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पंचवर्षीय योजनाएं (भाग - 2) पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

दसवीं पंचवर्षीय योजना

  • 21 दिसंबर, 2002 को राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा अनुमोदित दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) में 7.9% की औसत वार्षिक वृद्धि दर निर्धारित की गई थी।
  • यह पंचवर्षीय योजना 31 मार्च, 2007 से ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना शुरू हो गई है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में 7 .74 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त होने का अनुमान लगाया गया है, जो अब तक किसी भी योजना में प्राप्त की गई सर्वोच्च वृद्धि दर।
  • अर्थव्यवस्था के तीनों प्रमुख क्षेत्रों-कृषि, उद्योग व सेवा, में दसवीं योजना के दौरान प्राप्त की गई वृद्धि दरें इनके लिए निर्धारित किए गए लक्ष्यों के काफी निकट रही है। कृषि में 4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का योजना का लक्ष्य था।
  • इस क्षेत्र में 2.30 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि अंतिम आंकड़ों के अनुसार प्राप्त की गई हैं। उद्योगों व सेवाओं के क्षेत्रों में क्रमशः 8.90 प्रतिशत व 9.40 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य था। इन क्षेत्रों में क्रमशः 9.17 प्रतिशत व 9.30 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दसवीं पंचवर्षीय योजना में प्राप्त की गई है।
  • अंतिम आंकड़ों के अनुसार इस योजना में निवेश की दर (Rate of investment) सकल घरेलू उत्पाद का 32.1 प्रतिशत रही है, जबकि लक्ष्य 28 .41 प्रतिशत का था। सकल घरेलू बचतें जीडीपी के 23 .31 प्रतिशत रखने का लक्ष्य था, जबकि वास्तविक उपलब्धि लक्ष्य से कहीं अधिक डीजीपी का 31.9 प्रतिशत रही है।
  • योजनाकाल में मुद्रास्फीति की दर औसतन 5 .0 प्रतिशत रखने का लक्ष्य था, जबकि वास्तव में यह 5.02 प्रतिशत रही थी।

11वीं पंचवर्षीय योजना

  • नौवीं पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 1977 को लागू की गई थी। इस योजना के लिए दो चीजें हितकर साबित हुईं। 
  • भारत की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना को राष्ट्रीय विकास परिषद(NDC) का अनुमोदन 19 दिसम्बर, 2007 को प्राप्त हो गया था।
  • योजना में 9 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर(Growth rate) के साथ अन्तिम वर्ष 2011.12 में 10 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया था। 9 प्रतिशत वार्षिक विकास के लिए 2007.12 के दौरान कृषि में 4 प्रतिशत तथा उद्योगों व सेवाओं में 9 से 11 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से वृद्धि का लक्ष्य इस योजना में थे
  • निर्धारित निवारण, शिक्षा, महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति, आधारिक संरचना व पर्यावरण आदि के मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर 27 व राज्यों के लिए 13 विभिन्न लक्ष्य योजना में निर्धारित किए गए थे।
  • योजनावधि में रोजगार के 7 करोड़ नए अवसर सृजित कर निर्धनता अनुपात में 10 प्रतिशत बिन्दु की कमी लाने का लक्ष्य इसमें शामिल था। 
  • देश के सभी ग्रामों के विद्युतीकरण का लक्ष्य इस योजना में निर्धारित किया गया था। शिक्षा पर व्यय में भारी वृद्धि 11वीं पंचवर्षीय योजना में प्रस्तावित थी।
  • योजना के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा था कि इस योजना का लक्ष्य विकास को सर्वहितकारी बनाना है। उन्होंने बताया कि इस योजना में अल्पसंख्यकों के लिए प्रधानमंत्री की 15 सूत्रीय योजना क्रियान्वित कराने पर बल दिया गया है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि अल्पसंख्यक बहुल जिलों में लागू कार्यक्रमों में अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक आधार पर कोई भेद नहीं किया जाएगा और लाभान्वितों के लिए गरीबी की रेखा के नीचे की शर्त लागू रहेगी।

ग्यारहवीं योजना के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित प्रकार हैं-

  • तीव्रतर विकास के साथ अधिक संहिता (Inclusive) संवृद्धि की दुतरफा रणनीति।
  • निर्धनता अनुपात में सन् 2007 तक 5 प्रतिशतांक की तथा सन् 2012 तक 15 प्रतिशतांक की कमी लाना।
  • कम-से-कम ग्यारहवीं योजना में होने वाली श्रम बल वृद्धि को उच्च गुणवत्ता युक्त रोजगार मुहैया कराना।
  • 2001 से 2011 तक के दशक में जनसंख्या संवृद्धि की दशकीय वृद्धि दर को घटाकर 16.2 प्रतिशत के स्तर पर लाना
  • ग्यारहवीं योजना अवधि में साक्षरता दर को बढ़ाकर 75 प्रतिशत करना।
  • सन् 2012 तक देश के सभी गांवों में स्वच्छ पेयजल की अविरत पहुँच सुनिश्चित करना।
  • योजनावधि में रोजगार के 7 करोड़ नए अवसर सृजित करना।

उपलब्धियाँ

  • ग्यारहवीं योजना (2007-12) में 9% औसत वार्षिक वृद्धि दर पर लक्ष्य रखा गया था। जिसे बाद में संशोधित करके 8:1कर दिया गया, किन्तु अब 7.9% प्राप्ति का अनुमान लगाया गया है।
  • कृषि क्षेत्र में विकास दर 4% निर्धारित की गई थी, किन्तु इस योजना के पहले 4 वर्षों (2007.11) के दौरान इस क्षेत्र में हासिल की गई विकास दर लगभग 3.2% रही। 
  • कृषि क्षेत्र का देश में GDP में योगदान (2004-05 की कीमतों पर) लगभग 15.7% और निर्यात में 10.23% रहा है। इसके अतिरिक्त कृषि क्षेत्र में लगभग 58.2% लोगों को रोजगार भी मिला।
  • ग्यारहवीं योजना के अंत तक खाद्यान्नों के उत्पादन में कम-से-कम 2 करोड़ टक की वृद्धि के मिशन के अंदाज में राष्ट्रीय सुरक्षा खाद्य मिशन प्रारम्भ किया गया।
  • वर्ष 2011-12 में खाद्यान्न उत्पादन लगभग 250.4 मिलियन टन अनुमानित किया गया। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना प्रारंभ की गई है। 11वीं योजना के दौरान इसके लिए 25 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
  • भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवा उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में निरन्तर विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। वर्ष 2010.11 में साॅफ्टवेयर और सेवाओं का अनुमानित निर्यात 59 अरब डाॅलर का रहा।

12वीं पंचवर्षीय योजना

  • देश की 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012.17) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में औसत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य अब 8.0 प्रतिशत निर्धारित किया गया।
  • योजना आयोग की संस्तुति पर राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) ने इस पंचवर्षीय योजना में वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य 8.2 प्रतिशत से घटाकर अब 8.0 प्रतिशत कर दिया है।
  • इस संशोधन के साथ 12वीं योजना के दस्तावेज को परिषद की प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन की अध्यक्षता में 27 दिसम्बर, 2012 को नई दिल्ली, में सम्पन्न बैठक में स्वीकार किया गया।
  • यह दूसरा अवसर है जब इस पंचवर्षीय योजना में वार्षिक विकास दर का लक्ष्य घटाया गया है।
  • योजना के एप्रोच पेपर में यह लक्ष्य 9.0 प्रतिशत का निर्धारित किया गया था जिसे बाद में सितम्बर 2012 में घटा कर 8.2 प्रतिशत किया गया था।
  • देश की 11वीं पंचवर्षीय योजना में सकल घरेलू उत्पाद में 7.9 प्रतिशत (अनंतिम) वार्षिक वृद्धि प्राप्त की गई है।

12वीं पंचवर्षीय योजना के प्राथमिकता वाले क्षेत्र

वृहद रोजगार सृजन करने वाले

  • टेक्सटाइल्स एवं सिले सिलाए वस्त्र
  • चमड़ा एवं फुटवियर
  • रत्न और आभूषण
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
  • हैंडलूम एवं हस्तकला

विनिर्माण क्षेत्रक में प्रौद्योगिक क्षमताओं को अधिकतम करने वाले क्षेत्र

  • मशीन औजार
  • सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स

ऐसे क्षेत्र जो राजनीतिक सुरक्षा प्रदान करेंगे

  • दूरसंचार उपकरण 
  • एयरोस्पेस 
  • जहाजरानी 
  • रक्षा उपकरण

ऐसे क्षेत्र जहां भारत को अन्य देशों के सापेक्ष प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल है।

  • ऑटोमोटिव क्षेत्र
  • फार्मास्युटिकल्स एवं चिकित्सा उपकरण

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग-विनिर्माण क्षेत्र के लिए आधार-रोजगार एवं उद्यमिता सृजन
ऊर्जा संरक्षण हेतु विनिर्माण प्रौद्योगिकी क्षेत्र

  • सौर ऊर्जा
  • स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी
  • नाभिकीय विद्युत उत्पादन

भारत की अधोरचना समृद्धि हेतु पूंजीगत उपकरण

  • भारी मशीनरी उपकरण
  • भारी परिवहन, अर्थ मूविंग एवं खनन उपकरण

12वीं पंचवर्षीय योजना के मुख्य लक्ष्य एक दृष्टि में

  • वार्षिक विकास दर का लक्ष्य 8.0 प्रतिशत
  • कृषि क्षेत्र में 4.0 प्रतिशत व विनिर्माण क्षेत्र में 10.0 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि के लक्ष्य।
  • योजनावधि में गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार के 5 करोड़ नए अवसरों के सृजन का लक्ष्य।
  • योजना के अंत तक निर्धनता अनुमान से नीचे की जनसंख्या के प्रतिशत में पूर्व आकलन की तुलना में 10 प्रतिशत बिन्दु की कमी लाने का लक्ष्य।
  • योजना के अन्त तक देश में शिशु मृत्यु-दर को 25 तथा मातृत्व मृत्यु-दर को 1 प्रति हजार जीवित जन्म तक लाने तथा 0.6 वर्ष के आयु वर्ग में बाल लिंगानुपात को 950 करने का लक्ष्य।
  • योजना के अन्त तक कुल प्रजनन दर को घटाकर 2.1 तक लाने का लक्ष्य।
  • योजना के अन्त तक आधारित संरचना क्षेत्र में निवेश को बढ़ाकर जीडीपी के 9 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य।
  • योजना के अंत तक सभी गाँवों में विद्युतीकरण
  • योजना के अन्त तक सभी गाँवों को गारहमासी सड़कों से जोड़ना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीडेंसिटी को बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने का लक्ष्य।

भारतीय योजनाओं के दीर्घकालीन उद्देश्य

भारतीय योजनाओं में निम्न दीर्घकालीन उद्देश्य किसी न किसी रूप में अवश्य शामिल रहे है-

  • आर्थिक विकास की ऊंची दर
  • आत्म-निर्भरता
  • सामाजिक न्याय
  • निर्धनता उन्मूलन
  • बेरोजगारी उन्मूलन
  • आधुनिकीकरण (आठवीं योजना से सम्मिलित)

पंचवर्षीय योजनाओं की प्राथमिकताएं - यद्यपि प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में अनेक लक्ष्य निर्धारित किये जाते है, परंतु प्रत्येक योजना की अपनी एक व्यूह-रचना होती है। 

विभिन्न योजनाओं की व्यूह-रचना निम्न प्रकार है-     

  • प्रथम योजना- कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता।
  • द्वितीय योजना- आधारभूत व भारी उद्योगों का विकास।
  • तृतीय योजना- आत्मनिर्भरता एवं स्वतः स्फूर्तिवान अर्थव्यवस्था, जिसके लिए कृषि को उच्च प्राथमिकता परन्तु साथ ही आधारभूत उद्योगों के विकास को पर्याप्त महत्व।
  • चतुर्थ योजना- स्थिरता के साथ विकास।
  • पांचवीं योजना- निर्धनता उन्मूलन और आत्मनिर्भरता।
  • छठीं योजना- निर्धनता उन्मूलन। के लिए कृषि तथा उद्योग-दोनों की अधः संरचना को एक साथ मजबूत करना।
  • सातवीं योजना- संवृद्धि, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता तथा सामाजिक न्याय।
  • आठवीं योजना- विभिन्न पहलुओं में मानव विकास करना था। पर्याप्त रोजगार का सृजन, जनसंख्या वृद्धि पर रोक, पेयजल एवं खाद्यान्न में आत्म-निर्भरता।
  • नौवीं योजना- न्यायपूर्ण वितरण एवं समानता के साथ विकास।
  • दसवीं योजना- कृषि, उद्योग, सेवा एवं मुद्रास्फीति पर बल।
  • 11वीं योजना- तीव्रतर विकास के साथ अधिक संहिता (Inclusive) संवृद्धि।
  • 12वीं योजना- त्वरित संपोषणीय एवं अधिक समावेशी संवृद्धि।
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FAQs on पंचवर्षीय योजनाएं (भाग - 2) पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. पंचवर्षीय योजनाएं क्या हैं?
उत्तर: पंचवर्षीय योजनाएं भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आयोजित की जाती हैं। ये योजनाएं पांच वर्षों के समयावधि में योजना आयोग द्वारा तैयार की जाती हैं और संबंधित क्षेत्रों में विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करने के लिए निर्देश देती हैं।
2. पूर्व अर्थव्यवस्था के योजनाओं में क्या अंतर हैं?
उत्तर: पूर्व अर्थव्यवस्था के योजनाओं में योजनाएं वर्षवार या दशवार आयोजित की जाती थीं, जबकि पंचवर्षीय योजनाएं पांच वर्षों के समयावधि में आयोजित की जाती हैं। पंचवर्षीय योजनाएं विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए विस्तृत रणनीतिक निर्देश प्रदान करती हैं।
3. पंचवर्षीय योजनाएं किस उद्देश्य के लिए आयोजित की जाती हैं?
उत्तर: पंचवर्षीय योजनाएं भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, वृद्धि और गरीबी के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए आयोजित की जाती हैं। इन योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उच्चतम प्राथमिकता दी जाती है।
4. पंचवर्षीय योजनाओं की महत्वपूर्ण विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: पंचवर्षीय योजनाओं की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं: - इन योजनाओं के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के विकास की विस्तृत योजना तैयार की जाती है। - ये योजनाएं समयावधि के संबंध में स्थायीता और सुविधा प्रदान करती हैं। - योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीतिक निर्देश प्रदान की जाती है।
5. क्या पंचवर्षीय योजनाएं भारत के विकास में मददगार साबित हुई हैं?
उत्तर: हां, पंचवर्षीय योजनाएं भारत के विकास में मददगार साबित हुई हैं। इन योजनाओं के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में विकास की रणनीतिक योजना तैयार की जाती है और उच्चतम प्राथमिकता दी जाती है। ये योजनाएं गरीबी के खिलाफ लड़ाई में मदद करती हैं और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम हुई हैं।
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