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आर्थिक विकास - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

प्रश्न 1. आर्थिक वृद्धि एवं आर्थिक प्रगति में अन्तर स्पष्ट करने वाले अर्थशास्त्री हैं-    
उत्तर: ऐलन बरेरी

प्रश्न 2. विकास के आरम्भिक चरणों में, जनसंख्या विस्फोट मुख्यतः किन कारणों से होता है?    
उत्तर: मृत्यु-दर में तेजी से गिरावट

प्रश्न 3. अर्द्ध-विकसित देशों की जनसंख्या की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि यहाँ जन्म व मृत्यु दरें दोनों ही-
उत्तर: विकसित देशों की अपेक्षा अध्कि रहती है

प्रश्न 4. अल्पविकसित राष्ट्रों की सामान्य विशेषता क्या हो सकती है-
उत्तर: कृषि की प्रधनता, पूँजी की न्यूनता तथा मानवीय शक्ति का अकुशल एवं पिछड़ा होना

प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्र संघ ने अल्पविकसित राष्ट्र को परिभाषित किया है-
उत्तर: प्रति व्यक्ति आय के आधर पर

प्रश्न 6. ‘गरीबी के दृष्चक्र’ का सम्बन्ध् है-
उत्तर:पूँजी की कमी से, निम्न उत्पदकता से तथा निम्न विनियोग से

प्रश्न 7. पूँजी निर्माण को अवरू करने वाला घटक है-    
उत्तर: प्रदर्शन प्रभाव, अनुत्पादकीय व्यय तथा सीमित साहसिक प्रेरणाएँ

प्रश्न 8. आर्थिक विकास के लिए ‘अहस्तक्षेप नीति’ (Laissez Faire Policy) आवश्यक है, इस विचार के समर्थक हैं-    
उत्तर: एडम स्मिथ

प्रश्न 9. Big Push Theory किस घटक की अविभाज्यता पर आधारित है?
उत्तर: माँग, उत्पादन फलन तथा बचत की पूर्ति

प्रश्न 10. संकुचित अर्थ में पूँजी निर्माण का अभिप्राय है-
उत्तर: भौतिक पुनर्निर्मित उत्पादन के स्टाॅक में वृद्धि

प्रश्न 11. अल्पविकसित देशों में कौनसा घटक प्रमुख रूप से कम पूँजी निर्माण के लिए उत्तरदायी है?    
उत्तर: संगृहित बचतें

प्रश्न 12. कौन-सा घटक पूँजी निर्माण प्रक्रिया के माँग पक्ष से सम्बन्ध्ति नहीं है-
उत्तर:घाटे की वित्त व्यवस्था

प्रश्न 13. आर्थिक विकास की आरम्भिक स्थिति में पूँजी उत्पाद अनुपात-
उत्तर: अधिक होता है

प्रश्न 14. मानवीय शक्ति के आर्थिक विकास में सहायक होने के लिए आवश्यक है कि-  
उत्तर: जनसंख्या वृद्धि दर रोकी जाए, जनसंख्या को गतिशील बनाया जाए तथा मानवीय पूँजी निर्माण किया जाए

The document आर्थिक विकास - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi.
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FAQs on आर्थिक विकास - स्वमूल्यांकन हेतु प्रश्न, पारंपरिक अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. स्वमूल्यांकन क्या है और इसका आर्थिक विकास में क्या महत्व है?
उत्तर: स्वमूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसमें वस्तुओं, सेवाओं या संपत्तियों के मूल्य को मापा जाता है। यह विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे व्यापारिक निर्णयों को लेने में मदद मिलती है और निवेशकों को विभिन्न विकल्पों का मुल्यांकन करने में मदद मिलती है।
2. पारंपरिक अर्थव्यवस्था क्या है और इसका आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर: पारंपरिक अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें आधारभूत नियमों, परंपरागत अभ्यासों और संस्कृति की संरचना को ध्यान में रखते हुए आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित किया जाता है। इसका आर्थिक विकास पर प्रभाव होता है क्योंकि यह विभिन्न आर्थिक सुविधाओं, नियंत्रण प्रक्रियाओं और वित्तीय नियमों के प्रभाव को मध्यान्ह लाता है।
3. भारत में स्वमूल्यांकन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: भारत में स्वमूल्यांकन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यापारिक निर्णयों को लेने में मदद करता है और निवेशकों को विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकन करने में मदद करता है। स्वमूल्यांकन के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की मूल्यांकन करने से व्यापारिक निर्णयों से सम्बंधित संभावित आर्थिक परिणामों का मुल्यांकन किया जा सकता है।
4. पारंपरिक अर्थव्यवस्था के क्या प्रमुख फायदे हैं?
उत्तर: पारंपरिक अर्थव्यवस्था के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं: 1. संघटनात्मकता: पारंपरिक अर्थव्यवस्था आर्थिक गतिविधियों को संगठित और संरचित करने में मदद करती है। 2. साक्षरता की वृद्धि: पारंपरिक अर्थव्यवस्था में नियमों, प्रक्रियाओं और परंपरागत अभ्यासों का पालन करने के लिए साक्षरता की आवश्यकता होती है। 3. समानता और समरसता: पारंपरिक अर्थव्यवस्था न्यायपूर्णता, समानता और समरसता को बढ़ावा देती है। 4. सावधानी और सुरक्षा: पारंपरिक अर्थव्यवस्था में नियंत्रण प्रक्रियाओं के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों की सावधानी और सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है।
5. स्वमूल्यांकन के लिए उपयुक्त तकनीकों के बारे में बताएं।
उत्तर: स्वमूल्यांकन के लिए उपयुक्त तकनीकों में शामिल हैं: 1. वित्तीय मूल्यांकन: इस तकनीक में वित्तीय मूल्यांकन के आधार पर वस्तुओं या सेवाओं की मूल्यांकन की जाती है। 2. अभिप्रेत मूल्यांकन: यह तकनीक विभिन्न अभिप्रेत खरीदारों या बिक्रेताओं के द्वारा वस्तुओं या सेवाओं की मूल्यांकन के आधार पर होती है।
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