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वित्त आयोग - पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download


13वाँ वित्त आयोग

  • केन्द्र और राज्यों के बीच राजस्व के बंटवारे के लिए मानक तय करने के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 13वें वित्त आयोग का गठन 13 नवम्बर, 2007 में किया था। 
  • पूर्व वित्त सचिव डाॅ. विजय एल. केलकर को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। आयोग द्वारा 30 दिसम्बर, 2009 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी थी।
  • तेरहवें वित्त आयोग का समय दृष्टिकोण ‘समावेशी एवं हरित संवर्द्धि राजकोषीय संघवाद’ रहा है। 
  • बारहवें वित्त आयोग ने वर्ष 2009-10 के लिए ऋण जी.डी.पी. अनुपात का लक्ष्य 75% निर्धारित किया था, जिसके  विरुद्ध ( वास्तविक अनुपात 82% रहा था जो तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं था। 
  • इस दृष्टि से तेरहवें वित्त आयोग ने ऋण घटाने के एक मध्यकालीन ढांचे के भीतर राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया चालू करने पर बल दिया है। 
  • तेरहवें वित्त आयोग ने केन्द्र एवं राज्यों के समय ऋण -जीडीपी अनुपात के वर्ष 2014-15 तक 2009-10 के 82% के स्तर को घटाकर 68% लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 
  • केवल केन्द्र के जीडीपी अनुपात को वर्ष 2004-15 तक 4.5% लाना प्रस्तावित हैै।
  • तेरहवें वित्त आयोग ने केन्द्र एवं राज्यों दोनों के राजस्व घाटे को शून्य स्तर पर लाकर राजकोषीय सुदृढ़ीकरण का सुझाव दिया है। हालिया वित्त आयोग, विशेष रूप से ग्यारहवें तथा बारहवें वित्त आयोग द्वारा सुझाए गए अभिकल्पों पर चलते हुए, तेरहवें वित्त आयोग ने केन्द्र एवं राज्य दोनों के लिए एक आदर्शक अनुशासन अपनाने पर जोर दिया है, जो किसी एक सरकार को स्वचालित रूप से कोई प्राथमिकता नहीं देता तथा दोनों के लिए समता के सिद्धांत को न अपना कर समानीकरण पर ध्यान देकर एक समान व्यवहार को महत्व देता है। 
  • तेरहवें वित्त आयोग का मानना है कि राज्यों एवं स्थानीय निकायों के पास करारोपण के एक युक्तिसंगत तुलनात्मक स्तर पर सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने की राजकोषीय सम्भाव्यता है। 
  •  यह सिद्धांत सारे देश के लिए सार्वजनिक सेवाओं में एक रूपता की गारण्टी नहीं देता, लेकिन यह सिद्धांत ऐसी एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक के अध्किार क्षेत्र में राजकोषीय अपेक्षाओं पर विचार अवश्य करता है।

 

भारत के वित्त आयोग

क्रम

गठन का वर्ष

अध्यक्ष का नाम

क्रियान्वयन वर्ष

पहला

1951

के. सी. नियोगी

1952-57

दूसरा

1956

के. सन्थानम

1957-62

तीसरा

1960

ए. के. चन्दा

1962-66

चौथा

1964

डाॅ. पी.वी. राजामन्नार

1966-69

पाँचवाँ

1968

महावीर त्यागी

1969-74

छठा

1972

ब्रह्मानन्द रेड्डी

1974-79

सातवाँ

1977

जे. एम. शेलेट

1979-84

आठवाँ

1983

वाई. बी. चह्नाण

1984-89

नौवाँ

1987

एन.के.पी. साल्वे

1989-95

दसवाँ

1992

के. सी. पन्त

1995-2000

ग्यारहवाँ

1998

ए.एम. खुसरो

2000-05

बारहवाँ

1, नवम्बर 2002

सी. रंगराजन

2005-10

तेरहवाँ

नवम्बर 2007

विजय एल. केलकर

2010-15

चौदहवाँ

जनवरी  2013

वाई. वी. रेड्डी

2015-20

 

तेरहवें वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें

  1. विभिन्न केन्द्रीय करों की निबल प्राप्तियों में राज्यों का हिस्सा संचार की अवध् िके प्रत्येक वर्ष के लिए 32% होगा। अब तक यह 30.5% था।
  2. केन्द्र सरकार द्वारा लगाए गए प्राथमिक शिक्षा उपकर, उच्च शिक्षा उपकर तथा करों शुल्कों पर लगाए गए अध्भिारों से प्राप्त राजस्व भारत की संचित निधि में जमा होगा तथा इसका कोई भी हिस्सा राज्यों के बीच नहीं बांटा जाएगा।
  3. केन्द्र सरकार के विभिन्न करों की निवल प्राप्तियों में से 32% प्राप्तियां राज्यों को जाएंगी। इनमें से प्रत्येक राज्य के हिस्से का निर्धरण प्रदत्त भार के अनुसार किया जाएगा। 
  4. ऐसे राज्य जिनका देश के कुल क्षेत्रपफल में हिस्सा 2% या उससे कम है उन्हें 2% का न्यूनतम अंश समानुदेशित किया गया है। 
  5. ये राज्य हैं- गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैण्ड, पंजाब, सिक्किम, त्रिपुरा, तथा उत्तराखण्ड। अन्य राज्यों के हिस्सों पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है।

14वाँ वित्त आयोग

  • 2015-20 की अवधिके में केन्द्र एवं राज्यों के बीच वित्त के बंटवारे के लिए दिशा-निर्देश सुझाने के लिए जनवरी 2013 में गठित 14वें वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को 15 दिसम्बर, 2014 को प्रस्तुत कर दी थी। 
  • भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डाॅ. वाई.वी. रेड्डी की अध्यक्षता वाले इस आयोग की रिपोर्ट सरकार ने एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ 24 पफरवरी, 2015 को संसद में प्रस्तुत की। 
  • आयोग की इस रिपोर्ट के अनुपालन में केन्द्र द्वारा 5.26 लाख करोड़ रुपए का राजस्व 2015-16 में राज्यों को अंतरिम दिया जाएगा, जबकि 2014-15 में यह राशि 3.48 लाख करोड़ रुपए रही है 
  • 14वें वित्त आयोग की सिपफारिशों के चलते केन्द्र से राज्यों को अंतरित किए जाने वाले स्वरूप में भारी परिवर्तन होगा, जिसका प्रभाव राज्यों में अनेक विभागों में चल रही केन्द्र प्रायोजित योजनाओं पर आएगा। राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए 14वें वित्त आयोग ने केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के लिए धन के आवंटन में कटौती कर केन्द्रीय करों में से राज्यों को दिए जाने वाले अंश में भारी वृद्धि की संस्तुति की है। 
  • जीएसटी लागू होने पर राज्यों को होने वाली किसी वित्तीय हानि की क्षति पूर्ति के लिए एक विशेष कोष के गठन का सुझाव आयोग की सिपफारिशों में शामिल है। 
  • ऐसी क्षति पूर्ति पाँच वर्ष तक उपलब्ध् कराने का आयोग का सुझाव है। 
  • इसमें पहले तीन वर्षों तक 100% तथा चैथे व पाँचवें वर्ष में क्रमशः 75% व 50% क्षतिपूर्ति करने की बात आयोग की सिफारिशों में शामिल है।
  • केन्द्रीय करोें में से राज्यों को दिए जाने वाले हिस्से में भारी वृद्धि, राज्यों के राजस्व घाटों की आपूर्ति के लिए दिए जाने वाले केन्द्रीय अनुदानों के निर्धरण में योजना व्यय को ध्यान में रखे जाने, विशेष श्रेणी के राज्यों व अन्य राज्यों में भेद की समाप्ति तथा शर्तों से जुड़े सेक्टर स्पेसिपिफक अनुदानों से दूरी बनाने आदि की सिपफारिशें 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों में शामिल हैं। 
  • राज्यों को अपेक्षाकृत अध्कि राजस्व के हस्तांतरण के चलते केन्द्र पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय बोझ के परिप्रेक्ष्य में 2015-16 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.6% तक रखने को 14वें वित्त आयोग ने कहा है। बाद के वर्षों में इसे जीडीपी के 3.0% तक ही सीमित रखना होगा।
  • केन्द्रीय करों में से राज्यों को दिए जाने वाले हिस्से के मामले में वर्टिकल व हॉरिजॉन्टल, दोनों ही तरह के अन्तरण की सिपफारिशें वित्त आयोग द्वारा की जाती हैं।(वर्टिकल डिवाॅल्यूशन से तात्पर्य केन्द्र से राज्यों को दी जाने वाली राशि के निर्धरण से जहां है, वहीं हाॅरिजेंटल डिवाॅल्यूशन से तात्पर्य राज्यों को दी गई कुल राशि के अंतर्राष्ट्रीय विभाजन से है)वर्टिकल डिवाॅल्यूशन के मामले में आयोग ने केन्द्रीय करों से प्राप्त राजस्व में से 42% भाग राज्यों को देने को कहा है, जबकि 13वें वित्त आयोग की इस मामले में संस्तुति 32% की ही थी। 
  • यह पहला अवसर है, जब कर राजस्व अन्तरण में इतनी भारी वृद्धि की संस्तुति किसी वित्त आयोग द्वारा की गई है। 
  • इससे पूर्व इस मामले में 1-2% की संस्तुतियाँ ही विभिन्न वित्त आयोगों द्वारा की जाती रही है। 14वें वित्त आयोग की इस संस्तुति के चलते अकेले 2015-16 में ही लगभग 50% अध्कि राजस्व का अन्तरण केन्द्र सरकार को करना होगा। 
  • 14वें वित्त आयोग की इस संस्तुति को केन्द्र ने स्वीकार कर लिया है। 
  • राज्यों को दिए जाने वाले इस राजस्व के अंतर्राज्यीय विभाजन के लिए संबंधीति राज्य की 1971 की जनसंख्या, तत्पश्चात् जनसंख्या में हुई वृद्धि, आय-दूरी व वनाच्छादन आदि को ध्यान में रखते हुए फाॅर्मूला आयोग ने निर्धरित किया है। स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को दिए जाने वाले अनुदानों के लिए 2011 की जनसंख्या को 90% तथा क्षेत्रफल को 10% भारांश आयोग ने दिया है।  
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FAQs on वित्त आयोग - पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. वित्त आयोग क्या है?
उत्तर: वित्त आयोग एक स्वतंत्र और नियमित नियंत्रण संगठन है जो भारत सरकार की अर्थव्यवस्था को संचालित करने वाला प्रमुख संगठन है। इसका मुख्य ध्येय भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और सुधार को सुनिश्चित करना है।
2. पारंपरिक अर्थव्यवस्था क्या होती है?
उत्तर: पारंपरिक अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें धन और संपत्ति का उत्पादन, वित्तीय क्रियाओं और आर्थिक व्यवस्था के नियमों के माध्यम से परंपरागत तरीके से होता है। इसमें प्रमुखतः बाजार, बैंक, निवेश और ऋण प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
3. यूपीएससी (UPSC) क्या है?
उत्तर: यूपीएससी (UPSC) भारतीय संघ लोक सेवा आयोग का पूर्ण रूप है। यह भारतीय संघ लोक सेवा परीक्षा का आयोजन करता है, जो भारतीय नागरिकों को विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए चुनने का एक मान्य और प्रतिष्ठित मानदंड है।
4. वित्त आयोग का प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर: वित्त आयोग का प्रमुख कार्य भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और सुधार को सुनिश्चित करना है। इसके तहत आयोग निर्धारित कार्यक्रमों, योजनाओं और नीतियों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को प्रभावी बनाने का प्रयास करता है।
5. वित्त आयोग क्या प्रभाव डालता है?
उत्तर: वित्त आयोग भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव डालता है। यह निर्माताओं, उद्यमियों, बैंकों, बाजारों और सामान्य लोगों पर नियंत्रण और प्रभाव डालता है। वित्त आयोग के निर्धारित कार्यक्रम, योजनाएं और नीतियाँ अर्थव्यवस्था को सुधारने और विकसित करने के लिए अहम माने जाते हैं।
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