सततं ________। (निजनिवेफतनम्, ध्येय-स्मरणम्, सुदुष्करम्)
 5. जहीहि भीतिं भज भज ________। (साधनम्, गमनम्, शक्तिम्)

उत्तरम्- 
1. पुरतः  
2. नगारोहणम्  
3. विधेहि  
4. ध्येय-स्मरणम्  
5. शक्तिम्

(ख) 
1. भो बालकाः! मार्गे सावधनं ________। (चल, चलतम्, चलत)
2. पुत्रि, ________ विना बहिः मा गच्छ। (छत्र:, छत्राम्, छत्राय)
3. ________ स्नेहः कर्त्तव्य। (भ्रातृ, भ्रातरम्, भ्रातरि।)
4. ________ दयां कुरु। (पशुम्, पशौ, पशुः)
5. कार्यम् इदम् ________ खलु। (सुकर, सुकरम्, सुकरः)

उत्तरम्- 
1. चलत  
2. छत्रम्    
3. भ्रातरि      
4. पशौ      
5. सुकरम् 

(2) शुद्ध शब्दरूपं रिक्तस्थाने लिखत-(शुद्ध शब्दरूप रिक्त स्थान में लिखिए) 
1. गति - प्रथमा एकवचनम् ................................। (गति, गतिः, गती)
2. सुमति - सम्बोध्नम्, एकवचनम् ................................। (सुमति, सुमतिः सुमते)
3. बसयान - द्वितीया बहुवचनम् ................................। (बसयानाः, बसयानान्, बसयानानि)
4. शिशु - चतुर्थी एकवचनम् ................................। (शिश्वे, शिशवे, शिशुवे)
5. तरु - प्रथमा बहुवचनम् ................................। (तर्वः तरुवः, तरवः)
उत्तरम्-       
1.    गतिः    
2.    सुमते    
3.    बसयानानि    
4.    शिशवे
5.    तरवः

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FAQs on अभ्यासः - सदैव पुरतो निधेहि चरणम, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 - संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

1. सदैव पुरतो निधेहि चरणम का अर्थ है?
उत्तर: "सदैव पुरतो निधेहि चरणम" का अर्थ होता है "हमेशा आगे बढ़ो और कदम बढ़ाओ"। यह वाक्य सूक्‍ति जीवन में सदैव आगे बढ़ने और प्रगति करने का संकेत करता है।
2. संस्कृत की महत्ता क्या है?
उत्तर: संस्कृत एक प्राचीन भाषा है जो भारतीय सभ्यता, संस्कृति और धर्म की मूल भाषा मानी जाती है। यह भाषा वेद, उपनिषद, पुराण और महाकाव्यों की रचना में प्रयोग हुई है। संस्कृत का अध्ययन विचारशीलता, मेधा और आत्मसंयम के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
3. संस्कृत कक्षा 8 के छात्रों के लिए इस पाठ का महत्त्व क्या है?
उत्तर: संस्कृत कक्षा 8 के छात्रों के लिए यह पाठ महत्त्वपूर्ण है क्‍योंकि इससे वे संस्कृत भाषा की मूल बातें सीखेंगे। यह पाठ उनके लिए एक मंथन का कार्य करेगा और उनकी संस्कृति और साहित्य के प्रति उत्साह बढ़ाएगा।
4. सदैव पुरतो निधेहि चरणम की उपयोगिता क्या है?
उत्तर: "सदैव पुरतो निधेहि चरणम" वाक्य की उपयोगिता यह है कि यह हमें समय का महत्त्व समझाता है और हमें सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। यह वाक्य हमें संकल्पित लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और हमें सफलता की ओर अपना कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
5. संस्कृत भाषा की कक्षा 8 में अध्ययन करने के लाभ क्या हैं?
उत्तर: संस्कृत भाषा की कक्षा 8 में अध्ययन करने से छात्रों को संस्कृति, साहित्य और भारतीय धर्म के प्रति समझ और उनकी दृष्टि विस्‍तारित होती है। इससे उनकी मेधा, मनोवैज्ञानिक क्षमता और नैतिक मूल्यों में सुधार होता है। संस्कृत का अध्ययन उनके शब्दावली, व्याकरण और संवाद कौशल को भी मजबूत करता है।
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