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उद्योग- पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

                                                         महत्वपूर्ण तथ्य

खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 (अन्तिम अनुमान)

265.57 मिलियन टन

खाद्यान्न उत्पादन (तृतीय अग्रिम अनुमान 2014-15)

251.12 मिलियन टन

कच्चे इस्पात उत्पादन (2013-14)

81.84 मिलियन टन

कच्चे इस्पात उत्पादन में भारत का विश्व में स्थान (2013)

चौथा

सीमेन्ट (2013-14)

303 मिलियन टन

सीमेन्ट उत्पादन में भारत का विश्व में स्थान (2013)

दूसरा

चीनी (2013-14)

250.00 लाख टन

कोयला (2013-14)

566 मिलियन टन

कच्चा तेल (2013-14)

37.77 मिलियन टन

कुल परिशोध्न क्षमता (1 अप्रैल, 2014)

215.0 MMTMPA

कुल रिफायनरी (1 अप्रैल, 2014)

22

सार्वजनिक क्षेत्र

17

निजी क्षेत्र

3

संयुक्त उपक्रम

2

रिफायनरी परियोजना (2013-14)

222.7 MMT मिलियन टन

उत्पादन बिजली (उपयोग)

967.15 बिलियन किलोवाट घण्टे

वस्त्र उत्पादन

60.453 बिलियन वर्ग मीटर

नाइट्रोजन उर्वरक

17.300 हजार मी. टन

फॉरस्पफेटिक उर्वरक

7.914 हजार मी. टन

समस्त उर्वरक उत्पादन

27.339 हजार मी. टन

प्राकृतिक गैस उत्पादन (2013-14)

35.4 BCM

नवरत्न कम्पनियाँ की संख्या (31 मार्च, 2015 तक)

17

महारत्न कम्पनियाँ की संख्या (31 मार्च, 2015 तक)

7

लघु (मिनी) रत्न कम्पनियाँ की संख्या संवर्ग-I

54

लघु (मिनी) रत्न कम्पनियाँ की संख्या संवर्ग-II

18

सार्वजनिक उपक्रमों में न्यूनतम सरकारी इक्विटी

51%

अनिवार्य लाइसेंस की परिधि में रखे गए उद्योगों की संख्या

5

सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों का कुल औद्योगिक उत्पादन में हिस्सा

39%

सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों का कुल निर्यात में हिस्सा

33%

मध्यम क्षेत्र के उपक्रमों में रोजगार

128 लाख व्यक्ति

 

  • ऊर्जा: ऊर्जा के स्रोत्रों के अन्तर्गत प्रमुख रूप से कोयला, बिजली तथा पेट्रोलियम आते हैं
  • कोयला: ऊर्जा की खपत में कोयले की भागदारी 67% है। 2013-14 में कोयले(लिग्नाइट को सम्मिलित करते हुए) का उत्पादन 565.77 मिलियन मीट्रिक टन था। वर्ष 2014-15(अप्रैल-दिसम्बर) में कोयला एवं लिग्नाइट का कुल उत्पादन 426.7 मिलियन टन रहा। 
  • कोयले के उत्पादन में गैर-कोकिंग कोयले का उत्पादन वर्ष 2013-14 में 556 मिलियन मीट्रिक टन था। जो कुल कोयले के उत्पादन का लगभग 88.9% है।
  • बिजली: विद्युत संयंत्रों द्वारा बिजली का उत्पादन 2014-15 के दौरान 8.381% बढ़ाकर 104.87 बिलियन यूनिट हुआ। 2013-14 के दौरान बिजली उत्पादन में 4.0% की वृद्धि हुई। जो 2013-14 में बढ़ाकर 6.0% हो गई थी।
  • पेट्रोनियम: वर्ष 2013-14 में 37.9 मिलियन टन कच्चे तेल का उत्पादन हुआ। वर्ष 2012-13 में 210103 करोड़ टन कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का आयात किया गया। घरेलू उत्पादन मांग की लगभग 18% की पूर्ती करता है। 2014-15 में दिसम्बर 2014 तक 28.17 मिलियन टन कच्चे तेल का उत्पादन हुआ।
  • सीमेन्ट:  वर्ष 2012-13 में भारत में 251.91 मिलियन टन सीमेंट का उत्पादन हुआ। वर्ष 2013-14 में सीमेंट का उत्पादन 303.00 मिलियन टन अनुमानित किया गया। सीमेंट उत्पादन के मामले में राजस्थान का स्थान प्रथम हो गया है। वर्ष 2012-13 तथा 2013-14 में सीमेंट उद्योग में औसत वार्षिक वृ)ि दरें क्रमशः 9.9% तथा 3.3% दर्ज की गई। 2014-15 में सीमेंट का उत्पादन 267.5 मिलियन टन होने का अनुमान है। 
  • परिवहन: भारत रेल नेटवर्क ब्राॅड गेज (58177 रूट किमी) मीटर गेज(5334 रूट किमी) और नैरोगेज(2297 रूट किमी)सहित 65808 रूट किमी तक फैला था इस नेटवर्क का लगभग 32.84% भाग विद्युतीकृत था।
  • भारतीय सड़कें यात्रियों का 85% और दूर की ढुलाई ट्रैफिक का 70% ढोती हैं देश के सड़क नेटवर्क में राजमार्गों की हिस्सेदारी केवल 2% है, किन्तु राजमार्ग कुल सड़क ट्रैफिक का 40% भाग ढोते है। 31 मार्च, 2014 को भारत में 4885000 किमी. लम्बी सड़कें है, जिसमें से 96214 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग 142687 किमी. प्रान्तीय राजमार्ग तथा 4649462 अन्य सड़कें हैं।
  • दूरसंचार: नई दूरसंचार नीति 1999 की घोषणा के बाद भारत में दूरसंचार में तेजी से प्रगति हुई है। कुल टेलीफोनों की संख्या (बेसिक एवं मोबाइल) 1999 में 22.8 मिलियन से बढ़कर मार्च 2015 के अन्त में 996.49 मिलियन हो गए। टेली घनत्व, जो 1999 में केवल 2.32% था, मार्च 2015 के अन्त में 79.38% हो गया।

 

विद्युत उत्पादन

 

2012-13

2013-14

2014-15

विद्युत उत्पादन

912.06

967.5

1048.67

पन बिजली

113.72

134.85

129.24

तापीय

760.68

792.48

878.32

नाभिकीय

32.87

34.27

36.1

 

कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक, 2015

  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1993 से 2011 तक आवंटित 204 कोयला खदानों के पट्टों को निरस्त कर दिए जाने की परिस्थितियों के बीच भारत सरकार ने कोयला ब्लाॅकों का आवंटन पूर्ण पारदर्शी तरीके से करने की नियत में कोयला खान(विशेष प्रावधन) अध्यादेश 2014-21 एवं 26 अक्टूबर, 2014 जारी किया गया था। 
  • इसके स्थान पर सरकार ने कोयला खान(विशेष प्रावधन) विधेयक संसद में पेश किया इस विधेयक को लोक सभा में 4 मार्च, 2015 को पारित कर दिया गया। इस विधेयक के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित प्रकार हैं-
  • कोयला खदानों को तीन अनुसूचियों में वगीकृत किया गया है-
  • अनुसूची प्रथम- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द किए गए सभी 204 कोयला ब्लाॅक(204 कोयला ब्लाॅक)
  • अनुसूची द्वितीय- प्रथम अनुसूची की उपसूची में ऐसी कोयला खदानें शामिल हैं जिनमें उत्पादन प्रारंभ हो चुका है(42 कोयला ब्लाॅक)
  • अनुसूची तृतीय- प्रथम अनुसूची की उपसूची में ऐसी कोयला खदानें हैं जिनमें सरकार ने विशिष्ट उद्देश्य से अन्तिम उपयोग के रूप में चहित किया है(32 कोयला ब्लाॅक)
  • आवंटन किसी एक कम्पनी या संयुक्त उपक्रम के नाम किया जाएगा।
  • सरकारी कम्पनी या उसके किसी संयुक्त उपक्रम को बिना नीलामी के भी कोयला ब्लाॅक आवंटित किया जा सकता है।
  • आवंटन हेतु किसी अध्किारी को सरकार द्वारा नामित किया जाएगा।
  • आवंटन से प्राप्त समस्त ध्नराशि सरकार द्वारा नामित अध्किरण द्वारा प्राप्त किए जाएंगे तथा सम्बन्ध्ति राज्य सरकारों में वितरित की जाएगी।
  • कोयला ब्लाॅक के पूर्व आवंटी को क्षतिपूरक भुगतान, उसके उफपर बकाया समस्त ट्टणों को चुकाकर किया जाएगा। इसके लिए ‘क्षतिपूर्ति आयुक्त’ की नियुक्ति की जाएगी।
  • विवादों का निपटारा कोयला सघन क्षेत्रों (अधिगरहण एवं विकास) अध्निियम, 1957 के अधीन गठित न्यायध्किरण द्वारा किया जाएगा।

मेक इन इण्डिया कार्यक्रम

  • देश को विश्व का पंसदीदा ‘मैन्यूपैफक्चरिंग हब’ बनाकर औद्योगिक विकास की गति तेज करने के लिए मेक इन इंडिया (Make in india) कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितम्बर, 2014 को की। (नई दिल्ली में विज्ञान भवन में)
  • इस अवसर पर ‘मेक इन इण्डिया’ मिशन का प्रतीकचिन्ह(Logo प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जारी किया जिसमें सिंह को दर्शाया गया है।
  • मेक इन इण्डिया के प्रतीकचिन्ह के रूप में चुना गया सिंह न केवल देश के राष्ट्रीय प्रतीकचिन्ह अशोक चक्र का हिस्सा है, बल्कि साहस, बुद्धिमता व शक्ति को भी यह प्रदर्शित करता है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय निवेशक व अर्थशास्त्राी भारतीय अर्थव्यवस्था को हाथी की संज्ञा प्रायः इस आधर पर देते रहे हैं कि यह बहुत विशाल तो है, किन्तु इसकी चाल बहुत सुस्त है। 
  • इस धरणा को तोड़ने के लिए ही मोदी सरकार ने काफी विचार-विमर्श के बाद सिंह को मेक इन इण्डिया कार्यक्रम के प्रतीकचिन्ह के तौर पर चुना है। 
  • इसे चीनी चुनौती के प्रतीक ड्रैगन के प्रत्युत्तर के रूप में भी देखा जा रहा है।
  • ‘मेक इन इण्डिया’ कार्यक्रम की लाँचिंग के अवसर पर उद्यमियों की विशाल सभा को सम्बोध्ति करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एफडीआई’ के लिए नया नजरिया प्रस्तुत किया। 
  • भारत के नागरिकों के लिए पफस्र्ट डेवलप इंडिया के रूप में उन्होंने इसे परिभाषित किया।
  • मेक इन इण्डिया कार्यक्रम का उद्देश्य है- निवेश को बढ़ावा देना, नवोन्मेष को प्रोत्साहित करना, कौशल विकास का सवंर्धन बु)िक सम्प्रदा का संरक्षण और बेहतरीन विनिर्माण अवसंरचना का निर्माण। 
  • पच्चीस क्षेत्रों से सम्बन्ध्ति जानकारी वेब पोर्टल पर एफडीआई नीति, राष्ट्रीय विनिर्माण नीति, औद्योगिक सम्पदा अध्किार, दिल्ली, मुम्बई औद्योगिक गलियारा और अन्य राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारों के विवरण के साथ दी गई है। 
  • निवेशकों को मार्गदर्शन, साथ उनकी सहायता और मदद करने के लिए ‘इन्वेस्ट इण्डिया’ में एक निवेशक सुविध केन्द्र स्थापित किया गया है।

पूँजीगत वस्तु क्षेत्राक में लघु एवं माध्यम उद्यमों हेतु 20000 करोड़ रुपए की योजना

प्रधनमंत्राी नरेन्द्र मोदी के (MAKE IN INDIA) आह्नान को साकार करने के लिए भारत सरकार ने पूंजीगत वस्तु क्षेत्राक में लघु एवं मध्यम उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि लाने के लिए 20,000 करोड़ रुपए  की एक नई योजना प्रारम्भ किए जाने की घोषणा 15 सितम्बर, 2014 को की गई। इस योजना के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित प्रकार है-

  • पहले चरण में 930 करोड़ रुपए से विशिष्टीकृत प्रौद्योगिकियों का विकास
  • इस हेतु सूरत में टेक्सटाइल्स, बेंगलुरु में मशीन टूल्स तथा पंजाब में आॅटो हेतु विशेष केन्द्रों की स्थापना
  • पहले चरण का कार्यकाल (21/2) वर्ष का।

अनन्य उत्पाद सूची

  • भारत सरकार ने देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से कतिपय उत्पादों का विनिर्माण केवल इन्हीं उद्यमों द्वारा कराए जाने के लिए आरक्षित कर दिया था। 
  • 1991 में आर्थिक  उदारीकरण के दौर में इस सूची में उत्पादों को बाहर किया जाने लगा। अप्रैल 2015 में सरकार ने अंततः उत्पादों के आरक्षण की यह व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त कर दी। 
  • ऐसा निवेश एवं प्रौद्योगिकीय उन्नतिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है इस सूची के समाप्त हो जाने से अब इन उत्पादों का विनिर्माण बड़े पैमाने पर होने लगेगा तथा अब अचार, सरसों का तेल, मूँगफली का तेल, लकड़ी की फर्नीचर, पटाखे, काँच की चूड़ियाँ, दियासलाइयाँ, स्टील की कुर्सियाँ- मेज, रोलिंग शटर्स, मोमबत्ती, कपड़े धोने के साबुन, विदेशों से आयात किए जाने लगेंगे।

 छापेखाने (Printing press)

  • इण्डिया सिक्योरिटी प्रेस, नासिक (महाराष्ट्र) - नासिक रोड़ स्थित भारत प्रतिभूति मुद्रणालय (India security press) में डाक सम्बन्धी लेखन सामग्री, डाक एवं डाकभिन्न टिकटों, अदालती एवं गैर-अदालती स्टाॅम्पों, बैंकों (RBI तथा SBI के चेकों बाॅण्डों राष्ट्रीय बचत पत्रों, पोस्टल आॅर्डर, पासपोर्ट, इन्दिरा विकास पत्रों, किसान विकास पत्रों आदि के अलावा राज्य सरकारों, सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों वित्तीय निगमों आदि के प्रतिभूति पत्रों की छपाई की जाती है।
  • सिक्योरिटी प्रिन्टिंग प्रेस, हैदराबाद - सिक्योरिटी प्रिन्टिंग प्रेस, हैदराबाद की स्थापना दक्षिण राज्यों की डाक लेखन सामग्री की मांगों को पूरा करने व पूरे देश की केन्द्रीय उत्पाद शुल्क स्टाम्प की मांग को पूरा करने के लिए 1982 में की गई थी, ताकि भारत प्रतिभूति मुद्रणालय, नासिक रोक के उत्पादन की अनुपर्ति की जा सके।
  • करेन्सी प्रेस नोट, नासिक (महाराष्ट्र) - नासिक रोड़ स्थित करेंसी नोट प्रेस 10, 50, 100, 500 तथा, 1000 रुपए के बैंक नोट छापती है और उनकी पूर्ति करती है।
  • बैंक नोट प्रेस, देवास (मध्य प्रदेश) - देवास स्थित बैंक नोट प्रेस 20, 50, 100 और 500 रुपए के उच्च मूल्य वर्ग के नोट छापती है। बैंक नोट प्रेस का स्याही का कारखाना प्रतिभूति पत्रों की स्याही का निर्माण भी करता है।
  • शाहबनी (पं. बंगाल)तथा मैसूर (कर्नाटक) के भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड - दो नए एवं अत्याधुनिक करेंसी नोट प्रेस मैसूर (कर्नाटक) तथा साल्बोनी (पं. बंगाल) में स्थापित किए गए हैं। देवास तथा नासिक रोड स्थित करेंसी नोट प्रेसों में प्रतिवर्ष 6,000 मिलियन करेंसी नोटों का मुद्रण होता है।
  • सिक्योरिटी पेपर मिल होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) - बैंक और करेंसी नोट कागज तथा नाॅन-ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर की छपाई में प्रयोग होने वाले कागज का उत्पादन करने के लिए सिक्यूरिटी पेपर मिल, होशंगाबाद में 1967-68 में चालू की गई थी।

टकसाल (Mints)

  • सिक्कों का उत्पादन करने तथा सोने और चांदी की परख करने एवं तमगों का उत्पादन करने के लिए भारत सरकार की चार टकसालें मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद तथा नोएडा में स्थित हैं। 
  • मुम्बई, हैदराबाद और कोलकाता की टकसालें कापफी समय पहले क्रमशः 1930, 1903 और 1950 में स्थापित की गई थीं, जबकि नोएडा की टकसाल 1989 में स्थापित की गई थी। 
  • मुम्बई तथा कोलकाता की टकसालों में सिक्कों के अलावा विभिन्न प्रकार के पदकों (मेडल) का भी उत्पादन किया जाता है। नोएडा की टकसाल नवीनतम मशीनरी तथा उपकरण हैं।

 भारत के खनिज उत्पादक राज्य

   राज्य

उत्पादित खनिज एवं देश के कुल उत्पादन में प्रतिशत हिस्सा

 

ओडिशा

 

क्रोमाइट (93% ), निकेल खनिज (92% ), प्लेटीनम ग्रुप ऑफ़ मेटल्स (90% ), कोबाल्ट खनिज (69% ), बॉक्ससाइड (52% ), टाइटेनीपफरेस मैग्नेटाइट (51% ), मैग्नीज खनिज (44% ), पायरोफायलाइट (22% ), लौह खनिज (हेमेटाइट) (33% ), अभ्रक (20% ), गारनेट (24% ), सिली मेनाइट (20% ), फायरक्ले (24% ), कोयला (24% ), वैगाडियम (20% ), देश में खनिज उत्पादन का कुल मूल्य में 11.6% हिस्सेदारी के साथ पहला स्थान खनिज उत्पादन का कुल मूल्य (2011-12) 29241.34 करोड़ रुपए।

 राजस्थान

पोटोश (94% ), शीशा/जस्ता खनिज (89% ), वालास्टोन (88% ), चाँदी खनिज (87% ), जिप्सम (82% ), ओकर (व्बीतम) (81% ), बेन्टेनाइट (72% ), मार्बल (64% ), एस्बेस्टस (61% ), ताँबा खनिज (50% ),  बॉलक्ले (38% ), रॉक फास्पफेट (30% ), फ्रलोराइट (29% ), टंगस्टन (27% ),  प्राथमिक स्वर्ण (23% ),  चाइना क्ले (16% )।

देश में कुल खनिज उत्पादन मूल्य में 9.35% हिस्सेदारी के साथ दूसरा स्थान खनिज उत्पादन का कुल मूल्य (2011-12) 23751.76 करोड़ रुपए।

 आंध्रा प्रदेश

बैरायट्स (94% ), केनाइट (78% ), बाल क्ले (61% ), कारेण्डम (10% ), हीरा (6% ), कैल्साइट  (42% ), अभ्रक (41% ), गारनेट (33% ), इल्मेनाइट (23% ), लाइमस्टोन (20% ), डोलोमाइट (15% )ः खनिज उत्पादन का कुल मूल्य (2011-12) 18750.47 करोड़ रुपए देश में खनिज उत्पादन के मूल्य में आंध्रा प्रदेश का 8.2% हिस्सा तथा चैथा स्थान 22656.88 करोड़ रुपए।

छत्तीसगढ़

टिन सांद्र (100% ), टिन खनिज (36% ), हीरा (4% ), लौह खनिज (18% ), कोयला (17% ), डोलोमाइट (11% ), लाइमस्टोन (5% ), देश में खनिज उत्पादन के मूल्य में 6.9% हिस्सा तथा पाँचवां स्थान खनिज उत्पादन का कुल मूल्य (2011-12) 17479.60 करोड़ रुपए।

 झारखण्ड

राॅक पफास्पफेट(36% ), कोयला(29% ), लौह खनिज हेमेटाइम(26% ), एपेटाइट(30% ), एण्डाल्यूसाइट(22% ), ताँबा खनिज(18% ), चाँदी खनिज(5% ), देश के कुल खनिज उत्पादन मूल्य में 8.9% हिस्सेदारी के साथ तीसरा स्थान खनिज उत्पादन का कुल मूल्य(2011-12) 16146.71 करोड़ रुपए।

गुजरात

एगाइट(100% ), परलाइट(100% ), फ्रलोराइट(66% ), डायटोमाइट(28% ), बेन्टोनाइट(24% ), वोला स्टोनाइट(12% ), खनिज उत्पाद का कुल मूल्य(2011-12) 15449.18 करोड़ रुपए।

असम

देश में ईंध्न खनिज की 6.51% की हिस्सेदारी(11433.0 रुपए) के साथ असम में वर्ष 2011-12 में कुल उत्पादित खनिजों का मूल्य 11475.80 करोड़ रुपए है।

मध्य प्रदेश

डायस्पोर(63% ), मोलीब्डेनम खनिज(41% ), पायरोफायलाइट(56% ), हीरा(90% ), ताँबा खनिज(24% ), राॅक फास्पफेट (17% ), मैग्नीज खनिज 13% ), फायरक्ले(17% ), देश के कुल खनिज उत्पादन मूल्य में 5.24% हिस्सेदारी के साथ सातवाँ स्थान, खनिज उत्पादन का कुल मूल्य(2011-12) 11257.23 करोड़ रुपए।

पं. बंगाल

वर्ष 2011-12 में राज्य में खनिजों के उत्पादन का कुल मूल्य 8272.67 करोड़ रुपए है। जिसमें लगभग 98.15% ईंध्न खनिजों का ही है।

उत्तर प्रदेश

वर्ष 2011-12 में उत्तर प्रदेश में खनिजों के कुल उत्पादन का मूल्य 6692.89 करोड़ रुपए था। जिसमें से 51.35% उत्पादन ईंध्न खनिज का ही है।

महाराष्ट्र

मैग्नीज खनिज(27.7% ), बालू(16.6% ), बाॅक्साइट, चायनाक्ले, क्रोमाइट, कोयला, डोलोमाइट, फ्रलोराइट, देश के कुल खनिज उत्पादन मूल्य में 2.76% हिस्सेदारी के साथ खनिज उत्पादन का कुल मूल्य(2011-12) 6294.15 करोड़ रुपए।

तमिलनाडु

लिग्नाइट(81% ), वर्मीकूलाइट(74% ), ड्यूनाइट(63% ), रूटाइट(65% ), मोलीविडेलाइट(52% ), गारनेट(59% ), इल्मेनाइट(32% ), सिलीमेनाइट(27% ), देश में कुल खनिज उत्पादन मूल्य में 2.0% हिस्सेदारी खनिज उत्पादन का कुल मूल्य(2011-12) 5636.09 करोड़ रुपए।

 

 

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FAQs on उद्योग- पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. पारंपरिक अर्थव्यवस्था क्या है?
Ans. पारंपरिक अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें उद्योगों और व्यापार की गतिविधियों में पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। यह अर्थव्यवस्था धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित होती है और ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जाती है।
2. उद्योग क्या है?
Ans. उद्योग एक गतिविधि है जिसमें कामकाज, उत्पादन और वित्तीय एवं व्यापारिक प्रक्रियाओं का समावेश होता है। इसमें सामग्री, मजदूरी और मशीनों का उपयोग किया जाता है ताकि एक उत्पाद या सेवा का निर्माण हो सके। उद्योग अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और रोजगार, आय, और विकास के स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण होता है।
3. पारंपरिक अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
Ans. पारंपरिक अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं: - इसमें उद्योगों और व्यापार की गतिविधियों में पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। - यह धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित होती है। - यह ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जाती है। - यह उद्योगों को स्थानीय सामुदायिक विकास का माध्यम बनाती है। - इसमें अंतरगत उद्योगों के बीच संबंध और प्रेम होता है।
4. पारंपरिक अर्थव्यवस्था में क्या लाभ हैं?
Ans. पारंपरिक अर्थव्यवस्था में कुछ मुख्य लाभ हैं: - इसमें उद्योगों को स्थानीय सामुदायिक विकास का माध्यम मिलता है, जो उन्हें स्थानीय संसाधनों का उपयोग करने और विकसित करने की अनुमति देता है। - यह उद्योगों को धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ जोड़ता है, जो एक संबलता और समरसता भाव का निर्माण करता है। - इसमें अंतरगत उद्योगों के बीच संबंध और प्रेम होता है, जो व्यापारिक सफलता में मदद करता है।
5. पारंपरिक अर्थव्यवस्था की समस्याएं क्या हैं?
Ans. पारंपरिक अर्थव्यवस्था की कुछ मुख्य समस्याएं हैं: - इसमें प्रौद्योगिकी का अभाव होता है, जो उद्योगों को नवीनीकृत और अधुनातमक बनाने में रोकता है। - यह बढ़ती जनसंख्या और आवास की कमी के साथ उपयोगी संसाधनों की कमी के साथ लड़ना होता है। - यह असमान विकास के कारण समाज में अधिकार-अधिकारिता का कारण बन सकती है। - इसमें आधारित व्यापारिक प्रक्रियाएं विकासशीलता और ग्रामीण क्षेत्रों में नवीनीकरण की कमी का कारण बन सकती है।
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