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जनसंख्या (Population) (भाग -2) - पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

आयु संरचना (Age composition)

  • आयु संरचना के अन्तर्गत विभिन्न आयु वर्ग के लोगों की संख्या दर्शायी जाती है। इसके आधार पर कुल जनसंख्या में कार्यक्षम तथा आश्रित जनसंख्या का विवरण प्रस्तुत किया जा सकता है। 
  • प्रायः 15-59 वर्ष के आयुवर्ग को कार्यक्षम माना जाता है। अतः 15 वर्ष से कम और 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग आश्रित माने जाते है।
  • भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार सिर्फ 60.29% जनसंख्या ही कार्यक्षम आयु में है, जबकि 0-4 आयुवर्ग में 12.85%, 5-15 आयुवर्ग में 30.76% और 60 से ऊपर 8.95% जनसंख्या है।

नगरीकरण (Urbanization)

  • एक नगर की परिभाषा हेतु भारतीय जनगणना आयोग ने कुछ मानक निर्धारित किये है
  • उस स्थान की जनसंख्या 5,000 से अधिक हो, 
  • वहाँ के 75% कार्यक्षम पुरुष गैर-कृषि कार्यों में लगे हुए हों,
  • वहाँ की जनसंख्या का घनत्व कम से कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. हो,
  • वहाँ एक नगर पालिका, नगर निगम, कॅन्टोन्मेंट बोर्ड या नोटिफाइड एरिया कमेटी कार्यरत हो।
  • इन तत्वों के प्रकाश में देखा जाय, तो 1911 में भारत की सिर्फ 11% आबादी शहरों में रहती थी। 
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् 1951 में 17.3%लोग नगरों में रहने लगे थे। 
  • 1991 की जनगणना के अनुसार 25.7% जनसंख्या नगरीय है।
  • 2011 में शहरी जनसंख्या 31.2% हो गई।
  • सर्वाधिक प्रतिशत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में (97.5%) पाया गया।
  • राज्य में पहला स्थान गोवा रहा। जहाँ 62.2% शहरी है।
  • उसके बाद मिजोरम (52.1%) तमिलनाडु (48.4%) केरल (47.7%) व महाराष्ट्र (45.2%)।

साक्षरता दर (Literacy rate)

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के समय (1951 में) देश की सिर्फ 18% आबादी ही साक्षर थी। 
  • 1961 में 28%और 1981 में 41%तक 1991 में 52% जनसंख्या साक्षर हो गई। 2001 में 68.84%थी, जो 2011 में 73%हो गई (पुरुष 80.9%तथा महिला 54.6%)।
  • 2001-2011 के दशक में 18.6% की वृद्धि दर दादरा एवं नगर हवेली तथा दूसरे नम्बर पर बिहार है जो 57.6% से बढ़कर 76.2% हो गई।

शिशु मृत्यु दर

  • 2013 में 2 अंक घटकर 40 प्रति 1000 जीवित जन्म रह गई। ग्रामीण क्षेत्रों में 48 प्रति हजार से घटकर 44 तथा शहरी क्षेत्र में यह 29 प्रति हजार से घटकर 27 प्रति हजार रह गई।

हिन्दू एवं मुस्लिम जनसंख्या

  • हिन्दू 2001 में 80.45ः थी जो 2011 में घटकर 78.35 हो गई। मुस्लिम 13.4ः से बढ़कर 2011 में 14.2% हो गई।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दू 5.75% घटे और मुस्लिम 4% बढ़े।

अनुसूचित जाति व जनजाति

  • 2011 में 2014 करोड़ अनुसूचित जाति तथा 10.43 करोड़ जन जाति हुई।

जनसंख्या घनत्व

  • 2001 में जनसंख्या घनत्व 325 भी जो 2011 में बढ़ कर 382 हो गई।
  • 2011 में सबसे घनत्व वाला राज्य बिहार था (1106 प्रति वर्ग किमी.)। इससे पहले 2001 में प. बंगाल था।
  • दिल्ली 11320 और चंडीगढ़ 9258 पाया गया।

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति

  • केन्द्र सरकार ने 15 फरवरी, 2000 को राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की।
  • इसमें दूरगामी परिणाम वाले एक महत्वपूर्ण कदम के तहत जनसंख्या पर अंकुश न लगाने वाले राज्यों को हतोत्साहित करने के लिए सन् 2026 तक लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व न बढ़ाने का फैसला किया गया है। 
  • जनसंख्या नीति में वर्ष 2045 तक देश की आबादी स्थिर रखने का उद्देश्य रखा गया है। 
  • नीति के तहत छोटे परिवार के सिद्धान्त का पालन करने वाले परिवारों के लिए 16 प्रोत्साहन तथा प्रेरक उपायों की घोषणा की गयी है।  
  • सन् 2010 तक कुल प्रजननता दर को 2रू1 के प्रतिस्थापन स्तर तक लाना है।
  • जनसंख्या नीति के क्रियान्वयन पर निगरानी रखने के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय आयोग के भी गठन की घोषणा की गयी।
  • अल्प शिक्षित लोगों को परिवार छोटा रखने के लिए योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना और सामुदायिक स्तर पर सुविधाएं शुरू किये जाने का प्रस्ताव है। 
  • यह योजना इन दंपत्तियों के लिए लागू होगी जो नसबंदी करा चुके हैं तथा जिनके दो से ज्यादा बच्चे नहीं हैं। 
  • छोटे परिवार के लिहाज से अच्छा काम करने वाली पंचायतों और जिला परिषदों को भी पुरस्कृत किया जायेगा। 
  • इसके अलावा शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और प्राथमिक शिक्षा पर खास जोर देकर साक्षरता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास किये जायेंगे। 
  • जनसंख्या पर अंकुश न लगाने वाले राज्यों के कोटे की लोकसभा की मौजूदा सीटों को 2026 तक जस का तस रखने का अहम फैसला इसलिए किया गया है ताकि राज्य सरकारें जनंसख्या के बारे में राष्ट्रीय एजेंडा पर अमल करें। 
  • लोकसभा सीटों की मौजूदा संख्या 1971 की जनगणना पर आधारित है। 42वें संविधान संशोधन संशोधन के तहत आबादी के आधार पर लोकसभा की सीटें तय करने का मौजूदा कानून 2001 में खत्म हुआ। 
  • इस नीति के तहत बालिका समृद्धि योजना तथा मातृत्व सुविधा योजना जारी रखे जाने का प्रस्ताव है।
  • साथ ही, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले युवक-युवती अगर कानून विवाह योगय आयु सीमा के बाद शादी करते हैं और संबद्ध महिला 21 वर्ष के बाद पहली बार मां बनती है तो उन दंपतियों को भी पुरस्कृत किया जायेगा। 
  • नयी जनसंख्या नीति के उद्देश्यों को तीन भागों त्वरित, मध्यावधि और दीर्घाविधि में बांटा गया है। 
  • तुरंत किये जाने वाले कार्यों, उद्देश्यों में मांग के अनुसार गर्भनिरोधकों की आपूर्ति, स्वास्थ्य रक्षा ढांचा, पर्याप्त तादाद में स्वास्थ्यकर्मी तैनात करना शामिल किया गया है। 
  • देश में 24 साल बाद नयी जनसंख्या नीति बनायी गयी है। यह देश की दूसरी जनसंख्या नीति है। 
  • नयी जनसंख्या नीति की खास बात यह है कि इसमें जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ सुविधाओं के विस्तार पर बल दिया गया है। 
  • इसमें कहा गया है कि इस नीति के तहत सर्वाधिक प्रभावी नीतियां हैं जो सामाजिक रूप से तर्कसंगत हैं तथा जिनका ध्यान जनकल्याण पर है।

वर्ष 2010 तक के लिए ‘राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं-

  • TFR को कम करके 2:1 करना।
  • दो बच्चों के मापदंड को अपनाने के लिए उच्च कोटि की गर्भ निरोधक सेवाओं को सार्वजनिक तौर पर मुहैया कराना।
  • जन्म, मृत्यु, विवाह और गर्भधारण के पंजीकरण को पूरा कवरेज प्रदान करना।
  • शिशु मृत्यु-दर को कम करके 30 प्रति हजार जीवित नवजात तक ले आना।
  • टीकाकरण के द्वारा नियंत्रित किए जाने वाले रोगों से बच्चों का प्रतिरक्षण।
  • मातृ मृत्यु-दर को कम करके 100 प्रति एक लाख जीवित जन्मजात से नीचे लाना।
  • लड़कियों के देरी से विवाह को बढ़ावा देना और प्राथमिक शिक्षा को सार्वभौमिकरण तथा प्राथमिक व माध्यमिक स्तरों पर लड़कें और लड़कियों दोनों के लिए स्कूल छोड़ देने की दर में कमी करके उसे 20% से नीचे लाना।

 जनगणना 2011

  • देश की कुल जनसंख्या (2011) 121.0854 करोड़
  • जनसंख्या का विश्व में प्रतिशत 17.7 प्रतिशत
  • लिंगानुपात (प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं) 943
  • सर्वाधिक स्त्री-पुरुष अनुपात वाला राज्य केरल (1084)
  • कुल कामगार 48.17 करोड़
  • जनसंख्या घनत्व 382 प्रति वर्ग किमी
  • जन्म दर 21.4 प्रति हजार जनसंख्या

राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का गठन

  • 11 मई 2000 को देश की जनसंख्या एक अरब के बिन्दु को पार करने वाले दिन केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के क्रियान्वयन, निगरानी तथा समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में 100 सदस्यीय राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का गठन किया गया। 
  • योजना आयोग के अध्यक्ष के.सी. पंत को इस आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। 
  • प्रमुख केन्द्रीय मंत्री एवं राजनीतिक दलों के नेता, राज्यों के मुख्यमंत्री, संसद के दोनों सदनों के विपक्ष के नेता तथा उद्योग व्यापार जगत सहित विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां इस आयोग के सदस्यों में शामिल किए गए।
  • इनमें विनोद खन्ना, शर्मिला टैगोर, शबाना आजमी, रंगकर्मी एलिक पदमसी, पदमा सचदेव व सुभाष चन्द्र आदि शामिल थे। 

जनसंख्या स्थिरीकरण कोष का गठन

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग की पहली बैठक 22 जुलाई, 2000 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुई।
  • जनसंख्या नियंत्रण की परियोजनाओं के वित्तीयन के लिए एक नए जनसंख्या स्थिरीकरण कोष के गठन की घोषणा प्रधानमंत्री ने उपर्युक्त बैठक में की।
  • इस कोष के लिए प्रारंभिक तौर पर 100 करोड़ रुपए की राशि योजना आयोग द्वारा उपलब्ध कराई गई।
  • आम जनता एवं निगमों आदि द्वारा इस कोष में राशि जमा कराई जा सकेगी तथा इसके लिए उन्हें करों में छूट उपलब्ध होगी।

राज्य जनसंख्या नीति

  • आन्ध्र प्रदेश (1997) राजस्थान (दिसम्बर 1999), मध्य प्रदेश (जनवरी 2000), उत्तर प्रदेश (जुलाई 2000), और गुजरात (मार्च 2002), द्वारा अपनाई गई है जिसमें राज्य विशिष्ट लक्ष्य और कार्य नीतियाँ निर्धारित की गई हैं।
  • इसके अलावा उड़ीसा और जम्मू और कश्मीर ने भी अपनी जनसंख्या नीतियों के प्रारूप तैयार कर लिए हैं।
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FAQs on जनसंख्या (Population) (भाग -2) - पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. जनसंख्या पर पारंपरिक अर्थव्यवस्था का क्या मतलब है?
उत्तर: जनसंख्या पर पारंपरिक अर्थव्यवस्था का अर्थ होता है कि एक समाज में जनसंख्या का प्रबंधन कैसे होता है और इसके लिए कौन-कौन से नियम और निर्देश होते हैं। यह प्रबंधन आमतौर पर जनसंख्या नियंत्रण, जनसंख्या वृद्धि, जनसंख्या के प्रति आर्थिक प्रभाव, सामाजिक आधारभूत सुविधाओं के प्रदान, और जनसंख्या के विकास पर प्रभाव डालने वाले नीतियों को समझता है।
2. जनसंख्या में वृद्धि के कारणों का विश्लेषण करें।
उत्तर: जनसंख्या में वृद्धि के कारणों का विश्लेषण करते समय निम्नलिखित कारणों को ध्यान में रखा जाता है: - अधिक सजीवन दर: उच्च जीवनान्तर के कारण, मानव जीवन की अवधि बढ़ गई है, जिससे जनसंख्या में वृद्धि होती है। - अधिक जन्म दर: स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार, जीवन की गुणवत्ता में सुधार और जनसंख्या नियंत्रण के कारण जनसंख्या में वृद्धि होती है। - अधिक जीवनी दर: अधिक जीवनी दर के कारण, जोखिम में कमी होने के साथ-साथ जनसंख्या में वृद्धि होती है। - अधिक आयु: बढ़ती आयु और मानव जीवनांतर के कारण, जनसंख्या में वृद्धि होती है। - अधिक आपातकालीन मरण दर: आपातकालीन मरण दर में कमी के कारण, जनसंख्या में वृद्धि होती है।
3. जनसंख्या नियंत्रण क्यों आवश्यक है?
उत्तर: जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है क्योंकि इसके माध्यम से समाज में विकास स्थापित किया जा सकता है। निम्नलिखित कारणों से जनसंख्या नियंत्रण का महत्व होता है: - संसाधनों का प्रबंधन: जनसंख्या नियंत्रण के माध्यम से, विशेषतः आर्थिक और सामाजिक संसाधनों का प्रबंधन किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी लोगों को आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन मिलता है। - आर्थिक विकास: जनसंख्या नियंत्रण के माध्यम से, वित्तीय स्थिति सुधारी जा सकती है। अधिक जनसंख्या के कारण बच्चों की संख्या कम हो जाती है और इससे आर्थिक वर्षा में सुधार होता है। - शिक्षा और स्वास्थ्य: जनसंख्या नियंत्रण के माध्यम से, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार होता है। इससे समाज में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। - वातावरणीय सुरक्षा: जनसंख्या नियंत्रण के माध्यम से, पर्यावरणीय सुरक्षा की सुरक्षा की जा सकती है। इससे भूमि, पानी, और ऊर्जा संसाधनों की प्रबंधन और सुरक्षा होती है।
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