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महिलाओं का स्वावलम्बन हेतु योजनाएं -पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

राष्ट्रीय महिला कोष

  • श्रीमती इला भट्ट (सेवा) की अध्यक्षता में तैयार ‘श्रम शक्ति रिपोर्ट’ 1988 की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप महिला और बाल विकास विभाग के अधीन 30 मार्च, 1993 को कोष की स्थापना की गई और उसकी गतिविधियों के लिए उसे 31 करोड़ रुपए की राशि सौंपी गई।
  • इसका उद्देश्य गरीब महिलाओं को सुलभ ऋण के माध्यम से स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराना है। 
  • कोष को निर्मित करने में ऐसी बड़ी संस्थाओं का मुख्य हाथ रहा है जो अपनी विशाल मानवीय संवेदना और सेवाभाव को लेकर महिलाओं की सहायता के लिए संकल्पबद्ध हैं, जैसे सेवा, अहमदाबाद एवं अन्नपूर्णा महिला मण्डल, मुम्बई। 
  • कोष की योजना के अनुसार जो ऋण दिए जाते हैं, संस्थाएं आगे इन्हें महिलाओं को समूहों के रूप में गठित करके अपने क्षेत्राीय अमले के माध्यम से उन तक ऋण पहुंचाती रहती हैं। 
  • जब ऋण दिया जाता है तो उसका भुगतान भी समूह की बैठकों में किया जाता है। 
  • जब किश्तें वापस देने का समय आता है तब भी चूंकि ऋण सभी की रजामन्दी से दिए गए हैं, किश्तों की अदायगी के लिए भी समूह के सदस्यों का एक-दूसरे पर दबाव पड़ता है। 
  • ऋण की एक और विशेषता यह है कि वह एक से अधिक बार अर्थात अनेक बार भी एक ही सदस्य को दिया जा सकता है। 
  • अतः एक बार किश्त की सही अदायगी न होने से परिणाम यह हो सकता है कि उक्त महिला को आगे समूह ऋण ही देना बंद कर दे। 
  • इस प्रकार समूहों में बहुत-सी शक्ति है और अनुशासन लागू करने का सामथ्र्य भी।

समन्वित ग्रामीण विकास योजना

  • यह योजना सम्भवतः अपने प्रकार की विश्व की विशालतम योजना है जिसमें निर्धन व्यक्तियों को स्वरोजगार के लिए आवश्यक धन सामग्री दिलाई जाती है। 
  • इस योजना के अधीन कुल हितग्राहियों में से 40 प्रतिशत महिलाएं ही होनी चाहिए। 
  • इस योजना के अधीन कृषि एवं गैर-कृषि कार्यों के लिए बैंकों के माध्यम से हितग्राहियों को ऋण और अनुदान दोनों उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • अनुदान 25 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक होते हैं। 
  • यह योजना जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण के माध्यम से क्रियान्वित की जाती है और इसके कार्यक्रम का निर्धारण ग्राम पंचायत तथा विकास खण्ड के सुझावानुसार एवं हितग्राहियों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।

ड्वाकरा

  • इस योजना के अधीन महिलाओं के समूहों को आर्थिक गतिविधियों के लिए बीज निधि के रूप में प्रति समूह रुपए 15 से 25 हजार दिए जाते हैं तथा इसके अलावा समूह की जो बचत होती है उसके बराबर ही राशि समूह को प्रोत्साहन स्वरूप उसकी आर्थिक गतिविधियों के लिए दी जा सकती है।
  • समूह में गरीब परिवारों की 10 से 15 महिलाएं होनी चाहिए। 
  • इन समूहों को ट्राइसेम के अधीन आर्थिक उपार्जन की गतिविधियों संबंधी प्रशिक्षण भी दिया जा सकता है तथा उन्हें बचत के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाता है।
  • योजना की जिम्मेदारी जिला विकास प्राधिकरण के सहायक कार्यक्रम अधिकारी (ए.पी.ओ., ड्वाकरा) पर होती है तथा समूह को अपनी कारगुजारियों को समय-समय पर उनके समक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है। 
  • समूह सुचारू रूप से संगठित हो जाने के बाद उसे स्वास्थ, शिक्षा, पोषण, स्वच्छ जल एवं स्वच्छ शौचालय तथा बालकों के उन्नत लालन-पालन आदि की सेवाएं भी ज्यादा अच्छे तरीके से मिल सकेंगी।
  • बैंकों द्वारा समूह को प्रोत्साहन देने के लिए तथा प्राथमिक क्षेत्रा में ऋणों के सदुपयोग के लिए महिलाओं के समूह बनाने पर बल दिया गया। 
  • इस संदर्भ में नाबार्ड द्वारा स्व-सहायता समूहों को उनकी बचत का चार गुना ऋण के रूप में दिया जाए, ऐसे निर्देश सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों को दिए गए।

नाबार्ड की अरविंद योजना

  • उपरोक्त योजना के अधीन गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए नाबार्ड द्वारा ग्रामीण क्षेत्रा में आवश्यकता के अनुरूप ऋण सहायता दी जाती है। 
  • यह सहायता उन स्वायत्त संस्थाओं, महिला आर्थिक विकास निगमों, खादी एवं ग्रामीण उद्योग आयोगों तथा सहकारी समितियों आदि को भी दी जा सकती है जो कि समूह का निर्माण करें और उनका प्रशिक्षण आदि कराएं।  
  • यदि संबंधित संस्थाएं कच्चा माल प्रदान करने के लिए सहायता देती हैं तो उन्हें भी इस योजना के अधीन ऋण की पात्राता होगी।

डी.आर.आई. (डिफरेन्शल रेट ऑफ इंटरेस्ट) योजना

  • यह योजना से कमजोर वर्गों के लिए है जो छोटे पैमाने पर किसी उत्पादन कार्य में लगे हैं किन्तु जिन्हें पूंजी की कमी है।
  • इस योजना के अधीन ऐसे परिवार ही पात्रा हो सकते हैं जिनकी वार्षिक आय शहरी क्षेत्रों में 7200 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 6400 रुपये प्रतिवर्ष से कम हो। 
  • योजना के अधीन 6500 रुपए तक के ऋण 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष की रियायती ब्याज दर पर दिए जा सकते हैं और इनकी अदायगी 5 साल तक की जा सकती है।

सिडबी योजना

  • स्वरोजगार स्थापित करने अथवा रोजगार के अवसर सुलभ कराने के संबंध में ग्रामीण निर्धनों के लाभ के लिए सिडबी द्वारा स्वायत्त संस्थाओं के माध्यम से ऋण सहायता दी जाती है। 
  • इस योजना के अधीन व्यावसायिक प्रशिक्षण, प्रशिक्षण सह-उत्पादन केन्द्रों की स्थापना, हितग्राहियों द्वारा बनाई गई वस्तुओं के विक्रय की व्यवस्था आदि के लिए सिडबी स्वायत्त संस्थाओं को 14.5 प्रतिशत की दर पर ऋण प्रदान करता है। 
  • यह ऋण पहले 2.3 साल में वसूल नहीं किया जाता एवं कुल वसुली का समय 7 से 10 वर्ष तक भी हो सकता है। 
  • यह ऋण प्राप्त करने के लिए क्रय की गई मशीनों या उपकरणों को बैंक के नाम सुरक्षित रखना पड़ता है, जब तक ऋणमय ब्याज वापस न लौटा दिया जाए।

स्त्री-शक्ति पैकेज योजना

  • यह योजना भारतीय स्टेट बैंक तथा अन्य  बैंकों द्वारा लागू की गई है। 
  • इसका उद्देश्य है महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर सुलभ कराना। 

इसके लिए आवश्यक है

  • महिलाओं में उद्यमिता एवं व्यावसायिकता की धारणाओं को स्पष्ट करना।
  • उन्हें रियायती ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना (2 लाख रुपए के ऋण पर ब्याज दर में 0.5 प्रतिशत की कमी लागू करना) तथा हितग्राही की ओर से देय मार्जिन मनी में 5 प्रतिशत की कमी करना।
  • महिला उद्यमियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।

कपार्ट योजना

  • कपार्ट के माध्यम से महिलाओं तथा अन्य निर्धन वर्गों के लिए ग्रामीण विकास विभाग की अनेक योजनाओं में स्वायत्त संस्थाओं के लिए बनाए गए लाभ हितग्राहियों तक पहुंचाए जाते हैं जैसे कि ड्वाकरा, जवाहर रोजगार योजना आदि।
  • कपार्ट द्वारा ग्रामश्री मेलों का भी आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है जिनमें इन योजनाओं में प्रशिक्षित/संलग्न महिलाओं द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बिक्री सम्भव होती है।

इंदिरा गांधी योजना

  • इस योजना का उद्देश्य यह है कि महिलाओं को समूहों के रूप में संगठित करने का सिलसिला शासकीय पहल के आधार पर हाथ में लिया जाए और इन समूहों को इस प्रकार जागरूक तथा ऋण आदि से समृद्ध बनाया जाए कि महिलाएं अपने लिए बनी योजनाओं के लाभ अपनी ओर आकर्षित कर सकें।
  • योजना के अधीन विकासखण्ड स्तर पर आई.सी.डी.एस. के परियोजना अधिकारी को एवं आंगनवाड़ी स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी होती है।

महिला समृद्धि योजना

  • इस योजना का उद्देश्य है कि महिलाओं में बचत को प्रोत्साहित करना और पोस्ट आफिस में खाता खोलने के संबंध में हिचक दूर करना ताकि वे आगे भी अपने बल पर बैंक आदि तक जा सकें।
  • इस योजना के अधीन एक महिला एक वर्ष में 300 रुपए तक स्थानीय पोस्ट आफिस में जमा कर सकती है जिस पर उसे 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज मिलता है।
  • इन बचतों को भी महिला समूहों की बचत राशि के रूप में लिया जाए तो विभिन्न आर्थिक कार्यक्रमों को बेहतर बनाया जा सकता है।

स्टेप एवं नोराड योजना

  • इन योजनाओं के अधीन महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • स्टेप में स्वायत्त संस्था को 10 प्रतिशत तक की लागत खुद लगानी होती है तथा शेष लागत भारत सरकार से अनुदान के रूप में मिलती है।
  • इसके अधीन पारम्परिक गतिविधियों जैसे कि कृषि एवं उससे जुड़े व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है जबकि नोराड में आधुनिक व्यवसायों जैसे कि ब्यूटी पार्लर, कम्पयूटर आदि के संदर्भ में प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • स्टेप/नोराड के आवेदन राज्य शासन/महिला आर्थिक विकास निगमों की अनुशंसा होने पर केन्द्र सरकार द्वारा मंजूर किए जाते हैं।
  • विभिन्न संस्थानों में पोशाक निर्माण से लेकर इलेक्ट्राॅनिक्स, कम्प्यूटर, वास्तुकला तथा सचिवालयीन कार्यपद्धति संबंधी प्रशिक्षण, टी.वी. तथा बिजली के अन्य उपकरणों की मरम्मत, व्यावसायिक सेवाएं, बालों एवं त्वचा की सुरक्षा तथा अन्य बहुत से क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है।
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FAQs on महिलाओं का स्वावलम्बन हेतु योजनाएं -पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. महिलाओं का स्वावलम्बन हेतु योजनाएं क्या हैं?
Ans.महिलाओं का स्वावलम्बन हेतु योजनाएं उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाने के लिए सरकारी योजनाएं हैं। इन योजनाओं के तहत महिलाओं को वित्तीय सहायता, उद्योग शिक्षा, बिजनेस लोन आदि की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। यह महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में मदद करता है और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।
2. महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएं कौन-कौन सी हैं?
Ans.महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएं कई हैं। कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं: - महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं - बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना - महिला कोष योजना - महिला सशक्तिकरण योजना - महिलाओं के लिए बिजनेस लोन योजनाएं - महिला उद्यमिता प्रोत्साहन योजना
3. महिलाओं को स्वावलम्बन हेतु योजनाएं कैसे आवेदन कर सकती हैं?
Ans.महिलाओं को स्वावलम्बन हेतु योजनाओं के लिए आवेदन करने के लिए वे निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकती हैं: 1. सबसे पहले, वे संबंधित योजना की वेबसाइट पर जाएं और आवेदन प्रपत्र डाउनलोड करें। 2. आवेदन प्रपत्र में अपनी व्यक्तिगत जानकारी और आवश्यक दस्तावेज़ सूची भरें। 3. आवेदन प्रपत्र के साथ आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न करें, जैसे कि आय प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, आदि। 4. भरे गए आवेदन प्रपत्र और दस्तावेज़ों को योजना के निर्माता निगम या संस्था के पते पर भेजें। 5. आपका आवेदन संबंधित निगम या संस्था द्वारा संशोधित और मंजूरी प्राप्त करने के बाद, आपको सूचित किया जाएगा और योजना की लाभार्थी बनाया जाएगा।
4. महिलाओं के लिए स्वावलम्बन हेतु योजनाओं के लाभ क्या हैं?
Ans.महिलाओं के लिए स्वावलम्बन हेतु योजनाएं उन्हें निम्नलिखित लाभ प्रदान करती हैं: - आर्थिक सहायता प्राप्त करने का अवसर - व्यापार और उद्योग के लिए वित्तीय समर्थन - व्यवसाय की शिक्षा और प्रशिक्षण की सुविधा - कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करने का अवसर - व्यापारिक मार्गदर्शन और सहायता - वित्तीय स्वायत्तता और मजबूती
5. महिलाओं के लिए पारंपरिक अर्थव्यवस्था में स्वावलम्बन क्यों महत्वपूर्ण है?
Ans.महिलाओं के लिए पारंपरिक अर्थव्यवस्था में स्वावलम्बन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने का अवसर प्रदान करता है। यह उन्हें आय कमाने की क्षमता प्रदान करता है और उनकी स्वायत्तता और स्वावलंबी बनाता है। इसके अलावा, स्वावलम्बन महिलाओं को बिजनेस, उद
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