परिभाषा: वाक्य में जब एक से अधिक पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का काम करते हैं तब उस बंधी हुई इकाई को पदबंध कहते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि वाक्य का वह सार्थक अंश, जिसमें समापिका क्रिया न हो, पदबंध कहलाता है। पदबंध को वाक्यांश भी कहा जाता है। वाक्य में प्रयुक्त शब्द को पद कहते हैं।
जैसे:
ऊपर दिए गए वाक्यों में हरे रंग का अंश पदबंध है।
उपर्युक्त परिभाषा से पदबंध के निम्नलिखित विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं:
(क) इसमें पदों का संबंध इस प्रकार होता है कि वह एक इकाई बन जाता है।
(ख) पदबंध में एक से अधिक पद होते हैं।
(ग) पदबंध के शब्द-क्रम निश्चित होते हैं।
(घ) पदबंध सदा किसी वाक्य का अंश होता है।
(च) एक शब्द के अनेक शब्द प्रायः पदबंध होते हैं।
(छ) मुहावरे प्रायः पदबंध होते हैं, लेकिन सभी पदबंध मुहावरे नहीं होते।
(ज) समस्त पदों के विग्रह प्रायः पदबंध हो जाते हैं।
पदबंध के बारे में जानने से पहले हम ‘शब्द’ और ‘पद’ के बारे में एक बार दोहरा लेते हैं।
शब्द– वर्णों के सार्थक मेल से ‘शब्द’ बनता है: जैसे–
क् + ए + श् + अ + व् + अ = केशव
क् + अ + र् + उ + ण् + आ = करुणा
पद– जब कोई शब्द व्याकरण के नियमानुसार वाक्य में प्रयुक्त हो जाता है तब वह ‘पद’ कहलाता है: जैसे–
रेलगाड़ी स्टेशन पर आई।
यहाँ ‘रेलगाड़ी’, ‘स्टेशन’, ‘पर’ और ‘आई’ पद हैं।
पदबंध: जब एक से अधकि पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का काम करते हैं, तो उसे पदबंध कहते हैं: जैसे– ‘छोटे कदवाले सचिन’ ने अपनी बल्लेबाजी से सबका मन मोह लिया।
यहाँ ‘छोटे कदवाले सचिन’ एक पदबंध है। यह वही कार्य कर रहा है जो अकेला पद ‘सचिन’ कर रहा है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं–
पदों का ऐसा बंध (समूह) जो परस्पर वही व्याकरणिक कार्य करता है जो एक ‘पद’ करता है, पदबंध कहलाता है।
पदबंध के बारे में कुछ और बातें–
(i) पदबंध में एक से अधकि पद होते हैं: जैसे– अंध लँगड़ा बूढ़ा भिखारी, यहीं बैठता है।
(ii) पदबंध के सभी पद आपस में बँधे होते हैं।
(iii) पदबंध के पद मिलकर एक भाषिक इकाई का घटक बन जाते हैं।
(iv) पदबंध में एक मुख्य पद तथा अन्य आश्रित पद होते हैं: जैसे–
लोहे की बड़ी मजबूत अलमारी बाजार से लाना।
यहाँ लोहे की बड़ी, मजबूत – आश्रित पद हैं
अलमारी – शीर्षपद है।
पदबंध में विकारी और अविकारी दोनों प्रकार के शब्द हो सकते हैं और वे मिलकर व्याकरणिक इकाई पद का कार्य करते हैं। पदबंध के आठ भेद होते हैं जो की निम्नलिखित हैं –
1. संज्ञा पदबंध: जो पदबंध वाक्य में संज्ञा का कार्य करते है, वे संज्ञा पदबंध कहलाते हैं। जैसे–
ऊँचे कदवाले गोरे बल्लेबाज ने शतक बनाया। यहाँ ऊँचे कदवाले, गोरे आश्रित पद हैं जो ‘बल्लेबाज’ (शीर्षपद) संज्ञा पर आश्रित हैं।
संज्ञा पदबंध के कुछ अन्य उदाहरण:
(क) भाग्य के सहारे बैठा रहनेवाला व्यक्ति दुखी रहता है।
(ख) पानी में डूबने के खौफ़ में जीनेवाला मल्लाह मोती नहीं पा सकता।
(ग) मोटा थुलथुले शरीर वाला लड़का दौड़ में प्रथम नहीं आ सकता।
(घ) निरंतर परिश्रम करने वाले छात्र ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
(ङ) गाँवों में रहने वाले किसान सरल स्वभाव वाले होते हैं।
(च) फैक्टरी जाते हुए मजदूर को कार ने टक्कर मार दी।
(छ) लाल रंग की वातानुकूलित बसें आरामदायी होती है।
(ज) चापलूसी करनेवाले लोगों की असलियत एक दिन पता चल ही जाती है।
2. सर्वनाम पदबंध: इस पदबंध के शीर्ष में सर्वनाम होता है तथा पदबंध सर्वनाम का काम करता है। जैसे–
(क) मधुर स्वर में गानेवाली वह पुरस्कृत हो गई।
(ख) दूसरों की भलाई करने वाले तुम अपकार क्यों करने लगे?
(ग) मीन जैसी आँखों वाली तुम उदास क्यों हो गई?
(घ) आपके रिश्तेदारों में से कौन साथ जाएगा?
(ङ) महँगा मोबाइल रखनेवाला वह पुलिस द्वारा पकड़ा गया।
(च) नकल के सहारे बैठने वाले तुम अच्छे अंक नहीं प्राप्त कर सकोगे।
(छ) पुस्तकालय जाकर पढ़ाई न करनेवाला वह कोर्स पूरा कैसे करेगा?
(ज) अनशन में शामिल होने गई वह बीमार पड़ गई।
3. विशेषण पदबंध: जिस पदबंध के शीर्ष में विशेषण होता है और अन्य पद उस पर आश्रित होते हैं, उसे विशेषण पदबंध कहते हैं। जैसे–
(क) दूसरों की भलाई करनेवाले लोग सर्वत्र आदर पाते हैं।
(ख) मीठा बोलने वाला वह व्यक्ति कम तौलता है।
(ग) कमजोर और छोटा-सा दिखनेवाला बालक बक्सा नहीं उठा सकता है।
(घ) मूसलाधर वर्षा लानेवाले बादल घिरते आ रहे हैं।
(ङ) आज देश के लिए तन-मन समर्पित करनेवाले कम मिलते हैं।
(च) मृदुभाषी तथा सरल स्वभाव वाले सभी का मन मोह लेते है।
(छ) इंद्रधनुषी रंग तथा बड़े आकारवाले गुब्बारे अच्छे लग रहे हैं।
संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण पदबंधें में सूक्ष्म अंतर:
विशेषण पदबंध, संज्ञा पदबंध और सर्वनाम पदबंध के ही अंग होते हैं, इसलिए इन्हें पहचानने में सजग रहना चाहिए: जैसे–
सतरंगी रंगोंवाला बड़ा गुब्बारा – संज्ञा पदबंध
सतरंगी रंगोंवाला बड़ा – विशेषण पदबंध
इसी प्रकार–
अरविंद के समान झूठ बोलनेवाला वह – सर्वनाम पदबंध
अरविंद के समान झूठ बोलनेवाला – विशेषण पदबंध
4. क्रिया पदबंध: जब वाक्य में कई पद मिलकर क्रिया का कार्य करते हैं, तो उसे क्रिया पदबंध कहते हैं। इस पदबंध के शीर्ष में क्रिया होती है। जैसे–
(क) मजदूर खाकर सो जाया करता है।
(ख) पर्वत की चोटी से पत्थर लुढ़कता चला गया।
(ग) पथिक गीत गाता जा रहा था।
(घ) व्यापार के लिए सरकारी बैंक से कर्ज़ ले लेना चाहिए था।
(ङ) तालाब का पानी सूखता जा रहा था।
(च) रमेश अब तक विद्यालय से आ जाया करता था।
(छ) वंशिका आजकल पढ़ती रहती है।
(ज) अब कुली अधकि मजदूरी कमा लिया करते हैं।
5. क्रिया विशेषण पदबंध: जब वाक्य में कई पद मिलकर क्रियाविशेषण का कार्य करते हैं तो उसे क्रियाविशेषण पदबंध कहते हैं। इस पदबंध के शीर्ष में क्रियाविशेषण पद होता है। जैसे–
(क) मरीज बहुत धीरे-धीरे चलने लगा है।
(ख) कल शाम से लगातार जोरदार वर्षा हो रही है।
(ग) विद्यार्थी बगलवाले कमरे में पढ़ रहे हैं।
(घ) मेहमान उद्यान की ओर गए हैं।
(ङ) मजदूर बहुत मेहनत से कार्य करता रहा।
(च) बच्चा मंद-मंद चलकर गेंद उठा लाया।
(छ) हमारे खेत यहाँ से वहाँ तक फैले हैं।
(ज) विश्व कप का फ़ाइनल मैच इसी स्टेडियम में खेला जाएगा।
(झ) वह गोली की तरह भागकर गया।
(ञ) जमींदार का चरागाह यहाँ से जंगल तक फैला है।
6. संबंधबोधक पदबंध: जो शब्द वाक्य में दो पदबंधों के बीच संबंध स्थापित करावें, उन शब्दों को सम्बन्ध बोधक पदबंध कहेंगे। जैसे–
बदले, पलटे, समान, योग्य, सरीखा, ऊपर, भीतर, पीछे से, बाहर की ओर आदि।
‘शब्द’ वाक्य में संबंध बोधक पदबंध कहे जाते हैं।
(क) सुरेश की ओर
(ख) बस के ऊपर
(ग) मोहन के सामान आदि।
7. समुच्चयबोधक पदबंध: जो ‘शब्द, वाक्यांश’ एक पदबंध को दूसरे वाक्य/वाक्यांश से मिलाते हैं उन्हें समुच्चय बोधक पदबंध कहेंगे। जैसे–
(क) राम और श्याम विद्यालय जाते हैं।
(ख) तुम आओगे अथवा श्याम आएगा।
8. विस्मयादि बोधक पदबंध: किसी वाक्य में हर्ष, शोक, विस्मय, लज्जा, ग्लानि आदि मनोभावों को व्यक्त करने वाले शब्द विस्मयादिबोधक पदबंध कहलाते हैं। जैसे–
(क) अहा! आज तो जलेबियाँ बन रही है।
(ख) हाँ! मैं तो सही कहता हूँ।
(ग) अरे! तुम फर्स्ट आ गए।
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1. पदबंध का क्या अर्थ होता है? |
2. पदबंध का प्रयोग किस भाषा में किया जाता है? |
3. पदबंध के कितने प्रकार होते हैं? |
4. पदबंध के उदाहरण दीजिए। |
5. पदबंध के लाभ क्या हैं? |
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